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कुलदीप वैष्णव કુલદીપ વૈષ્ણવ Kuldeep Vaishnav 🇮🇳 Profile picture Dev Aarya 🚩 Profile picture Litoo kalpanakant Profile picture 4 subscribed
Dec 1 5 tweets 13 min read
जैसी माँ वैसी बेटी!

भारतीय परम्परा में महिलाओं को पूज्यनीय मानकर आदर और सम्मान दिया जता है।

लेकिन इतिहास साक्षी है की जब भी किसी विदेशी वर्णसंकर महिला के हाथों में असीमित अधिकार आ जाते हैं तो वह सत्ता के मद में अंधी हो जाती है।

और देश, समाज, व् अपने परिवार के लिए घातक बन जाती है।

ऎसी महिला अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपने सहयोगिओं, मित्रों और निकट सम्बंधिओं की बलि लेने से भी नहीं चूकती है।

पिछले तीस सालों के इतिहास का अवलोकन करने पर हमें पता चलता है की इस दौरान कुछ ऐसे बहुचार्तित, प्रसिद्ध व्यक्तियों की विभिन्न कारणों से अप्रत्याशित रूप से मौतें हुई हैं, जिनका सम्बन्ध सोनिया गांधी और उसके परिवार से था!!

पहली नज़र ने यह सभी मामले आकस्मिक दुर्घटना या आत्महत्या के लगते हैं, लेकिन गहराई से खोज करने पर कुछ और ही सच्चाई सामने आती है।

क्योंकि इन सभी मामलों की न तो ठीक से कोई जांच ही करायी गयी और न ही उन आधी अधूरी जांचों की रिपोर्ट ही सार्वजनिक की गयी।

केवल खानापूर्ति करके सभी मामले ठंडे बस्ते डाल दिये गये।

सभी जानते हैं की सोनिया एक कुटिल और चालाक महिला है। उसका एकमात्र उद्देश्य सत्ता हथियाना और अपने कपूत राहुल को प्रधान मंत्री बनाना है।

इस योजना को सफल बनाने के लिए सोनिया ने 1980 के पहिले से ही शतरंज की बाजी बिछा रखी थी।

और जो मोहरा उसके सामने आता गया वह बड़ी चालाकी से उसे हटाती गयी।

और अपने बेटे के लिए रास्ता साफ़ करती गयी।सोनिया की लड़की प्रियंका भी अपनी माँ की तरह धूर्त और शातिर है। इसने अपने रूप जाल में अपनी मक्कारी और कुटिलता को छुपा रखा है।

इसलिए आज यह बेहद जरूरी है कि दिए जा रहे इन सभी मामलों की सच्चाई, लोगों के सामने प्रस्तुत की जाए।

ताकि लोगों के सामने सोनिया और प्रियंका का असली घिनौना चेहरा जनता के सामने आ जाए, जिसे यह दोनों अपनी भोलीभाली सूरत में छुपा कर देश के लोगों को मूर्ख बना रहे हैं। कुछ प्रसिद्ध घटनाएं इस प्रकार हैं...

१. संजय गांधी (मृत्यु दिनांक 23 अक्टूबर 1980): संजय गांधी में होनहार नेता के सभी गुण मौजूद थे। इसीलिए इंदिरा गांधी उसे ही अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी। संजय का हिंदुत्व के प्रति कुछ अधिक ही झुकाव था जो कुछ कांग्रेसियों, और खासकर सोनिया को बिल्कुल ही पसंद नहीं था। सोनिया का संजय से नफ़रत करने का एक और भी कारण था। जिस समय इंदिरा ने राजीव को पढने के लिए लन्दन भेजा था तो उसी समय कैम्ब्रिज में राजीव की सोनिया से मुलाक़ात हुई थी। इंदिरा राजीव को उसके निजी खर्चे के लिए प्रति माह एक निर्धारित राशि भेजती थी जो वह सोनिया पर खर्च कर देता था। और वह अक्सर गुप्त रूप से संजय से पैसे मँगवाया करता था। लेकिन जब संजय को यह पता चला की उसका बड़ा भाई पढाई छोड़ कर सारे पैसे सोनिया पर खर्च कर के अय्याशी कर रहा है, तो उसने पैसे देना बंद कर दिए।

