देश मे देश के मूलनिवासीयो की संपूर्ण आजादी के लिए लड रहा एकमेव नेतृत्व महानायक Waman Meshram साहेब को उनके 66वें जन्मदिन की वर्षगांठ पर उन्हे बहोत बहोत बधाई और प्रकृति से यही प्राथना की उनकी आयु बहोत स्वस्थ और लंबी हो #मूलनिवासीयो_की_जय_हो💪
जब 18साल 3महीने का था तबसे लेकर आज 66साल का हुआ तबतक लगातार मूलनिवासीयो के लिए वामन मेश्राम साहेब का सफर,
पूरी जिंदगी लगाई है पूरी जबानी दे दी है, ऐसे ही नही बना है ये महाविशाल कारवां #बामसेफ_भारतमुक्तिमोर्चा का👈
ब्राह्मणवाद को प्रतिस्थापित करने के लिए आधुनिक भारत मे जो RSS बनाया उसके द्वितीय सरसंघचालक गुरु-गोलवलकर ने RSS के प्रमुख पदाधिकारियो को निर्देश देने के लिए एवम RSS के उद्देश्य को पूरा करने के लिए जो पुस्तक 'बंच ऑफ थोट' लिखी है उसमे पिछडी जातियो के सत्यानाश
के लिए क्या क्या निर्देश है? उसका जिक्र सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज साहब सार्वजनिक रूप से कर रहे है|
जरा विचार करे?
ब्राह्मणो के पुरखो ने जो शास्त्र संस्कृत मे लिख रखे है उनमे ब्राह्मणो के पुरखो ने हमारे सत्यानाश करने के लिए ब्राह्मणो को क्या क्या निर्देश दे रखे होंगे?
बाबासाहेब
ने सबसे पहले संस्कृत भाषा का अध्ययन किया, फिर ब्राह्मणो के धर्म शास्त्रो का अध्ययन किया तब मूलनिवासियो की तबाही और बर्बादी के कारणो के बारे मे जानकारी प्राप्त हुई तो, बाबासाहेब अम्बेडकर ने मनुस्मृति को सरेआम 25दिसम्बर1927 को जलाया था|
ब्राह्मणो के धार्मिक, सामाजिक एवम राजनीतिक
22नवंबर👉झलकारी बाई जन्मजयंती
वीरांगना झलकारी बाई कोरी (जन्म;22/11/1830-मृत्यु;04-04/1858) झांसी की ब्राह्मण रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना मे महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थी| वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थी इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश मे भी युद्ध करती थी|
अपने अंतिम समय मे भी वे रानी के वेश मे ही युद्ध करते हुए अंग्रेजो के हाथो पकडी गयी और रानी को किले से भाग निकलने का अवसर मिल गया| उन्होने प्रथम स्वाधीनता संग्राम मे झांसी की रानी के साथ ब्रिटिश सेना के विरुद्ध अद्भुत वीरता से लडते हुए ब्रिटिश सेना के कई हमलो को विफल किया था| यदि
लक्ष्मीबाई के सेनानायको मे से एक ने उनके साथ विश्वासघात न किया होता तो झांसी का किला ब्रिटिश सेना के लिए प्राय: अभेद्य था| झलकारी बाई की गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोकगाथाओ और लोकगीतो मे सुनी जा सकती है| भारत सरकार ने 22जुलाई2001 मे झलकारी बाई के सम्मान मे 4रुपये का एक डाक टिकट जारी
सोशल भांड मीडिया और वाट्सअप विश्वविद्यालय से ज्ञान प्राप्त लोगो का एक ही प्रश्न होता है कि गौतम बुद्ध से पूर्व बौद्धिक व्यवस्था नही थी, इसलिए उनके पूर्वज लोग बौद्धिक नही ब्राह्मणी व्यवस्था के अनुयाई थे!
