गोदी सेठ अडानी के दिमाग़ में कांटा फंस चुका है..क्या बोलते है अडानी सेठ?
- अडानी सेठ कहते है कि उन्हें पहला ब्रेक 1985 में शहीद राजीव गांधी की पॉलिसी के कारण मिला..अडानी की कंपनी अच्छा एक्सपोर्ट करने लगी..राहुल के पिता राजीव गांधी याद आने लगे?
- दूसरा ब्रेक 1991 में डॉ मनमोहन सिंह साहब की पॉलिसी के कारण मिला..अडानी इंफ्रास्ट्रक्चर वग़ैरह में काम करने लगे..डॉ मनमोहन सिंह साहेब भी याद आ गए?
राहुल गांधी पर भी अडानी सेठ ने खूब बोला..अडानी सेठ बोले
~ राहुलजी की नीति विकास के ख़िलाफ़ नही है..(वाह!!)
~ राहुलजी ने कभी भी नीलामी प्रक्रिया में मुझपर गड़बड़ी का आरोप नही लगाया..(राहुल गांधी कबसे इमानदारी का सर्टिफिकेट बांटने लगे?)
~ राहुलजी ने राजस्थान में अडानी ग्रुप की बड़ाई की थी..(ये जो महब्बत है😊)
सेठ, तबी'अत सारू छे? सेठ, राहुल गांधी एक "धर्मयुद्ध" पर है..इस युद्ध मे कोई तशद्दुद/हिंसा नहीं है..ये मुल्क को आप जैसे उद्योगपतियों के कब्जे से आज़ाद करने की जद्दोजहद है..इस बात में कोई शक नही है..
सेठ, दोनों पक्ष आमने सामने है..एक ओर अवाम और दूसरी ओर "गोदी गिरोह"..अब आपकी बातों को तवज्जोह देने का वक़्त निकल चुका है.."हम देखेंगे".. #krishiyer
{ दाहिनी ओर तस्वीर में प्रंजय गुहाठाकुरता है जिन्होंने अडानी पर लिखा था..बाद में उनकी नौकरी चली गई..)
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पहला कौआ विशुद्ध भारतीय था। बिना हाथ गोड़ धोये पूजा पाठ किये एक बूंद पानी भी नहीं पीता था। उसे कुछ मंत्र भी याद थे जिनका स्मरण वो सुबह शाम किया करता था। उन मंत्रों के बारे में उसे बस इतना ही पता था कि वे उसके पिता जी भी पढ़ते थे और उसके पिता जी के पिता
जी भी... कड़ियाँ इसी तरह आगे तक भी जुड़ी थीं। जो शायद बहुत लंबे तक जाती थीं।
दूसरा कौवा अरबी था। जो अरब देशों में पानी न होने के कारण पैदा हुई अपनी आदतों को सागर तट पर भी नहीं छोड़ना चाहता था। रहन सहन और खान पान से तो वो आधुनिक ही था।
पर विचारों के मामले में उसके परदादा के परदादा ने जो हजारों साल पहले कह दिया था उसी को वो पक्का मानता था।
तीसरा कौआ इजिप्टियन था। जिसका एक भी काम वैसे तो गांधी जी से नहीं मिलता था फिर भी उसकी शक्ल देखते ही न जाने क्यों पोरबंदर की याद आने लग जाती थी।
377 गिरोह वालों, तुम्हे राहुल गांधी के काजू, किशमिश, बादाम, मखाना वग़ैरह खाने से काफ़ी तकलीफ़ हो रही है..तुम्हारी तकलीफ़ लाज़िमी है क्योंकि तुम्हारा प्रिय भोजन "गोबरम" है..तुम्हारा गिरोह है ही "अप्राकृतिक"..
नेहरुजी की भांजी श्रीमती नयनतारा सहगल को पढ़ो : लिखती है कि स्वर्गीय मोतीलाल नेहरुजी के दादाजी के दौर से गांधी परिवार नाश्ते में मेवा खाते है..कश्मीरियों के घरों में नाश्ते में मेवा खाना एक सहज सी बात है..(7 पीढ़ियों से नाश्ते में मेवा खाते है)
नयनतारा जी आगे बताती है कि शहीद इंदिराजी ने नाश्ते में दलिया, परांठे भी जोड़ दिए थे क्योंकि बा'द में पूरा दिन इतनी मसरूफ़ियत में निकलता था कि खाने का वक़्त मिलना भी मुश्किल था..ये बात इंदिराजी ने भी एक इंटरव्यू में बताई थी..