उधर पढाई में ठीक से ध्यान न देने के कारण परीक्षा में राजीव के बहुत कम नंबर आए, और उसे कैम्ब्रिज से निकाल दिया गया।

कुछ समय तक वह ब्रिटेन में भारतीय राजदूत के घर में रहा, फ़िर अधूरी पढाई छोड़ कर वापिस घर आ गया। सोनिया मन ही मन में इसके लिए संजय को जिम्मेदार मानती थी। और बदला लेने के लिए मौके की तलाश में थी। सोनिया के केजीबी से गुप्त सम्बन्ध थे। उन दिनों संजय को प्लेन उडाने का नया नया शौक लगा था।

जब एक दिन संजय ने जैसे ही अपना प्लेन उडाया तो वह कुछ ही मिनटों में ज़मीन पर गिर कर बिखर गया।

ध्यान करने की बात यह थी की उस प्लेन में न तो आग लगी और न ही कोई विस्फोट ही हुआ। प्लेन उडाने से पाहिले उसकी टंकी में पूरा ईंधन भरा गया था। लेकिन तात्कालिक जांच में दुर्घटना का कारण "प्लेन की टंकी में ईंधन न होना "बताया गया था।

आज भी दुर्घटना का असली कारण रहस्य के परदे में ही है।

२. इंदिरा गांधी (मृत्यु दिनांक 31 अक्टूबर 1984): जब इंदिरा गांधी के सुरक्षा गार्डों ने उन्हें गोली मारी थी तो उस समय वह घायल अवस्था में बेहोश पडी थीं और जीवित थीं।

उनका खून लगातार बह रहा था। उन्हें फ़ौरन मेडिकल सहायता की जरूरत थी।

सोनियां उनके बिल्कुल नजदीक थी। लोग इंदिरा को एम्स अस्पताल ले जाना चाहते थे, जो इंदिरा के निकास के पास ही था। लेकिन सोनिया ने किसी की बात नहीं सुनी और इंदिरा को राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाने की जिद की।

जो कि वहां से काफी दूर था। जब लोग घायल इन्दिरा को लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पास पहुंचे तो अचानक सोनिया ने अपना इरादा बदल दिया।

और गाडी को वापिस एम्स की तरफ़ मोड़ने को कहा। इस बेकार आने जाने में लगभग डेढ़ घंटा बरबाद हो गया। और अत्याधिक खून बह जाने के कारण इन्दिरा की मौत हो गयी।
(१/५)
Image अगर इन्दिरा गांधी को समय पर मेडिकल सहायता मिल जाती तो उनकी जान बच सकती थी। लोग ख़ुद समझ सकते हैं की सोनिया ने जानबूझ कर क्यों समय बरबाद किया और इन्दिरा की मौत से सोनिया क्या लाभ होने वाला था।

३. जीतेन्द्र प्रसाद (मृत्यु दिनांक 16 जनवरी 2001): यह कोंग्रेस के एक अनुभवी और वरिष्ठ नेता थे। इन्होंने शाहज़हां पुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था।

उस समय वह कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। सीताराम केसरी की मौत के बाद वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के प्रत्याशी थे।

राजेश पायलट भी इनके समर्थक थे। जीतेन्द्र प्रसाद सोनिया के प्रमुख आलोचक थे। सोनिया यह पद ख़ुद हथियाना थी।

लेकिन वरिष्ठ होने के कारण अध्यक्ष पद के लिए पहला नाम जितेन्द्र प्रसाद का था। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में इस विषय पर कई बार गर्मागर्म चर्चा होने के बाद, मेम्बरों में जितेन्द्र प्रसाद का पल्ला भारी पड़ने लगा था।

