एक #आदमी था। वो लंबी लंबी #हांकने का बड़ा शौक़ीन था। जब भी कोई कहानी सुनाता तो उसे बढ़ा चढ़ाकर ऐसा बना देता कि #अक़लमंद तो क्या #जाहिलों, मूर्खों को भी उसकी बातों पर #यकीन न होता।
एक दिन उसके एक #शुभचिंतक ने समझाया कि यार अपने हाथ हल्के रखना चाहिए।
इतनी लंबी हांकते हो कि #मूर्खों को भी तुम्हारी बातों पे शक होने लगता है। लोग हँसते हैं। तुम्हारा मज़ाक उड़ाते हैं। अब सम्भल जाओ ।
उस आदमी ने कहा... ठीक हैं। अगली बार जब मैं कोई कहानी या क़िस्सा शुरू करूँ और तुम्हें लगे कि लंबी हांक रहा हूँ तो बस थोड़ी सी खांस लेना।
मैं समझ जाऊँगा ।
उसके शुभचिंतक ने कहा.....ठीक है ।
एक दिन वो आदमी #दोस्तों की #महफ़िल में बैठे एक क़िस्सा सुनाने लगा कि मैं एक बार किसी भयानक जंगल में जा रहा था। तभी अचानक मैंने देखा कि वहां एक बहुत बड़ा सांप था। मुझे लगता है कि सांप लगभग 140 फीट लंबा होगा ।
उसका हितैषी उसके इस बात पर थोड़ा खांसा। वह आदमी कुछ हडबडाया लेकिन उसने कहना जारी रखा.... मैंने सोचा कि इतना बड़ा कोई सांप नहीं हो सकता, मैंने सोचा चलो क़रीब जाकर देखना चाहिए , तो मैं क़रीब गया और देखा, अनुमान लगाया कि कोई लगभग वो 110 फीट का होगा ।
उसका दोस्त फिर से खांसा।
उस आदमी ने नाराज़गी से उसे देखा और कहानी जारी रखी कि 110 फीट बहुत ज्यादा है। मैंने सोचा कि केवल सांप को मारकर ही वास्तविक लंबाई का पता लग सकता है।जब मैंने सांप को मारा और मुर्दे को क़रीब से देखा तो ख्याल आया कि 90 फीट कहीं नहीं गया।
दोस्त उसकी बात पर फिर जोर जोर से खांस रहा था।
अब उस आदमी ने बेचैनी से करवटें बदल लीं और कहा, "अरे दोस्तों! " बात को परखने के लिए ज़रूरी था कि मैं इसकी लंबाई नापता। मरा सांप मेरे सामने था। मैंने अपने अनुमान की सच्चाई को परखने के लिए जब नापा तो वो पूरे 70 फीट का निकला।
उसका दोस्त इस पर फ़िर से जोर जोर से खांसने लगा। तो उस आदमी ने पलटकर कहा...."अबे यार, अब क्या फायदा… अब तो नाप लिया गया है , तू अब अगर खांसते खांसते मर भी जाए तो भी सांप की लंबाई कम नहीं होगी । " 😬
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"गर्व से कहो हम हिन्दू है" : ये स्वामी विवेकानंद ने कभी नही बोला..ये 100% झूठ है..स्वामीजी को इंसान होने पर फ़ख़्र था..स्वामीजी के अल्फ़ाज़ कुछ और ही थे..क्या बोला था स्वामीजी ने👇
पाश्चात्य जगत ने हमे सिखाया की नीच जाती अनार्य जाति है..वो हमारे नही है..
स्वदेशमन्त्र, हे भारत, ये परानुवाद, परानुकरण, परमुखपेक्षता, ये दाससुलभ दुर्बलता, ये घृण्य, जघन्य, निष्ठुरता - इनके साथ क्या तुम्हें उच्च अधिकार मिलेगा? इस लज्जाजनक, कापुरुषता से वीरभोग्या स्वाधीनता प्राप्त करना चाहते हो?
हे भारत, भूलो मत, तुम्हारी नारीजाति का आदर्श है सीता, सावित्री, दमयंती..भूलो मत, तुम्हारे आराध्य है उमानाथ, सर्वत्यागी शंकर..भूलो मत, तुम्हारा विवाह, तुम्हारा धन वैभव, तुम्हारा जीवन, इंद्रियसुख, व्यक्तिगत सुख के लिए नही है..
"पाञ्चजन्य" से आरएसएस का रिश्ता है या नही ये अलग मस'अला है..पर पांचजन्य ने हिंदुओ के देवता श्रीकृष्ण और मज़हबी किताब "महाभारत" के हवाले से समलैंगिकता/LGBT को सही ठहराया है..हिन्दूओ की "भावनाबेन" आहत हुई या नहीं?
ख़ैर, पाञ्चजन्य ने श्रीकृष्ण/महाभारत के हवाले से LGBT पर जो मजमून लिखा है उसे समझते है..
- श्रीकृष्ण के दौर से LGBT है..है तो है, पर श्रीकृष्ण का नाम लेने की ज़रूरत क्या थी? कोई मंतक़/लॉजिक है?
- समलैंगिकता को निजी जगह मिले : पाञ्चजन्य ने ये बात सही कही..
सावरकर, गोडसे की निजी बातों पर बोलना नहीं चाहिए..
- इतनी (समलैंगिकता) साधारण सी बात है : पाञ्चजन्य, राघावजी, प्रदीप जोशी के लिए साधारण सी बात है..पर सबके लिए साधारण कैसे है? ऐसा मत बोलो, डर लगता है!!
