#ऐसा कोई मूलनिवासी समाज का सामाजिक समूह नही... जो BAMCEF से जुडा नही|
#ऐसा कोई मूलनिवासी समाज का सामाजिक समूह नही... जिसका राष्ट्रीय स्तर का संगठन नही|
#नोट:- मा.वामन मेश्राम साहेब ने मूलनिवासी समाज के प्रत्येक सामाजिक समूह का, महिलाओ का, अल्पसंख्यको का विद्यार्थी, युवा, बेरोजगार, किसान, समस्त व्यवसाय से जुडे हुए इन सबका राष्ट्रीय स्तर का संगठन
बनाकर जिला स्तर से लगाकर राष्ट्रीय स्तर तक कैडरबेस कार्यकर्ताओ एवम नेतृत्व का निर्माण किया है|
#ऐसा कोई राष्ट्रीय स्तर की समस्या, मुद्दा, ब्राह्मणो का सडयंत्र, न्यायपालिका-विधायिका-चुनाव आयोग, मीडिया के द्वारा किये गए सडयंत्र नही... जिसका BAMCEF (वामन मेश्राम साहेब) ने पर्दाफाश
किया नही|
#ऐसा कोई मूलनिवासी समाज का सामाजिक समूह नही... जिसके साथ इतिहास मे ब्राह्मणो के द्वारा की गई धोखेबाजी का BAMCEF ने पर्दाफाश किया न हो|
#ऐसा कोई मूलनिवासी समाज का सामाजिक समूह नही... जिनके संविधान मे मिले अधिकारो को लागू करने के लिए की गई धोखेबाजी का पर्दाफाश मा.वामन
मेश्राम साहेब ने नही किया हो|
#ऐसा कोई मुद्दा, समस्या, महापुरुष, शासक जातियो के द्वारा मूलनिवासी समाज के विरोध मे बनाई गई नीतियो पर... जिन पर मा.वामन मेश्राम साहेब ने पुस्तक न लिखी हो|
#नोट:- समस्त विषयो पर चर्चा करके पर्दाफाश किया गया है उसके वीडियो #Youtube पर उपलब्ध है और
पुस्तके MPTमूलनिवासी पब्लिकेशन ट्रष्ट--पुणे मे व BAMCEF के प्रत्येक State ऑफिस मे उपलब्ध है|
-एच.एन.रेकवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष,
RAEPराष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद, नई दिल्ली.
*एलन मस्क भी बुद्ध को बेहद चाहता है| इलोन मस्क बुद्ध के मध्यम मार्ग का अनुयायी हैं|*
*मनुष्य के जीवन का उद्देश्य क्या है? क्या केवल बच्चे पैदा करना और अपने वर्चस्व के लिए साधनो का दुरूपयोग करना, यही मनुष्य जीवन का उद्देश्य है? बुद्ध ने मनुष्य जीवन को
प्राणी जीवन से उन्नत समझा है, जिसमे विनाश और क्रुरता की बजाए जीवो का सम्मान और खुशहाली को जादा महत्व है| विज्ञान का इस्तेमाल विनाश के लिए करना मुर्खतापूर्ण होगा, विज्ञान के साथ धम्म की नैतिकता तथा मानवता जोडने पर ही धरती पर वैश्विक बंधुत्व और स्वर्ग जैसा खुशहाल जीवन बनाने मे हम
सफल हो सकते है| बुद्ध के इन्ही विचारो से एलन मस्क अत्यंत प्रभावित हैं|*
मराठा-ओबीसी-बौद्ध जागरूकता सम्मेलन
छत्रपती शिवाजी महाराज के दूसरे राज्याभिषेक के अवसर पर छत्रपति क्रांति सेना, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा और बुध्दिस्ट इंटरनॅशनल नेटवर्क के सहयोग से 03नवंबर 2024 (रविवार) को सुबह 11:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक
स्थान: रामचन्द्र हॉल, बीड बाईपास, एमआईटी कॉलेज के सामने, छ.संभाजीनगर
#WamanMeshram
#महत्वपूर्ण_सूचना👈
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संपर्क सूत्र:- 9822990120
महत्वपूर्ण सूचना:
"छत्रपति शिवाजी महाराज का बौद्ध धर्म से संबंध" के शीर्षक का एक एतिहासिक शोधग्रंथ 24 सितंबर के दिन प्रकाशित होने जा रहा है। भाजपा प्रणित सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रथम राज्याभिषेक के नाम पर उनका ब्राम्हणीकरण कर रहे है।लेकिन द्वितीय राज्याभिषेक अर्थात दूसरे
अवैदिक तांत्रिक शाक्त राज्याभिषेक के 350वर्ष पर चुप्पी साधे हुए है।इस दूसरे राज्याभिषेक पर भी यथोचित चर्चा,संगोष्ठी करनी चाहिए।लेकिन फडणवीस को चर्चा से डर लग रहा है।इससे मराठा तथा देशभर के कुर्मियो को शाक्त परंपरा क्या है उसका संदर्भ और अर्थ क्या है इसके बारे में लोग चर्चा करेंगे
और वास्तविक इतिहास को ढूंढेंगे। महाराष्ट्र सरकार इस दूसरे शाक्त राज्याभिषेक की भयंकर उपेक्षा कर रही है।लेकिन डा.विलास खरात और डा. प्रताप चाटसे जी ने इस विषय पर यह शोधग्रंथ लिखा है। यहां पर विषय सूची (अनुक्रमणिका)भी प्रस्तुत की जा रही है।इसपर नजर डालेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह
*सर जेम्स प्रिंसेप ने धम्म लिपि को पढ़ लिया| उनके इस महान कार्य के कारण सम्राट अशोक और तथागत बुद्ध के एतिहासिक, पुरातात्विक प्रमाण सामने आए और भारत की वास्तविक पहचान बौद्ध भारत के रूप मे दुनिया ने जान ली|*
*आज जेम्स प्रिंसेप जी की 225वीं जन्मजयंती है| आज सांम को 8 बजे Live आकर
उनके जन्मजयंती पर कुछ महत्वपूर्ण बात रखूंगा|*
*जेम्स प्रिंसेप जी के जन्मजयंती को ही ध्यान मे रखकर आज दैनिक जागरण मे शिवकांत शर्मा नामक ब्राह्मण ने एक शरारत पूर्ण लेख लिखा है| उसपर साइंस जर्नी पर हम एक डिबेट करवाने वाले है और चर्चा के लिए शर्मा को ही बुलाने वाले है, देखते है कि
वह आता है या भाग जाता है| आज शर्मा के मुद्दे पर जरूर बोलूंगा उसने लिखा है कि ब्राह्मण और बौद्ध धर्म मे कभी भी झगड़ा या संघर्ष ही नही हुआ है|*
*BBC ने शिवकांत शर्मा को संपादक के तौर पर क्यो रखा था इसके संदर्भ मे बीबीसी को मैं एक खत भी लिखूंगा|*
विषय- OBC की जाति आधारित जनगणना किये बगैर उनके संवैधानिक सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक, राजकीय हक अधिकारो को दिलाना मुमकिन नही--- एक
गंभीर चर्चा
अथवा
कोई भी महान कार्य अकेले नही किया जा सकता, महान कार्य करने के लिए एक विशाल जनशक्ति का निर्माण करना पडता है, यह राष्ट्रव्यापी संगठन से ही संभव है--- एक चर्चा
■अपील- मूलनिवासी बहुजन समाज के सामाजिक कार्यकर्ताओ, बुद्धिजीवियो, अधिकारियो, डॉक्टरो, इंजीनियरो, वकीलो,