1.#पहली बात यह कि इस देश के मंदिरों में भगवान नहीं, बेईमान बैठे हैं !
और #दूसरी
2.इस देश के बड़े-बड़े दुर्गों में राजा नहीं, कायर रहते हैं!
पर आज भी हम इन बेईमानों में चमत्कार ढूंढ रहे हैं, ये हमारी आस्था नहीं, हमारा अज्ञान है!
1025 में महमूद गजनवी ने देवसोमनाथ को लूटा,तब इस देश में यही सब हो रहा था, जो 2019 हो रहा है!एक हजार साल बीत गये, पर हम नहीं सुधरे!
आज भी यज्ञ और हवन हो रहे हैं, मन्त्र जाप हो रहे हैं, तंत्र-साधना चल रही है !
बताते हैं कि "महमूद" जब गजनी से चला तो गुप्तचरों ने गुजरात के राजा को बताया कि महमूद "देवसोमनाथ" को लूटने आ रहा है,तो गुजरात के राजा ने अपने राजपुरोहित और सोमनाथ के पुजारियों से सलाह की कि
देवसोमनाथ को कैसे बचाया जाय ? तो पंडितों ने कहा - पूरे राज्य से घी, दूध और धन इकट्ठा करो, हम यज्ञ, हवन और मृत्युंजय जाप करेंगे!गजनवी यहाँ तक नहीं पहुंचेगा और रास्ते में ही अँधा हो जायेगा!पूरे राज्य में ऐसा किया गया।
पर गजनवी अंधा नहीं हुआ और निकट आ गया!
गुजरात की सरहदों में आ गया तो गुजरात का कायर राजा लड़ने की बजाय रात में गुजरात छोड़कर भाग गया,और जब गजनवी देवसोमनाथ पहुंचा तो चंद पण्डे, पुजारियों को देखकर हैरान हो गया कि गजनी से सोमनाथ तक मेरे से कोई लड़ने तक नहीं आया और मैं बिना किसी अवरोध के मन्दिर तक पहुँच गया।
पुजारियों को देखकर उसने पूछा कि ये क्या कर रहे हैं तो लोगों ने बताया कि ये हवन, यज्ञ और मारण मन्त्र चल रहे हैं, ये आपको अन्धा करने की विधियाँ चल रही हैं, वही विधियाँ आज भी चल रही हैं, वो हवन, यज्ञ आज भी उसी रूप में जारी हैं।
सोमनाथ मन्दिर में अथाह धन देखकर गजनवी अचम्भित हो गया कि इतना धन कैसे इकट्ठा हुआ तो लोगों ने बताया कि मूर्ति का चमत्कार है जो हवा में लटकी है।
इस चमत्कार को जानने के लिये गजनवी ने मन्दिर का गुम्बद तुड़वाया तो चारों तरफ चुम्बक निकला और चमत्कारी मूर्ति जमीन पर आ गिरी।
बस यही एक चमत्कार है, जो हजार साल पहले से इस देश में काम कर रहा है बाकी बेईमानी के अलावा इस देश में दूसरा कोई भौतिक चमत्कार नहीं है।
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स्कूल के ठीक पीछे पुराना ठाठिया टाइप सिंगल स्क्रीन टाकीज था उसमें अक्सर "वो" वाली पिक्चर लगती थी रेसेस में अपना एक ठरकी दोस्त आया और बोला यार "सिराको" लगी है बड़ी भोकाल है चौकीदार से सेटिंग हो गई है चल देख आते है
मैं बोला.. अबे ठरकी.. एग्जाम आने वाली है पढ़ाई कर ले..वो बोला ..यह बोलना की तू डरता है ..साले ने मेल ईगो हर्ट कर दिया इसलिए मैं उसके साथ हो लिया फिर टाकीज मैं जो देखा वो अद्भुत अकल्पनीय और अद्वितीय था 😂😂
महागंदे मूंगफली छाप ब्लाक की फटी सीटों पर अधिकतर अधेड़ उम्र के पुरुष बैठे थे वो हमें घूर घूर कर ऐसे देख रहे थे जैसे हमने किसी का कत्ल कर दिया है मेरा दोस्त वँहा का रेग्युलर कस्टमर था इसीलिए वो टशन में जाकर सीट पर पसर कर बैठ गया 12 वी में थोड़ी बहुत मूंछ आ गई थी
एक महिला ने एक अंडे बेचने वाले बूढ़े व्यक्ति से पूछा "आप अंडे क्या भाव बेच रहे हो?"
बेचने वाले बूढ़े व्यक्ति ने उत्तर दिया "मैडम 5 रूपये का एक...
