#केरल के बाद #हिमाचल देश का दूसरा सबसे पढ़ालिखा राज्य है और दोनों में ही भाजपा सत्ता में नहीं है...
फिर एक बात दोहरा रहा हूँ भक्तों, भाजपा आज भी देश में अपने अकेले के दम पर मात्र 3 बड़े राज्यों यूपी,
गुजरात, असम में सत्ता में आई है, ज्यादा से ज्यादा एक छोटे राज्य त्रिपुरा को और मान लो, बाकी ज्यादातर राज्यों में या तो चुनाव हारी है और या धनबल और आतंक व खौफ के बल सत्ता हथियाई है...
अब आप देखिए दोस्तों, कांग्रेस भी आज 3 राज्यों में सिर्फ अपने दम पर सत्ता है और एमपी, कर्नाटक,
गोवा सहित नार्थ-ईस्ट जैसे कई अन्य छोटे राज्यों में लोकतंत्र का गला घोटते और संविधान का कत्ल हुए उसकी सरकारें मोदी सत्ता (भाजपा) द्वारा हथिया ली गईं...
दोस्तों, दो दिन से 90% गोदी मीडिया तो सिर्फ गुजरात की जीत पर लगातार ऐसे चर्चा कर रहा है जैसे गुजरात ही भारत है और गुजरात ही
भारत का सम्मान है, देश के बाकी राज्य तो गुजरात के सामने कुछ भी नहीं हैं. हिमाचल में कांग्रेस की जीत की चमक को गुजरात की जीत की चमक में लगभग दबा दिया गया है
दोस्तों, एक और महत्वपूर्ण बात देखिये हाल ही में तीन राज्यों के महत्वपूर्ण चुनाव नतीजे आये और तीनों में ही भाजपा का शासन था,
दिल्ली, गुजरात और हिमाचल, इनमें से दिल्ली और हिमाचल में भाजपा पराजित हुई, उसके हाथ से सत्ता छिन गई. इतना ही नहीं कई राज्यों के उपचुनावों के नतीजे भी आये, ज्यादातर में भाजपा हार गई. इतना ही नहीं 8 दिन पहले हरियाणा के 422 नगर निकाय वार्डों के चुनाव नतीजे आये थे और उनमें से भाजपा
सिर्फ 22 पर ही जीत पाई थी और ये चुनाव भाजपा ने अपने चुनाव चिन्ह कमल के निशान पर लड़ा था, पर सत्ता के डर से मीडिया में इस पर कोई चर्चा नहीं की गई...
दोस्तों, आंखें खोलिए और सच्चाई जानिए...
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सर्वप्रथम उस रजाई के आविष्कारकों को प्रणाम जिन्होने विकास क्रम मे आज की रजाई का आविष्कार किया। उन सबको मरणोपरांत नोबेल प्राइज मिलना दरकार है।
ठंड में रजाई के आगे सब फेल हैं। वो नशीली गर्मी इसकी है कि सुबह उठने से पहले इसे फेंक कर जमीन में खड़े होने में बस दो मिनट और बस होता है। कलेजे वाला आदमी ही रजाई फेंक कर उठ पाता है। इतवार में तो कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। ‘अर्ली टु स्लीप अर्ली टु वेक’
वाला पुराना स्वास्थ्य का उपदेश कितना वाहियात लगता है।
मुंह छिपा के जो रजाई स्वप्न कल्पना की जा सकती है इतनी तपिश न कम्बल में, न आग तापने में।
आग तापने का अपना मजा था, उन तथाकथित अच्छे दिनों में था। धुएं से अपनी आंख को बचाते गपशप चलती थी। अब कहां कि गप्प मारे।
कांग्रेस की समस्या संघ या बीजेपी नहीं, कांग्रेस की समस्या पार्टी के अंदर के कुर्सी लोभी, दलाल हैं , जो टिकट मांगते समय तलुआ चाटते हैं और जीतते ही गिरगिट की तरह रंग बदलते है. ये कैसी कांग्रेस है और उसका लोकतंत्र जो चुनाव जीतते ही उसको अपने विधायक टूटने या बिकने का डर लग रहा है,
ऐसी सरकार कितने दिन चलेगी? ऐसे कुर्सी लोभी विधायकों से से भला है कि कांग्रेस चुनाव ही लड़ना बंद कर दे। ऐसे दलालों से तो जनता की जान बचेगी, वोट कांग्रेस के नाम लेंगे और मंत्री बीजेपी में बनेंगे.राहुल गांधी जी जब तक कांग्रेस से पूरी तरह दलालों चाटुकारों का सफाया और जमीन पर संगठन
नही बनेगा तब तक चुनाव लड़कर दलालों को सदन में भेजना बंद करिये. हिटलर से गांधी लड़ेंगे और ये दलाल जीतने के बाद बीजेपी में जाकर मंत्री बन जायेंगे. कांग्रेस की समस्या खुद कांग्रेस के अंदर के संघी दलाल हैं जो नकली सेकुलरिज्म का नकाब लगाकर राहुल गांधी को जनेऊ पहनाकर मंदिर मस्जिद का
