- देश इस रास्ते पर है कि वक्फ बोर्ड में सभी 7 सदस्य मुस्लिम होंगे । जबकि हिन्दू मंदिर का ट्रस्ट सरकारी होगा उसके सदस्य भी गैर हिन्दू होंगे | वक्फ बोर्ड की संपत्ति मुस्लिम समाज की होगी और मुस्लिम समाज गजवा ए हिंद के लिए
लिए वो संपत्ति खर्च करेगा लेकिन हिन्दू मंदिरों की संपत्ति सरकारी होगी और हिन्दू मंदिरों का पैसा हिन्दू मंदिरों, हिन्दू समाज पर नहीं बल्कि ईसाई और मुस्लिम समाज पर सरकारी योजनाओं के माध्यम से खर्च होगा
- *वक्फ बोर्ड ने इतनी जमीन कब्जा कर ली है कि खुद को छोटा देश घोषित कर सकता है !
भारत की सेना के पास करीब 18 लाख एकड़ जमीन है रेलवे के पास करीब 12 लाख एकड़ में फैली हैं । और देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन हैं ।मतलब जमीन के मामले में वक्फ बोर्ड सेना और रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर है । और यहां से जो पैसा आता है वो भारत में
धर्मांतरण लव जिहाद के लिए इस्तेमाल होता है ।
2009 में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां 4 लाख एकड़ जमीन पर फैली थी और *13 सालों में वक्फ बोर्ड की संपत्ति दोगुनी होकर 8 लाख एकड़ हो गई दरअसल, वक्फ बोर्ड जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति
करार दे देता है । अवैध मजारों, नई-नई मस्जिदों की देश में बाढ़ आई हुई है। इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा अपने आप हो जाता है।
नरसिम्हा राव के जमाने में बना 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो जमीन के कागज
वक्फ बोर्ड को नहीं दिखाने हैं बल्कि ज़मीन का कागज उसे दिखाना है जिसकी जमीन वक्फ बोर्ड छीन रहा है और पूर्वजों की जमीन के कागज अक्सर कई परिवारों के पास नहीं होते हैं । इसका फायदा वक्फ बोर्ड उठाता है ।
बड़ी बात है कि अगर आपकी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बता दी गई तो आप उसके
खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते। आपको वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी। वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। तब आप वक्फ ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं जिसमें सारे मुस्लिम मेंबर ही होते हैं। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि ट्राइब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट
या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है । लेकिन इस कानून के खिलाफ अब वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी लगाई है ।
मोदी सरकार के दौरान भी वक्फ बोर्ड को मजबूत बना दिया । सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने नियम बनाया कि अगर वक्फ की जमीन पर स्कूल, अस्पताल आदि बनते हैं तो पूरा खर्च
सरकार का होगा । ये तब हुआ जब मुख्तार अब्बास नकवी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे । एक तरफ सरकार मंदिरों के पैसे लेती है, दूसरी तरफ वक्फ को अनुदान देती है।
- 1947 में भारत के टुकड़े हो गए लेकिन बचे हुए भारत के इस्लामीकरण की प्रक्रिया नेहरू की मिलीभगत से दोबारा शुरू हो गई ।
1950 में नेहरू-लियाकत समझौते के मुताबिक भारत छोड़कर पाकिस्तान गए मुसलमानों की ज़मीन को वक्फ़ की संपत्ति घोषित कर दिया गया । लेकिन पाकिस्तान से भारत आए हिंदुओं की ज़मीन पर पाकिस्तानी मुसलमानों ने कब्जा कर लिया
-दुनिया के किसी इस्लामी देश में वक्फ बोर्ड नाम की कोई संस्था नहीं है।
ये सिर्फ भारत में है जिसके संविधान के धर्मनिर्पेक्ष होने का दावा किया जाता है । वक्फ का मतलब होता है अल्लाह की संपत्ति और जो लोग वक्फ के मेंबर होते हैं उनको अल्लाह का खजांची कहा जाता है । इस तरह जमीन पर कब्जे की नींव आस्था के नाम पर रखी गई है
आखिर ये कैसा अल्लाह है जो गरीबों की जमीन पर कब्जा करके खुश होता है ?
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
वक्फ एक्ट 1995 सेक्शन 40: वक्फ के सोचने के बाद वक्फ को आपकी जमीन पर अपना दावा साबित नहीं करना है बल्कि जमीन मालिक को ये साबित करना होगा कि ये जमीन वक्फ की नहीं बल्कि उसकी है.
जमीन मालिक अपनी जमीन बचाने के लिए सिविल कोर्ट भी नहीं जा सकता बल्कि उसे वक्फ के ट्रिब्यूनल कोर्ट में
जाकर अपना दावा साबित करना होता है.