और मजबूरन सोनिया को पीछे हटना पडा।

लेकिन उसके मन में कुछ और ही योजना थी।

एक दिन सोनिया के द्वारा आयोजित एक भोजन समारोह में जितेन्द्र प्रसाद को बुलाया गया।

जिसमे लगभग सभी प्रमुख नेता शामिल थे। भोजन के बाद जब जितेन्द्र प्रसाद अपने निवास पर पहुंचे तो अचानक उनकी तबियत बिगड़ गयी।

और अस्पताल पहुँचने से पहले ही उनकी मौत हो गयी। डाक्टरों ने पहले तो मौत का कारण फ़ूड पोइजिनिंग बताया, लेकिन बाद में मौत का कारण हार्ट फेल बताया। साफ़ है की की किसी के दवाब में रिपोर्ट बदल दी गयी थी।

४. राजेश पायलट (मृत्यु 11 जून 2000): यह भी सोनिया के प्रमुख प्रतिद्वंदी थे और अक्सर सार्वजनिक रूप से सोनिया की आलोचना किया करते थे।

राजेश एक स्पष्टवक्ता और उभरते युवा नेता थे।

राजेश का चुनाव क्षेत्र दौसा था जो जयपुर के पास है।

मृत्यु के दिन अर्जुन सिंह ने राजेश को फोन करके दिल्ली बुलाया।

और कहा की एक बेहद जरूरी मीटिंग है। जब राजेश अपनी कार से दौसा से जयपुर एयर पोर्ट की तरफ़ जा रहे थे तो भण्डाना गांव के पास उनकी कार को राजस्थान ट्रांसपोर्ट की बस ने टक्कर मार दी। इस टक्कर से उनकी वहीं मौत हो गयी।

आज तक उस बस का ड्राईवर नहीं पकडा गया।

और न किसी के ख़िलाफ़ कोई केस चलाया गया।

राजेश के लड़के का मुंह बंद करने के लिए उसे कोई पद दे दिया गया। और मामला बंद कर दिया गया।

५. माधवराव सिंधिया (मृत्यु 30 सितम्बर 2001): इनके समर्थक इन्हें भावी प्रधान मंत्री के रूप में देखते थे। इनकी निष्पक्षता के कारण विरोधी दल के लोग भी इनका सम्मान करते थे।

इन से सोनिया मन ही मन में जलती थी।

पहले दोनों में बहुत घनिष्ठता थी। माधव राव ने ही सोनिया का राजीव से परिचय कराया था।

जब वह भी राजीव के साथ कैम्ब्रिज में पढ़ते थे।

जब सोनिया ने राजीव से शादी कर ली तब भी सोनिया और माधवराव की दोस्ती चलती रही। एकबार 1982 में जब सोनिया और माधवराव रात को दो बजे एक पार्टी से लौट रहे थे तो, दिल्ली की आईआईटी के गेट के पास एक्सीडेंट हो गया।

जिसमे माधवराव की टांग टूट गयी थी और सोनिया को मामूली चोट लगी थी।

सोनिया माधवराव को घायल छोड़ कर एक ओटो से घर भाग गयी। बाद में पुलिस ने माधवराव को अस्पताल पहुंचाया था।

सोनिया के इस व्यवहार से माधवराव नाराज़ थे। और अक्सर अपने मित्रों से इस घटना की चर्चा करते रहते थे।

जिस से सोनिया चिढ़ती थी। इसके अलावा माधवराव सोनिया के कई गुप्त राज़ भी जानते थे।

इसलिए सोनिया माधवराव को अपने लिए एक खतरा मानती थी।

एक बार माधवराव को जरूरी काम के लिए दिल्ली से मैनपुरी जाना था।

इसके लिए उन्हें जिंदल ग्रुप का प्लेन दिया गया था।

उड़ान से पूर्व प्लेन की जांच गयी थी और बताया गया था की प्लेन में पूरा ईंधन भरा गया था।

