ये थे भगवान गणेश के दूसरे पिता, गणेश-गीता में मिलता है उल्लेख...
शिव जी श्री गणेश के पिता हैं इस बात को सभी बखूबी जानते हैं। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं की गणेश जी के एक और पिता हैं। जी हां आपको यह बता दें की गणेश जी जब एक बार देवराज इंद्र और सभी देवी, देवता (1/10)
सिंदूरा नाम के दैत्य के अत्याचारों से परेशान थे उस समय सभी देवता ब्रह्मा जी के पास अपना दुख लेकर गए और अपनी ससस्या सुनाई। तब ब्रह्मा जी ने उन्हें गणपति जी के पास जाने को कहा उसके बाद सभी देवता गणपति जी के पास गए और उनसे प्रार्थना करते हुए बोले कि उन्हें दैत्य सिंदूरा (2/10)
के अत्याचारों से मुक्ति दिलाएं। सभी देवताओं और ऋषियों की प्रार्थना सुनने के बाद उन्होंने माता पार्वती के घर गजानन के रुप में अवतार लिया। वहीं जिस समय गजानन ने अवतार लिया था उसी समय राजा वरेण्य की पत्नी पुष्पिका के घर भी एक बालक ने जन्म लिया था।
राजा को गणेश जी ने दिया (3/10)
था वरदान:
प्रसव के दौरान रानी पीड़ा से मूर्छित हो गईं और रानी के पुत्र को राक्षसी उठा कर ले गई। लेकिन रानी के आंख खुलने से पहले ही भगवान शिव के गणों ने गजानन को रानी पुष्पिका के पास भेज दिया। शिव के गणों द्वारा ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि क्योंकि गणपति भगवान ने (4/10)
पूर्वजन्म में राजा वरेण्य की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वह उनके यहां पुत्र रूप में जन्म लेंगे। यही कारण था की उन्होंने गजानन का अवतार लिया था। लेकिन जब रानी पुष्पिका ने अपने पास गजानन को गजमुख गणपति के रुप को देखा तो वे भयभीत हो गईं।
राजा नें गणपति को (5/10)
जंगल में छोड़ दिया:
जब राज्य में सभी को इस बात का पता चला तो राजा वरेण्य को बताया गया की ऐसा बालक राज्य के लिए अशुभ है। यह बात सुनते ही राजा वरेण्य ने बालक को जंगल में छोड़ दिया। जंगल में इस शिशु के शरीर पर मिले शुभ लक्षणों को देखकर महर्षि पराशर उस बालक को आश्रम लाए। (6/10)
यहीं पर पत्नी वत्सला और पराशर ऋषि ने गणपति का पालन पोषण किया। बाद में राजा वरेण्य को यह पता चला कि जिस बालक को उन्होंने जंगल में छोड़ा था, वह कोई और नहीं बल्कि गणपति हैं। अपनी इसी गलती से हुए पश्चाताप के कारण वह भगवान गणपति से प्रार्थना करते हैं कि मैं अज्ञान के कारण (7/10)
आपके स्वरूप को पहचान नहीं सका इसलिए मुझे क्षमा करें।
भगवान गणेश ने राजा वरेण्य की प्रार्थना सुनी और उन्होंने राजा को अपने पूर्वजन्म के वरदान का स्मरण कराया। इसके बाद भगवान गणेश ने अपने पिता वरेण्य से अपने स्वधाम-यात्रा की आज्ञा मांगी। स्वधाम-गमन की बात सुनकर राजा वरेण्य (8/10)
ने आंसु भरी नेत्रों से गणेश जी से प्रार्थना करते हुए बोले की है कृपामय! मेरा अज्ञान दूरकर मुझे मुक्ति का मार्ग प्रदान करें। तब भगवान गणेश जी ने राजा वरेण्य को ज्ञानोपदेश दिया। जिसे आज गणेश-गीता के नाम से जाना जाता है।
(9/10)
मात पिता के चरण में,जग के चारों धाम।
श्रीगणेश हैं कह गये, भजो इन्हीं का नाम।।
जो लोग दुनिया के सबसे अमीर शख्श एलन मस्क को केवल एक व्यवसायी समझते हैं वो उसके पीछे छिपे घृणित अमेरिकी चेहरे को देख नहीं पा रहे हैं। एलन मस्क सार्वजनिक तौर पर अनेकों बार भारतीय योग्यता का लोहा मान चुके हैं और यही बात उनकी भारतीयों के प्रति दुर्भावना और नफरत का (1/12)
