● रिजुः = सरल हो
● तपस्वी = तप करने वाला हो
● संतोषी= मेहनत की कमाई पर सन्तुष्ट रहने वाला हो
● क्षमाशीलो = क्षमा करने वाला हो
● जितेन्द्रियः = इन्द्रियों को वश में
रखने वाला हो
● दाता= दान करने वाला हो
● शूर = बहादुर हो
● दयालुश्च= सब पर दया करनेवाला हो
● ब्रह्मज्ञानी
श्रीमद् भगवत गीता के 18वें अध्याय
के 42वें श्लोक में भी ब्राह्मण के 9 गुण
इस प्रकार बताए गये हैं-
अर्थात- मन का निग्रह करना, इंद्रियों को वश में करना, तप (धर्म पालन के लिए कष्ट सहना)
शौच (बाहर भीतर से शुद्ध रहना), क्षमा (दूसरों के अपराध को क्षमा करना), आर्जवम् (शरीर, मन आदि में सरलता रखना, वेद शास्त्र आदि का ज्ञान होना, यज्ञ विधि को अनुभव में लाना और परमात्मा वेद आदि में आस्तिक भाव रखना यह सब ब्राह्मणों के स्वभाविक कर्म हैं।
पूर्व श्लोक में "स्वभावप्रभवैर्गुणै:"
कहा इसलिए स्वभावतः कर्म बताया है।
स्वभाव बनने में जन्म मुख्य है। फिर जन्म के बाद संग मुख्य है। संग स्वाध्याय,अभ्यास आदि के कारण स्वभाव में कर्म गुण बन जाता है।
दैवाधीनं जगत सर्वं , मन्त्रा धीनाश्च देवता:।
ते मंत्रा: ब्राह्मणा धीना: , तस्माद् ब्राह्मण देवता:।।
इस श्लोक में भी गुण से हारे हैं त्याग, तपस्या, गायत्री, सन्ध्या के बल से और आज लोग
उसी को त्यागते जा रहे हैं और पुजवाने का भाव जबरदस्ती रखे हुए हैं।
*विप्रो वृक्षस्तस्य मूलं च सन्ध्या।
*वेदा: शाखा धर्मकर्माणि पत्रम् l।
*तस्मान्मूलं यत्नतो रक्षणीयं।
*छिन्ने मूले नैव शाखा न पत्रम् ll
भावार्थ -- वेदों का ज्ञाता और विद्वान ब्राह्मण एक ऐसे वृक्ष के समान है
जिसका मूल (जड़) दिन के तीन विभागों प्रातः, मध्याह्न और सायं (सन्ध्या काल) के समय यह तीन सन्ध्या (गायत्री मन्त्र का जप) करना है, चारों वेद उसकी शाखायें हैं, तथा वैदिक धर्म के आचार विचार का पालन करना उसके पत्तों के समान हैं
अतः प्रत्येक ब्राह्मण का यह कर्तव्य है कि इस सन्ध्या रूपी
मूल की यत्नपूर्वक रक्षा करें, क्योंकि यदि मूल ही नष्ट हो जायेगा तो न तो शाखायें बचेंगी और न पत्ते ही बचेंगे।।
पुराणों में कहा गया है ---
विप्राणां यत्र पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता।
जिस स्थान पर ब्राह्मणों का पूजन हो वहाँ देवता भी निवास करते हैं।
अन्यथा ब्राह्मणों के सम्मान के
बिना देवालय भी शून्य हो जाते हैं।
इसलिए
ब्राह्मणातिक्रमो नास्ति विप्रा वेद विवर्जिताः
श्री कृष्ण ने कहा-ब्राह्मण यदि वेद से हीन भी हो, तब पर भी उसका अपमान नही करना चाहिए
क्योंकि तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा वह हर अवस्था में कल्याण ही करता है
ब्राह्मणोस्य मुखमासिद्
वेदों ने कहा है की ब्राह्मण विराट पुरुष भगवान के मुख में निवास करते हैं। इनके मुख से निकले हर शब्द भगवान के ही शब्द हैं, जैसा की स्वयं भगवान् ने कहा है कि,
विप्र प्रसादात् अजिता जितोहम्।
विप्र प्रसादात् मम् राम नामम् ।।
ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मैंने
धरती को धारण कर रखा है। अन्यथा इतना भार कोई अन्य पुरुष कैसे उठा सकता है, इन्हीं के आशीर्वाद से नारायण हो कर मैंने लक्ष्मी को वरदान में प्राप्त किया है, इन्हीं के आशीर्वाद से मैं हर
युद्ध भी जीत गया और ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मेरा नाम राम अमर हुआ है, अतः ब्राह्मण सर्व पूज्यनीय है।
और ब्राह्मणों काअपमान ही कलियुग
में पाप की वृद्धि का मुख्य कारण है।
622 ई से लेकर 634 ई तक मात्र 12 वर्ष में अरब के सभी मूर्तिपूजकों को मुहम्मद ने तलवार से जबरदस्ती मुसलमान बना दिया! (मक्का में महादेव काबळेश्वर (काबा) को छोड कर!)
634 ईस्वी से लेकर 651 तक, यानी मात्र 16 वर्ष में सभी
AS Dulat 1988-90के समय कश्मीर में IB के Joint Director थे.. यह वही समय था जब पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन दिया था. रातो रात हजारों कश्मीरी LOC पार कर POK चले गए थे, और फिर कुछ हफ्तों में आतंकवादी Training पा कर वापस आये, और उसके बाद कश्मीरी हिन्दुओं के साथ क्या
हुआ, सबको पता है... इतनी बड़ी साजिश चल रही थी, और हमारी Intelligence agency सो रही थी... कमाल की बात है
AS Dulat के समय ही हुर्रीयत ने सर उठाया... उनके नेताओं को करोड़ों की funding और सरकारी सहायता देने का idea भी उन्हीं का था
लव जिहाद की रणनीति ऐसे बनाई जाती हैं, आसानी से फस जाति हैं हिंदू लड़कियाँ
स्कूलों में मुस्लिम लड़कियाँ अपनी हिंदू सहेलियों की सैटिंग अपने मुसलमान लड़कों से करवाती हैं और खुद किसी हिंदू लड़कों से दूर रहती हैं,क्योंकि स्कूलों में
मुसलमान लड़के और लड़कियाँ झुंड बनाकर रहते हैं और वहाँ पर मुसलमान लड़कियों को समझाया जाता है कि हिंदू लड़कों से मत फँसना और मुसलमान लड़कों को समझाया जाता है कि हिंदू लड़कियों को पटाओ और मुस्लिम सहेलियों की सहायता लो
कालेजों में भी हिंदू लड़कियों को फँसाने के लिए मुसलमानों की
अलग से ही Fresher Party होती हैं जिसमें सभी सीनीयर और जूनियर लड़के लड़कियों की आपस में पहचान करवाई जाती है और उनको भी यही समझाया जाता है कि मुस्लिम लड़कियाँ कैसे हिंदू लड़कों से दूर रहें ? और मुस्लिम लड़के कैसे हिंदू लड़कियों के पास आएँ ? कभी कभी तो होस्टल में किसी एक कमरे को
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