प्लेन 12:49 पर इन्दिरा गांधी एयर पोर्ट से उड़ा और आगरा से 85 किमी दूर भोगाव में गिर कर टूट गया।

इस प्लेन में भी न आग लगी न विस्फोट हुआ। इस दुर्घटना में माधवराव की वहीं तत्काल मौत हो गयी।

जांच में पता चला था की प्लेन की टंकी में पूरा ईंधन नहीं भरा गया था।

६. बाल योगी (म्रत्यु-13 मार्च 2002): यह लोकसभा के स्पीकर थे। इनके कार्यकाल में सोनिया की राष्ट्रीयता के बारे में सवाल उठ रहे थे। सोनिया ने संसद में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में जो हलफनामा दिया था उस पर लोगों को शंका थी।

दिनांक 5 फरवरी 2002 को सुब्रमण्यम स्वामी ने बाल योगी को एक पत्र लिखा जिसमे उनसे सोनिया की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जांच कराने का अनुरोध किया गया था। और इस पत्र में कहा गया था की ऐसा करना उनका नैतिक दायित्व है।

इस पर बाल योगी ने सोनिया से 15 दिनों के अन्दर स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस दिया।
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Aug 23 16 tweets 4 min read
मैं और मेरा पुरातन अतीत

नेहरू विज्ञान केन्द्र, मुंबई के निदेशक थे भौतिक वैज्ञानिक डॉक्टर सुब्रह्मण्यम। वैज्ञानिक थे पर जनेऊ पहनते थे। एक बार टाईम्स के पत्रकार ने उनसे पूछा… आप तो वैज्ञानिक हैं फिर ये जनेऊ क्यों और कैसे? जनेऊ क्यों पहनते हैं आप? उनका जवाब कालजयी था।
(1/14) Image उन्होंने कहा... “मैं खगोलविद हूं। आसमान देख रहे हैं, भौतिकी का वो हिस्सा है हमारा क्षेत्र, अनंत। भौतिक आकाश में ये जो तारे हैं, वो क्या हैं? मैं तारामंडल का निदेशक क्यों हूं?

विज्ञान, दरअसल भविष्य का अतीत है। जब भी मैं तारों भरा आकाश देखता हूं, तो मैं अतीत में देख रहा (2/14)
Aug 23 19 tweets 4 min read
मुसलमानों को अभी तक तो यही लग रहा था कि वे भारत जीत लेंगे...!

उन्हें लगता है कि उन्होंने 600 साल राज किया, बीच में अंग्रेज टपक पड़े वरना सब कुछ उनका ही था। अलीगढ़िया इतिहासकारों के अनुसार आजादी की लड़ाई मुस्लिम अपना खोया राज वापस प्राप्त करने के लिए (1/17) Image लड़े, खून बहाया लेकिन 1947 में दो छोटे भूमि के टुकड़ों से ही उन्हें संतोष करना पड़ा। जब तक यहूदी और हिन्दू फतेह नहीं कर लिए जाते, कयामत सम्भव नहीं और उसके बिना हिसाब लटका हुआ है और अभी हूरें भी काफी दूर है।

भारत विजय का उनका सपना अब भी अधूरा है। आज जब वे भारत में अपनी (2/17)
Aug 21 14 tweets 3 min read
कान्वेंट शब्द पर गर्व न करें... सच समझें कॉन्वेंट का मतलब क्या है?

‘काँन्वेंट’! सब से पहले तो यह जानना आवश्यक है कि, ये शब्द आखिर आया कहाँ से है, तो आइये प्रकाश डालते हैं।

ब्रिटेन में एक कानून था, "लिव इन रिलेशनशिप" बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ (1/12) Image में रहना, तो इस प्रक्रिया के अनुसार संतान भी पैदा हो जाती थी तो उन संतानों को किसी चर्च में छोड़ दिया जाता था।

अब ब्रिटेन की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाए तब वहाँ की सरकार ने काँन्वेंट खोले अर्थात् जो बच्चे अनाथ होने के साथ साथ नाजायज (2/12)
Aug 16 10 tweets 3 min read
पुण्य स्मरण

