👉🏾षड्यंत्र समझो.. 4 मित्र थे.. Fake ID में नाम हिन्दुओं के -
1 सोहराब - सुनील यादव
2 सरफराज - अमित मिश्रा
3 हामिद - नागेंद्र पासवान
4 अहमद - सुरेन्द्र सिंह
अब सुनील यादव (सोहराब) पोस्ट डालता हैं कि- "धर्म के नाम पर ब्राह्मणों ने हमेशा हमारा शोषण किया है @Geetaverma07👇🏾
कोई देवी देवता नहीं होता हिन्दू धर्म सिर्फ ब्राह्मणों का बकवास है ये सब बीजेपी और RSS वाला है।"
अब शुरू होता है इस नाटक के बाकि तीनो किरदारों का तमाशा देखिए कमेंट में।..
Comment
सुरेंद्र सिंह उर्फ (अहमद)-
"ऐ सुनील यादव खबरदार जो हिन्दू धर्म के बारे में कुछ बोला @sunil_k2 👇🏾👇🏾
तुम यादव लोग हिन्दू नहीं हो सकते #$% 2-4 गाली लिख देता है।"
फिर बारी आती है तीसरे नौटंकी बाज की-
नागेंद्र पासवान उर्फ (हामिद)
नमो बुद्धाय जय भीम।
"अरे भाईलोगों गाली गलौज क्यों कर रहे सच्चाई तो कड़वी होती ही है तुम लोग हम दलितों को मंदिर में घुसने नहीं देते हो @BHariharanatha👇🏾
ये धर्म नहीं पाखण्ड है इससे अच्छा तो इस्लाम है सभी बराबर खड़े हो कर नमाज पढ़ते हैं।"
अब तीसरा नौटंकी बाज आता है कमेंट में-
अमित मिश्रा उर्फ (सरफ़राज़)
"हाँ.. हाँ.. तुम लोग अछूत हो तो क्यों घुसने दे मंदिर में?? जाओ इस्लाम ही अपना लो तुम सब मूर्ख हो कौन मुंह लगाए तुझे।👇🏾👇🏾
मित्रों सिर्फ इन चार की इतनी सी नौटंकी जबकि चारो एक ही समुदाय (मुस्लिम) के हैं।
मात्र इतनी नौटंकी के बाद कई हिन्दू यादव, राजपूत, ब्राह्मण और दलित सभी तुरंत इस कमेंट बॉक्स में अपनी-अपनी जाति के समर्थन में बिना सोचे-समझे बिना अगले किसी fake id को जाने समझे, @Sabhapa30724463 👇🏾👇🏾
आपस में एक दूसरे से लड़ने लगते हैं और हमारे जातिवाद का फायदा उठाने वाले वो चारो हमारी मूर्खता पर अट्टहास लगा कर हँसते हैं।
देश के अंदर -बाहर से दुश्मन घात लगा कर बैठा है मौके की तलाश में, और इस प्रकार हिंदूओं में आपसी फूट डाल कर लड़ाते हैं।
👉🏾ईराक की एक पुस्तक है जिसे ईराकी सरकार ने खुद छपवाया था। इस किताब में 622 ई से पहले के अरब जगत का जिक्र है।
आपको बता दें कि ईस्लाम धर्म की स्थापना इसी साल हुई थी। किताब में बताया गया है कि मक्का में पहले शिवजी का एक विशाल मंदिर था जिसके अंदर एक शिवलिंग थी जो आज भी मक्का के 👇🏾
काबा में एक काले पत्थर के रूप में मौजूद है। पुस्तक में लिखा है कि मंदिर में पाठ और भजन हुआ करता था।
प्राचीन अरबी काव्य संग्रह गंथ ‘सेअरूल-ओकुल’ के 257वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद से 2300 वर्ष पूर्व एवं ईसा मसीह से 1800 वर्ष पूर्व पैदा हुए लबी-बिन-ए-अरव्तब-बिन-ए-तुरफा ने अपनी👇🏾👇🏾
सुप्रसिद्ध कविता में भारत भूमि एवं वेदों को जो सम्मान दिया है, वह इस प्रकार है-
“अया मुबारेकल अरज मुशैये नोंहा मिनार हिंदे।
व अरादकल्लाह मज्जोनज्जे जिकरतुन।1।
वह लवज्जलीयतुन ऐनाने सहबी अरवे अतुन जिकरा।
वहाजेही योनज्जेलुर्ररसूल मिनल हिंदतुन।2।
यकूलूनल्लाहः या अहलल अरज आलमीन 👇🏾👇🏾
👉🏾क्या आपने पश्चिमी प्रतिभाओं द्वारा इन पंक्तियों को पढ़ा है.??
