स्मिता गर्ग हिंदुत्ववादी( मोदी जी का परिवार ) Profile picture
#हर_कण_हिंदू_ मेरे साथ वोह शिव खड़े हैं, जो इस जगत ने सबसे बड़े हैं कृपया Dm ना करें
Mar 24 14 tweets 3 min read
मां के पांव के निशान

कुछ दिन पहले एक परिचित के घर गया था। जिस वक्त घर में मैं बैठा था, उनकी मेड घर की सफाई कर रही थी। मैं ड्राइंग रूम में बैठा था, मेरे परिचित फोन पर किसी से बात कर रहे थे। उनकी पत्नी चाय बना रही थीं। मेरी नज़र सामने वाले कमरे तक गई, जहां मेड फर्श पर पोछा लगा रही थी।

अचानक मेरे कानों में आवाज़ आई।

“बुढ़िया अभी ज़मीन पर पोछा लगा है, नीचे पांव मत उतारना। मैं बार-बार यही नहीं करती रहूंगी।”

मैंने अपने परिचित से पूछा, “मां कमरे में हैं क्या?

“हां।”

“जब तक चाय बन रही है, मैं मां से मिल लेता हूं।”

“हां, हां। लेकिन रुकिए, अभी-अभी शायद
Mar 14 6 tweets 2 min read
पति के लिए जूस बनाया और जूस पीने से पहले ही पति की आंख लग गई थी।
नींद टूटी,तब तक एक घंटा हो चुका था।
पत्नी को लगा कि इतनी देर से रखा जूस कहीं खराब ना हो गया हो।
उसने पहले जरा सा जूस चखा और जब लगा कि स्वाद बिगड़ा नहीं है, तो पति को दे दिया पीने को।

सवेरे जब बच्चों के लिए टिफिन बनाया तो सब्जी चख कर देखी।
नमक, मसाला ठीक लगा तब खाना पैक कर दिया।
स्कूल से वापस आने पर बेटी को संतरा छील कर दिया।
एक -एक परत खोल कर चैक करने के बाद कि कहीं कीड़े तो नहीं हैं,खट्टा तो नहीं है,
सब देखभाल कर जब संतुष्टि हुई तो बेटी को एक एक करके संतरे की फाँके खाने के
Feb 6 7 tweets 2 min read
गांठ

"पापा! ताईजी को शायद कैंसर है!" बेटा धड़धड़ाते हुए कमरे में घुसा.
"कहां से चले आ रहे हो रिपोर्टर बने हुए? पता भी है क्या बोल रहे हो..?" मैंने महसूस किया कि दिसंबर की ठंड में भी पसीना मेरी कनपटी भिगो रहा था.
"डाॅक्टर अंकल हैं ना, संतोष अंकल… मिले थे अभी पार्क‌ में! बता रहे थे ताईजी के गले में, यहां पर एक गांठ है छोटी-सी… कोई टेस्ट किया है चार दिन पहले, आज रिपोर्ट आएगी." बेटे की आंखें भर आई थीं! मैं अपराधबोध से भरा हुआ शून्य में ताक रहा था.

बच्चों के छोटे-छोटे झगड़े, बड़ों के बीच वैमनस्यता पैदा करते हुए एक परिवार को दो भागों, दो घरों में बांट
Jan 21 12 tweets 3 min read
पंडित जी हूँ और विवाह समारोहों में सूक्ष्मता से की गई रिसर्च का रिज़ल्ट बता रहा हूँ...!!

1: हर बारात में सात आठ महिलाऐं और कन्याएं खुले बाल रखती हैं, जिन्हें वे गर्दन टेढ़ी करके कभी आगे तो कभी पीछे करने का प्रयास करती हैं..
दरअसल उन्हें पता ही नहीं होता कितने प्नतिशत बाल आगे और कितने प्रतिशत पीछे रखने हैं...?

2 : जो लंहगा उठाकर इधर उधर चल रही हो और बगैर काम के भी जो भयंकर व्यस्त दिखे, समझ लें कि वो दूल्हे की बहन है...