गले का कैंसर था। पानी भी भीतर जाना मुश्किल हो गया, भोजन भी जाना मुश्किल हो गया। तो विवेकानंद ने एक दिन अपने गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस से कहा कि "आप माँ काली से अपने लिए प्रार्थना क्यों नही करते? क्षणभर की बात है, आप कह दें, और गला ठीक हो जाएगा! तो (1/8) Image रामकृष्ण हंसते रहते, कुछ बोलते नहीं।

एक दिन बहुत आग्रह किया तो रामकृष्ण परमहंस ने कहा, "तू समझता नहीं है रे नरेन्द्र। जो अपना किया है, उसका निपटारा कर लेना जरूरी है। नहीं तो उसके निपटारे के लिए फिर से आना पड़ेगा। तो जो हो रहा है, उसे हो जाने देना उचित है। उसमें कोई भी (2/8)
Aug 15 29 tweets 6 min read
क्यों कब और कैसे डूबी द्वारिका?

श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका महाभारत युद्ध के 36 वर्ष पश्चात समुद्र में डूब जाती है। द्वारिका के समुद्र में डूबने से पूर्व श्री कृष्ण सहित सारे यदुवंशी भी मारे जाते है। समस्त यदुवंशियों के मारे जाने और द्वारिका के समुद्र में विलीन होने के (1/27) Image पीछे मुख्य रूप से दो घटनाएं जिम्मेदार है। एक माता गांधारी द्वारा श्री कृष्ण को दिया गया श्राप और दूसरा ऋषियों द्वारा श्री कृष्ण पुत्र सांब को दिया गया श्राप।

महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब युधिष्ठिर का राजतिलक हो रहा था तब कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के (2/27)
Aug 15 30 tweets 7 min read
जहां पूरा देश आजादी की 77वीं वर्षगांठ मना रहा है! ऐसे में आवश्यक भी है कि देशवासियों के समक्ष यह सत्य आना ही चाहिए!!

कि कैसा था आजादी का तथाकथित महात्मा?

एक नजर... अंतिम सत्य...

मोहनदास करमचंद गांधी की कथित सेक्स लाइफ़ पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। लंदन के प्रतिष्ठित (1/28)
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अख़बार “द टाइम्स” के एक 2012 के लेख के मुताबिक गांधी को कभी भगवान की तरह पूजने वाली 82 वर्षीया गांधीवादी इतिहासकार कुसुम वदगामा ने कहा है कि गांधी को सेक्स की बुरी लत थी, वह आश्रम की कई महिलाओं के साथ निर्वस्त्र सोते थे, वह इतने ज़्यादा कामुक थे कि ब्रम्हचर्य के प्रयोग और (2/28)
Aug 15 13 tweets 3 min read
रेणुका चौधरी का अनुभव और कांग्रेस का चरित्र:-

साल था 1952। बिहार की स्वतंत्रता सेनानी तारकेश्वरी सिन्हा पटना से लोकसभा सांसद चुनकर दिल्ली पहुंची। भारत बेहद पिछड़ा लेकिन तारकेश्वरी जी एकदम आधुनिक। बला की खूबसूरत। चेहरे पर एक चार्म। बॉब कट बाल, साड़ी और स्लिवलेस ब्लाउज। वह (1/11)

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जहां खड़ी हो जाती थीं, वहां का माहौल ही बदल जाता था। सांसद क्या और मंत्री क्या? सभी के बीच उन्हें लेकर खास दीवानगी थी। उन्हें ग्लैमरस गर्ल ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता था। चटकीले नेहरू की वे खास पसंद थी।

प्रधानमंत्री आवास में तारकेश्वरी जी का नियमित आना जाना था। नेहरू जी के (2/11)
Aug 10 20 tweets 4 min read
चित्तौड़गढ की रानी द्वारा हुमायूं को राखी भेजने की कथा का तथ्यात्मक विश्लेषण, गर्म रक्त चमड़ी की गन्ध याद रखना हिंदुओं।

