बहुतों को शायद ये पता न हो कि दरगाहों (जहाँ कुत्ते/गधे दबे हैं) में एक बेड़ी बाँधने और काटने की रस्म होती है, दरगाह में जाकर मन्नत माँगने वाली लड़की के पैर में काले धागे की बेड़ी बाँध दी जाती है।
ये बेड़ी कथित मन्नत के पूरा होने पर दरगाह मे जाकर खादिम से कटवाई जाती है,
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तब जाकर वो लड़की बेड़ी कटवाकर मुक्त होती है। ये मजारों के खादिमों का नया टंटा है, जिसमें कामांध बेवकूफ हिन्दू लड़कियां दरगाहों पर बेड़ी बँधवा रही हैं, फिर उन खादिमों के बिस्तर गरम करके वीडियो बनवाकर, फिर दरगाह के सारे खादिमों के सामूहिक बिस्तर गरम करने का साधन बन जाती हैं।
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इसकी शुरुआत #कलियर_शरीफ से हुई थी, (कहा जाता है यहाँ किसी सड़े गधे की लाश पड़ी है?) यह लालची हिन्दू लड़कियों व महिलाओं को फँसाकर उनको अपनी #SexSlave बनाने का टोटका है, जो बहुत हद तक सफल हो रहा है।
आजकल हर छोटी बडी दरगाह में यही बाँधने-काटने का धंधा जोरों से चल रहा है।
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पैर के पास जहां पायल या धागा पहनते हैं उस जगह पर मंगल ग्रह का निवास माना जाता है और मंगल ग्रह को काला रंग पसंद नहीं इसलिए काला धागा पैरों में नही पहनना चाहिए। इससे अशुभ होता है।
परंतु फिर भी कुछ लोग पैरों में काला धागा बांधने के पीछे मूर्खतापूर्ण तर्क देते हैं।
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बताता चलुं कि पुरूष एवं महिला वर्ग के पैर के अंगूठे में धागा बांधने से उन्हें उनकी गुप्त समस्याओं से छुटकारा मिल जाता हैं परंतु कुछ दिग्भ्रमित लोग धागा अंगुठे के बजाय पैर में भी बांधने लगे हैं।
मजारी हिन्दू महिलाओं, इन खादिमों की यौनदासी बनकर कौनसा स्वार्थ पूरा कर रही हो??
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#PlacesOfWorshipAct 1991 में पास हुआ, जिसके अनुसार हिंदू अपने छीने गए मंदिरों पर दावा करके वापिस नहीं ले सकते!
उसी देश में, उसी संसद ने, उसी सत्ता ने, 1995 में #WaqfAct पास किया जिसके अनुसार #WaqfBoard/मुसलमान मस्जिद, दरगाह या कब्रिस्तान की दावे की भूमि को ही नहीं,
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किसी भी भूमि को अपना घोषित कर सकते हैं, इसके बाद अपील भी उन्हीं से करनी होगी, निर्णय भी उन्हीं का होगा।
उस समय देश में 80% हिंदू थे, संसद में 95% सांसद हिंदू थे, कानून मंत्रालय जो नए ऐक्ट तैयार करता है उसमें 95% प्रतिशत हिंदू थे, फिर भी ये दोनों राक्षसी कानून पास हुए।
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हम हिंदू, वास्तविकता में जीवन से क्या चाहते क्या हैं?
What are our desires, expectations from life?
भूमि- वो मुसलमान छीन रहे हैं!
लड़कियाँ- वो मुसलमान छीन रहे हैं!
धन- वो मुसलमान हमसे ही लूट/कमा रहे हैं…..
#RNA_Virus के विरुद्ध कितनी वैक्सीन बनी है?
वायरस में RNA होगा या DNA
विशुद्ध जेनेटिक मटीरियल तो DNA ही है, DNA से RNA बन जाता है और RNA से प्रोटीन! प्रोटीन ही सारी क्रिया और सरंचना में भागीदार है। यह सामान्य सा नहीं सभी पर लागू होता है।
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कोई DNA वायरस हो तो हम वैक्सीन आसानी से बना लेते है।
जब बात RNA वायरस कि आती है तो यह उल्टा चलने लगता है। जैविक अणु विकास की यह विचित्र घटना है जब RNA वायरस हमारा पानी एंजाइम का उपयोग कर DNA भी बनाता है अपना विकास करता है। तो क्या हम अपने ही विरुद्ध वैक्सीन बना दे।
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कोराना वायरस है तो RNA वायरस लेकिन इसके साथ एक कमजोरी है। जो इसकी संक्रामकता में छिपा है! इसके शरीर के बाहरी खोल पर छोटे छोटे उभार है जिन्हें हम spike कहते है! यह एक तरह का प्रोटीन! ग्लाइकोप्रोटीन है। ऐसे ही spike हमारे शरीर मे भी होते है जिससे यह वायरस चिपक रहा है।
3/N
सिर्फ 25 बातें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो उठेगा। इसको पढ़े बिना आज़ादी का ज्ञान अधूरा है!
आइए जानते हैं एक ऐसे महान क्रांतिकारी के बारे में जिनका नाम इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया। जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा इतनी यातनाएं झेलीं कि
वीर सावरकर के बारे में कल्पना करके ही कायरों में सिहरन पैदा हो जायेगी......
जिनका नाम लेने मात्र से आज भी हमारे देश के राजनेता भयभीत होते हैं क्योंकि उन्होंने माँ भारती की निस्वार्थ सेवा की थी।
वो थे हमारे परमवीर सावरकर
1. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोकसभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें?
क्या किसी भारतीय महापुरुष के निधन पर ब्रिटेन में शोक सभा हुई?
Unbelievable!!!
The 13th century poet saint #Gyandev created a children's game called #MokshaPatam. The British later named it #Snakes_And_Ladders & diluted the entire knowledge - instead of the original #MokshaPatam.
In the original one hundred square game board,
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the 12th square was faith, the 51st square was reliability, the 57th square was generosity, the 76th square was knowledge, and the 78th square was asceticism. These were the squares where the ladders were found and one could move ahead faster.
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The 41st square was for disobedience, the 44th square for arrogance, the 49th square for vulgarity, the 52nd square for theft, the 58th square for lying, the 62nd square for drunkenness, the 69th square for debt, the 84th square for anger, the 92nd square for greed,
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