पुष्य नक्षत्र किसी भी प्रकार की खरीदी के लिए बहुत ही शुभ महूर्त होता है।
खासतौर पर हम सोना खरीदना शुभ मानते अगर सोना या हीरे खरीदने से पहले अगर आप इसे पढ़ लेते है तो आपकी पुष्य नक्षत्र की खरीदी और भी शुभ हो जाएगी। #रिपोस्ट
थ्रेड
सोना खरीदना भारतीयों का पैशन रहा है, खासकर महिलाओं का। सोने की कोई ज्वेलरी खरीदने से पहले कुछ जरूरी बातें है जो आपको जानना चाहिए और पता होना चाहिए । बेसिक से शुरू करते है।
सबसे पहले आप इस ज्वेलरी का हालमार्क जरूर चेक करे। हॉलमार्क भारत सरकार की योजना है जो सोने की शुद्धता की पुष्टि करतीं है। इसमें 22 कैरेट में 92% सोना और 18 कैरेट में 75% प्रतिशत सोना होता है।
तो आप चेक कीजिए की आपको ज्वेलरी पर सही हॉलमार्क है, और उस संख्या को बिल में जरूर लिखवाइए। हर ज्वेलरी का एक यूनिक HUID नंबर होता है जो की BIS के आगे लिखा होता है।
इससे इस बात की तो श्योरिटी हो जायेगी की आपका सोना जहां से भी लिया है वो उसे फिर से खरीदेगा। लेकिन सिर्फ इतना नही है।
इसमे एक और बात ध्यान राखनेव वाली है कि जहाँ BIS की सील है वो जगह जेवर के साथ अलग से पैच के रूप में लगी हुई न हो, उसके साथ ही जुड़ी हो।
लेकिन सिर्फ BIS ही अकेला आपकी मदद नही कर पायेगा।अब आता है असली खेल, जिसमे आपको नुकसान हो सकता है, और जब आप ज्वेलरी को फिरसे देने जाओ तो खुद को ठगा हुआ महसूस करेंगे।
चापड़ी या मोम
हार, मंगलसूत्र आदि में सोने के दाने होते है, जिनमे चपडी या मोम भरा हुआ होता है, इस बारे में दुकान दर तभी बताता है जब उससे पूछा जाता है, की उन दानों के अंदर कितना मोम है, चुकी उसका वजन नही किया जा सकता इसी कारण आपको देते समय 10% का नुकसान हो सकता है,
सोने की ज्वेलरी का 10 से 30% तक मोम हो सकता है, जिसे हम सोने के दाम में खरीद कर लाते है।
नगीने
ज्वेलरी में लगे नगीने हमे बहुत सुन्दर लगते है, और ज्वेलरी की सुंदरता और बढ़ाते है, पर सोने की ज्वेलरी में लगने वाले नगीने विशेष तौर पर भारी बनाए जाते है, और अंगूठी और टॉप्स में इनका खूब इस्तेमाल होता है,
जब भी आप कान के लिए टॉप्स खरीदे तो उसके नगीने विशेष तौर पर चेक करे। और दुकानदार या शोरूम के मालिक से पूछे की इसमें नगीने का कितना वजन है। इसे हम अमेरिकन डायमंड भी कहते है।
सोने की ज्वेलरी में 5 से 15 प्रतिशत तक नगीनो का वजन हो सकता है। और नाक में पहने वालो कांटो में 50% तक भी नगीनो का वजन हो सकता है
इसके बजाए आप रीयल Dimond की ज्वेलरी खरीद सकते है, जिनमे हीरे का वजन और सोने का वजन अलग अलग होता है।
हीरा
Dimond हिरा है सदा के लिए, हिरा खरीदते समय भी कुछ बातो का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमेशा हीरे को 0.9 कैरेट 1.9 कैरेट आदि कैरेट की हिसाब से ही लेना चाहिए, 1 कैरेट के हीरे और 0.9 कैरेट की कीमत में लगभग 50000 रुपए का अंतर तक हो सकता है। जबकि दिखने में कोई फर्क नही पड़ता है।
दूसरा जिस प्रकार गोल्ड में हॉलमार्क होता है, उसी प्रकार हीरे GIA सर्टिफाइड होता है, जिसमे उनके कट और रंग के हिसाब से D से Z तक मार्किंग होती है। और वो हीरे पर लेज़र की सहायता से बना होता है, जिसे आप GIA की वेबसाइट पर जाकर कन्फर्म कर सकते है।