राखी का ऐतिहासिक झूठ, सन 1535 दिल्ली का शासक है बाबर का बेटा हुमायूँ

उसके सामने देश में दो सबसे बड़ी चुनौतियां हैं, पहला अफगान शेर खाँ और दूसरा गुजरात (1/18) Image का शासक बहादुरशाह... पर तीन वर्ष पूर्व सन 1532 में चुनार दुर्ग पर घेरा डालने के समय शेर खाँ ने हुमायूँ का अधिपत्य स्वीकार कर लिया है और अपने बेटे को एक सेना के साथ उसकी सेवा में दे चुका है।

अफीम का नशेड़ी हुमायूँ शेर खाँ की ओर से निश्चिन्त है, हाँ पश्चिम से बहादुर शाह का (2/18)
Aug 7 17 tweets 4 min read
भाग 1

मुसलमानों को अभी तक तो यही लग रहा था कि वे भारत जीत लेंगे।

उन्हें लगता है कि उन्होंने 600 साल राज किया, बीच में अंग्रेज टपक पड़े वरना सबकुछ उनका ही था। अलीगढिया इतिहासकारों के अनुसार आजादी की लड़ाई मुस्लिम अपना खोया राज वापस प्राप्त करने के लिए (1/15) Image लड़े, खून बहाया लेकिन 1947 में दो छोटे भूमि के टुकड़ों से ही उन्हें संतोष करना पड़ा। जब तक यहूदी और हिन्दू फतेह नहीं कर लिए जाते, कयामत सम्भव नहीं और उसके बिना हिसाब लटका हुआ है और अभी हूरें भी काफी दूर है।

भारत विजय का उनका सपना अब भी अधूरा है। आज जब वे भारत (2/15)
Aug 5 16 tweets 4 min read
जब चंद्रशेखर आजाद की शव यात्रा निकली... देश की जनता नंगे पैर... नंगे सिर चल रही थी... लेकिन कांग्रेसियों ने शव यात्रा में शामिल होने से इनकार कर दिया था।

एक अंग्रेज सुप्रीटेंडेंट ने चंद्रशेखर आजाद की मौत के बाद उनकी वीरता की प्रशंसा करते हुए कहा था कि चंद्रशेखर आजाद पर (1/14) Image तीन तरफ से गोलियां चल रही थीं... लेकिन इसके बाद भी उन्होंने जिस तरह मोर्चा संभाला और 5 अंग्रेज सिपाहियों को हताहत कर दिया था... वो अत्यंत उच्च कोटि के निशाने बाज थे... अगर मुठभेड़ की शुरुआत में ही चंद्रशेखर आजाद की जांघ में गोली नहीं लगी होती तो शायद एक भी अंग्रेज सिपाही (2/14)
Aug 4 23 tweets 5 min read
इतिहास में पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू और लगभग 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ।

अब सोचिए कि जब मुमताज का इंतकाल 1631 में हुआ तो फिर कैसे उन्हें 1631 में ही ताजमहल में दफना दिया गया, जबकि ताजमहल तो 1632 में बनना शुरू हुआ था। यह सब मनगढ़ंत (1/21) Image बातें हैं जो अंग्रेज और मुस्लिम इतिहासकारों ने 18वीं सदी में लिखी।

दरअसल 1632 में हिन्दू मंदिर को इस्लामिक लुक देने का कार्य शुरू हुआ। 1649 में इसका मुख्य द्वार बना जिस पर कुरान की आयतें तराशी गईं। इस मुख्य द्वार के ऊपर हिन्दू शैली का छोटे गुम्बद के आकार का मंडप है और (2/21)
Aug 2 20 tweets 4 min read
इटली में जन्मी ब्रिटिश बारडांसर सोनिया का मिशन...

कैथोलिक नकली गंधियाईन की कुटिल चाल...

