जब मुस्लिम स्त्रियों में फेमनिज्म जागता है तो वे हिजाब जैसे दमघोंटू लिबास का भी परंपरा के प्रति गर्व के साथ समर्थन करती हैं।
जब हिंदू लड़कियों में फेमनिज्म जागता है तो सिंदूर, बिंदी, मंगलसूत्र और यहाँ तक कि साड़ी भी पितृसत्ता का दमन नजर आने लगती है।
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कोई मुस्लिम फेमनिस्ट पूरे इस्लामिक इतिहास की धुर जानकार होने के बावजूद अपनी बहू जैनब व छः साल की बच्ची के साथ निकाह करने वाले अपने पैगम्बर के खिलाफ कभी भी एक शब्द नहीं बोलती।
हिंदू फेमनिस्ट मोहतरमाएँ वेद उपनिषद तो छोड़िये रामायण व महाभारत का अध्ययन करे बिना राम, कृष्ण, (2/10)
युधिष्ठिर व भीष्म जैसे उदात्त चरित्रों की गाड़ी भर भरकर ऐसे निंदा करेंगी कि ये चरित्र महापुरुष तो छोड़िये सामान्य मानव से भी गये गुजरे दिखते हैं।
कोई भी मुस्लिम फेमनिस्ट कभी भी इस्लाम को अपनी पहचान मानना बंद नहीं करती और उसे जीवन के हर पहलू में अमल में लाती है।
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हिंदू फेमनिस्ट हिंदुत्व को एक पिछड़ी सोच मानती हैं इसलिए प्रायः 'मेरा धर्म तो इंसानियत है।' का नारा बड़े जोर शोर से बुलंद करती हैं।
कितनी भी फेमनिस्ट हो मुस्लिम लड़की या तो अपने मजहब से बाहर शादी करेगी नहीं, करेगी तो लड़के को इस्लाम कुबूलवाने की कोशिश करेगी और ये भी न (4/10)
हो सका तो अपनी मजहबी पहचान को बनाकर रखेगी और हिंदू पति से पैदा संतान को वैचारिक नपुंसक बनाकर इस्लाम की ओर धकेलेगी।
हिंदू फेमनिस्ट लड़की किसी अब्दुल या असलम की मुहब्बत में पड़ते ही पैरों पड़ते माँ बाप को लात मारकर और अपनी संस्कृति से विश्वासघात करके कलमा पढ़ लेगी और कल तक (5/10)
साड़ी को भी पुरुष दमन का प्रतीक मानने वाली तुरंत हिजाब और बुर्का ओढ़ लेगी।
मुस्लिम फेमनिस्ट लड़कियाँ इतनी आत्मविश्वासी होती हैं कि वे कभी हिंदुओं से तुलना नहीं करतीं।
मुस्लिम फेमनिस्टों की वॉल पर वाह वाह करने वाली हिंदू फेमनिस्ट महिलाओं का प्रिय डायलॉग होता है कि हम अपने (6/10)
धर्म का सुधार पहले करेंगी।
मुस्लिमों में फेमनिज्म वैसे तो है नहीं और यदि है भी तो उनसे एकाध निकलने वाली महिलाएं इस्लाम की बेहतरीन जानकार होती हैं।
कॉलेज कैम्पस, कनॉट प्लेस, चौपाटी और फेसबुक पर झुंडों में घूमती हिंदू बकरियां मिल जाएंगी जिन्हें मिमियाने और हिंदू परंपराओं (7/10)
के विरुद्ध फेमनिज्म की मींगनी करने के अलावा कुछ भी नहीं आता।
यही कारण है कि...