महिला ने विक्रेता से कहा मैं तो 25 रूपये में 6 लूंगी वरना मैं जाती हूँ।
बूढ़े विक्रेता ने उत्तर दिया - आइये और जो कीमत आप बता रही हैं, उसी भाव में ले जाइए। शायद यह मेरी अच्छी बोहनी हो जाये । क्योंकि आज अभी तक मैं एक भी अंडा नहीं बेच पाया हूँ।
उस महिला ने अंडे खरीदे और इस तरह चली गई, जैसे उसने बहुत बड़ी लड़ाई में जीत हासिल की हो।
वह अपनी क़ीमती गाड़ी में बैठी और अपने मित्र के साथ एक महँगे रेस्टोरेंट में पहुंच गई! वहां पर उसने और उसके मित्र ने अपनी पसन्दीदा चीजें मंगवाईं। उन्होंने अपने द्वारा दिये गए आर्डर के सामान में से कुछ कुछ खाया और बहुत सारा सामान छोड़ दिया।
श्री भूला भाई देसाई, इस कांग्रेसी के नाम से सावरकर की आत्मा आज भी दहशत में रहती है..भुला भाई देसाई के नाम से पूरा "संघी गिरोह" तब भी थरथर कांपता था और आज भी वही दहशत बरक़रार है..कौन थे भूला भाई देसाई जिनका नाम मोदी ने लालक़िले के "लाइट एंड साउंड" से हटाया है..
भूला भाई देसाई साहेब का सियासी तुलु'अ/उदय होता है सरदार पटेल के "बारडोली किसान सत्याग्रह" से..सरदार पटेल की इस तहरीक/आंदोलन में किसानों के वकील थे भूला भाई देसाई और केस जीत गए थे..
भूला भाई देसाई को गांधीजी, नेहरुजी और सरदार पटेल सबसे ज़्यादा ए'तिमाद/विश्वास करते थे..भूला भाई पर्दे के पीछे रणनीति बनाने और आज़ादी की जद्दोजहद को धारदार बनाते थे..
भूला भाई देसाई पर सबकुछ लिखना तो मुमकिन नही है पर भूला भाई देसाई वो शख़्स थे
ये दोनों तसावीर "नेताजी भवन", कोलकाता की है..इसी घर पर नेताजी सुभाषचंद्र रहते थे..केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडविया नेताजी के इस घर पर गए थे और ट्विटर पर तसावीर पोस्ट की थी..
1. लेफ्ट : मनसुख "नेताजी भवन" के सामने खड़े हुए है..
उनके पीछे "नेताजी भवन" के मेन गेट पर एक बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ है..बोर्ड पर कुछ तसावीर दिखाई दे रही है..
2. राइट : ग़ौर से देखिए, जहाँ "नेताजी रिसर्च ब्यूरो" लिखा हुआ है उसके ठीक नीचे भारत के पहले PM पंडित जवाहरलाल नेहरुजी की एक बड़ी तस्वीर लगी हुई है..
नेहरुजी के तस्वीर के लेफ्ट में नेताजी सुभाषचंद्र की भी बड़ी सी तस्वीर लगी हुई है..
आप "नेताजी भवन" जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि नेहरुजी की कितनी बड़ी तस्वीर लगी हुई है..
"नेताजी भवन" के अंदर जाएंगे तो नेताजी के साथ गांधीजी और नेहरुजी का अलग ही सेक्शन मिलेगा..
दो साल पहले 14 फरवरी की बात है। ऊपर एनटीपीसी की ऋषिगंगा परियोजना और 8 किमी नीचे जोशीमठ में परियोजना की सुरंग के ऊपर अचानक पहाड़ धंस गया और 150 मजदूर मिट्टी में दफ़न हो गए।
किसी ने इस हादसे की जिम्मेदारी नहीं ली। मरने वाले गरीब मजदूर थे, कोई वीआईपी नहीं।
फिर उत्तराखंड में बीजेपी की डबल इंजन धर्मरक्षक सरकार थी, सो बहुसंख्यक अवाम भी चोटी पकड़कर चुप रही।
जून 2021 में एक्टिविस्ट और स्थानीय नागरिकों ने नैनीताल हाईकोर्ट में रिट याचिका लगाई।
लेकिन कोर्ट ने न सिर्फ याचिका को कूड़े में डाल दिया, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ताओं और
याचिकाकर्ताओं पर 10–10 हजार का जुर्माना ठोक दिया।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सामाजिक कार्यकर्ता मानने से भी इनकार कर दिया।
यह बीते साढ़े 8 साल में देश के न्यायिक और अन्य संस्थानों पर आरएसएस, बीजेपी के भक्तों को बिठाने का नतीज़ा है, जो सरकार के लिए, सरकार के द्वारा
मोदी सरकार की आंख में किरकिरी बने ऑक्सफैम ने आज आर्थिक असमानता पर अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगर भारत के 10 सबसे दौलतमंद अमीरों पर 5% टैक्स लगाया जाए तो सभी बच्चों को स्कूली शिक्षा नसीब हो सकती है।
केवल गौतम अदाणी सेठ की 2017–2021 तक कमाई बेहिसाब दौलत पर ही एक समान
टैक्स लगाएं तो 1.78 लाख करोड़ मिलेंगे, जिससे 50 लाख प्राइमरी शिक्षकों की सालाना सैलरी का इंतजाम हो जायेगा।
भारत के तमाम अमीरों की कुल दौलत पर सरकार अगर एक बार 2% टैक्स लगाए तो 40423 करोड़ मिलेंगे, जो सभी कुपोषित बच्चों के 3 साल के पोषण का खर्च है।
भारत के 10 शीर्ष अरबपतियों पर 5% टैक्स लगे तो 1.37 लाख करोड़ मिलेंगे, जो स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च 86200 करोड़ का डेढ़ गुना है।
हम सब जानते हैं कि ऐसा नहीं होगा। नरेंद्र मोदी की सरकार गिर जायेगी।