हिन्दू कल भी मरा था हिन्दू आज भी मर रहा है...
१९८९ से अबतक हिन्दुओं के हालात पर एक नजर डालते हैं..
*१९८९-९० में कश्मीरी पंडितों की लड़कियों की इज्जत लूटी गई. कश्मीरी हिन्दुओं को या तो मार दिया गया या फिर कश्मीर से
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खदेड़ दिया गया...
उसी समय "मंडल कमीशन" लाकर १९९० में तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा हिन्दुओं के बीच जहर भरने के बाद कई ऊँची जाति वाले हिन्दुओं ने आत्मदाह किया और कई को गोली मार दी गई...
*बाबरी के वक़्त मुलायम सिंह के द्वारा ने कई हजार हिन्दुओं को गोली मरवा
दी गयी,जिसमें बूढ़े और औरते भी शामिल थे…
*हैरानी की बात तब हुई जब उसी समय एक छोटा या पिद्दी देश बॉग्लादेश में बाबरी विध्वंस के विरोध में मुल्ले हिन्दुओं की लड़कियों की इज्जत लूट रहे थे... जगह-2 मंदिरों को ढहाया जा रहा था और हिन्दुओं को भारत भागने का हुक्म जारी किया गया था और
हिन्दुओं को यहॉ आकर शरण लेना पड़ा...
कई धर्मांतरण करके जबरन मुसलमान बना दिए गये थे और कई हिन्दु लड़कियॉ को मुस्लिमों ने जबरन अपने हरम में रख लिया था...
*इस बात का ना तो मानवाधिकार आयोग ने विरोध किया ना ही विश्व विरादरी ने😡😡😡
*मुलायम सिंह भी उप्र में हिन्दुओं पर गोलियॉ चलवा
रहा था, ताकि पाकिस्तान , बॉग्लादेश और उप्र के मुस्लिमों को यानी अपने वोटबैंक को खुश किया जा सके...
*ना जाने ये कैसा अनर्थ था कि अनगिनत हिन्दू अपने ही देश में मारे जा रहे थे...
* इस घटना के बाद दाऊद द्वारा प्रायोजित मुंम्बई बम कांड में कई हजार हिन्दू मारे गये...
* इस बीच १९८९-२००४ के बीच हजारों हिन्दू बिहार में लालू सरकार के राजनीतिक बिसात में मारे गये... कभी रणबीर सेना के नाम पर तो कभी एमसीसी के नाम पर...
* सन् २००२ में मुसलमानों ने गुजरात के गोधरा में कई हिन्दू औरतो और बच्चों को साबरमती एक्सप्रेस में जलाकर मार दिया...
जिसका प्रतिशोध पहली बार हिन्दुओं ने किया था***
जिसके नाम पर कई जॉच बैठे और मानवाधिकार और मीडिया वाले खूब छाती पीटे...
क्योंकि पहली बार मुसलमानों को सबक सिखाया गया था***
*आसाम और केरल से हिन्दुओं को मार भगाया गया...
आज इन राज्यों में हिन्दू अल्पमत है. मुसलमान परस्त मुलायम
सरकार को यादव और मुसलमान मिलकर कंधा देते रहे और हिन्दूओं की बड़ी आबादी आज भी खुद को असमर्थ पा रही है...
*हिन्दुत्व का पक्ष लेने वाली एक मात्र बीजेपी पार्टी को हर रोज मीडिया निशाना बनाती है...
दूसरी पार्टियॉ हर रोज ताना मारती हैं,गलती सिर्फ ये है कि बीजेपी
हिन्दुओं की आवाज उठाती है...
मैं नहीं मानता कि हिन्दू बहुसंख्यक हैं भारत में…
पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दुओं जैसा हाल है इनका...
आने वाले वर्षों में भारत में हो रही
ये तुच्छ मानसिकता वाली राजनीति हिन्दुओं को लील जाएगी और शायद ये हिन्दू इतिहास में दफन हो जाएँगे***
सिर्फ और सिर्फ अपनी-अपनी मैं के कारण यदि ये खत्म नहीं हुई तो😡😡😡
साभार:-
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☝️एक बात बताइए,आपने ऐसी कितनी घटनाएं देखी व सुनी हैं...