3 : सजने - धजने और पहनावे में दूल्हे के बाद दूसरे नंबर पर जो प्रफुल्लित व्यक्ति दिखे समझ जाएं कि वो दूल्हे का छोटा भाई है...और जो अंट
Dec 8, 2023 8 tweets 2 min read
एक घर में नई बहू आई। पहले ही दिन से ससुराल में सास ससुर आदि ने बहू के कामकाज में मीनमेख निकालना प्रारंभ कर दिया। मायके में यह नहीं सिखाया और यह नहीं सिखाया। साथ ही शादी के लेनदेन पर भी नुक्ताचीनी। हाँलांकि बहू एक बहुत ही समृद्ध, सुशिक्षित, सुसंस्कारित और प्रतिष्ठित परिवार से आई थी। सास ससुर सदैव स्वयं में गृह स्वामी होने का दंभ भी रखते थे। बहू ने सभी बातों को संस्कारवश और समाज, परिवार, मायके वालों की प्रतिष्ठा आदि को ध्यान में रखकर नम्रतापूर्वक सहन किया पर अंदर से मन में गांठ बनती गई।

लगभग 20-25 साल का समय बीत गया। सास ससुर वृद्धावस्था का प्राप्त कर
Oct 25, 2023 6 tweets 2 min read
अंदर का रावण
" दीदी...रावण तो जल गया,अब घर चलिये ना...मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है.।" कृतिका ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए अपनी दीदी कुमुद से कहा।
" ओह...एक काम कर, तू आशीष के साथ चली जा..।" कहते हुए कुमुद ने अपने देवर को घर की चाभी दी और कहा कि तुम लोग कार से चले जाओ। मैं बंटी को मेला घुमाकर एक घंटे बाद ऑटो से आ जाऊँगी।कृतिका और आशीष घर वापस आ गये।
कृतिका कुमुद की छोटी बहन थी।उसी समय कुमुद का देवर भी काॅलेज़ की छुट्टियाँ बिताने भाई-भाभी के यहाँ आया हुआ था।हमउम्र होने के कारण दोनों में अच्छी दोस्ती थी।
रावण-दहन देखने और
Jul 12, 2023 12 tweets 3 min read
#प्रमाण

किशोर ( ड्राईवर) एक मिनट गाड़ी रोको तो...गाड़ी से अजीब सा साउंड हो रहा है, कहीं चक्का पंचर तो नहीं हो गया! मेरी झपकी लग गई थी.. तो क्या तुम भी..! कहकर विकास गाड़ी से उतरे और बाहर दूर दूर तक इधर-उधर देखते हुए हड़बड़ा कर बोले - "किशोर, लगता है हम लोग रास्ता भटक गये हैं... ये तो वो रास्ता नहीं है..?" और तुरंत उन्होंने अपना मोबाईल ऑन करके ... गूगल मैप से लोकेशन देखने की कोशिश करने लगे .. लेकिन.. वहाँ पर तो नेटवर्क ही नहीं था ..! अब क्या करें..?

किशोर चक्का चेक करने लगा .. वो तो ठीक ही था, ये देखकर वो बोला - "हो सकता है.. साहब, रास्ता ख़राब होने
Jul 11, 2023 9 tweets 2 min read
मैंने एक दिन अपनी पत्नी से पूछा - क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता कि मैं बार-बार तुमको कुछ भी बोल देता हूँ, और डाँटता भी रहता हूँ, फिर भी तुम पति भक्ति में ही लगी रहती हो, जबकि मैं कभी पत्नी भक्त बनने का प्रयास नहीं करता..?

मैं भारतीय संस्कृति के तहत वेद का विद्यार्थी रहा हूँ और मेरी पत्नी विज्ञान की, परन्तु उसकी आध्यात्मिक शक्तियाँ मुझसे कई गुना ज्यादा हैं, क्योकि मैं केवल पढता हूँ और वो जीवन में उसका अक्षरतः पालन भी करती है।

मेरे प्रश्न पर जरा वह हँसी और गिलास में पानी देते हुए बोली- यह बताइए कि एक पुत्र यदि माता की भक्ति करता है तो उसे मातृ भक्त कहा
Jul 7, 2023 5 tweets 1 min read
वो कैसी औरतें थीं

जो गीली लकड़ियों को फूंक कर चूल्हा जलाती थीं
जो सिल पर सुर्ख़ मिर्चें पीस कर खाना पकाती थीं,