कांग्रेस हिन्दू विरोधी है क्योंकि कांग्रेस "चार धाम प्रोजेक्ट" की मुख़ालिफ़त करती है : यही प्रचार चला था और आप भी कांग्रेस को हिन्दू विरोधी मान बैठे थे!!!
हिन्दूओ का पवित्र तीर्थ जोशीमठ 40% तबाह हो चुका है..बाकी 60% को बचाना नामुमकिन है..
पर हम हिंदुओं को "जोशीमठ के क़ातिल" मोदी और बीजेपी से सवाल पूछने में डर लगता है..हमे लगता है कि अगर मोदी से सवाल पूछ लिया तो शायद जोशीमठ "पाकिस्तान" बन जाएगा.
जोशीमठ चीन की सीमा तक जाने का रास्ता है..क्या पता कि जोशीमठ की तबाही में चीनप्रेमी मोदी की क्या सोच रही हो?
किसकी क्या मिलीभगत है ये समझना मुश्किल है..
👉 जोशीमठ के शहरी अपनी तबाही पर मातम मना रहे है, हिन्दूओ का पलायन हो रहा है और मीडिया बता रहा है कि मोदी जोशीमठ पर "हाई लेवल मीटिंग" कर रहे है!! मोदी और हाई लेवल? मोदी की सोच का लेवल सबको मा'लूम है..
माइंस सस्ते में मिली, किसानी की जमीन सस्ते में ले ली, सरकार से टैक्स में छूट ली। कुछ लोगो को रोजगार दिया, लेकिन ज्यादातर को नही भी दिया।
लेकिन लोगो ने एडजस्ट किया, नए सिरे से जिंदगी सँवारी, जो फैक्ट्री के इर्द गिर्द ही थी। कर्मचारी, मजदूर,
ट्रान्सपोर्टर, ढाबे, पंचर, होटल, लॉज सबने कोई न कोई ठिया खोज लिया।और 30 साल बाद फैक्ट्री,नए मालिक ने रातोरात बन्द कर दी
हिमाचल में अम्बुजाऔर एसीसी के सीमेंट प्लांट अडानी ने खरीद लिया।ऐसा कहिए कि कम्पटीशन को रौंदकर अपनी जेब मे डाल लिया। वो अब भारत के सबसे बड़े सीमेंट उत्पादक हैं
यह पिछले बरस की बात है।
और ये कहकर कि फिर ट्रांसपोर्ट महंगा है, फैक्ट्रीयां बन्द कर दी। अडानी जी चाहते है कि ट्रक वाले अपना भाड़ा 10 रुपये से घटाकर 6 रुपये कर दें।
बहरहाल, बरमाणा और रातलाघाट की फैक्ट्रीयां, पिछले एक माह से बंद है।
एक तरफ भारत के 26 प्रधानमंत्री
और एक तरफ अकेले मोदी जी..
हांजी। भारत के 26 प्रधानमंत्री मिलकर जो किये, वह अकेले मोदी जी ने कर दिखाया है। आने वाली सात पीढियां इसे याद रखेंगी। शायद आठवी नवी और दसवीं को भी याद करना पड़े।
चकित मत होइए, और आंख न फाड़िये। 26 पीएम तो भारत मे हुए ही नही, ऐसा कहकर गलती बताने जल्दी मत कीजिए। ठहरकर जरा अर्थमेटिक समझिए।
महाभारत में एक प्रसंग आता है जब धर्मराज युधिष्ठिर ने विराट के दरबार में पहुँचकर कहा, “हे राजन! मैं व्याघ्रपाद गोत्र में उत्पन्न हुआ हूँ तथा मेरा नाम 'कंक' है। मैं द्यूत विद्या में निपुण हूँ। आपके पास आपकी सेवा करने की कामना लेकर उपस्थित हुआ हूँ।”
द्यूत... जुआ... यानि वह खेल जिसमें धर्मराज अपना सर्वस्व हार बैठे थे। कंक बन कर वही खेल वह राजा विराट को सिखाने लगे।
जिस बाहुबली के लिये रसोइये दिन रात भोजन परोसते रहते थे वह भीम बल्लभ का भेष धारण कर स्वयं रसोइया बन गया।
नकुल और सहदेव पशुओं की देखरेख करने लगे।
दासियों सी घिरी रहने वाली महारानी द्रौपदी... स्वयं एक दासी सैरंध्री बन गयी।
और वह धनुर्धर। उस युग का सबसे आकर्षक युवक, वह महाबली योद्धा। वह द्रोण का सबसे प्रिय शिष्य। वह पुरूष जिसके धनुष की प्रत्यंचा पर बाण चढ़ते ही युद्ध का निर्णय हो जाता था।वह अर्जुन पौरुष का प्रतीक अर्जुन।