@Sabhapa30724463 @amarlal71 @4k25JbZMlr4eUsF @BNPande83532833 @DamaniN1963 @Govindmisr @PRPathak2 @SathyavathiGuj1 @ShashibalaRai12 @SimpleDimple05 @seemarani4421 छोटी दिवाली को काली चौदस या नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार , प्रागज्योतिषपुर राज्य में नरकासुर नामक राजा और उसका सेनापति मुर था जिनका भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने वध कर दिया था और 15999 स्त्रियों को उन लोगों की कैद से मुक्त कराया था।
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यही वजह है कि इस दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है और इस दिन को चतुर्दशी तिथि होने के कारण नरक चतुर्दशी कहते हैं.
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तड़ित विद्युत :-

विसर्जन (Electric Discharge) के द्वारा उत्पन्न होता है। तड़ित द्वारा अत्यधिक विद्युत-आवेशन होता है। यह दो आवेशित बादलों के बीच होता है। तड़ित चालक एक मोटी तांबे की पट्टी होती है जिसके सिरे पर कई नुकीले
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विवाह से पूर्व अपने भाई के साथ Entire Saurashtra Region में Real Estate Colonizer and Developer का कार्य करती थी इसलिए भवनों को सुरक्षित करने के लिए यह Expertise हासिल की थी।

नरकासुर के सेनापति
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मुर की बहन का नाम मुरा था जिसका विवाह भगवान श्रीकृष्ण ने घटोत्कच से कराया था इसी कारण उनको मुरारी नाम से भी जाना गया।

घटोत्कच और मुरा के ही पुत्र का नाम बर्बरीक था जिसे आगे चलकर खाटू श्याम बाबा के नाम से जाना गया ।
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वर्तमान की Guwahati को प्राग्ज्योतिषपुर कहा जाता था।रामायण,महाभारत और पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है।यह कामरूप की प्राचीन राजधानी थी।कालिकापुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने यहां नक्षत्रों का निर्माण किया था इसलिए यह नगर प्राक्(प्राचीन)और ज्योतिष(नक्षत्र)कहलाया।
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कुछ दिनों तक तो नरकासुर ठीक से राज्य करता रहा, किन्तु बाणासुर और द्विविद वानर की संगति में पड़कर यह दुष्ट हो गया। अब वसिष्ठ मुनि ने इसे भगवान विष्णु के हाथों मारे जाने का
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अमरता की लालसा से दैत्य गुरू शुक्राचार्य ने इससे कहा कि अगर तुम 16000 ऐसी स्त्रियों की बलि चढ़ा दोगे :-

जिनका विवाह तो हो चुका परन्तु अभी तक गृहस्थ जीवन शुरू नहीं हुआ।

ऐसा तब होता है जब विवाहित कन्या मायके
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नरकासुर ने इसी परिस्थितियों का लाभ उठाया और अपने सेनापति मुर की मदद से बारातों को बीच मार्ग में ही मार मारकर कन्याओं को डोली समेत ही उठा कर ले जाता था,इस प्रकार 15999 कन्याएँ एकत्रित कर ली।
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#जय_श्री_कृष्ण

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Jul 7
जयद्रथ वध:-

सिंधु सभ्यता महाभारत काल में मौजूद थी। महाभारत में इस जगह को सिन्धु देश कहते थे। इस सिन्धु देश का राजा जयद्रथ था। जयद्रथ महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ा था।

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जयद्रथ सेे पूर्व सिंधु देश के राजा थे वृद्धक्षत्र, उनका ही पुत्र था जयद्रथ।वृद्धक्षत्र को यह पुत्र कठिन तप करने के बाद हुआ था।जयद्रथ का जब जन्म हुआ तब उस समय यह भविष्यवाणी हुई कि,'यह राजकुमार यशस्वी होगा,पर एक श्रेष्ठ क्षत्रिय के हाथों सिर काटे जाने से इसकी मृत्यु होगी।'
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यह बात सुनकर वृद्धक्षत्र काफी दुःखी हो गए । उन्होंने तत्काल श्राप दिया,'जो भी मेरे पुत्र का वध करेगा तो सिर्फ सिर काटने पर ही मृत्यु होगी और जैसे ही जयद्रथ का सिर धरती पर गिरेगा उस व्यक्ति के सिर के उसी क्षण सौ टुकड़े हो जाएंगे,जिस व्यक्ति के हाथ से सिर धरती पर गिरेगा।'
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May 31
हनुमानजी का अद्भुत पराक्रम..
 
          जब रावण ने देखा कि हमारी पराजय निश्चित है तो उसने 1000 राक्षसों को पाताल से बुलाकर रणभूमि में भेजने का आदेश दिया।ये ऐसे थे जिनको काल भी नहीं खा सकता था क्योंकि पातालवासियों की जान उनमें होती ही नहीं है ।
          विभीषण के गुप्तचरों से
समाचार मिलने पर श्री राम को चिन्ता हुई कि हम लोग इनसे कब तक लड़ेंगे ? सीता का उद्धार और विभीषण का राज तिलक कैसे होगा ? क्योंकि युद्ध की समाप्ति असंभव है।
          श्रीराम कि इस स्थिति से वानरवाहिनी के साथ कपिराज सुग्रीव भी विचलित हो गए कि अब क्या होगा ? हम अनंत काल तक युद्ध तो
कर सकते हैं पर विजयश्री का वरण नहीं ! पूर्वोक्त दोनों कार्य असंभव हैं।
          अंजनानंदन हनुमान जी आकर वानर वाहिनी के साथ श्रीराम को चिंतित देखकर बोले–'प्रभु ! क्या बात है ?'
          श्रीराम के संकेत से विभीषण जी ने सारी बात बतलाई।अब विजय असंभव है।
          पवन पुत्र ने कहा–
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