आईये मिलकर हिन्दुतान से वक्फ बोर्ड
को आज से उखाड़ फेकते हैं💪
पोस्ट पूरी पढ़े🙏👇
इस वक्फ बोर्ड एक्ट-1995 ने, भारत माता की बेशकीमती सार्वजनिक, राजशाही, सरकारी सम्पत्ति एवं बंजर जमीनों के साथ-साथ बगीचों, सड़कों व स्टेशनों इत्यादि स्थानों तक को मस्जिद
#जागो_हिन्दू_साथियों_जागो
मजार, हवेली, ऑफिस इत्यादि के नाम पर निगल लिया है...
इनके कब्जे में आज हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन है...
आपको करना बस इतना है कि, आप जहां भी रहते है वहां बुजुर्गों व मुस्लिम दोस्तों व पड़ोसियों से पूछकर अपने आसपास की वक्फ बोर्ड के नाम की छोटी से छोटी हर उस जमीन जगह एवं कब्र मजार
हवेली इत्यादि को ढूंढ- ढूँढ़कर हमको मैसेज में बताये उसकी डिटेल पूरे पते के साथ मेसेज या dm में आकर व्हाट्सएप्प नंबर ले उस पर लिख कर, हमको सूचित करे
हमारी टीम उसे भारतीय सरकारी सम्पत्ति के रिकार्ड में दर्ज कराएंगे या जिसकी है उसे दिलवाएंगे
#उदयपुर
कुतुबुद्दीन घोड़े से गिर कर मरा, यह तो सब जानते हैं, लेकिन कैसे? यह आज हम आपको बताएंगे। वो वीर महाराणा_प्रताप जी का 'चेतक' सबको याद है, लेकिन 'शुभ्रक' नहीं! तो मित्रो आज सुनिए कहानी 'शुभ्रक' की।
और उदयपुर के 'राजकुंवर कर्णसिंह' को बंदी बनाकर लाहौर ले गया। कुंवर का 'शुभ्रक' नामक एक स्वामिभक्त घोड़ा था, जो कुतुबुद्दीन को पसंद आ गया और वो उसे भी साथ ले गया।
एक दिन कैद से भागने के प्रयास में कुँवर सा को सजा-ए-मौत सुनाई गई और सजा देने के लिए 'जन्नत बाग' में लाया गया।
यह तय हुआ कि राजकुंवर का सिर काटकर उससे 'पोलो' (उस समय उस खेल का नाम और खेलने का तरीका कुछ और ही था) खेला जाएगा।
कुतुबुद्दीन स्वंय कुँवर सा के ही घोड़े 'शुभ्रक' पर सवार होकर अपनी खिलाड़ी टोली के साथ 'जन्नत बाग' में आया। 'शुभ्रक' ने जैसे ही कैदी अवस्था में राजकुंवर को देखा,
2. माता गुजरी और छोटे साहिबजादों की रक्षा के लिए कोई सिख जब आगे नहीं आया, तो बच्चों को दूध पिलाने के लिए बाबा मोती राम मेहरा ने ही बलिदान किया
3. बच्चों के अंतिम संस्कार के लिए जब कोई सिख आगे नहीं आया तो टोडरमल जी ने 78000 सोने की मोहर देकर उनका अंतिम संस्कार किया...
4. हिंदु होते हुए जिस गुरु गोविंद (राय) जी ने अपने चार पुत्र वार दिए वहीं उनका पांचवां पुत्र मुगलों के साथ मिलकर काम करने लगा...आज भी खालिस्तानी मुगलो से मिलकर और साठगांठ करके नया देश बनाने की जुगाड़ मे हैं
5. जब अमृतसर स्वर्ण मंदिर पर मुगलों ने कब्जा कर लिया था तब राजा
इस वीडियो को सुनेंगे तो होश उड़ जाएंगे आपके, ये हैं सुप्रीम कोर्ट लॉयर डी. के. दुबे, जो D. U. में law के professor हैं
सारे हिन्दू समाज के लोग इनको ज़रूर सुनें , यकीन कीजिए, मात्र दस मिनट में आपके सारे भ्रम दूर हो जाएंगे।
आज से लगभग 8 हजार वर्ष पूर्व त्रेता युग में अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट महाराज दिलीप के कोई संतान नहीं थी। एक बार वे अपनी पत्नी के साथ गुरु वसिष्ठ के आश्रम गए। गुरु वसिष्ठ ने उनके अचानक आने का प्रयोजन पूछा। तब राजा दिलीप ने उन्हें अपने
पुत्र पाने की इच्छा व्यक्त की और पुत्र पाने के लिए महर्षि से प्रार्थना की।
महर्षि ने ध्यान करके राजा के निःसंतान होने का कारण जान लिया। उन्होंने राजा दिलीप से कहा – “राजन! आप देवराज इन्द्र से मिलकर जब स्वर्ग से पृथ्वी पर आ रहे थे तो आपने रास्ते में खड़ी कामधेनु को
प्रणाम नहीं किया। शीघ्रता में होने के कारण आपने कामधेनु को देखा ही नहीं, कामधेनु ने आपको शाप दे दिया कि आपको उनकी संतान की सेवा किये बिना आपको पुत्र नहीं होगा।”
महाराज दिलीप बोले – “गुरुदेव! सभी गायें कामधेनु की संतान हैं। गौ सेवा तो बड़े पुण्य का काम है, मैं गायों की
622 ई से लेकर 634 ई तक मात्र 12 वर्ष में अरब के सभी मूर्तिपूजकों को मुहम्मद ने तलवार से जबरदस्ती मुसलमान बना दिया! (मक्का में महादेव काबळेश्वर (काबा) को छोड कर!)
शास्त्र कहते हैं कि अठारह दिनों के महाभारत युद्ध में उस समय की पुरुष जनसंख्या का 80% सफाया हो गया था। युद्ध के अंत में, संजय कुरुक्षेत्र के उस स्थान पर गए जहां संसार का सबसे महानतम युद्ध हुआ था।
में यहीं युद्ध हुआ था?
यदि यहां युद्ध हुआ था तो जहां वो खड़ा है, वहां की जमीन रक्त से सराबोर होनी चाहिए। क्या वो आज उसी जगह पर खड़ा है जहां महान पांडव और कृष्ण खड़े थे?
तभी एक वृद्ध व्यक्ति ने वहां आकर धीमे और शांत स्वर में कहा, "आप उस बारे में सच्चाई कभी नहीं जान पाएंगे!"
संजय ने धूल के बड़े से गुबार के बीच दिखाई देने वाले भगवा वस्त्रधारी एक वृद्ध व्यक्ति को देखने के लिए उस ओर सिर को घुमाया।
"मुझे पता है कि आप कुरुक्षेत्र युद्ध के बारे में पता लगाने के लिए यहां हैं, लेकिन आप उस युद्ध के बारे में तब तक नहीं जान सकते, जब तक आप ये नहीं जान लेते हैं