मुझे मेरा राजीव लौटा दीजिए, मैं लौट जाऊंगी, नहीं लौटा सकते तो मुझे भी इसी मिट्टी में मिल जाने दो: सोनिया गांधी...

ऐसा कहने बाली श्रीमती सोनिया गांधी जी के कार्य कलापों पर नज़र डालें (1/18) Image तो समझ में आ जाता है कि वो वास्तव में किस मिशन पर जुटी रही हैं... राजीव गांधी की हत्या तक सोनिया की पकड़ सिस्टम पर उतनी मज़बूत नहीं थी। उसके बाद पीवी नरसिंहराव आ गए जो सोनिया गांधी को नज़र अंदाज़ करके अपना काम करते रहे। 1999 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री रहे (2/18)
Jul 30 12 tweets 3 min read
अरब के हिजाज और सीरिया के दरमियानी इलाके में इस्लाम के जुहूर से काफी पहले "समूद" नाम की जाति रहा करती थी। कुरआन में इस जाति के बारे में कहा गया है कि ये लोग अरब की वो कौमें थी जो मिट गई, नष्ट हो गई, हलाक कर दी गई। कुरआन में कई स्थानों पर इस जाति का ज़िक्र आया है। (1/10) Image सूरह आराफ कहता है कि समूद की ओर एक नबी भेजे गये थे जिनका नाम था "सालेह"।

जैसा कि कुरान बाकी नबियों के बारे में कहता है वैसा ही उसने सालेह के बारे में भी कहा है कि उन्होंने अपनी कौम को तौहीद की ओर बुलाया और कहा, तुम लोग एक ईश्वर को छोड़ के किसी और की इबादत न करना और इस (2/10)
Jul 30 23 tweets 5 min read
सिन्धु घाटी की लिपि

इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था कि, विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी है, तो वह भारत का इतिहास ही है।

भारतीय इतिहास का प्रारम्भ तथाकथित रूप से सिन्धु घाटी की सभ्यता से होता है, इसे हड़प्पा कालीन सभ्यता (1/21) Image या सारस्वत सभ्यता भी कहा जाता है। बताया जाता है, कि वर्तमान सिन्धु नदी के तटों पर 3500 BC (ईसा पूर्व) में एक विशाल नगरीय सभ्यता विद्यमान थी। मोहनजोदारो, हड़प्पा, कालीबंगा, लोथल आदि इस सभ्यता के नगर थे।

पहले इस सभ्यता का विस्तार सिंध, पंजाब, राजस्थान और गुजरात आदि बताया (2/21)
Jul 30 11 tweets 3 min read
ये हैं सनातन धर्म के रक्षक 'जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज' जी!

एक बालक जिसने 3 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिख दी। एक बालक जिसने 5 साल की उम्र में पूरी श्रीमदभगवत गीता के 700 श्लोक अध्याय सहित और श्लोक संख्या के साथ याद कर लिए।

एक बालक जिसने 7 साल की उम्र (1/9) Image में सिर्फ 60 दिन के अंदर श्रीरामचरितमानस की 10 हजार 900 चौपाइयां और छंद याद कर लिए। वही बालक गिरिधर आज पूरी दुनिया में जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी के नाम से जाने जाते हैं।

मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1950 को चित्रकूट में उनका जन्म हुआ था। 2 महीने की उम्र में ही वो (2/9)
Jul 29 13 tweets 3 min read
अरब की रेगिस्तानी रवायतों में औरत हमेशा असबाब से ऊपर की हैसियत नहीं पा सकी जिसे जरूरतों के लिए रखा जाता था... ख्वाजा का सत्य।

उसे अपनी मिल्कियत के बंदे का हर हुक़्म बजाना लाज़मी था... और जितना असबाब उतनी हैसियत उतना समाज में जलवा... (1/11) Image तो चलन शुरू हुआ हरम का... जिसके हरम में जितनी औरते उतना वो समृद्ध... या जितना समृद्ध बंदा उतना बड़ा उसका हरम...!