सुबह से शाम तक मसरूफ़, लेकिन मुस्कुराती थीं
भरी दोपहर में सर अपना ढक कर मिलने आती थीं,

जो पंखे हाथ से झलती थीं और बस पान खाती थीं
जो दरवाज़े पे रुक कर देर तक रस्में निभाती थीं
पलंगों पर नफासत से चादर बिछाती थीं,

बहुत इसरार से महमानों को सिरहाने बिठाती थीं
अगर गर्मी ज़्यादा हो तो रुहआफ्ज़ा पिलाती थीं,

जो अपनी बेटियों को स्वेटर बुनना सिखाती थीं
जो "क़लमे" काढ़ कर लकड़ी के फ्रेमों में सजाती थीं,

हाथ जोड़कर बच्चो को बिस्तर पर सुलाती थीं
May 19, 2023 6 tweets 2 min read
*सच्चा साधु*

*एक साधु को एक नाविक रोज इस पार से उस पार ले जाता था, बदले मैं कुछ नहीं लेता था, वैसे भी साधु के पास पैसा कहां होता था,*

नाविक सरल था, पढालिखा तो नहीं, पर समझ की कमी नहीं थी।
साधु रास्ते में ज्ञान की बात कहते, कभी भगवान की सर्वव्यापकता बताते , और कभी अर्थसहित श्रीमदभगवद्गीता के श्लोक सुनाते,

नाविक मछुआरा बड़े ध्यान से सुनता, और बाबा की बात ह्रदय में बैठा लेता,

एक दिन उस पार उतरने पर साधु नाविक को कुटिया में ले गये, और बोले, वत्स, मैं पहले व्यापारी था, धन तो कमाया था, पर अपने परिवार को आपदा से नहीं बचा
May 19, 2023 6 tweets 2 min read
( सबसे कीमती चीज )

माँ की मौत के बाद जब तेरहवी भी निमट गई तब नम आँखों से चारु ने अपने भाई से विदा ली।

" सब काम निमट गये भैया माँ चली गई अब मैं चलती हूँ भैया !" आंसुओ के कारण उसके मुंह से केवल इतना निकला।

" रुक चारु अभी एक काम तो बाकी रह गया ... ये ले माँ की अलमारी खोल और तुझे जो सामान चाहिए तू ले जा !" एक चाभी पकड़ाते हुए भैया बोले।

" नही भाभी ये आपका हक है आप ही खोलिये !" चारु चाभी भाभी को पकड़ाते हुए बोली। भाभी ने भैया के स्वीकृति देने पर अलमारी खोली।

" देख ये माँ के कीमती गहने , कपड़े है तुझे जो ले जाना ले जा क्योकि माँ की चीजों पर
May 19, 2023 6 tweets 2 min read
पुनरावृत्ति !

आज लगातार सातवां दिन है,जब वो दोनों फिर इस खंडहर सी हवेली में आए हैं।

टूटी सीढियों पर एक दूजे को सहारा देते ,धीरे से ऊपर छज्जे पर जा बैठते हैं।
नीमा जिसे सब पगली कहते हैं,चुपचाप किसी दीवार या खंभे के सहारे छुपकर दोनों की बातें सुनती हैं,धीमे धीमे मुस्कुराती है, मन ही मन कुछ गुनगुनाती है।

दोनों को लौटते देख उदास हो जाती है।लड़की से कहना चाहती है मत आया कर यहां ,पर कैसे कहे?उसे तो देखते ही सब दूर भागने लगते हैं।
इन दोनों ने तो जैसे रोज का नियम ही बना लिया है।

आज पहले तो मान मनुहार भरी हंसी गूंजी,लड़की ने कुछ गाया,लड़के ने वाह वाही की।
May 18, 2023 8 tweets 2 min read
◆अम्मा-उवाच◆

"अम्मा आज अम्मा दिवस है।" मैंने सुबह नाश्ता करती हुई अम्मा के चरणस्पर्श करते हुए कहा।