कारण भी है।
नरेंद्र मोदी की आलोचना उनका प्रिय विषय है और यही कारण है कि भारत का विपक्ष एलन मस्क को प्रिय है। एलन मस्क को भारत और नरेंद्र मोदी से इतनी नफरत क्यों है उसके पीछे भी एक खास कारण है। जरा नरेंद्र मोदी का पहला अमेरिकी दौरा याद करिए जिसमें उन्होंने एलन मस्क, (2/12)
मार्क जुकरबर्ग सहित अनेकों सीईओ से उन्होंने मुलाकात की थी जिसमें मोदी ने एलन मस्क की टेस्ला कम्पनी को भारत में इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल प्लांट लगाने का निमंत्रण दिया था। एलन मस्क को लगा कुआं खुद प्यासे के पास आ गया है, अर्थात भारत के बड़े बाजार पर उनका आधिपत्य निश्चित है (3/12)
हम भारतीयों को जब तक कोई खुलकर बेइज्जत नहीं करता तब तक बात समझ मे नहीं आती। विगत माह ब्रिटेन के लीसेस्टर में भारतीय मंदिरों पर पाकिस्तानी मूल के इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हमला किया गया जिसमें अनेकों हिंदुओं पर जानलेवा हमला हुआ। भारत सरकार के बार बार अपील के बावजूद (1/9)
ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन तमाशबीन बनी रही और यही हाल ब्रिटेन की पुलिस का भी रहा जिससे इस्लामिक कट्टरपंथियों को और ज्यादा शह मिली। ज्ञात हो ब्रिटेन की गृहमंत्री भारतीय मूल की ही हैं।
अब यही ब्रितानी गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने भारत के साथ हो रहे व्यापार (2/9)
समझौते को लेकर चिंताएं ज़ाहिर की हैं। सुएला ब्रेवरमैन ने कहा है कि भारत के साथ व्यापार समझौते की वजह से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है जो ब्रिटेन के हित में नहीं है। भारतीय यहां पहले से बहुत अधिक हैं और ये लोग वीज़ा अवधि समाप्त होने के बावजूद यहां (3/9)
ये छठ जरुरी है। धर्म के लिए नहीं। समाज के लिए नहीं। जरुरी है हम और आप के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं। उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है। उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं। उस परिवार के लिये जो टुकड़ो (1/4)
में बंट गया है। ये छठ जरुरी है उस नए बच्चो के लिए जिन्हें नहीं पता की दो कमरों से बड़ा भी घर होता है।
उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है। ये छठ जरुरी है उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है। जो बताता है कि बिना पुरोहित के भी (2/4)
पूजा हो सकती है। जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी प्रणाम करता है। ये छठ जरुरी है गागर निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए। सूप और दउरा को बनाने वालों के लिए।
ये बताने के लिए इस समाज में उनका भी महत्व है। ये छठ जरुरी है उन दंभी पुरुषों के लिए (3/4)
सुबह उठा तो मन उद्विग्न था। पता नहीं चला कि मामला क्या है? तभी याद आया कि आज तो तीस अक्तूबर है। आज ही के रोज अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर की कारसेवा के लिए आमादा कारसेवकों पर गोली चली थी। बत्तीस बरस पहले आज की सुबह मैं अयोध्या में मौक़े पर मौजूद था। उस (1/76)
रोज वहॉं क्या हुआ था। जानिए क्षण प्रति क्षण का हाल। मेरी किताब “युद्ध में अयोध्या” के अंश....
