भगवान परशुराम को आते देख कर वृद्ध राजा दशरथ का हृदय कांप उठा। उन्होंने कातर भाव से देखा महर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र की ओर, जैसे कह रहे हों- इस ईश्वरीय कोप से हमारी रक्षा करें ऋषिगण...
भगवान विष्णु ने परशुरामावतार सत्ताधारियों की निरंकुशता को समाप्त करने (1/13)
के लिए लिया था। सुदूर पश्चिम के बर्बर प्रदेशों से आने वाले राक्षसों के आक्रमण और कुछ समय तक आर्यवर्त में भी उनकी सत्ता स्थापित होने के कारण कुछ क्षत्रियों पर भी उनका प्रभाव पड़ा था और वे आततायी हो गए थे। भगवान परशुराम ने ऐसे क्षत्रियों को बार बार दंडित किया था। पर रघुकुल (2/13)
के शासक सदैव प्रजावत्सल होते आये थे, सो उनके साथ उनका कोई संघर्ष नहीं हुआ था।
भगवान विष्णु का अंश होने के कारण भगवान परशुराम यह भी जानते थे कि अगला अवतार भी इसी कुल में जन्म लेगा, सो अगले युगनायक की पहचान कर उसका मार्ग प्रशस्त करना भी उनका दायित्व था।
भगवान परशुराम के (3/13)
स्वागत के लिए महर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र आगे बढ़े, और उनका यथोचित सम्मान किया। पर आगंतुक की इस सम्मान में कोई रुचि नहीं थी। उनकी दृष्टि जिसे ढूंढ रही थी, उसे देखते ही वे आगे बढ़े और उनतक पहुँच कर पूछा, "राम आप ही हैं?"
राम के मुख पर दैवीय शान्ति थी। कहा, "जी भगवन!"
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- शिव धनुष आपने ही तोड़ा है?
- जी प्रभु!
- फिर तो आप यह भी जानते होंगे कि मैं क्यों आया हूँ?
- जी भगवन!
- तो लीजिये भगवान विष्णु का यह महान धनुष, जो युगों से मेरे पास पड़ा शायद आपकी ही प्रतीक्षा कर रहा है। इसपर प्रत्यंचा चढ़ाइए और सिद्ध कीजिये की आप ही राम हैं।
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भगवान परशुराम ने अपने कन्धे से एक अद्भुत धनुष उतारा और राम की ओर बढ़ा दिया। राजा दशरथ के साथ समस्त अयोध्या निवाशी आश्चर्य में डूबे इस महान दृश्य को चुपचाप देख रहे थे। पर दो लोग थे, जिनके मुख पर आश्चर्य नहीं, प्रसन्नता पसरी हुई थी। वे थे महर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र!
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राम मुस्कुराए। भगवान परशुराम के हाथों से धनुष लिया और क्षण भर में प्रत्यंचा चढ़ा दी। फिर बाण चढ़ा कर बोले, "कहिये भगवन! इस बाण से किसका नाश करूँ?"
भगवान परशुराम अठ्ठाहस कर उठे। उन्हें इस तरह हँसते हुए कभी न देखा गया था। बोले, "इस बाण को छोड़ने की आवश्यकता ही नहीं राम। (7/13)
आपके बाण चढ़ाते ही मेरी समस्त अर्जित शक्तियां आपकी हो गयी हैं और मैं शक्तिहीन हो गया हूँ। इसे उतार लें और मुझे महेंद्र पर्वत पहुँचाने की कृपा करें, क्योंकि इसी के साथ मेरी तीव्र गति से कहीं भी चले जाने की शक्ति भी समाप्त हो गयी है। यह आपका युग है राम! और जबतक आप हैं, (8/13)
तबतक मैं महेंद्र पर्वत पर ही तपस्यारत रहूंगा।"
राम के चेहरे की मुस्कान बनी रही। पूर्व की भांति ही कहा, "जो आज्ञा भगवन!"
भगवान परशुराम अब महर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र की ओर मुड़े, और मुस्कुराते हुए कहा, "बधाई हो ऋषिगण!"