अब वक्फ के ट्रिब्यूनल कोर्ट ने कह दिया कि वक्फ का दावा सही तो आप तुरंत भूमिहीन हो जाएंगे, आपकी जमीन वक्फ की हो जाएगी.
स्पष्ट है कि वक्फ एक्ट 1995 दूसरों की जमीन कब्जाने का माध्यम है तथा वक्फ ऐसा कर भी रहा है. आज वक्फ के पास सेना व रेलवे के
वृंदावन से मथुरा जाने के बाद श्रीकृष्ण फिर कभी वृंदावन वापस नहीं लौटे। इस दौरान वे केवल दो बार राधा से मिले थे। एक बार कुरुक्षेत्र में और दूसरी बार प्रभास तीर्थ क्षेत्र में। सोमनाथ मंदिर प्रभास तीर्थ क्षेत्र में ही है। गोलोक जाने के पहले एक बार 👇
श्रीकृष्ण ने समस्त ब्रजवासियों को प्रभास तीर्थ में मिलने के लिए बुलाया था। वृंदावन से जाने के बाद राधा-कृष्ण की यही दूसरी और अंतिम भेंट थी। रुक्मिणी भी आई थीं। राधा का जब श्रीकृष्ण से सामना हुआ तो मिलते ही राधा ने कहा कि कहो कृष्ण कैसे हो? श्रीकृष्ण हतप्रभ रह गए। अचकचाते हुए
कहा कि मैं तुम्हारे लिए कृष्ण कब से हो गया राधे? मैं तो अब भी तुम्हारे लिए कान्हा ही हूं। राधा ने कहा नहीं कृष्ण अब तुम कान्हा नहीं रहे। बहुत बदल गये हो। कृष्ण ने अचरज भरें भाव के साथ पूछा कि क्या बदलाव आ गया है मुझमें। राधा बोली कोई एक हो तब न बताऊं। अगर तुम श्याम होते तो
ये औरत खुद स्वीकार कर रही के हमने 1 दिन में 29000 लोगों का धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनाया - टेरेसा
मदर टेरेसा सेवा का मुखौटा
धर्म परिवर्तन की दुकान इस औरत को कांग्रेस सरकार ने "मदर" का दर्जा दिया था हो तो भी वह सत्य ही कहलाता है। संत का उद्देश्य पक्षपात रहित मानवता की भलाई है।
24 मई 1931 को वे कलकत्ता आई और यही की होकर रह गई। कोलकाता आने पर धन की उगाही करने के लिए मदर टेरेसा ने अपनी *मार्केटिंग आरम्भ* करी। उन्होंने कोलकाता को गरीबों का शहर के रूप में चर्चित कर और खुद को उनकी सेवा करने वाली के रूप में चर्चित कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करी।
वे कुछ ही वर्षों में "दया की मूर्ति", "मानवता की सेविका", "बेसहारा और गरीबों की मसीहा", “लार्जर दैन लाईफ़” वाली छवि से प्रसिद्ध हो गई।
क्रिस्टोफर हिचेन्स (अप्रैल 1949-दिसंबर 2011) ने टेरेसा पर एक किताब लिखी है। 'द मिशनरी पोजीशन : मदर टेरेसा इन थ्योरी एंड प्रैक्टिस'।
भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले," पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव ... ?*
*उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है" .
*भीष्म ने पुनः कहा , "कुछ पूछूँ केशव .... ?*
*बड़े अच्छे समय से आये हो .... !*
*सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !!*
*कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....!*
*एक बात बताओ प्रभु ! तुम तो ईश्वर हो न .... ?*
*कृष्ण ने बीच में ही टोका , "नहीं पितामह !
मैं ईश्वर नहीं ... मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ईश्वर नहीं ."*
*भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े. ! बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .. !! "*
कहते हैं कि काशी में शिवजी का एक बहुत ही विशालकाय मंदिर था।
इसे मध्यकाल में तोड़कर यहां पर एक मस्जिद बना दिए जाने का दावा किया जाता रहा है।
आओ जानते हैं काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का प्राचीन इतिहास।
1. आदिकाल : हिन्दू पुराणों अनुसार काशी में विशालकाय मंदिर में आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर शिवलिंग स्थापित है।
2. प्राचीनकाल : ईसा पूर्व 11वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था उसका सम्राट विक्रमादित्य ने अपने कार्यकाल में पुन:
जीर्णोद्धार करवाया था।
3. 1194 : इस भव्य मंदिर को बाद में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद तुड़वा दिया था।
4. 1447 : मंदिर को स्थानीय लोगों ने मिलकर फिर से बनाया परंतु जौनपुर के शर्की सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया और मस्जिद बनाई गई। हालांकि इसको लेकर इतिहासकारों में