"बबुआ, ये का है?" अम्मा ने बड़े भोलेपन से कहा।

"आज के दिन लोग अपनी माताओं से मिलने आते हैं, उन्हें फोन करते हैं। जो साथ रहते हैं वे अपनी अम्मा को मीठा खिलाते हैं और कुछ उपहार भी देते हैं।" मैंने उन्हें मातृदिवस के विषय में तनिक बताते हुए कहा।
अम्मा ने मुँह में रखे बादाम को दाँतों से कुचल कर निगला फिर कहा, "बैठ जाओ।"

सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया तो वे बोलीं, "ये दुनिया के चोचले हैं बबुआ। आज अपनी अम्मा से बात करि लैहैं और फिर भुला देहें। महतारी मर रही
May 17, 2023 10 tweets 3 min read
"गिरगिट की तरह रंग बदलना"

"माँ ये इतना जिद कर रहे हैं तो मान जाओ ना ! तुम्हें हमारे साथ चलने में क्या दिक्कत है?"

"नहीं बेटा, मैं अब अपना यह मनहूस नसीब लेकर कहीं नहीं जाऊँगी। भगवान भरोसे अपनी बची-खुची जिन्दगी यहीं गाँव में गुजार लूँगी।"

पिछे से दामाद जी आकर बोले माँ जी आपने आज हमें पराया कर दिया है। माना कि भाई साहब व्यस्त होने के कारण विदेश से नहीं आ पाए तो क्या हुआ पिताजी के सारे क्रिया- कर्म हुए कि नहीं बोलिये। मैंने कोई अन्तर नहीं किया किसी भी तरह की जिम्मेदारी निभाने में।
"बेटा इसके लिए मैं बहुत ही आभारी हूं जो बेटे के रहते हुए भी आप दामाद
May 17, 2023 9 tweets 2 min read
उफ्फ ये दोस्ती

"हाय रीता कैसी है? सुन मुझे न, फ्रेंड्स के साथ मूवी जाना है, मैं थोड़ी देर बाद बच्चों को तेरे पास छोड़ने आ रही हूं, बच्चे तो तेरे हाथ के खाने के दीवाने हैं, बढ़िया सा कुछ खिला देना यार ओके बाय "!!

नीता ने फटाफट अपनी बात पूरी की और फोन काट दिया, आज़ फिर वही सब कुछ जो पिछली बार से हो रहा है.. आज़ फिर राज गुस्सा होंगे, घर का माहौल फिर खराब होगा, जुड़ा जुड़ाया पैसा अलग खर्च होता जा रहा है, राज को तो पता भी नहीं है वरना कितना नाराज़ होंगे, बच्चे भी अब उससे सवाल करने लगे हैं क्या करूं दोस्ती देखूं , या अपने बच्चों की नाराजगी
May 11, 2023 9 tweets 3 min read
बड़े मग में चाय पीते पीते अचानक मन सालों पीछे चला जाता है। जब ग्लास भरकर चाय मिलना बहुत बड़ी उपलब्धि थी। सुबह कॉलेज जाते समय जब माँ ऐसे ढेर सारे झाग बनाकर ग्लास में चाय देती थी, जो जल्दी जल्दी पीकर हम कॉलेज भागते थे...कालांतर में पता चला कि वह हमारे साथ बहुत बड़ी धोखाधड़ी होती Image थी।

पौन ग्लास दूध में पाव ग्लास चाय मिलाकर माँ अपना दूध पिलाओ अभियान भी सफल कर देती थी, और हम फ्रेंड्स के सामने स्टाइल मारते थे कि अब हम तो बड़े हो गए...हम तो चाय पीते हैं।