उस युग के तीन महान तपस्वी एक साथ हँस उठे, जिसका (9/13)
रहस्य सिवाय राम के और कोई न समझ सका। महर्षि वशिष्ठ ने कहा, "रघुकुल को आपके आशीष की आवश्यकता है भगवन! कृपया सबको कृतार्थ करें।"
राजा दशरथ, राम चारों भाई और चारों वधुएँ निकट आ गयी थीं और सभी हाथ जोड़ कर खड़े थे। परशुराम बोले, "राम को क्या आशीष दूँ, वे तो राम ही हैं। पूरे (10/13)
कुल को आशीष देता हूँ, कि परस्पर प्रेम बना रहे।" इतना कह कर परशुराम वधुओं के निकट चले गए और फिर कहा, "एक दूसरे पर विश्वास और समर्पण बनाये रखना पुत्रियों! तुम्हारे कुल को इसकी बहुत आवश्यकता है। सिया तो समूचे संसार के लिए लक्ष्मी स्वरूपा है, पर रघुकुल की लक्ष्मी तुम हो (11/13)
उर्मिला! सदैव स्मरण रखना, रघुकुल की प्रतिष्ठा तुम्हारी तपस्या से भी तय होगी..."
सबको आशीर्वाद दे कर परशुराम पुनः महर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र की ओर मुड़े। तीनों ऋषियों में कुछ वार्ता हुई, जिसे कोई न सुन सका। इसी के साथ परशुराम अपने धाम को लौट चले।
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एक राजा की लड़की तारा भोजन करती थी। उसने अपने पिताजी से कहा, पिताजी मुझे नौ लाख तारे बनवा दो, मैं, दान करूँगी। राजा ने सुनार को बुलाया और कहा कि मेरी बेटी तारा भोजन करती है तुम नौ लाख तारे बना दो। इतना सुनकर सुनार सूखने लगा।
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सुनारी ने पूछा कि उदास क्यों रहते हो। उसने कहा राजा की लड़की ने नौ लाख तारे बनाने के लिए कहा है। मैं कैसे बनाऊँ मुझे तारे बनाने नहीं आते। राजा की बात है, नहीं बने तो कोल्हू में पिलवा देगा।
सुनारी ने कहा, इसमें परेशान होने की क्या बात है। गोल-सा पतरा काट के कलिया काट (2/7)
देना, राजा ले जाएगा।
सुनार ने ऐसा ही किया, राजा ले गया। राजा की लड़की ने नौ लाख तारे और बहुत-सा दान दिया। भगवान का सिंहासन डोलने लगा। भगवान ने कहा देखों मेरे नेम व्रत पर कौन है, तीन कूट देखा तो कोई नहीं था, चौथे कूट देखा कि राजा की लड़की तारा भोजन करा रही है। भगवान ने (3/7)
काशी... साल में केवल चार दिन दर्शन देती हैं मां अन्नपूर्णा। अगर मिल जाए माता का खजाना, तो हमेशा भरी रहेगी तिजोरी।
वाराणसी को मंदिरों का शहर भी कहते हैं। इन मंदिरों की श्रृंखला में काशी का एक ऐसा मंदिर है जो काफी अनोखा है। क्योंकि इस मंदिर का कपाट साल में केवल चार दिन (1/4)
ही खुलता हैं। हम बात कर रहे हैं काशी के प्रसिद्ध माता अन्नपूर्णा मंदिर की। इन्हें तीनों लोकों में धन- धान्य और खाद्यान्न की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि माता ने स्वयं भगवान शिव को भोजन खिलाया था। जिस की गवाही मंदिर की दीवारों पर बने चित्र देते हैं।
साल में केवल (2/4)
चार दिन "धनतेरस, छोटी दीवाली, बड़ी दीवाली और अन्नकूट" को खुलते है कपाट। यह अन्नकूट महोत्सव गोबर्धन पूजा के दिन आयोजित होता है। धनतेरस को माता जी का खजाना खुलता है, उस खजाने में से भक्तों को धान, लावा और सिक्के का प्रसाद दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि प्रसाद में मिला (3/4)
दुर्योधन ने उस अबला स्त्री को दिखा कर अपनी जंघा ठोकी थी, तो उसकी जंघा तोड़ी गयी। दु:शासन ने छाती ठोकी तो उसकी छाती फाड़ दी गयी।
महारथी कर्ण ने एक असहाय स्त्री के अपमान का समर्थन किया, तो श्रीकृष्ण ने असहाय दशा में ही उसका वध कराया।
भीष्म ने यदि प्रतिज्ञा में बंध कर (1/11)
एक स्त्री के अपमान को देखने और सहन करने का पाप किया, तो असँख्य तीरों में बिंध कर अपने पूरे कुल को एक-एक कर मरते हुए भी देखा...।
भारत का कोई बुजुर्ग अपने सामने अपने बच्चों को मरते देखना नहीं चाहता, पर भीष्म अपने सामने चार पीढ़ियों को मरते देखते रहे। जब-तक सब देख नहीं (2/11)
लिया, तब-तक मर भी न सके... यही उनका दण्ड था।
धृतराष्ट्र का दोष था पुत्रमोह, तो सौ पुत्रों के शव को कंधा देने का दण्ड मिला उन्हें। सौ हाथियों के बराबर बल वाला धृतराष्ट्र सिवाय रोने के और कुछ नहीं कर सका।
दण्ड केवल कौरव दल को ही नहीं मिला था। दण्ड पांडवों को भी मिला।
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क्या आप जानते है कि केला 🍌 और नारियल 🥥 सनातनी हिन्दुओ के पूजा पाठ में खास स्थान क्यूं रखते है?