आपको एक और सीक्रेट बताता हु, अगर आपका बजट कम है और आप फिर भी हीरा खरीदना चाहते है तो लैब ग्रोन हीरा खरीद सकते है।
इन हीरो को बनाने के लिए एक सीड diamond एक मशीन में डाला जाता है, और फिर कार्बन से उसे ढका जाता है, फिर उन्ही परिस्थिति को फिर कृत्रिम रूप से बनाया जाता है
जिन परिस्थिति को बनाया जाता है जिनसे प्रकृति में हीरे बनते है, सिर्फ इन्हे बनाने के लाखो साल का इंतजार नही करना पढ़ता।
सामान्य रूप से देखने में इनमे कोई फर्क नहीं होता, और सिर्फ विशेषज्ञ लैब में जांच कर ही बता सकता है की हीरा ओरिजनल है या लैब ग्रोन।
अब हर कोई अपने साथ लैब लेकर तो नही चलता है। ये हीरे असली हीरो की तुलना में 30% कीमत पर उपलब्ध होते है
मीनाकारी।
मीनाकारी से सोना की रकम और भी सुंदर हो जाती है वो मीनाकारी आपकी जेब पर भारी पड़ती है, क्योंकि मीनाकारी करते समय जिन रंगो का उपयोग करते है उनका वजन भी आप सोने के दाम देकर ही खरीदते है।
और सामान्य रूप से ये वजन 5 से 12% तक होता है। जिसका कोई मूल्य रकम फिर वापस देने में नही मिलता। तो आप ध्यान रखे की कितना मीना है और कही वो ज्यादा तो नही है।
मजदूरी
मजदूरी सोने की रकम बनाते समय मजदूरी लगाई जाती है जो सामान्य रूप से 10% होती है। अगर ईमानदारी से देखा जाए तो यही ज्वेलर की वास्तविक कमाई होती है।
आजकल कई बड़े बड़े कोरपरेट ज्वेलर की इस बिजनेस में आ गए है , और बड़े लुभावने विज्ञापन देते है जिसमे वो ईमानदारी की कसमें खाते है।
लेकिन उसके कारण इस व्यापार में ऐसी चीजे आ गई है को ग्राहक के हित में भी नही है।
उपरोक्त बिंदुओं से कई लोग ठगी का शिकार हुए है। अगर आप इन बिंदुओं का ध्यान रखेंगे तो आप लाखो की नुकसान से बच सके है।
में यह बात पूर्ण रूप से अधिकार पूर्वक इसलिए कह सकता हु, क्योंकि ये भी मेरा व्यवसाय है मेरी एक ज्वेलरी शॉप है और में खुद ज्वेलरी बनाना जानता हु।
ये बिल्कुल सामान्य जानकारी है, और भी कई बाते है जो यहां नही बता सकता हू। नही तो मुझे मेरे घर से उठा कर ले जाए।😅😅😅
आपको ये जानकारी कैसी लगी और इससे आपकी अगर कुछ बचत हो तो आपकी नजदीकी गोशाला में कुछ दान कर सकते है।
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हिंदी भाषी होने के नाते में हिंदी भाषियों के दर्द को अच्छे से समझता हूं।
भले हो हम हिंदी का कितना ही पक्ष ले लेकिन सच्चाई ये है कि हिंदी की कही कोई आर्थिक व्यावसायिक उपयोगिता नही है।
गैर हिंदी भाषी राज्य तो अपनी भाषा से किसी न किसी रूप में लाभन्वित हो जाते है।, लेकिन हिंदी के कारण आप लगभग सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में पिछड़ जाते हो। और व्यसायिक शिक्षा में तो हिंदी का कोई नामलेवा नही है।
हम चाहे कितना भी हिंदी का झंडा उठाये लेकिन ये सिर्फ एक बोझ ही है जिसके उठाने से आप जिंदगी की रेस में पीछे रह जाते हैं।
जिस कारण हम हमारे बच्चो को अंग्रेजी मीडियम में भर्ती करवाने लग गए है।
कुछ समय पहले एक खबर आई थी कि पालतू कुत्ते ने मालकिन की हत्या कर दी, कुछ दिनों से ऐसी ख़बरे लगातार आ रही है।
