गुजरात सरकार ने ख़ुद सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि अमित शाह के गृह मंत्रालय ने बिल्किस बानो रेप मामले के 11 दोषियों को रिहा करने की सिफ़ारिश की थी।

यह बात मैं पहले भी लिख चुका हूं। इस मामले में केंद्र की चुप्पी से कई सवाल उठे थे। ये सभी सवाल इस देश में लिंचिंग से लेकर ज़हरीले
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भाषणों तक पर गृह मंत्रालय की खामोशी से उठते रहे हैं।

जब भारत का गृह मंत्रालय ही संविधान को नकारकर सिर्फ़ सत्ता और सियासत के लिए हर हद तोड़ने की सिफारिश करे तो फ़िर कुछ नहीं बचता है।

अमित शाह को प्रधानमंत्री ने जिस मकसद से गृह मंत्रालय सौंपा है,वह पूरा हो रहा है।

प्रधानमंत्री
सिर्फ़ जुमला फेंकते हैं।भाड़े के भक्त उसे लपेटते हैं। दलाल गोदी मीडिया उस पर पर्दा डालकर अवाम को बरगलाता है और अमित शाह का मंत्रालय बिल्कुल उल्टा काम करता है।

हम जैसे चंद लोग इस नाइंसाफ़ी का प्रतिकार करते हैं। लेकिन जनता की धर्मभीरुता उन्हें हर बार अपनी मज़हबी पहचान के लिए इसी
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बीजेपी के समर्थन को मज़बूर करती है।

इतिहास लिखा जा चुका है, लिखा जा रहा है। मेरे दर्जनों मित्रों के नाम उसमें दर्ज़ हैं- काले अक्षरों में, जो नहीं बोले और मुखौटा ओढ़े रहे, रेत में गर्दन घुसाए बैठे हैं।

आज बेईमानी के पैसे पर मौज कर रही उनकी औलादें जब कल बिल्किस बानो में अपना
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भविष्य देखेंगी, तो मां-बाप को ही लानतें भेजेंगी।

बस, कुछ एक साल का वक़्त है इस सत्ता को खारिज़ करने के लिए। वरना सब ख़त्म है।
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@soumitraroy
#शुभप्रभात💕
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Oct 20
यूपी चुनाव !
कबूतर से चीते तक वाया प्रेरणादायक गधा .

बेड नम्बर56के मरीज़ का बयान आया कि पहले मुल्क़ के रहनुमा कबूतर छोड़ते थे अब चीते छोड़ते है.

मरीज़ को जैसा उसके डॉक्टर ने बोलने के लिये कहा उसने वैसा ही बोल दिया जिसका मतलब उसके प्रेरणादायक घुड़खर को भी समझ नहीं आया होगा लेकिन
जिन्हें मैसेज देना था उन्हें पहुँच गया

कबूतर शांति का प्रतीक होता है और पिछले70बरसों में हमारी कामयाबी का राज़ हमारी सॉफ्ट पॉवर रही है जिससे हमारा नैतिक बल किसी भी ताक़तसे बड़ा रहा

दुनियाँ तीसरे आलमी ज़ंगमें दाखिल हो चुकी है और ऐसे में ये कहना“अब देश चीते छोड़ता है”

इसका मतलब
हम शांति,सद्भाव और सॉफ्ट पॉवर से हिंसा, आतंक और आक्रामक विचारधारा वाले होने जा रहे है

कोड वर्ड समझे और सुरक्षित रहे,रात का वक़्त है,माहौल और चोरों से अपना माल ओ असबाब बचा कर रखे,अपने कुंडी ताले,दरवाज़े मज़बूत रखे

ख़ौफ़ज़दा ना हो डर सिर्फ़ परवरदिगार और अपने गुनाहों का होना चाहिए Image
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Oct 19
क्या जरूरत पड़ गई मोदी को नकली क्लास रूम सेटअप की?
पहले पहल जब मैने Facebook आती हुई मित्रो की पोस्ट देखी तो मुझे लगा शायद वे गलत बोल रहे है इतने बड़े देश का प्रधान मंत्री भला किसी सेट नुमा नकली क्लास रूम में जाकर बच्चो के साथ फोटो क्यों खिंचवाएंगे !
लिहाजा मैने Ani के ट्विटर
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हैंडल पर आई तस्वीर को खोजा तो मैं आश्चर्य चकित रह गया वाकई क्लास रूम नकली बनाया गया था वीडियो में जो खिड़की दिख रही है वो अलग ही दिख रही है ध्यान से देखेंगे तो दीवारों पर फ्लैक्स के सल तक दिख रहे है..... खास बात यह है कि खिड़की जिस एंगल के लिए डिजाइन की गई है फोटो और वीडियो भी
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उसी एंगल से शूट किए गए हैं

अगर देश का प्रधान मंत्री स्‍कूल ऑफ एक्सीलेंस (School of Excellence) जेसे बड़े प्रोग्राम की घोषणा कर रहा है तो क्या क्लास रूम का एक कमरा असली नही बनाया जा सकता था?
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👉 @girishmalviya4 ✍️ Image
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Oct 19
जिसको भी स्मार्ट बनने वाली सिटी अच्छी लगती है वो इन्दौर आ जाए और यहाँ जरा अपना व्यापार धंधा जमा कर दिखाए

दिवाली का समय है और यहा़ इन्दौर की सड़को पर पीली गाड़ी(नगर निगम की पीली जीप )का खौफ व्यापारियों में देखने को मिल रहा है न जानें कब कोई पीली जीप दूकान के आगे रुके और न जाने
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कितने रुपए की डिमांड निकाल दे?