☝️जिसमें बलात्कारी,अपहरणकर्ता या हत्यारा भी मुस्लिम है और पीड़िता भी मुस्लिम है❓
☝️ऐसा क्यूं है कि हर बार कोई गैर मुस्लिम ही इनका शिकार होता है❓
☝️क्या ये कोई साजिश नहीं है❓
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☝️यदि मान लिया जाए कि हवस की आग में आदमी बलात्कार करता है*
☝️तो वो काफि₹ को ही क्यों ढूंढ़ता है❓
☝️आग तो आग होती है ना❓
☝️यदि प्यार एक अंदर की भावना है,ये जात-मजहब देख के नहीं होती*
☝️तो लगभग हर बार ये तथाकथित "प्यार" एक हिन्दू लड़की को मुस्लिम से ही क्यूं होता है❓
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☝️तो बहनों-भाईयो आप सभी के पास समय बहुत कम है,
☝️अपराध का मजहब देखना शुरू कीजिए नहीं तो भविष्य में दुनिया के नक्शे में आपके अस्तित्व को ढूंढ़ना तक मुश्किल होगा
☝️ये तथाकथित भाईचारा और गंगा-जमुना तहजीब वाले आपको एकतरफा प्यार मोहब्बत सिखाकर के आपको "स्लो प्वाइजनिंग" दे रहे हैं
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सब कितना बढ़िया चल रहा था*
हिन्दू मजारों पर चादर चढ़ाता था,कभी-2 गोवा के चर्च भी चला जाता था और मंदिरों के रखरखाव की बुराई करता था! अपने देवी देवताओं पर बने जोक्स सुनता सुनाता था!
बॉलीवुड की फिल्मो में अपने रीति रिवाजों,संस्कारों की धज्जियां उड़ते देख बुरा भी नहीं मानता था!
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अपने ईश्वर के स्वरुप का मजाक बनते देखकर भी शांत ही रहता था! अपने आराध्य भगवान श्रीराम के मंदिर की जगह हॉस्पिटल बनाने को भी सही मानता था!
सब कितनी ख़ुशी ख़ुशी मिलजुल कर रह रहे थे***
फिर अचानक एक दिन हिन्दू को आत्मसमान का ज्ञान हुआ! उसने बाकी धर्मों की तरह अपने देवी-देवताओं
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के बनते मजाक पर सवाल उठाया, बवाल मचाया!
अपने मंदिरों में दान,पुण्य और सेवा शुरू की!
कोई एक मारे तो उसका दो से जवाब दो वाली रणनीति अपना ली!
तो बस फ़ैल गया जातिवाद, इनटॉलेरेंस और डर का माहौल!
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☝️एक जंगल में भेड़ियों का आतंक था...
☝️भेड़िए हिरणों का सरलता से शिकार कर लेते थे...
☝️हिरणों की बैठक हुई...
☝️शिकार से बचने के लिए हिरणों को तेज दौड़ना सिखाने पर सहमति बनी...
☝️भेड़िए भी ट्रेनिंग लिए हुए जन्म से शिकारी थे...
☝️भेड़ियों ने फिर भी हिरणों का शिकार कर लिया...
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☝️पुनः हिरणों के झुण्ड की बैठक हुई...
☝️हिरणों को भेड़ियों के प्रति और जागरूक करने पर सहमति बनी...
☝️हिरणों को भेड़ियों से दूरी रखना, चौकन्ना रहना सिखाया गया...
☝️भेड़िये भी प्रशिक्षित थे...
☝️हिरणों का शिकार होना नही रुका...
☝️अंततः हिरणों ने निर्णायक बैठक की...
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☝️इस बार शिकारी से बचने की जागरूकता के साथ हिरणो को शिकार करने की बात पर सहमति बनी...
☝️हिरणो को अहसास दिलाया गया तुम्हारे पास भी दो सींग है.
☝️भेड़ियों ने जैसे ही हिरण को शिकार बनाने की कोशिश की हिरणो के झुण्ड ने भेड़िये का शिकार कर लिया...
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गाँव में एक बहुत बड़ी हवेली थी... या, यूं कहें कि पहले हवेली बसी... उसके बाद ही पूरा गाँव बसा.