सामाजिक रुप से कटा हुआ मनुष्य अब कुत्तो में साथी खोजने लगा है।
घर में कुत्ते को लेकर शास्त्र क्या कहते हैं इस पर एक थ्रेड।
सभी जीव को पोषण देना हम सभी का कर्तव्य है, सभी पशु, पक्षी गाय यहाँ तक कि चींटी को भी अन्न देने का विधान है, पर इसका अर्थ ये नही है कि उन्हें घर के अंदर ही बुला लिया जाए।
वैसे ये लेख शास्त्र को मानने वालो के लिये है , जिनकी शास्त्र पर श्रद्धा नही है उन्हें इसे पढ़ना जरूरी नही है।
श्री राधा जी का नाम श्री मद भागवत में नही है।
क्या आप भी ऐसा सोचते है तो आपको इस थ्रेड को जरूर पढ़ना चाहिए।
लेख थोड़ा बड़ा है, पर कृपया अंत तक जरूर पढ़े।
थ्रेड।
कई बार ये बात कही जाती है की श्री किशोरी जी का नाम श्री मद भागवत में नही है और ये जयदेव गोस्वामी की कल्पना है। जो की उन्होंने गीत गोविंद में लिखा है।
उसके बाद सभी ने श्री राधा का नाम कृष्ण से जोड़ना शुरू कर दिया।और बार बार ऐसा सुनने से सभी इसे सही मानने लगे।
श्री मद भागवत एक प्रमाणिक ग्रंथ है और सभी वैष्णव आचार्य ने उसे प्रमाणित ही माना है अतः सबसे पहले उसमे ही श्री राधा के नाम का अनुसंधान करते है। बाकी ग्रंथो को छोड़ देते है।
लगभग आधे वोट वर्षा ऋतु में दही न खाने पर आए है क्योंकि गूगल पर ऐसा लिखा हुआ है।
लेकिन आयुर्वेद के शरद, ग्रीष्म और बसंत ऋतु में दही की मनाही है। @sambhashan_in जी ने सही रेफरेंस से बात की है।
और अगर इन मौसम में दही का इस्तेमाल ज्यादा होता है विभिन्न रोग हो सकते है
जिसमे एनीमिया
और स्किन इन्फेक्शन शामिल है।
आजकल कई ऐसी धारणाएं बन गई है और धीरे धीरे पुष्ट हो गई है, जबकि उनका कोई शास्त्रीय आधार नही है।
हा वर्षा ऋतु में छाछ का निषेध है,इसे नही पीना चाहिए।
दही
प्रोबायोटिक सीरीज
भारतीय भोजन में दही का विशेष महत्व है, कुछ विशेष काम से बाहर जाते है तब दही मिश्री खाने की परंपरा है।
आइए इस थ्रेड के माध्यम से दही के बारे में कुछ विशेष तथ्यों पर चर्चा करे ।
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भारतीय भोजन में दही का विशेष महत्व है, दूध में लैक्टोलैक्टोबैसिलस बुल्गारिकस के कल्चर से दही बनाया जाता है, जिनकी उपस्थिति हमारी आंतो में भी होती है।
जो की भोजन पचाने में बहुत ही सहायक है।
इसलिए जब हम कुछ एंटीबायटिक खाते है तो हमारी आंतो में उपस्थित बैक्टीरिया भी मर जाते है, इसलिए अगर आपको किसी बीमारी के कारण या चोट लगने के कारण एंटीबायोटिक लेना पड़े तो फिर कुछ दिन दही का सेवन जरूर करना चाहिए।
आज से शिव जी का प्रिय श्रावण मास प्रारम्भ हो गया है,
महादेव के भक्त श्री नरहरि सुनार और विट्ठल की एक कथा का स्मरण हो आया, वैसे तो हम उस कथा को जानते ही है।
थ्रेड..
पंढरपुर में एक साहूकार रहता था, उसके कोई पुत्र नहीं था, उसने भगवान श्री विट्ठल से प्रार्थना की कि उसे अगर संतान होगी तो वो श्री विट्ठल को सोने की करधनी बनवा कर पहनाएगा।
शीघ्र ही उसकी मनोकामना पूर्ण हुई और वो करधनी बनवाने के लिए नरहरि सुनार के पास गया, क्योंकि उससे बढ़िया स्वर्ण कारीगर कही नही था।