इन्दौर नगर निगम छोटे मझौले व्यापारी से संपत्ति कर, जलकर, स्वच्छता कर,लाइसेंस रजिस्ट्रेशन,पार्किंग शुल्क जैसे 10तरह के टैक्स तो वसूल ही रहा है लेकिन अब उसने लूट की एक नई स्कीम निकाली है व्यापारियों को खुद की दुकान पर तीन फीट से ऊंचा बोर्ड लगाने के
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लिए भी अलग से टैक्स देना होगा। इसके लिए सबसे पहले 11800 रुपए देकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। वो भी मात्र तीन साल के लिए ही है यानि तीन साल बाद फिर से उतनी ही रकम दे
बात यही खत्म नही होती जिस एरिया में दुकान है, वहां प्रॉपर्टी की कलेक्टर गाइडलाइन का 4 प्रतिशत प्रति वर्गफीट सालाना
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Oct 15
कल मैंने लिखा था कि सिर्फ़ सूचनाओं को ही ज्ञान न समझें।अक्सर ये एकतरफ़ा होती हैं। एक ही पहलू के साथ।

बापू को अंग्रेज़ सरकार ने 1930 में नागरिक अवज्ञा आंदोलन के दौरान 100 रुपये का ख़र्च मंज़ूर किया। बापू उस वक़्त यरवदा जेल में बंद थे।

कल मुझे एक मित्र ने इनबॉक्स में राष्ट्रीय
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संग्रहालय से इसका दस्तावेज भेजा। मैंने पूछा- गाँधीजी ने क्या इसे स्वीकार किया?

मित्र के पास जवाब नहीं था। दरअसल, वाट्सएप और बाकी सूचना तंत्रों से गांधी के बारे में इसी तरह की एकतरफ़ा बातें फैलाई जाती हैं।

ये सावरकर को पृष्ठभूमि में रखकर फैलाई जाती हैं, ताकि उसे वीर बताने की
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संघी चाल सफ़ल हो।

लेकिन, सच तो यह है कि बापू ने इस 100 रुपये की मदद को ठुकरा दिया था।

आज का सूचना तंत्र इसी तरह का है। इसमें ज्ञान नहीं है।

ज्ञान शोध से आता है। सूचनाओं, तथ्यों, आंकड़ों की आखिर तक खुदाई से आता है।
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Read 5 tweets
Oct 14
हे धर्मगंगा !
हे देवी एकता !

इस घोर कलियुग में तुम ही धर्मधात्री हो, तुम ही धर्म की प्रेरणा का वो धागा हो जिसने धर्महाट मे मैचिंग बिन्दी , चूड़ियों और नेल पेंट की आक्षुणी सेना एवं परिधानों के चक्रव्यूह का आभिर्वाह किया है।

हे कपूर वंशिका !!

इस कलिकाल के संताप में आपने जिस
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प्रकार धर्मोत्सवों की श्रृखंला जाग्रित की है, उसे सतयुग में न हरिश्चंद्र कर पाये,न त्रेता के राम नाही युद्ध के मैदान के बीचोंबीच धर्मोपदेश देने वाले द्वापर के कृष्ण ।

हे स्वप्न दंशिका !
तुम्हारे धर्म की धाद रुपहले पर्दों पर बांकने की देर ही होती है बस बाकी घर घर धर्म की धारा
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विप्लवी बन अपने प्रचण्ड वेग में स्ववेगी हो जाती है ।

तुम न होती तो धर्म का क्या होता ?

न फैन्सी चलनी होती, न फैंन्सी करवे होते, न फैन्सी दिये होते न फैन्सी आसन होते, न मैचिंग परिधान होते, ना होती फैन्सी पूजन परम्परा और ना ही होती अड़ोस पड़ोस की धर्म प्रतियोगिता ।
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Oct 13
ऐसा नहीं है कि इकॉनमी के मामले में भारत की वित्त मंत्री ही अकेली विद्वान हैं।

अमेरिकी वित्त मंत्री ने तो सिर्फ़ 16 मिनट में ऑल इज वेल से टेंशन के मोड में यू टर्न लेकर इतिहास ही रच दिया।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था फ़ेल है, क्योंकि इसमें पैसा और मुनाफ़ा दोनों आम लोगों के बजाय कुछ
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सैकड़ा अमीरों की जेब में जा रहा है।

ये अमीर अपने मुनाफ़े की सोचते हैं। रोज़गार, जनता की भलाई, देश की तरक्की से इन्हें खास लेना-देना नहीं है।

बदले में वे सरकार की राजनीतिक फंडिंग करते हैं। उसके प्रचार तंत्र को मजबूत करते हैं।

यहां तक कि चीन की साम्यवादी व्यवस्था भी पूंजीवादी
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राह पर चल निकली थी। जैक मा की नजरबंदी को सरकार का यू-टर्न माना जा सकता है।

फ़िर भी भारत से ज़्यादा आबादी के बावज़ूद आज कोविड ने चीन की इकॉनमी को बिठा दिया है।

पुतिन ख़ुद यूरोप को डरा-धमकाकर गैस बेचने की कोशिश में हैं। उन्हें मालूम है कि विकासशील और ग़रीब देश बाज़ार में माल
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