पढ़ें और समझें--
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एक महिला हैं,वो जयपुर में एक PG (पेइंग गेस्ट) रखती हैं।उनका पुश्तैनी घर है, उसमे बड़े बड़े 10-12 कमरे हैं।उन्हीं कमरों में हर एक मे 3 bed लगा रखे हैं।उनके PG में भोजन भी मिलता है।खाने खिलाने की शौकीन हैं। बड़े मन से बनाती खिलाती हैं।
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उनके यहां इतना शानदार भोजन मिलता है कि अच्छे से अच्छा Chef नही बना सकता।माँ भी इतने प्यार से नही खिलाएगी जितना वो खिलाती हैं।उनके PG में ज़्यादातर नौकरी पेशा लोग और छात्र रहते हैं।
सुबह Breakfast और रात का भोजन तो सब लोग करते ही हैं, जिसे आवश्यकता हो उसे दोपहर का भोजन ....
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....pack करके भी देती हैं।
पर उनके यहां एक बड़ा अजीबोगरीब नियम है, हर महीने में सिर्फ 28 दिन ही भोजन पकेगा।
शेष 2 या 3 दिन होटल में खाओ, ये भी नही कि PG की रसोई में बना लो।
रसोई सिर्फ 28 दिन खुलेगी। शेष 2 या 3 दिन Kitchen Locked रहेगी।
हर महीने के आखिरी तीन दिन Mess बंद।
4/n.
Hotel में खाओ, चाय भी बाहर जा के पी के आओ।
मैंने उनसे पूछा कि ये क्यों? ये क्या अजीबोगरीब नियम है। आपकी kitchen सिर्फ 28 दिन ही क्यों चलती है ?
बोली, हमारा Rule है। हम भोजन के पैसे ही 28 दिन के लेते हैं। इसलिये kitchen सिर्फ 28 दिन चलती है।
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मैंने कहा ये क्या अजीबोगरीब नियम है? और ये नियम भी कोई भगवान का बनाया तो है नही आखिर आदमी का बनाया ही तो है बदल दीजिये इस नियम को।
उन्होंने कहा No, Rule is Rule ...
खैर साहब अब नियम है तो है। उनसे अक्सर मुलाक़ात होती थी।
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एक दिन मैंने बस यूं ही फिर छेड़ दिया उनको, उस 28 दिन वाले अजीबोगरीब नियम पे।उस दिन वो खुल गईं बोलीं, तुम नही समझोगे आलोक तिवारी जी, शुरू में ये नियम नही था। मैं इसी तरह, इतने ही प्यार से बनाती खिलाती थी। पर इनकी शिकायतें खत्म ही न होती थीं कभी ये कमी, कभी वो कमी चिर असंतुष्ट
7/n.
......always Criticizing...
सो तंग आ के ये 28 दिन वाला नियम बना दिया। 28 दिन प्यार से खिलाओ और बाकी 2 - 3 दिन बोल दो कि जाओ, बाहर खाओ।
उस 3 दिन में नानी याद आ जाती है।
आटे दाल का भाव पता चल जाता है। ये पता चल जाता है कि बाहर कितना महंगा और कितना घटिया खाना मिलता है।
8/n.
दो घूंट चाय भी 15 -20 रु की मिलती है।
मेरी Value ही उनको इन 3 दिन में पता चलती है सो बाकी 28 दिन बहुत कायदे में रहते हैं।
अत्यधिक सुख सुविधा की आदत व्यक्ति को असंतुष्ट और आलसी बना देती है।
ऐसे ही कुछ हाल देश में ही रहने वाले कुछ रहवासियों के भी हैं, जो देश की हर परिस्थिति...
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...में हमेशा कुछ न कुछ कमियाँ ही देखते हैं। ऐसे लोगों के अनुसार देश में कुछ भी सकारात्मक नहीं हुआ, न ही हो रहा हैं और न ही होगा,
*ऐसे लोगो को कुछ दिन के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान या श्रीलंका में गुजारने चाहिए, ताकि इनकी बुद्धि सही हो सके......
साभार:व्हाट्सएप पोस्ट
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1/n.
समझिए -
दुनिया का कोई भी मुस्लिम दुनिया में कहीं भी हो कभी भी उनके ईद के त्योहार पर "HAPPY EID" नहीं कहते। वे "ईद मुबारक" ही कहेंगे।
दुनिया के कोई भी ईसाई (क्रिश्चयन) दुनिया में कहीं भी हो वे कभी भी क्रिसमस के दिन "HAPPY CHRISMAS" नहीं कहते। वे "मेरी क्रिसमस" ही कहेंगे।
2/n.
Happy DIWALI,
Happy NAVARATRI,
Happy DASHARA
ऐसे अंग्रेजी लंगोट लगाए हुए शब्द केवल हिंदू ही बनाते हैं , क्योंकि
शुभ दीपावली, दीपावली की शुभकामनाएँ, दीपावली की राम राम ....
शुभ दशहरा, दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं....
शुभ नवरात्रि , नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं........
*
3/n.
ये शब्द हमें पिछड़े हुए लगते हैं ना....
ऐसा क्यों?
इसका एकमात्र कारण है कि हमारे में अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपनी पहचान के प्रति स्वाभिमान-गौरव का भाव नहीं है।
याद रखें कि अपनी भाषा, संस्कृति ही हमारी पहचान है और *हमारी पहचान हम खुद ही मिटा रहे हैं।
*Amazing details of lost history* 1/n
The image of the *Rani Laxmi Bai* riding a horse with her 8-year-old son Damador Rao tied on her back with a cloth battling Britishers is sketched in everyone’s mind.
Sadly, after Independence no government ever tried to seek an answer 2 the
2/n.
...question. What happened to the minor Prince of Jhansi after Laxmibai’s martyrdom?
Only a handful are aware that the Queen’s son Damador Rao and his next 5 generations lived an anonymous life in Indore that prides itself for being called Ahilya Nagari.
3/n.
lives with him. Arun Rao, who retired as an assistant engineer in the then MP Electricity Board (MPEB), owns a house in Dhanwantri Nagar in Indore.
Damador Rao breathed his last on May 20, 1906 at the age of 57, leaving behind his son Laxman Rao Jhansiwale, who was given a..
#COVID_19
OXYGEN CYLINDERS :
Pls shere kissi ki jaan bach sakti hai
दिल्ली के साथी ध्यान दें ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से हर मिनट आपको दिल्ली के नम्बर ढूंढने पड़ते हैं मैंने थोड़ी सी मेहनत करके दिल्ली के सभी जगहों के घूम रहे पोस्टरों की एक लिस्ट बनाने की कोशिश की है अब दिल्ली....
लिए नंबर्स ढूंढने नही पड़ेंगे आप यहां से ज्यादातर जगह के नम्बर ले सकते हैं,बाकी कही के भी और नम्बर्स और ऑक्सीजन के स्थान मिलेंगे तो सब इसमें जोड़ दिए जाएंगे आप इसे आगे बढ़ाते रहें.!
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