जब मुस्लिम स्त्रियों में फेमनिज्म जागता है तो आरफा खानम शेरवानी, शेहला रशीद जैसी कट्टर इस्लामिक स्त्रियाँ परिदृष्य में आती हैं और मुस्लिम आइडियोलॉजी की प्रचारक पैदा होती हैं।
जब हिंदू (8/10)
स्त्रियों में फेमनिज्म जागता है तो मैत्रेयी पुष्पा, संजुक्ता बासु और अणुशक्ति जैसी हिंदुत्व विरोधी, इस्लाम चाटू फेमनिस्ट नमूनी सामने आती हैं।
निष्कर्ष: फेमनिज्म हिंदुत्व के विरुद्ध वामपन्थियों का सबसे घातक हथियार सिद्ध हुआ है।
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अपवाद हर सिद्धांत के होते हैं अतः व्यक्तिगत न लें।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री. हरीश साल्वे की चेतावनी।
ध्यान से पढ़ें। एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश।
नवंबर में बीजेपी को राज्यसभा में बहुमत मिलेगा और 25 दिसंबर से 31 मार्च के बीच 25 नए बिल पास होंगे जिनमें सबसे अहम बिल जनसंख्या नियंत्रण बिल होगा।
याद रखें कि यह (1/10)
आपके जीवन का सबसे कठिन समय होगा। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वे अभी से तैयारी करें। अपने आसपास के लोगों से अवगत रहें। उन्हें समझाएं कि उस समय हमें बहुत ही चतुराई और सावधानी से काम लेना चाहिए। सबसे अहम बात यह है कि हम ऐसे समय में अपने परिवार और समाज के लोगों को सुरक्षित (2/10)
रखना चाहते हैं। इसके लिए तैयारी न करने से बड़ा हादसा हो सकता है।
एक बार इन सभी बिलों के पारित हो जाने के बाद, देश भर में एक बार में एक बड़ा गृहयुद्ध छिड़ सकता है। आप तैयार हों या न हों, विरोधियों की तैयारी भारी पड़ रही है। उनकी तैयारियों के नमूने दिल्ली और बेंगलुरु में (3/10)
पूरे विश्व मे ये पहला उदाहरण है। दुनिया चकित है, केरल के महाज्ञानी छात्रों के नम्बर देख कर।
आज TV पर बताया गया कि केरल बोर्ड से 100% नम्बर लेकर आये 4000 से ज्यादा छात्र छात्राओं ने दिल्ली वि वि मे फार्म भरा जिसमे एक ही कॉलेज मे, (1/9)
इतिहास मे 38, भूगोल मे 34, गणित मे 45, बायोलॉजी मे 51, अंग्रेजी मे 50 बच्चों को एडमिशन मिला। जितने भी केरल के छात्रों ने फार्म भरा सब के सब दाखिला पा गए। ये एक कॉलेज का परिणाम था बाकी चार हजार को भी अन्य कॉलेज मे दाखिला मिलना तय है।
गौर तलब है कि गणित मे तो समझ मे आता (2/9)
है की 100% नंबर मिल सकते हैं, पर इतिहास, भूगोल, बायोलॉजी, और भाषा मे 100% नम्बर तो नामुमकिन ही है।
इस बहुत बड़े जिहाद घोटाले को पकड़ा दिल्ली वि वि के प्रोफेसर राकेश पांडेय ने प्रो.पांडेय 2016 से ही इस बात पर गौर कर रहे थे, पर उनकी बात वि वि प्रशासन और मुख्य मंत्री तक ने (3/9)
मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने से होने वाले दुष्परिणाम कुरान के अनुसार विश्व दो भागों में बँटा हुआ है। देशो की सीमाओं को देखने का इस्लामिक नज़रिया कहता है कि विश्व में कुल मिलाकर सिर्फ़ दो खेमे हैं, पहला दार- उल- इस्लाम (यानी मुस्लिमों द्वारा शासित) और (1/23)
दार-उल-हर्ब (यानी “नास्तिकों” द्वारा शासित)।
उनकी निगाह में नास्तिक का अर्थ है जो अल्लाह को नहीं मानता, क्योंकि विश्व के किसी भी धर्म के भगवानों को वे मान्यता ही नहीं देते हैं। इस्लाम सिर्फ़ एक धर्म ही नहीं है, असल में इस्लाम एक पूजापद्धति तो है ही, लेकिन उससे भी बढ़कर (2/23)
यह एक समूची “व्यवस्था” के रूप में मौजूद रहता है और जीवन के हर क्षेत्र पर पूरा कब्ज़ा करने की चेष्टा करता है। इसका मूल उद्देश्य है नारी व् कमजोर वर्ग का शोषण करके मर्द के जीवन को अय्याशी से भरपूर रखना क्योंकि इसका जनक एक अय्याश पुरुष मोहम्मद था। इस्लाम की कई शाखायें जैसे (3/23)
अमेरिकी वामपंथी नारीमुक्ति एक्टिविस्ट केट मिलेट की बहन मैलॉरी मिलेट अपने एक बहुचर्चित लेख में अपनी बहन को कुछ इस तरह याद करती है...
