राष्ट्र के चार अंग होते हैं- #धर्म_एको_ही_निश्चल:
[१]_भूमि_ { २} _जन_प्रजा
(३)_धर्म_संस्कृति {४} _शासन_शासक=
इसमें भूमि और शासन के बिना भी शताब्दियों
तक राष्ट्र जीवित देखे गये हैं।
अतः दो अंग ही प्रमुख हैं- #जन~~#धर्मसंस्कृति।
धर्मसंस्कृति >>के अभाव 👇
में जन के होने पर भी
राष्ट्र का नाश हो जाता है ।
>>जैसे कि अरबों, पर्शियनों, अफगानों,
सिन्धियों ,बलूचों और बांग्लादेशियों का
नष्ट हो गया।
अतः #संस्कृति ही प्रमुख है और उस
संस्कृति का श्वास है #धर्म । जिन तत्त्वों को हम 👇
भारतीय सेनाध्यक्ष मनोज पांडे ने कहा कि भारतीय सेना चीन और पाकिस्तान दोनों से एक साथ निपटने में सक्षम है !
किसी देश के सर्वोच्च सेनापति यदि सेना दिवस के दिन ऐसा कहते हैं तो फिर उनका गंभीर संदेश समझ लीजिए !
कुछ दिनों से चीन ने बॉर्डर पर ड्रोन गतिविधियां बढ़ा दी हैं और सीमा पर 👇
गतिविधियां भी बढ़ी हैं !
वैसे भी पाकिस्तान 15 अगस्त और 26 जनवरी के आसपास आतंकवादियों को भारत में धकेलता है जो कुछ ही दिनों में मारे जाते हैं !
हमारी असली दिक्कत न तो बॉर्डर पर है और न किसी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सभी जगह भारत का दबदबा कायम है तभी तो पीओके बलूचिस्तान और अब सिंध मे
भी भारत के साथ मिलने के लिए आंदोलन चल रहे हैं । हमारी असली दिक्कत देश के भीतर है , दमघोंटू राजनीति में है , कथित बुद्धिजीवियों और अर्बन्स में है ।
ये हर समय आगे बढ़ते देश को पीछे खींचने की कोशिश करते हैं , विदेशी टूल किट्स के माध्यम से भारत को कमजोर दिखाने का प्रयास करते हैं ।
कहेऊँ नाम बड़ ब्रह्म राम तें ||
"राम" नाम
राम से भी बड़ा है।
क्योंकि
राम ने तो केवल अहिल्या को तारा।
किन्तु "राम" नाम के जप ने करोड़ों दुर्जनों की बुद्धि सुधार दी।
समुद्र पर सेतु बनाने के लिए
राम को भालू-वानर इकट्ठे करने पड़े।
बहुत परिश्रम करना पड़ा
परन्तु "राम" नाम से अपार👇
भव सिन्धु ही सूख जाता है
राम एक तापस तिय तारी |
नाम कोटि खल कुमति सुधारी ||
राम भालु कपि कटकु बटोरा |
सेतु हेतु श्रमु कीन्ह न थोरा ||
नाम लेत भव सिंधु सुखाहीं |
करहु विचार सुजन मन माहीं ||
"श्रीराम"
यह भगवान राम के प्रति पुकार है।
जय राम
यह उनकी स्तुति है।
जय जय राम
यह उनके
प्रति पूर्ण समर्पण है।
संसार का मूल कारण सत्व रज और तम
ये त्रिगुण हैं।
ये तीनों ही भव-बंधन के कारण हैं।
इन तीनों पर विजय पाने और संसार में सब कुछ "राम" मानने की शिक्षा देने के लिए इस मन्त्र में 3 बार "राम" और 3 ही बार "जय" शब्द का प्रयोग हुआ है।
मन्त्र का जप करते समय मन में यह 👇
सबको फुट हिल्स में नौकरी करनी है। सबको ईजी और एक्सेसेबल लोकेशंस चाहिए। सबको नेता बनना है।
सोचा था होटल व्यवसाय करके पैसे कमाएंगे👇
सरकार ने तमाम तरह से सपोर्ट भी किया। होम स्टे खोलने की परमिशन दी। आपने धड़ाधड़ कंस्ट्रक्शन किया। वहां भी किया जहां नहीं करना था। आपके पुरखों ने हमेशा लकड़ी और पत्थरों के सिंगल स्टोरी घर बनाए मगर आपने बुर्ज खलीफा से होड़ करनी चाही। पहाड़ में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स खड़ी कर दी।नतीजा
देख रहे हो ना...