नारियल और केला ये दो ही ऐसे फल है जो किसी के जूठे बीज से उत्पन्न नही होते, मतलब अगर हमे आम का पेड़ लगाना है तो हम आम को खाते है और उसके बीज या गुठली को जमीन में गाड़ते है तो (1/4)
वह पौधे के रूप में उगता है, या फिर ऐसे ही गुठली निकाल के लगा दे तो भी वह उस पेड़ का बीज (जूठा या अंग) ही हुआ, लेकिन केले का या नारियल का पेड़ लगाने को केवल जमीन से निकला हुआ पौधा (ओधी) ही लगाते है, जो की खुद में ही पूर्ण है,न किसी का बीज न हिस्सा, न जूठा, इसलिए भगवान (2/4)
को सम्पूर्ण फल अर्पित किया जाता है।
हमारे पूर्वज कितने ज्ञाता थे, जो चीजे हमे आज तक पता नहीं वो पहले से जानते थे और उसका जीवन में इस्तेमाल कर जीवन पध्दति में ढाल लिए थे, जो हमे परंपरा से प्राप्त हुआ है, केवल हम उन्हे इस्तेमाल करते गए पर उनकी क्यों और क्या (3/4)
लिज ट्रस के इस्तीफे से लहालोट होने वालों की सद्यः बाढ़ सी आ गयी है। लोग अपनी और मोई जी की पीठ ठोंक रहे कि भारत के सख्त रुख ने ही उसे इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। भईया, प्रशंसा करो या आलोचना, लेकिन उसमे कुछ तथ्य भी तो होने चाहिए। या एकदम ही बिना सरपैर की कुछ भी (1/8)
उड़ाने बैठ जाओगे?
ब्रिटेन ही नहीं, यूक्रेन एपिसोड पर अमेरिका के झांसे में आये अधिकतम यूरोपीय देशों का आज बदतरीन हाल है। रशियन पेट्रोलियम उत्पादों और कोल की सप्लाई सीमित होने से इन देशों में उद्योग-धंधे ठप्प हो रहे हैं, बेरोजगारी और महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है, और आम यूरोपीय (2/8)
प्रजा में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। फ्रांस और इटली में पुलिस को लाठीचार्ज करके प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना पड़ रहा है, और अगले दो-तीन महीनों में स्थिति इतनी विकट होने जा रही है कि हमें पूरे यूरोप की सड़कों पर जिंदाबाद मुर्दाबाद करते करोड़ों लोग भी दिखें तो अब आश्चर्य नहीं (3/8)
जिन वैश्विक हालातों में भी हमारा देश काफी हद तक संभला हुआ है उसके लिए मोदी जी एवम टीम का धन्यवाद बनता है...
हर देश की सरकार परेशान है... महंगाई, भुखमरी, बेरोजगारी हर देश पर हावी है... सरकार में बने रहना मुश्किल होता जा रहा है...
लिज ट्रस ने पहले से त्रस्त ब्रिटेन (1/5)
को, अपने वाहियात फैसलों से मात्र 45 दिन में उस हालात पर ला खड़ा किया है कि कब लोग सड़कों पर उतर आएं कोई भरोसा नहीं...
बिना बैकअप के 6 ट्रिलियन डॉलर अमेरिका छाप चुका है कोरोना काल से अब तक... साथ ही डॉलर की सप्लाई पर बीच बीच मे ब्रेक लगाता है ताकि उसकी कीमत बढ़ती रहे... (2/5)
ये थोड़े ही समय के लिए है... आप जनवरी के बाद से डॉलर की हालत देखना (mark my words)... बैंड बजने वाली है डॉलर की...
रुपये को मजबूत करने के लिए यू ऐ ई से डिस्काउंटेड प्राइज पर 200 टन सोना खरीदा जा रहा है वो भी इंडियन रूपीज में... गोल्ड रिजर्व बढ़ेगा तो करेंसी अपने आप (3/5)