जब मैलॉरी स्कूल की पढ़ाई खत्म करके जा रही थी तो उसकी एक टीचर ने उससे पूछा कि आगे उसका क्या करने का इरादा है? उसने जवाब दिया (1/18)
कि वह यूनिवर्सिटी जा रही है।
उसकी टीचर दुखी हो गई। उसने कहा, इसका मतलब तुम चार साल बाद एक नास्तिक और कम्युनिस्ट बनकर निकलोगी।
तब लड़कियों का झुंड इस बात पर हँस पड़ा और यह सोचते हुए वहाँ से गया कि यह कितनी दकियानूसी औरत है।
पर वह यूनिवर्सिटी गई और चार साल बाद बिल्कुल वही (2/18)
बनकर लौटी, कम्युनिस्ट और नास्तिक। अपनी बड़ी बहन केट की तरह, जो छह साल पहले वहाँ से लौटी थी।
खैर, कई साल बाद वह दक्षिण पूर्व एशिया से लौटी जहाँ वह अपने पहले पति के साथ रह रही थी। अब वह तलाकशुदा थी, एक बच्ची की माँ थी, और दुखी थी। जब उसकी बहन केट ने उसे अपने साथ रहने का (3/18)
भारत ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच हॉकी टेस्ट की शृंखला चल रही है। एक भाई ने कहा है कि भारत की टीम अगर एक भी मैच जीतती है तो वे मुझसे पार्टी लेंगे। अभी तक हम दो में दो मैच हार गए हैं... हॉकी की कमेंट्री 1982 के वर्ल्ड कप से सुन रहा हूं, मुझे याद ही नहीं आ रहा कि ऑस्ट्रेलिया के (1/22)
खिलाफ आखिरी बार हम जीते कब थे।
अब मुझे कोई बताएगा, भारत लगातार सात ओलंपिक्स में अपराजित रहा है। विश्वविजेता रहा है।
पर आखिरी बार विश्वविजेता रहा है 1975 में. एक दिन नेट पर खोजकर 1975 का वर्ल्ड कप फाइनल मैच देखा। कहते हुए दुख होगा, पर अगर वैसी हॉकी आज की तारीख में आज (2/22)
के मैदानों पर आज की ऑस्ट्रेलियन टीम के विरुद्ध खेली जाए तो हम 15-20 गोलों से अवश्य हारेंगे।
अब मुझे कोई बताएगा... तब से आज तक की हॉकी का खेल बहुत बदल गया है। एस्ट्रो टर्फ के आ जाने से हॉकी बहुत तेज हो गई है। वह स्किल के बजाय ताकत और स्टैमिना का खेल हो गई है। खेल की तकनीक, (3/22)
जब कभी आपको लगे कि आप एक विकसित युग में रहते हैं तो आप अजंता और एलोरा की गुफाओं में चले जाना वहाँ हमारे पूर्वजों की तकनीकें आपके भ्रम को चकनाचूर कर देंगी।
अजंता और एलोरा की गुफाएं! जिनके आश्चर्यों को मिटाने के लिए दुनियाँ के सात झूठे आश्चर्यों की लिस्ट तैयार की गई।
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जब यह भूखी नंगी दुनियाँ आदमखोरों और लुटेरों की जिंदगी जी रही थी तब हमारे पूर्वजों ने एक पहाड़ को काटकर इस मंदिर का निर्माण कर पूरी दुनियाँ को हैरान कर दिया था।
एलोरा के कैलाश मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) ने करवाया था।
अकेले कैलाश मंदिर के (2/8)
निर्माण के लिए पहाड़ से लगभग 40000 हजार टन पत्थर काट कर निकाले गए एक अनुमान के मुताबिक अगर 7000 कारीगर प्रतिदिन मेहनत करें तो लगभग 150 वर्षों में इस मंदिर का निर्माण कर सकेंगे लेकिन इस मंदिर का निर्माण केवल 18 वर्षों में ही कर लिया गया। जरा सोचिए आधुनिक क्रेन और पत्थरों को (3/8)