भाई जिस प्रकार शारीरिक रूप से विकलांग अंधे व्यक्ति के जीवन मे सूर्योदय नही
होता है, उसी प्रकार मानसिक रूप से विकलांग अंधभक्त व्यक्ति के जीवन मे भी सच्चोदय नही होता है|
पोस्ट के साथ बुद्ध कालीन लिखावट मे चार अभिलेख संलग्न है, जिसमे चार_बुद्धो का नाम लिखा है, जो सभी गौतम बुद्ध से पूर्व हुए थे|
भगवतो ककुसंधस बुधे, भगवतो विपसीनो बोध, भगवतो कसपस बुधे, भगवतो
कोनागमनस बुधे |
अब जब प्रमाण बुद्धो का है तो व्यवस्था भी बुद्धो का ही होगा न | भारत भूमि बौद्धिक_सनातन_संस्कृति की भूमि रही है| भारत भूमि बौद्धिक_वैदिक लोगो की भूमि रही है| (बौद्धिक वैदिक का अर्थ=अनुभव द्वारा ज्ञान प्राप्त लोगों की भूमि रही है|)
त्यागमूर्ति राम लखन चंदापुरी जी का जन्म 20नवंबर1923 को उनके ननिहाल ग्राम बसुहार, तालुका पुनपुन, जिला पटना, बिहार मे हुआ था, किन्तु उनका पैतृक घर ग्राम चंदा, तालुका अथमलगोला, जिला पटना मे था, इसलिए अपने पैतृक गांव के नाम अनुरूप उन्होने अपना उपनाम
"चंदापुरी" रखा था| उनके पिता महावीर सिंह एवं माता हीरामणि कुँवर कुर्मी जाति के किसान थे|
जिस प्रकार कार्ल मार्क्स और साम्यवाद एक दूसरे के पर्यायवाची है, उसी प्रकार राम लखन चंदापुरी जी और पिछडा वर्ग आंदोलन एक दूसरे के पर्याय है| वे भारत के सभी एससी-एसटी, ओबीसी और इनसे धर्म
परिवर्तित अल्पसंख्यको को पिछडा मानते थे| देश की आजादी के साथ ही विषमतावादी व्यवस्था के खिलाफ राष्ट्रव्यापी पिछडा वर्ग आंदोलन छेडने के लिए उन्होने पिछडे वर्ग के कुछ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो के साथ मिलकर 10सितंबर1947 को 'बिहार प्रांतीय पिछडा वर्ग संघ' की स्थापना की थी, जो बाद मे
प्रबोधनकार केशव सीताराम ठाकरे (जन्म;17सितम्बर1885 - मृत्यु;20नवम्बर1973)
महाराष्ट्र के एक सत्यशोधक आंदोलनकर्ता और प्रभावी लेखक थे| शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे उनके पुत्र और उद्धव ठाकरे उनके पौत्र (भूतपूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र) है| वे अंधविश्वास और b5w संशोधक आदि विशेषताओ
से परिपूर्ण थी| वह कायस्थ (चिटनीस/टिपनिस/ सिन्हा/ श्रीवास्तव/ अस्थाना/ खरे) जाति से (बामनो की वर्णव्यवस्था मे शुद्र वर्ण के) है, उनके सम्मान मे भारत सरकार ने 19मई2002 को एक 04रुपये का डाक टिकट जारी किया|
"अच्छे ब्राह्मण गोबर मे गिरे हुए मुंगफली के दाने जैसे है, जिन्हे खाना है, वह उठाकर खा सकते है, हमे उनकी जरुरत नही|"
सत्यशोधक विचारवंत प्रबोधनकार केशव सिताराम ठाकरे जी के 49वें स्मृतिदिवस पर उन्हे विनम्र अभिवादन|
जब देश के बडे-बदे राजा-महाराजा अंग्रेजो के तलवे चांट रहे थे, तब मैसूर के टाईगर टिपू सुल्तान अंग्रेजो के और ब्राह्मणवाद का खात्मा करने के लिए विदेशी ब्राह्मण पेशवाओ के भी विरोध मे जंग-ए-मैदान मे लड रहे थे|
मैसूर के टाईगर टिपू सुल्तान जी के 272वें जन्मजयंती के अवसर पर देश के सभी मूलनिवासी बहुजनो को बहोत बहोत बधाई|
टीपू सुल्तान (जन्म;20नवम्बर1750 - मृत्यु;04मई 1799) के पिता हैदर अली (1721 - 1782) मैसूर (वर्तमान कर्नाटक) साम्राज्य के सेनापति थे जो बाद मे अपनी ताकत से वहाँ के शासक
बने| हैदर अली ने द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1780-1784) मे 06दिसंबर1782 को अंग्रेजो से लडते हुए वीरगति पायी| टीपू ने अपने पिता की मृत्यु के बाद मैसूर सल्तनत पर लगभग 17साल हुक़ूमत की| उन्हे रॉकेट का जनक और शेर-ए-मैसूर कहा जाता है| उन्होने बहुपति विवाह पर कडाई से रोक लगायी| उनकी एक