30 अक्तूबर की सुबह अयोध्या डर, आशंका और अनिश्चितता की गिरफ्त में थी। हालात बेकाबू दिख रहे थे। अयोध्या से जुड़नेवाली सभी छोटी-बड़ी सड़कों पर अर्द्धसैनिक बलों के बूट खनक रहे थे। (2/76)
सीमाएँ सील थीं। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने यह ऐलान कर रखा था कि वहाँ परिंदा भी पर नहीं मार सकता। उनकी घोषणा को अमल में लाने के लिए आई.जी. से लेकर थानेदार तक सड़कों पर थे। अयोध्या में चार रोज से कर्फ्यू था। राम जन्मभूमि के दर्शन पर रोक नहीं थी, पर वहाँ किसी को जाने की (3/76)
बड़ी खूबसूरत अभिनेत्री थीं जया भादुड़ी। ऐसी ऐसी कालजयी फिल्में दी कि फिल्मों के इतिहास में उनका नाम अमर हो गया। बाद में अमिताभ बच्चन जैसे सुपर स्टार से ब्याही गईं और उन्हीं के कारण संसद में भी पहुंचीं।
न जाने क्यूं, उम्र जैसे जैसे बढ़ती गई कर्कशा होती गईं। दरअसल रेखा से (1/5)
अमिताभ के संबंधों ने उन्हें कुंठित कर दिया। यह कुंठा उनका स्वभाव बन गई। संसद में थाली में छेद की बात जया की छलनी बनकर आज भी खूब ट्रोल हो रही है।
मुंबई में पपराजी पत्रकारों को रोजाना फटकारते फटकारते वे और भी कुंठित हो गई। कार्यक्रमों में कोई छात्र मोबाइल से तस्वीर लेने (2/5)
लगे तो बेहद फटकारती हैं। अब पपराजी को देखते ही भड़क जाती हैं। उनका गुस्सा उनकी चिढ़ाई बन गया है।
खैर! उनकी मर्जी जैसे चाहें अपना जीवन जियें, लेकिन गत दिवस एक पॉडकास्ट में अपनी बेटी और नातिन के सामने उन्होंने जो कहा उसने शायद अमिताभ, ऐश्वर्या और अभिषेक को भी विचलित कर (3/5)
भारतीय कंपनियां पश्चिमी कंपनियों के पलायन से रूस में उभरी तमाम संभावनाओं को आज भी अनदेखा कर रही हैं, जबकि चीन बहुत तेजी से रूस के उन क्षेत्रों में पाँव पसारने में लगा हुआ है जहाँ पश्चिमी कंपनियों के हटने के कारण एक शून्य पैदा हो गया है। इसमें मेटल उद्योग, ऑटोमोबाइल, (1/7)
सॉफ्टवेयर, फ़ूड चैन फ्रेंचाइजीज, से लेकर लग्जरी-लिविंग प्रोडक्ट्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
पता नहीं ऐसा भारत सरकार की किसी अघोषित नीति के अनुपालन में हो रहा है, या फिर भारतीय बिजनेस हाऊसेज खुद ही पश्चिमी प्रतिबंधों के डर से सुसके हुए हैं, लेकिन जिस रिस्क के डर से हमारी (2/7)
कंपनियां यह भीरुता दिखा रही हैं, वह रिस्क उठाने वाला फैक्टर ही किसी व्यापारी को फर्श से अर्श तक पहुंचाता है।
याद रखें, यह युद्ध अनंतकाल तक नहीं चलेगा, एक न एक दिन यह भी समाप्त हो जाएगा। लेकिन इस अस्थिरता भरे माहौल में भी जिसने रूसी बाजार में उतरने और टिके रहना का साहस (3/7)