क्यो हमारे पुर्वज #पितृपक्ष मे #कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे?
पीपल और बरगद को सनातन धर्म मे पूर्वजों की संज्ञा दी गई है।
आपने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं?
या किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है नहीं....!
पूरा थ्रेड पढ़े👇
2/ बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के फल कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं।
3/ उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं।
पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो 24×7 ऑक्सीजन छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है।
देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा। मादा
4/कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।तो इस नयीपीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषिमुनियों नेकौवों के नवजातबच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिकआहार की व्यवस्था कर दी।जिससे कि कौवों के नवजात का पालनपोषण होजाये
श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है।
जब भी बरगदपीपल के पेड़ को देखोतो अपने पूर्वज तो याद करना क्योंकि उन्होंने श्राद्ध किया इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।
जब विज्ञान भी नहीं था हमारे पूर्वजोंको पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है।क्या खाने लायक है।
ईश्वर की रचना और व्यवस्था ही अपरंपार है।उसे मानवजाति नहीं समझ सकता।
सनातनधर्म पर उंगली उठाने वाले पहले सनातनधर्म को जानो।
वर्षो प्राचीन हमारा सनातनधर्म,विज्ञान एवं प्रकृति आधारित धर्म है जिसके भव्यता के आगे संसार नतमस्तक है।
फिर क्यों न गर्व हो हमें हिन्दू होने पर #जयतु_सनातन 🚩
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कृपया rt के साथ थ्रेड पूरा पढ़े ।कहना तो बहुत कुछ है परशालीनतवश सब नही लिख सकते ,लेकिन इतना ही काफी है समझने औऱ समझने के लिए कि #सेकुलरिज्म का ही दूसरा नाम #दोगलापन है
कुछ उदाहरण ये है 👇 #सेक्युलर_कहते_हैं_कि.
1)करवाचौथ नारी उत्पीड़न है,
तीन तलाक़ धार्मिक आस्था
2)देवदासी
आगे👇
प्रथा वेश्यावृत्ति थी
हलाला पवित्र नारी-शुद्धिकरण
3)बहुविवाह एक अनैतिक प्रथा थी
चार-निक़ाह ईश्वरीय आदेश
4)चुटिया रखना धार्मिक ढोंग है,
बिना मूंछ की बकर-दाढ़ी ईश्वर का नूर है
5)यज्ञोपवीत पहनना धार्मिक कट्टरवाद है,
लेकिन अरबी लबादा ओढ़ना धार्मिक पहचान है
6)तिलक लगाना दकियानूसी👇
कट्टरता है,
लेकिन मत्थे पे ईंट से रगड़कर बनाया काला निशान आध्यात्मिक है
6)कर्ण छेदन असभ्य क्रूरता है,
ख़तना अलौकिक प्रक्रिया
7)पितृपक्ष तर्पण एक ढोंग है,
लेकिन मरहूमों की मज़ारों पर चढ़ावा चढ़ाना श्रद्धा
8)तीर्थ-यात्रा पैसा कमाने का मनुवादी ढोंग,
लेकिन लाखों रुपये फूँककर
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#स्रोत:आर्यसमाज मुम्बई और सनातनसंस्थान
क्या आप जानते हैं कि IRF #इस्लामिक_रिसर्च_फाउंडेशन संगठन जाकिर नाइक जैसे प्रचारकों की अगुवाई में वेदों का गलत साहित्य छापता है
हाल ही में #आर्यसमाज द्वारा जांच केअनुसार, यह पाया गया है कि कई वैदिक साहित्य गलत छापे गए हैं इस्लामी विचारधारा
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के अनुरूप।मीरा रोड (ठाणे) से बुकआउटलेट से नमूने एकत्र किए गए थे;नालासोपारा (ठाणे); पालघर (ठाणे) उस्मानाबाद (हैदराबाद) आदि और इन नमूनों को अक्सर फ्रीलांस में आईआरएफ वालंटियर्स द्वारा वितरित किया जाता है,जो हिंदुओं की तरह ही कपड़े पहनतेहैं और जो हिंदू नामों के साथ धर्मान्तरित हैं
चौंकाने वाला खुलासा मिला है; 1) इसके पब्लिशिंग हाउस के रूप में गीता प्रेस (बनावटी) नाम का उल्लेख है
2) हिंदुओं को जातिवाद को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न श्लोकों को गलत अनुवाद दिखाया गया है
3) श्लोकों को इंद्र के नामों की जगह पैगंबर का नाम डाला गया है; वायु; वेदों में अग्नि 👇