#कटु_सत्य
बहराइच के गाजी बाबा की मजार पर लोग अपनी-अपनी मनोकामनाएं लेकर आएंगे, बगैर ये जाने कि गाजी बाबा तो खुद ही अपनी अधूरी मनोकामना लेकर #अल्लाह को प्यारे हो गये थे।
गाजी #बाबा में आस्था रखने वाले मुस्लिमों से हमें कोई शिकायत नहीं। उनको रखनी भी चाहिए।
क्योंकि सैय्यद सलाउद्दीन सालार गाजी जो कि #मुहम्मद गोरी का मामा था उसने पूर्वी भारत के मुसलमानों की शिकायत पर ही एक लाख हिन्दुओ का सर काटने की प्रतिज्ञा लेकर अपनी तलवार को तब तक म्यान में न रखने की कसम खाई। जब तक एक लाख हिन्दू न कटते, तलवार म्यान में नहीं रखूंगा।
बुद्धिमान #गाजी बाबा ने अपने सेना के आगे गाय रखकर चलने की रणनीति अपनाई थी। नतीजा #हिंदू राजा और सैनिक तीर या भाले से हमले नहीं करते थे और गाजी बाबा ने तीस हजार हिंदुओं का सर काट लिया। लेकिन गाजी बाबा ने शिवभक्त महाराजा #सुहेलदेव के राज्य को भी निपटाने की कोशिश की।
सुहेलदेव जी को गाजी बाबा की रणनीति पता थी। नतीजा सुहेलदेव जी ने अपनी सेना के आगे सूअरों को खड़ा कर दिया, वो भी एक से बढ़कर एक बेवड़े दारूबाज और बिगड़ैल सूअर। जिनको रात भर महुए की शराब पिलाई गई थी। मैदान में आते ही वो पूरे मैदान में भागदौड़ करने लगे। सूअरों को देखकर गाय पीछे
मुड़कर भागने लगी।
गाजी बाबा की सेना में भी गाय और सूअरों के धमाचौकड़ी के कारण भगदड़ मच गई।
गाजी #बाबा पकड़े गए और सत्तर हजार हिंदुओं का सर काटे बगैर ही अपनी जान गवाँ बैठे।
सुहेलदेव महराज के हाथ से सालार मसूद गाजी नाम का कुक्कुर
जब पकड़ा गया, तो सुहेलदेव जी ने उसे सीने तक जमीन में गाड़ दिया और फिर जूतों से उसकी पिटाई करके हत्या की गई।
इसीलिए कह रहे हैं जो बेचारे गाजी बाबा खुद ही अपनी इच्छा पूरी किए बगैर रूखसत हो गये, वो और किसी की इच्छा क्या पूरी करेंगे 😂
🙏मुगलों की मजारों पर जाना बंद करो हिंदुओं
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दीपावली के दिन सूरन की सब्जी बनती है,,,सूरन को जिमीकन्द (कहीं कहीं ओल) भी बोलते हैं,, आजकल तो मार्केट में हाईब्रीड सूरन आ गया है,, कभी-२ देशी वाला सूरन भी मिल जाता है,,,
बचपन में ये सब्जी फूटी आँख भी नही सुहाती थी,, लेकिन चूँकि बनती ही यही थी तो झख मारकर खाना पड़ता ही था,,तब
हम सोचते थे कि मम्मी कितनी कंजूस हैं जो आज त्यौहार के दिन भी ये खुजली वाली सब्जी खिला रही हैं,,, दादी बोलती थी आज के दिन जो सूरन न खायेगा
अगले जन्म में छछुंदर जन्म लेगा,,
यही सोच कर अनवरत खाये जा रहे है कि छछुंदर न बन जाये😂😂 बड़े हुए तब सूरन की उपयोगिता समझ में आई,,
सब्जियो में सूरन ही एक ऐसी सब्जी है जिसमें फास्फोरस अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है,, ऐसी मान्यता है और अब तो मेडिकल साइंस ने भी मान लिया है कि इस एक दिन यदि हम देशी सूरन की सब्जी खा ले तो स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पूरे साल फास्फोरस की कमी नही होगी,
ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में फ्लेमिंग नाम का एक गरीब किसान था!