1. माइकल नास्त्रेदमस (1503-1566) हिंदू धर्म यूरोप का शासक धर्म बन जाएगा। यूरोप का प्रसिद्ध महानगर हिंदू राजधानी होगा.
2. जोहान कीथ (1749-1832) यदि आज नहीं, तो एक दिन हमें हिंदू धर्म स्वीकार करना होगा। क्योंकि👇🏾👇🏾
यही एक सच्चा धर्म है" ।
3. लियो टॉल्स्टॉय (1828-1910) "हिंदू धर्म और हिंदू एक दिन इस दुनिया पर शासन करेंगे क्योंकि यह ज्ञान और ज्ञान का मिश्रण है।
4. ह्यूस्टन स्मिथ (1919)
हिंदुत्व को अपने आप में जितना भरोसा है उससे ज्यादा भरोसा नहीं है।
"अगर हम अपने विचारों और दिलों को 👇🏾
हिंदुत्व की ओर मोड़ सकते हैं, तो इससे हमें फायदा होगा।
5. कोस्टा लोबान (1841-1931) हिंदू केवल शांति और सुलह के बारे में बात करते हैं। मैं ईसाइयों को प्रशंसा करने, बदलने और इसमें विश्वास करने के लिए आमंत्रित करता हूं।
6. हर्बर्ट वेल्स (1846-1946) हिंदू धर्म को अच्छी तरह से 👇🏾👇🏾
👉🏾अमेरिकन प्रोफेसर : "सनातन" हिन्दू धर्म से बड़ा कोई धर्म नही, हिंदुत्व से बेहतर और कुछ नही.. कुछ भी नहीं..
🚩अमेरिका नॉर्थ कैरोलिना स्थित ऐलोन यूनिवर्सिटी में धार्मिक इतिहास विभाग के सीनियर प्रोफेसर ब्राइन के.पेनिंग्टन भारत आये और हिंदुत्व पर गहन खोज कर रहे हैं। @Geetaverma07 👇🏾
🚩प्रोफेसर ब्राइन ने कहा कि बीते ढाई दशक में मैंने हिंदुत्व को जितना पढ़ा और समझा, उसका सार यही है कि जीवन को संचालित करने की हिंदुत्व से बेहतर कोई और व्यवस्था नहीं। दुनिया के किसी भी धर्म का उद्भव व उद्देश्य मानव सभ्यता के विकास क्रम में और मानवीय जीवनशैली को बेहतर @Amrit0026👇🏾
बनाने पर केंद्रित रहा है।
🚩भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उस मत से मैं पूरी तरह सहमत हूं, जिसमें हिंदुत्व को ‘वे ऑफ लाइफ’ (जीवन पद्धति) माना गया है। मेरे जीवन में भी हिंदुत्व का बड़ा महत्व है और यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं हिंदुत्व पर शोध कर रहा हूं…। @NandiniDurgesh5 👇🏾
👉🏾 #कटेट्शरों#पिस्लाम#थुकलचियों भोकाल एक ढपोलशंख ही है...!
इनका मानना है कि.. पूरी दुनिया मे इनके 56-57 देश हैं और पूरी दुनिया इनसे डरती है...!
कौन से 56-57 देश हैं बे ??
इजिप्ट, सोमालिया, इंडोनेशिया, मलेशिया और अफगानिस्तान टाइप के भूखे नंगे 56 देश ??