हवेली के दूरदृष्टा पूर्वजों ने पूरे गाँव में महान परम्पराएँ बसाई...
भाषाएँ विकसित की...
इंसानों जैसा जीना सिखाया...
वैज्ञानिक सोच दी...
चिकित्सा के तरीके बताए.
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लेकिन, जैसा कि.. हर गाँव में होता है..
कालांतर में... गांव के दो चार घर काले धंधे की कमाई से बड़े हो गए..
मंजिलें चढ़ गयीं , मोटरसाईकल आई , ट्रेक्टर आया , फ़ोन आ गया.
लेकिन... पैसे से कभी अकल आते देखी है ???
अक्ल... ना आनी थी और न ही आई.
तथा, सोच... वहीं की वहीं रही...
वही दकियानूसी कबीलाई.
गांव की वो आलीशान हवेली अब इन "नवधनाढ्यों" को आँखों में चुभने लगी क्योंकि उन्हें लगने लगा कि...
"जब तक गांव में ये हवेली रहेगी तब तक गाँव में हमें कभी इज्जत नहीं मिल पायेगी".
इसीलिए, वे सोचने लगे कि.... गाँव में वर्चस्व स्थापित करने का एक ही रास्ता है
☝️हमारे पूर्वज भेड़िए को भेड़िया ही समझते थे,इसलिए भेड़िए से या तो दूर रहते थे या हाथ में तलवार लेकर मिलते थे, इसलिए सुरक्षित थे समय-समय पर भेड़िए से भिड़ंत भी हो जाती थी और कभी कभी भेड़िया बाजी भी मार ले जाता था जिससे जन-धन की हानि तो होती थी पर मूल सदैव
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सुरक्षित रहा कारण कि "हम चाहे हारते या जीतते पर भेड़िए को भेड़िया ही समझते थे"...
☝️समय बीता और कुछ लोमड़ियों ने भेड़िए के साथ मित्रता गांठी और उच्छिष्ट मांस में अपना हिस्सा निर्धारित कर लिया,
☝️लोमड़ी और भेड़िया गठजोड़ हमारे मध्य अच्छे भेड़िए का शगूफा छोड़ने में सफल रहा तभी से
हम अच्छे और बुरे भेड़िए के विभेद में उलझ गए और भेड़ियों के शिकार होकर सिमटने लगे कालांतर में लोमड़ी-भेड़िया गठजोड़ और प्रभावी हुआ और नाना प्रकार के भेड़ियों की संकल्पना रची गई जैसे की गरीब भेड़िया, अनपढ़ भेड़िया, भटका हुआ भेड़िया आदि आदि…
☝️एक थे सर्वनिंदक महोदय,बोले तो निंदा गजब की करते थे,
☝️हमेशा दूसरों के काम में टाँग फँसाते थे...
☝️अगर कोई व्यक्ति मेहनत करके थोड़ा सा सुस्ताने के लिए भी बैठता तो कहते कि "मूर्ख एक नम्बर का कामचोर है"
☝️अगर कोई काम करते हुए मिलता तो कहते कि "ये मूर्ख जिंदगी भर काम
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करते हुए मर जायेगा"
☝️यदि कोई पूजा-पाठ में ज्यादा रुचि दिखाता तो कहते कि "पूजा-पाठ के नाम पर देह चुरा रहा है,ये पूजा-पाठ के नाम पर मस्ती करने के अलावा कुछ कर ही नहीं कर सकता"
☝️अगर कोई व्यक्ति पूजा-पाठ नहीं करता तो कहते कि"ये मूर्ख तो नास्तिक है,भगवान से कोई मतलब ही नहीं है
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मरने के बाद पक्का नर्क में जायेगा"
☝️यानी कि कहा जाए तो जाने-माने निंदा के इतने पक्के शातिर खिलाड़ी बन गये कि एक महोदय ने एक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हलवाई के पास इनकी खबर पहुँचा ही दिया,
☝️उस हलवाई कहा कि उन्हें हमारे यहाँ भोजन पर आमंत्रित कीजिए...
☝️वह महोदत तुरंत हलवाई का
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