अब बड़े हरम की एक बड़ी दिक्कत होती थी उसकी रखवाली अक़्सर गुलाम जिन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी जाती वही मौके का फायदा उठा लेते... तो (2/11)
Jul 27 11 tweets 3 min read
परमवीर चक्र विजेताओं के लिए लिखी गयी किताब "द ब्रेव" में रचना विष्ट रावत ने बताया है कि वे शुद्ध शाकाहारी थे। कभी शराब नहीं पीते थे। दुर्गापूजा के दिन उनकी यूनिट के लोगों ने बलि देने के लिए फरसा पकड़ा दिया। उस योद्धा ने कुछ क्षण सोचा और एक झटके में बकरे का सर (1/9) Image काट दिया। खून के छींटे उनके माथे तक पड़े। उसके बाद वे बीसों बार अपना मुँह, हाथ धोते रहे... अकारण ही एक निर्दोष जीव पर किया गया प्रहार उन्हें कचोटता रहा, वे उसकी पीड़ा से तड़पते रहे...

पर रुकिये! किसी निर्दोष की हत्या पर तड़प उठने वाले उस चौबीस वर्ष के विशुद्ध (2/9)
Jul 26 69 tweets 14 min read
माना जाता है कि महाभारत युद्ध में एकमात्र जीवित बचा कौरव युयुत्सु था और 24,165 कौरव सैनिक लापता हो गए थे। लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे।

शोधानुसार जब महाभारत का युद्ध हुआ, तब श्रीकृष्ण की आयु 83 वर्ष थी। महाभारत युद्ध (1/67) Image के 36 वर्ष बाद उन्होंने देह त्याग दी थी। इसका मतलब 119 वर्ष की आयु में उन्होंने देहत्याग किया था।

भगवान श्रीकृष्ण द्वापर के अंत और कलियुग के आरंभ के संधि काल में विद्यमान थे।

भागवत पुराण ने अनुसार श्रीकृष्‍ण के देह छोड़ने के बाद 3102 ईसा पूर्व कलिकाल का प्रारंभ हुआ था। (2/67)
Jul 26 9 tweets 2 min read
तारीख थी 1 मई 2006, सुबह का अखबार उठाया तो दहल गया, अखबार में ये तस्वीर छपी थी, खबर थी कि 30 अप्रैल 2006 में कश्मीर के डोडा में 35 हिन्दुओ को मुसलमान आतंकवादियों ने लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया था, बिलकुल ISIS के अंदाज में इन 35 हिन्दुओ में 1 बच्ची भी शामिल (1/7) Image थी जिसकी उम्र मात्र 3 साल थी।

उस हत्याकांड की ये तस्वीर हर उस शख्स के चेहरे पे तमाचा है जो झूठे मॉब लिंचिंग समस्या में धार्मिक एंगल देते है, मैं हर उस हिंदुस्तानी को यह बात याद दिलाना चाहता हूं जो भूल चुका है कि 2014 के पहले कश्मीर में क्या क्या हो रहा था।

आपको जानना (2/7)
Jul 26 43 tweets 11 min read
हम कुछ राष्ट्रवादी हिन्दू लोग कुत्ते की दुम को सीधा करने की कोशिश कर रहे है, हम लोग रात दिन बहुत सी जानकारियां देकर, हिन्दुओं को जगाने के लिए प्रयत्नशील है।

ताकि दुनिया में जो हुआ और जो हो रहा है और जो कुछ आगे होने वाला है, उस से बचा जा सके।

आज एक किस्सा लाया हूँ जो कि (1/41) Image ज्यादा पुराना नही है, जो कि मेरे लिए तो सिर्फ कल ही की बात है।

साइप्रस का इतिहास और भारत का भविष्य!

साइप्रस नाम के इस छोटे से देश की कहानी को ध्यान से पढ़ें... आप को कुछ जानी पहचानी लगेगी।

साइप्रस भू मध्य सागर में स्थित एक छोटा सा द्वीप है जो टर्की {तुर्की} से 40 मील (2/41)