- हमारी परंपरा में में इसकी व्यवस्था बिना हो -हल्ले होती है :
हाल ही मे एक घटना पढ़ी कि घर के चारों लोग भले चंगे सोए, सुबह नहीं उठे!
ख़ासकर सर्दियों मे ऐसी दुर्घटना आम हैं।
दरअसल सर्दियों मे लोग कमरे मे अंगीठी जलाकर सो जाते हैं।
प्रत्यक्ष धुंआ, या आंखों मे जलन जैसा तो कुछ महसूस होता नहीं तो लोग इसकी घातकता से
गर्माहट के लालच मे या तो अनभिज्ञ हैं या गम्भीरता से नहीं लेते।
होता यों है कि अंगीठी जलाकर सो गए और सर्दियों मे कमरे के खिड़की दरवाजे तो बन्द होने ही हैं।
कोयले जलते हैं तो कमरे की सिमित ऑक्सीजन को समाप्त कर देते हैं और निकलती है कार्बन मोनोऑक्साइड जो
ऑक्सीजन को खतरनाक स्तर पर रिप्लेस कर देती है।
कार्बन मोनोऑक्साइड रंगहीन, गन्धहीन, स्वादहीन गैस है।
कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाता है, दरअसल, खून में मौजूद ऑक्सीजन वाहक आरबीसी, ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड से पहले
जोशीमठ ही नहीं, काशी के घाट भी धंस रहे
जोशीमठ में जमीन के धंसने और हल्की दरारों की एक दशक पहले अनदेखी की गई। वही लापरवाही भरा नजरिया काशी में गंगा घाटों के साथ भारी पड़ता दिख रहा है। शोध अध्ययनों में दी गई वैज्ञानिक चेतावनियों की अनदेखी के दुष्प्रभाव घाटों पर दिखने लगे हैं।
प्रमुख घाट नीचे से खोखले होते जा रहे हैं। कई घाटों की सीढ़ियां और प्लेटफार्म धंसने लगे हैं।
ताजा वैज्ञानिक अध्ययन में सामने आया है कि अस्सी के निकट भदैनी घाट, चेतसिंह घाट, हनुमान घाट के अलावा सिंधिया, पंचगंगा और राजघाट के नीचे कटान से खतरनाक गहराई हो गई है।
प्रभुघाट, चौकी घाट, मानमंदिर, मणिकर्णिका और पंचगंगा मीरघाट और मणिकर्णिका घाट के घाटों पर सीढ़ियों एवं प्लेटफार्म के एक हिस्से में, धंसाव भी शुरू हो गया जिसे स्पष्ट देखा जा सकता है। कई प्रमुख घाटों के नीचे बनी खतरनाक गहराई, पक्के घाट खोखले हो रहे है। यह सब, पर्यावरण विशेषज्ञ और
पंजाब का लोकपर्व लोहड़ी मुबारक। वो लोहड़ी जो उन बहुत कम त्यौहारों में से है जो लोक का उत्सव हैं- आम अवाम ने ख़ुद गढ़े हैं, जाति, धर्म, ज़मीन सब की सीमाओं के पार।
लोहड़ी दुल्ला भाटी उर्फ़ राय अब्दुल्ला ख़ान को याद करने का उत्सव भी है।
उनके लिए गाये जाने वाले इस गाने के बिना लोहड़ी पूरी ही नहीं हो सकती।
सुंदर मुंदरिये हो !
तेरा कौन विचारा हो !
दुल्ला भट्टी वाला हो !
दुल्ले धी व्याही हो !
सेर शक्कर पाई हो....
तो कौन हैं ये दुल्ला भाटी उर्फ़ राय अब्दुल्ला ख़ान? आम जनता के मसीहा? डाकू? बस एक और ज़मींदार?
जो भी हों उन्हें पंजाब की जनता, और ख़ास तौर पर सिख- इतनी मुहब्बत से क्यों याद करते हैं?
तो ये रही कहानी-
एक थे दुल्ला भाटी। कहीं कहीं दुल्हा भाटी भी। या अब्दुल्ला भाटी।
लिखित इतिहास में उनके बारे में कुछ ज़्यादा नहीं मिलता पर लोहड़ी से लेकर पंजाब के तमाम लोकगीतों ने उनकी
१. क्रेडिट कार्ड न ले:
क्रेडिट कार्ड पर शॉपिंग छोड़ो, कार्ड ही ना लें। ये कार्ड सिर्फ उन लोगों के लिए है जो समय और फाइनेंशियल मैनेजमेंट के मास्टर हैं। जिनकी सैलरी तो 1 लाख पहली तारीख को आती है लेकिन वो खर्चा क्रेडिट कार्ड पर 45 दिन फ्री
में करते हैं और अपनी सैलरी पर बैंक से सेविंग का ब्याज लेते हैं। लेकिन इसे लेते वो लोग हैं जिनका फाइनेंस मैनेजमेंट खराब है और वो बुरी आर्थिक स्थिति में आ गए हैं की उधार की जरूरत पढ़ गई है। मतलब ये ऐसा छलावा प्रोडक्ट है इसका फायदा सिर्फ वही उठा सकता है जिसको इसकी जरूरत नही है।
क्रेडिट कार्ड के ऑफर:
क्रेडिट कार्ड अपको नो इंटरेस्ट EMI का प्रलोभन देगा, फ्री मूवी टिकट, खाने और डीजल पे डिस्काउंट देगा। लेकिन ध्यान दो, सारे लाभ खर्चा करने पे मिलेंगे, सेव करने पे नही। मतलब 2 रुपया का लाभ लेने के लिए पहले 200 उड़ा दो। दुनियां में एक भी आदमी ऐसा नहीं है जो