सबसे पहले अन्ना को निबटाया,
फिर..
प्रोफेसर आनन्द कुमार को निबटाया,
किरण बेदी को निबटाया,
शाज़िया इल्मी को निबटाया,
अलका लांबा को निबटाया,
प्रशांत भूषण और शांति भूषण को निबटाया, कपिल मिश्रा को निबटाया,
आशीष खेतान को निबटाया,
मयंक गांधी को निबटाया,
आशुतोष को निबटाया,
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मधु भादुड़ी को निबटाया,
अंजली दमानिया को निबटाया,
अजित झा को निबटाया,
विनोद कुमार बिन्नी को निबटाया,
कैप्टन जी आर गोपीनाथ को निबटाया,
अशोक अग्रवाल को निबटाया,
एस पी उदय कुमार को निबटाया,
एम एस धीर को निबटाया,
मौलाना काज़मी को निबटाया,
एडमिरल राम दास को निबटाया,
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ताहिर हुसैन को निबटाया,
योगेंद्र यादव को निबटाया, अश्विनी उपाध्याय को निबटाया, कुमार विश्वास को निबटाया, सत्येन्द्र जैन को निबटाया,
अमानुतल्लाह को निबटाया और अब..
सिसोदिया को आगे रखकर व सारा माल अपनी जेब में रखकर.. उसे भी निबटा देगा ।
और आखिर में चड्डा बचेगा, और
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उसका जमाई बनेगा ।
बंदा स्मार्ट है,CA है,सभी दिग्गजों के ठिकाने लगने के बाद बची जमात में अपने ससुर के बाद सबसे सीनियर यही होगा, बाकी सब बच्चे होंगे ।पार्टी सौंपने और जमा देने के बाद बेटी सौंपने से नेपोटिज्म का आरोप भी नहीं लगेगा ।
प्रश्न 1:- भारत में गरीबी कब शुरू हुई ?
उत्तर :- 26 मई 2014 से
इससे पहले, गरीब महंगी कारों में घूम रहे थे और ठंडी कॉफी पी रहे थे।
प्रश्न २ :- कुटिल मीडिया और कुछ धार्मिक संस्थानों का भारतीय लोकतंत्र में कब भरोसा टूटा ?
उत्तर :- 26 मई 2014 को
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प्रश्न ३ :- अंबानी और अदानी कब अमीर बन गए?
उत्तर :- 26 मई 2014 को
इससे पहले, वे मुंबई सड़कों पर भीख मांग रहे थे।
प्रश्न 4 :- पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि कब हुई?
उत्तर :- 26 मई 2014 को
उस दिन तक, प्रति लीटर 14 रुपये में
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पेट्रोल बेचा जाता था।
प्रश्न 5 :- कश्मीर मुद्दे कब शुरू हुए ?
उत्तर :- 26 मई 2014 से
उसके पहले सभी आतंकवादी शांति के दूत थे। वे घाटी में बच्चों को चॉकलेट बाँटते थे और
वहाँ की स्त्रियों को अपनी माँ- बहन मानते थे।
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सब प्रायोजित है,
अचानक कुछ नही होता, सब कुछ प्रायोजित है।
अचानक से ट्रेन एक्सिडेंट होने लगते है, कभी पटरी टूटना, डिब्बे चढ़ना, ट्रेन टकराना..
कुछ दिन अखबारों की सुर्खियों मे शामिल होते है, फिर अचानक से सब ठीक हो जाता है?
अचानक से गौ हत्या होने लगती है, गौ तस्करी के खुलासा
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होता है, गौ मांस पकडे जाते हैं....
फिर कुछ समय बाद सब कुछ शांत जैसे कही कुछ हुआ ही नहीं?
अचानक से संभ्रांत लोगो को भारत मे रहने मे डर लगने लगता है,
देशप्रेम जाग जाता है, राष्ट्र वाद पर बहस होने लगती है राष्ट्रगान बहस का मुद्दा बन जाता है, गृह युद्ध की बाते हवा में गूंजने लग
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जाती है?
सरकार वही, समाज वही फिर देश अचानक से रहने लायक भी हो जाता है?...
कोई देश छोडकर नही जाता, आश्चर्य हो रहा है ना ?
कशमीर में अचानक ने पत्थर बाजी शुरू हो जाती है, सेना पर सवाल खडे होने लगते है, कुछ लोगो की मृत्यु को ढाल बनाया जाता है, अखबारों की सुर्खिया मिलती है...
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