एक दिन वह अपने खेत पर काम कर रहा था। अचानक पास में से किसी के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी! किसान ने अपना साजोसामान व औजार फेंका और तेजी से आवाज की तरफ लपका!
आवाज की दिशा में जाने पर उसने देखा कि एक बच्चा दलदल में डूब रहा था
वह बालक कमर तक कीचड़ में फंसा हुआ बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा था! वह डर के मारे बुरी तरह कांप पर रहा था और चिल्ला रहा था!
किसान ने आनन-फानन में लंबी टहनी ढूंढी! अपनी जान पर खेलकर उस टहनी के सहारे बच्चे को बाहर निकाला !
अगले दिन उस किसान की छोटी सी झोपड़ी के सामने एक शानदार
गाड़ी आकर खड़ी हुई!
उसमें से कीमती वस्त्र पहने हुए एक सज्जन उतरे ! उन्होंने किसान को अपना परिचय देते हुए कहा- मैं उस बालक का पिता हूं और मेरा नाम राँडॉल्फ चर्चिल है।
फिर उस अमीर राँडाल्फ चर्चिल ने कहा कि वह इस एहसान का बदला चुकाने आए हैं ।
फ्लेमिंग किसान ने उन सज्जन के ऑफर को
कालेज के स्टाफ रूम में सभी महिला लेक्चरार एक ही डिस्कशन कर रही थी कि कल करवा चौथ पर पति ने तुम्हे क्या दिया या तुमने क्या मांगा। कोई नई रिंग तो कोई नए डायमंड टाप्स दिखा रही थी। किसी ने नई चेन तो किसी ने नई चूड़ियाँ पहनी हुई थी। तभी एक प्राध्यापिका इतराते
हुए बोली, "मेरे पास हर तरह की ज्वैलरी तो पहले से ही बहुत है। इसलिए मैंने तो अपने पति से लेटेस्ट डिजाइन की नेट की साड़ी ली।'
इन सब बातों से बेखबर मीना चुपचाप सोफे के कोने में बैठी अपनी किताब पढ़ रही थी। संध्या ने उसे टोका ,"मीना तुमने क्या मांगा ? तुम्हारे पति ने
तुम्हें क्या उपहार दिया?हमें नहीं बताओगी "?
मीना ने बड़े शान्त भाव में कहा, "मैं करवा चौथ पर अपने पति से कुछ नहीं मांगती"।
सब एक साथ बोली, 'क्यू भई हम उनके लिए पूरा दिन भूखी प्यासी रहती है। व्रत रखतीं है। इतना तो हमारा हक बनता है'।
मीना ने फिर उसी भाव में कहा, 'व्रत मैं अपने
एक थे सर्वनिंदक महाराज। काम-धाम कुछ आता नहीं था पर निंदा गजब की करते थे।हमेशा औरों के काम में टाँग फँसाते थे।
अगर कोई व्यक्ति मेहनत करके सुस्ताने भी बैठता तो कहते, 'मूर्ख एक नम्बर का कामचोर है। अगर कोई काम करते हुए मिलता तो कहते, 'मूर्ख जिंदगी भर काम करते हुए मर जायेगा।'
कोई पूजा-पाठ में रुचि दिखाता तो कहते, 'पूजा के नाम पर देह चुरा रहा है। ये पूजा के नाम पर मस्ती करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता।' अगर कोई व्यक्ति पूजा-पाठ नहीं करता तो कहते, 'मूर्ख नास्तिक है! भगवान से कोई मतलब ही नहीं है। मरने के बाद पक्का नर्क में जायेगा।'
माने निंदा के इतने पक्के खिलाड़ी बन गये कि आखिरकार नारदजी ने अपने स्वभाव अनुसार.. विष्णु जी के पास इसकी खबर पहुँचा ही दिया। विष्णु जी ने कहा 'उन्हें विष्णु लोक में भोजन पर आमंत्रित कीजिए।'