यूँही... चाय कब चाह बन गई पता ही न चला। घर की दूध उर्फ चाह, कॉलेज की टपरी वाली चाय, फ्रेंड के घर की चाय
May 11, 2023 6 tweets 2 min read
सादगी
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रीमा के घर आज ही होने वाले समधी- समधिन आने वाले थे lसिन्हा साहब तथा रीमा और कुहू को कार्तिक बहुत पसंद था lसिन्हा साहब जब कार्तिक के घर गए तो कार्तिक के घर वाले सप्रेम मिले lआज सिन्हा साहब ने कार्तिक के परिवार को अपने घर आमंत्रित किया था l
सिन्हा साहब के बँगले में दूसरी तरफ उनकी भाभी नीला रहती थीं lउनके भाई का दो साल पहले स्वर्गवास हो चुका था lरीमा को अपनी जिठानी नीला बिलकुल पसंद नहीं थीं,क्यूं कि जहाँ रीमा दिखावा पसंद थीं,वही नीला जी सादगी पूर्ण ढंग से रहती थींl
सिन्हा साहब और कुहू दोनों ही नीलाजी को सम्मान देते
May 10, 2023 10 tweets 2 min read
सौतेली माँ
         शांति विला के आँगन के फ़र्श पर राजेश्वरी देवी सफ़ेद चादर ओढ़े निश्चेष्ट थी।मुख पर उनके अपार शांति थी जैसे उन्हें पता है कि अब कोई भी मामी-चाची कहकर पुकारे,वो सुनने वाली नहीं।यहाँ तक कि उनका अपना अनमोल भी माँ कहकर पुकारेगा ना, तो वह नहीं  मुस्कुरायेगी।चारों ओर से लोग उन्हें घेरे बैठे थें।कुछ उनके मायके वाले थें और कुछ उनके ससुराल पक्ष।उन्हीं के बीचोंबीच बैठा था उनका अनमोल जो चुपचाप सूनी आँखों से एकटक अपनी माँ को निहारे जा रहा है।नियति का ये कैसा खेल है कि आज वह फिर से अनाथ हो गया।तीन साल पहले जब उसके पिता का देहांत हुआ था तब उसकी आँख
May 10, 2023 10 tweets 3 min read
भक्ति और विश्वास

एक गांव में एक बुजुर्ग महिला रहती थी। वो बहुत ही सरल (भोली) थी।

जो जैसा कह देता था मान जाती थी। घर में बेटा बहू और नाती पोते थे। भोली दिनभर अपने नाती पोते को खिलाती रहती थी।

वो कभी किसी से नहीं झगड़ती थी। मंदिर रोज दर्शन करने जाती थी। सब पूछे कि भोली मंदिर जाने से क्या मिलता है? तो भोली झट से कहती ठाकुर जी तो मिलते हैं।

सब ठहाके मार के हंसते और भोली का मजाक उड़ाते थे।

भोली किसी का बुरा नहीं मानती थी हमेशा खुश रहती थी।

एक दिन मंदिर के पुजारी को किसी काम से बाहर जाना था।
May 10, 2023 19 tweets 4 min read
अहंकार टूटा हुआ

नई बस्ती में बना था मंदिर। दूर से ही उसके शिखर पर फहराती पताकाएं दिखाई दे जाती थीं। दूर-दूर से लोग वहां आते। कैसी सुंदर मूर्तियां बनाई थीं शिल्पियों ने। पूरा मंदिर संगमरमर का बना था। हर समय भजन-कीर्तन के स्वर हवा में गूंजते रहते-फूलों की सुंगध से मह-मह महकता रहता सारा वातावरण।
मंदिर के निर्माण में सबने दिल खोलकर धन दिया था। वैसे सबसे अधिक योगदान था सेठ दीवानचंद का। बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के सेठ दीवानचंद। उसी बस्ती के रायबहादुर दीपकराय ने भी दिल खोलकर दान दिया था।
मंदिर में मूर्ति प्रतिष्ठा का एक वर्ष पूरा हुआ। शानदार उत्सव का आयोजन
May 9, 2023 10 tweets 2 min read
शिक्षा

मेरे देवर अपने बेटे के लिये पुत्रवधु की तलाश में थे। एक मित्र ने अपनी रिश्तेदारी में एक बहुत धनी परिवार की कन्या सुझायी। हमें सामान्य और संस्कारी परिवार की तलाश थी तो हमने इंकार कर दिया किंतु मित्र के बहुत जोर देने पर हम मित्र के साथ उनसे बातचीत करने चले गये। उनकी आलीशान कोठी देख कर ही हम सोच में पड़ गये थे कि उनकी बेटी हमारे पाँच कमरों वाले घर में कैसे एडजस्ट करेगी।
मित्र के सम्बंधी बहुत सरल और सुंदर विचारों वाले दिखे। उनसे बातचीत हुई और ज्ञात हुआ कि वह भी एक संस्कारी परिवार की तलाश में थे, तो हमें कुछ आशा बँधी। कुछ ही देर में उनकी बेटी