राजमा चावल बेचना छोड़कर मैगी बेचने लगे। किसने कहा था इस चेंज के लिए? आपकी पहचान तो चकराता राजमा थी तो ये मैगी कहां से आ गई? जिधर देखो उधर मैगी प्वाइंट. स्याला सनसेट प्वाइंट हुआ करते थे पहाड़ में अब बस मैगी प्वाइंट बचे हैं। आपको तो काफल बेचना था तो ये इंपोर्टिड
नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री को बिहार में क्या घटित हो रहा है उनको पता ही नहीं होताकम से कम मीडिया के सवोलों का जवाब देते हुए बोलते हैं कि क्या हुआ,हमको तो पता ही नहींहम पता कर के उस पर बात करते हैं।
अब ऐसा मीडिया में कहने के पीछे मुख्यमंत्री साहब का कुछ एक कारण हो सकता है👇
पहला कारण
आरजेडी से गठबंधन कर उन्होंने ने जो गलती किए हैं,प्रधानमंत्री बनने के लिए, उस गठबंधन धर्म को निभाने के लिएवो ऐसा बोलते हैं कि उनको तो कुछ पता ही नहींक्यूँकि आरजेडी के साथ रहते हुए उसके बारे ने कुछ भी बोल देना इस मुखमंत्री नीतीश कुमार में हैसियत नहीं हैक्यूँकि वो डरते हैं
दूसरा कारण
इनका प्रिंसिपल सेक्रेटरी इनको कुछ बतलाता ही नहीं है।
जिस मुख्यमंत्री को यही नहीं पता की उसके राज्य में कहाँ क्या हो रहा है। कौन क्या बयान दे रहा है।
वो काहे का कुशल मुख्यमंत्री और कैसा कुशल प्रशासक।
ऐसा बयान देने से मुख्यमंत्री जी आपको बचना चाहिए क्यूँकि ऐसे 👇
एवं परस्परापेक्षा शक्ति शक्तिमतो स्थिता |
न शिवेन बिना शक्तिर्न शक्त्याबिन शिवः ||
शिव और शक्ति को
सदा एक दूसरे की अपेक्षा रहती है।
न तो शिव के बिना शक्ति रह सकती है और न ही शक्ति के बिना शिव रह सकते है।
शक्ति हीन शिव को शव कहा जाता है।
शिव दो अक्षरों का नाम है।
शिव अर्थात 👇
ईश्वर परमकल्याण भाजन
शिवमस्ति अस्य इति शिव: |
शेते जगत् अस्मिन इति शिव: ||
जिसमें प्रलय के समय
सारा जगत् कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड सावकाश शयन करते हैं।
उनका नाम है शिव।
महादेव महादेव महदेवेति यो वदेत् |
एकेन लभते मुक्तिं द्वाभ्यां शम्भू स्ऋणी भवेत् ||
एकबार के नामोच्चारण से मुक्ति
मिलती है और दो बार के नामोच्चारण करने से शंकर जी ऋणी हो जाते है।
शिव: काशी शिव: काशी काशी काशी शिव: शिव: |
ये जपन्ति नरा भक्त्या तेषां मुक्तिर्न संशय: ||
महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः |
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे ||
जो भगवान् शंकर
"शिव" को देवों के देव कहते हैं।
इन्हें महादेव भोलेनाथ शंकर महेश रुद्र नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है।
तंत्र साधना में
इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।
वेद में इनका नाम रुद्र है।
यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं।
इनकी अर्धाङ्गिनी शक्ति का नाम पार्वती है।
इनके 👇
पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं।
तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं।
शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है।
शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं।
और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं।
कैलाश में उनका वास है।
यह
शैव मत के आधार है।
इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है।
भगवान शिव को
संहार का देवता भी कहा जाता है।
भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं।
अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है।
सृष्टि की उत्पत्ति स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं।