5. इस मामले में, #प्रवीण_राउत को मूल रूप से एक #साधारण_नागरिक_विवाद में पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया गया था, जबकि संजय राउत को बिना किसी कारण के इसमें घसीटा गया है।
6. अगर हम यहां ईडी की सुनते हैं और प्रवीण राउत और संजय राउत को निशाना बनाने की #साजिश को जारी रखते हैं,
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तो हमें डर है कि लोगों का न्यायपालिका पर से विश्वास उठ जाएगा, और हम दोनों को जमानत दे रहे हैं, यह रिकॉर्ड करते हुए कि उन्हें यहां #अवैध_रूप_से_गिरफ्तार किया गया है। .
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व्यक्तिगत रूप से मैं ईश्वर और भाग्य के होने ना होने के विवाद में कभी नहीं पड़ता.
जो जन्नत और दोज़ख़ का वज़ूद मानते है उनके साथ मैं भी स्वर्ग नरक में विश्वास करने लगता हूँ, नहीं तो विरोध लेकिन वक़्त और अमाल पर मेरा पुख़्ता यक़ीन है.
संघी महारानी अपने मुक़र्रर वक़्त से रूखसत
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फ़रमा गई और दुनिया का माइशी निज़ाम चलाने वाले राउथचाइल्ड भी91बरस की उमर में फ़ौत हो गये.
न्यू वर्ल्ड ऑर्डर को सुतली वाला पलीता लग गया!
भारत पर इसका क्या असर हो सकता है यह विचारणीय विषय है और लम्बी तथा प्रभावी चर्चा की आवश्यकता भी है लेकिन जिन मूर्ख नेताओं ने अपना और अपने देश का
भाग्य इसके 2030 एजेंडे से बांध लिया था.
थर्ड वर्ल्ड के अपने देशों को और पिछड़ा बना दिया था ( पूँजी का केंद्रीकरण करके , मैत्रिक पूंजीवाद और बैंकिंग का व्यवसायीकरण ) उनके दुर्दिन बहुत शीघ्र आने वाले है.
पटकथा लिखी जा चुकी है क्लाइमेक्स देखने लायक़ होना चाहिए एकदम पैसा वसूल
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गुलामी के एक नए युग की शुरुआत हो गई है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी डिजिटल करंसी की शुरुआत कर दी है हर क्षेत्र की तरह वित्तीय क्षेत्र में हम पर डिजिटलीकरण भी थोपा जा रहा है: बैंक शाखाएं बंद की जा रही हैं, नकदी को पीछे धकेला जा रहा है,
यह समझ लेना जरूरी है कि डिजिटल करेंसी के
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मूल में कौन सा विचार काम कर रहा है..इसके मूल में है...कैश का खात्मा, नकदी लेनदेन को समाप्त कर देना
दरअसल नकदी, यानी कैश ही व्यक्तिगत स्वायत्तता का आखिरी क्षेत्र बचा है..इसमें ऐसी ताकत है जिसे सरकारें नियंत्रित नहीं कर सकतीं,इसलिए इसका खात्मा जरूरी है.जाहिर है,सरकारें हमें असली
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मकसद नहीं बताएँगी क्योंकि इससे प्रतिक्रिया हो सकती है. हमें बताया जाएगा कि यह हमारी ही 'भलाई' के लिए है. अब इस 'भलाई' को चाहे जैसे परिभाषित किया जाए. इसे हमारा फायदा बताकर बेचा जाएगा....."खबरें छापी जाएँगी कि लूट-पाट घटी है. अपराध को अंतिम तौर पर हरा दिया गया है. लेकिन यह नहीं
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बच्चों के लिए एक मनोरंजक पत्रिका आती थी!! नाम था नन्दन!! उसमें एक कॉलम होता था 'दोनों तस्वीरों में दस अंतर ढूंढें'!!
उसको सॉल्व करना बहुत ईजी होता था!
मसलन...चित्रों में अगर इंसान है तो उसके टीशर्ट का रंग देखते थे! इससे फर्क पकड़ में आ जाता था!फिर उसके आस्तीन देखते थे कि पहले
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वाले फोटू में हाफ बाजू है या फुल! उसके अगर कहीं बैंडेज लगा है तो उसको देखते थे कि सिर्फ बैंडेज है या प्लास्टर! ग्लूकोज की बोतल दोनों फोटुओं में लटक रही है या नहीं! बोतलें खाली हैं या भरी! भरी हैं तो उनमें किस कलर की दवाई है! बेड के सिरहाने वाली रॉड स्टील की है या लोहे की!
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लोहे ही है तो उसमें जंग लगा है या नहीं! बेड पर बिछाया हुआ चादर किस रंग का है! अगर फोटो किसी अस्पताल का है तो दो बेड्स के बीच की दूरी कितनी है! तकिया है या नहीं! है तो किधर रखा हुआ है!
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अब क्या हादसे के आरोपीयो को फांसी दे दोगे या उस मरम्मत के ठेकेदार कम्पनी मालिक का घर तोड़ दोगे?जिम्मेदारी किसकी हैं..
वोट के लिये गू CM का इस्तीफा दिला सकते हो?या फिर नगर निगम इंजीनियर, कलेक्टर के तबादले निलंबित करने से इति श्री हो जाएगी,इस सब से क्या सैकड़ो मृतक जिंदा हो जायेगे?
ऐसा लगता है ये एक ही पार्टी के तुष्टिकरण से प्रेम में उस पार्टी के हर गन्दे काम,हर भृष्टचार हर कर्म से प्रेम करने का फल एक राज्य ही नही पूरे देश की जनता भोग रही है ,एक व्यक्ति जिसे भरपूर समर्थन देकर जनता ने चुना है औऱ इसकी कीमत को समय समय पे अपनी जान माल देकर चुकाया हैं ,
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एक पार्टी के तौर पे तुम तो इतने काइया हो, इसकी वजह एक वर्ग की साजिश को भी बता दोगे , हो सकता है विपक्ष की साजिश करार दे दो, औऱ चुनाव में नफरत फैला के इसका भी फायदा उठा कर चुनाव जीत लो , कोर्ट में फैसला तो होता रहेगा,
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