ये सच्चाई @Geetaverma07 👇🏾
जानकर आपकी हँसी नहीं रुकेगी कि... इनके उन 56 देशों मे ये पिद्दी #पिग्गिस्तान सबसे अधिक #पावरफुल देश है..😃
इसी से आप समझ सकते है कि.. जब उनके सबसे शक्तिशाली देश की ऐसी हालत है कि #कटोरा लेकर भीख मांगता रहता है तो बाकियों की स्थिति क्या होगी..?? #अरब-फरब #पेट्रोल बेचकर @rs414317👇🏾
थोड़ा बहुत कमा खा रहे हैं लेकिन जिस रफ्तार से #EV गाड़ियों का चलन बढ़ रहा है आने वाले 20 साल में वो अरब भी #कटोरा लेकर #पिग्गिस्तान के पीछे उसी तरंह लाइन मे खड़े होकर #भीख मांगते हुए नजर आएँगे जैसे 1955 तक पुरे विश्व से इन #कटेट्सरों के लिए #भीख इकठ्ठा करके इनको दिया जाता था.😃👇🏾
👉🏾ये पोस्ट खासकर उन हिन्दू भाइयो के लिए है जो नही जानते कि गोधरा कांड क्या है.??
27 फरवरी 2002 साबरमती ट्रेन के S6 बोगी को गोधरा स्टेशन से 862 मीटर की दूरी पर अशान्ति लोगो द्वारा जला दिया गया था..
जिसमे 90 मासूम, निहत्थे, निर्दोष रामभक्तो की दर्दनाक मौत हो गयी.. @Geetaverma07 👇🏾
उसमे पुरुष, महिलाये, तथा 20 बच्चे भी थे।
उनका "अपराध" केवल इतना था ........कि वे "हिन्दू "थे
और श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या से तीर्थयात्रा करके लौट रहे थे।
स्थानीय कांग्रेसी निगम पार्षद हाजी बिलाल भीड़ को ट्रेन के इंजन को जलाने का आदेश दे रहा था और पास की मस्जिद से लाउडस्पीकर 👇🏾
पर ये आदेश दिया जा रहा था कि "मारो..काटो.. कोई काफ़िर जिन्दा न बचे"
ल्लो ने दरवाज़े बाहर से बंद किए थे ताकि कोई बाहर न निकले..S6 S7 वैक्यूम पाइप काट दिए थे जिससे ट्रेन आगे ना बढ़ सके..जो लोग जलती ट्रेन से किसी तरह बाहर निकल भी आये तो उन्हें तेज़ हथियारों से काटकर मार डाला गया।👇🏾
👉🏾कुछ यादें बचपन की🌹❤️
कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था। कभी खपरैल की छत पे चढ़ी लौकी महीना भर निकाल देती थी, कभी बैसाख में दाल और भतुआ से बनाई सूखी कोहड़ौरी, सावन भादो की सब्जी का खर्चा निकाल देती थी!
वो दिन थे, जब सब्जी पे खर्चा @Geetaverma07👇🏾
पता तक नहीं चलता था। देशी टमाटर और मूली जाड़े के सीजन में भौकाल के साथ आते थे,लेकिन खिचड़ी आते-आते उनकी इज्जत घर जमाई जैसी हो जाती थी!
तब जीडीपी का अंकगणितीय करिश्मा नहीं था।
ये सब्जियाँ सर्वसुलभ और हर रसोई का हिस्सा थीं। लोहे की कढ़ाई में, किसी के घर रसेदार सब्जी @_Sambapu_ 👇🏾
पके तो, गाँव के डीह बाबा तक गमक जाती थी। धुंआ एक घर से निकला की नहीं, तो आग के लिए लोग चिपरि लेके दौड़ पड़ते थे संझा को रेडियो पे चौपाल और आकाशवाणी के सुलझे हुए समाचारों से दिन विदा लेता था!
रातें बड़ी होती थीं, दुआर पे कोई पुरनिया बब्बा, बड़का बाऊ, रामायण के दोहा चौपाई छेड़ 👇🏾