अब जाहिर है कि कानून आ चुका था, तो फुल स्टॉप लगाना था। इसलिए अवरोधक, याने सुरक्षित उपाय की जरूरत थी। यू नो व्हाट आई मीन, फेमेली चैनल है अपना लेकिन फेमिली प्लानिंग ज्वलंत विषय है तो लिखना मजबूरी है।
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हां, तो जैसे आप इशारों मे समझ गए,
दुकानदार भी समझ गया। साइज पूछा
- मैक्सिमम !! मैडम फुसफसाई।
दुकानदार ने डबल एक्सएल वाले सेक्शन की ओर आंख से इशारा कर दिया। मैडम गई उस सेक्शन मे। दुकानदार अपने काम पर लग गया। पांच मिनट, दस मिनट, पंद्रह मिनट, आधा घंटा
एक घंटा।
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मने हो क्या रहा है?? दुकानदार ने सोचा और उस सेक्शन की तरफ गया। देखा, मैडम आराम से गाल पे हाथ धरे, स्टूल पर बैठी है। उसने पूछा - मैडम, आपने सामान लिया नही।
नहीं। मुझे सामान नहीं लेना - मैडम के गालों मे लाली आ गई।
"मै तो ये इसे खरीदने वाले आदमी की प्रतीक्षा कर रही हूं"
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दामू गरीब था। नौवां बच्चा अफोर्ड नही कर सकता था। उसने डाक्टर की सलाह लेने का तय किया।
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डॉक्टर ने बताया कि एक ऑपरेशन करना पड़ेगा। इसे वासेक्टॉमी कहते है। एक दिन ठहरना पड़ेगा। आपरेशन के बाद कोई कमजोरी नही होगी।
जीवन पूर्ववत चलेगा, बच्चे और नहीं होंगे। कांग्रेस सरकार, एक मरफी का रेडियो और दो सौ रूपये अलग से देगी।
रेडियो और दो सौ रूपये काफी बड़ा लालच थे। लेकिन दामू बचपन से ही नेहरू विरोधी था। काफी सोचा और फिर विचार इसके खिलाफ तय किया।
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डाक्टर से कोई अल्टरनेटिव अरेंजमेण्ट पूछा।
डॉक्टर ने दूसरी सलाह दी - एक बड़ा फटाका लो। उसे एक कोल्ड्रिंक कैन मे डाल लो। बत्ती मे आग लगाओ, और एक हाथ मे पकड़ो। फिर दूसरे हाथ से उंगलियों पर दस तक गिनो
इससे बच्चे नही होंगे - दामू ने आखें फाड़कर पूछा।
हां हां, बिल्कुल नही होंगे ..
जिस गाँव में बिजली नहीं थी वहाँ पानी की टंकी और टंकी पर वीरू उस पर सुसाइड की धमकी और दर्शकों की तालियां*
गांव में सिर्फ दो परिवार मुस्लिमो के जिनके लिए एक मस्जिद जिस पर एक अजान देता है और एक नमाज का वक्त हो गया नमाज पढ़ने जाता है.
जनता ऐसी फिल्म को सुपर डुपर हिट कर देती है
मसाला.....
एक फिल्म में हीरो #हेंडपंप उखाड़ देता है देश #राष्ट्रभक्ति की चासनी में ढूब जाता है.
वही जिसने सपथग्रहण के बाद आजतक सदन का मुंह नहीं देखा वह कंधे पर हेंडपंप रखकर चुनाव जीत जाता है.
एक हीरो होता है वह #ट्रेन में घूम घूमकर वोट मांगता है . एक कद्दावर नेता को पानी पिला देता है चुनाव जीत जाता है. वह एक दिन भी सदन में कदम नहीं रखता.
गुजरात के अलावा तानाशाह सभी जगह हार गयाहिमाचल प्रदेश, रामपुर, मैनपुरी और खतौली (उत्तर प्रदेश), सरदारपुरा (राजस्थान) भानुप्रतापनगर (छत्तीसगढ़) और कुढ़नी (बिहार) में हुए विधानसभा चुनाव के अलावा दिल्ली नगर निगम के चुनाव में तमाम तरह के खटरागों के बावजूद भी तानाशाह को पराजय
का मुंह देखना पड़ा है।गुजरात में केंचुआ समेत पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल, सातों राज्यों के मुख्यमंत्री, सारी सरकारी मशीनरी, अडाणी की अथाह दौलत, धनपशुओं का सारा डॉगी मीडिया, आम आदमी पार्टी, ओबेसी भाई जान सबने मिलकर तानाशाह को जितवाने के लिए दिन-रात एक कर दिया।
फिर भी 27 साल गुजरात में लगातार सत्ता पर काबिज़ होने के बावजूद खुद तानाशाह को घर-घर और गली-गली चक्कर काटते हुए गिड़गिड़ाना पड़ा कि मेरी लाज रखो।