प्यारे देशभक्तों
धंसता जोशीमठ,
उत्तराखंड के रास्तों पर अक्सर भूस्लखन होता ही रहता है,
जिससे रास्ते अक्सर जाम रहते है,
पहाड़ों पर हरियाली भी कम है
पहाड़ बड़ी चट्टानों की जगह छोटे छोटे हिस्सो मे है,
पिछले कुछ माह में दिल्ली और #विध्वंस150123
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आसपास भूकंप के झटके लगातार आए है और उत्तराखंड सहित हिमालय क्षेत्र इससे प्रभावित होता है,
साथ ही बड़े बांधों के कारण एकत्रित जल भंडार का दबाव भी पहाड़ों को प्रभावित करता है साथ ही अंदरूनी भूगर्भीय जल बहाव,
नदियों की दिशा भी बदलती है इससे,
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भूगर्भ के जल भंडार खाली होने से भी जमीन,
पहाड़ धंसते है;
इन सबके अलावा एक दो वर्ष पहले जोशीमठ के नीचे नदी में तेज बाढ़ अचानक आई थी जो शायद अपना असर छोड़ गई हो;
तिसपर जोशीमठ की बसाहट एकदम ढलान पर है,
और जोशीमठ से होकर ही चीन सीमा, विष्णुप्रयाग संगम,
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बद्रीनाथ,
हेमकुंड साहिब,
गोविंदघाट गुरुद्वारा,फूलो की घाटी और जोशीमठ के एन ऊपर औली भी यही से जाना होता है,
साथ ही जोशीमठ में सेना का बड़ा बेस कैंप लंबे चौड़े क्षेत्र में है;
इन सब कारणों में से कितने कारण
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👇 twitter.com/i/web/status/1…
जिम्मेदार है, जोशीमठ के धंसने के आप ही सोचिए !
जोशीमठ में भू-धसाव तेजी से दिन प्रतिदिन घंटा दर घंटा बढ़ रही है व जगह जगह से इस सूखे मौसम में इस तरह के मठमैले पानी के गधेरे निकल रहे हैं। जिससे कि जोशीमठ में बहुत ही दहशत का माहौल बना हुआ है
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प्यारे देशभक्तों
अदानी और
हिंडन बर्ग
इस खेल को समझिए
एक कथित रिसर्च फर्म दो साल मे तैयार की हुई रिपोर्ट एक ख़ास मौके पर निकालती है, और एक दूसरे देश का बड़ा Corporate Group उसके निशाने पर होता है,
इससे Invester sentiments पर #विध्वंस290123
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प्रभाव पड़ता है और लगभग 4,00,000 करोड़ का Market Cap का नुकसान उस group को होता है.
सबसे पहला सवाल....
कि रिपोर्ट किसकी है?
Hinderburg Research नाम की एक कंपनी की.
यह Hinderburg Research क्या है??
क्या यह कोई Financial संस्था है??
नहीं
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क्या यह कोई Regulatory संस्था है? नहीं....
क्या यह कोई कानूनी या सरकारी संस्था है? नहीं.....
क्या यह कोई CA type के लोगों का समूह है? नहीं.....
Google करेंगे तो पता लगेगा कि यह एक Short Selling करने वाली एक कथित Investor Activism करने वाली छोटी सी कंपनी है...
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साथियों
सबसे मजे में तो निर्मल बाबा रहे,
लाल हरी चटनी खिलाकर,
कभी किरपा अटकाकर,
कभी किरपा बरसाकर लोगों का जमकर तिया काटा,
दसवंद के नाम से जमकर माल बटोरा,
टिकट बेचे तो बाकायदा मनोरंजन कर चुकाया,
शानदार कुर्सी पर झकाझक कुर्ता पायजामा, मौजे पहनकर राजाओं के
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जैसे दरबार सजाया,
माल अंटी किया और अब मौज काट रहे हैं..
बस निर्मल बाबा ने एक काम नहीं किया, कभी सनातन धर्म की बात नहीं की,
कभी किसी विधर्मी की घर वापसी नहीं कराई, कभी हिंदुओं को एकजुट होने के लिये नहीं कहा,
कभी हिंदुओं को जातपात से उठकर
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केवल हिन्दू बनने को नहीं कहा,
इसलिये किसी दो कौड़ी के श्याम मानव की नज़रों में नहीं चढ़े और आज मौज में हैं..
बाकी कोई पादरी खुलेआम करंट लगाकर, पानी में डुबकी लगवाकर,
कोई मौलवी झाड़ फूँक करके,
आसमानी आयतें पढ़कर भूत प्रेत भगा दे, कोई बाबा बंगाली प्रेम,
शादी,
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जिद्दी कोठा गंध मचाने पर आमादा!
जजों की नियुक्ति को लेकर बनाए गए कॉलेजियम पर सुप्रीम कोठा और केंद्र सरकार के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है।
सुप्रीम कोठा कॉलेजियम समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट में नियुक्त करना चाहता है, #विध्वंस250123
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लेकिन केंद्र ने कृपाल के नाम पर आपत्ति दर्ज कराई है।
केंद्र ने इसके लिए खुफिया एजेंसी रॉ-आईबी की रिपोर्ट का हवाला दिया था।
इसमें समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल के विदेशी पार्टनर को लेकर सवाल खड़ा किया गया है।
लेकिन कॉलेजियम ने इन एजेंसियों की आपत्तियों को खारिज कर दिया था।
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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते पहली बार जजों के बारे में दी गईं केंद्र की आपत्तियों और रॉ-आईबी की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक कर दिया था।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को देश की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक करने पर कहा- यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।
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भारत के सबसे प्रसिद्ध फिल्म पटकथा लेखक सलीम खान (सलमान खान के पिता) ने एक बार एक वरिष्ठ पत्रकार से एक साक्षात्कार में कहा था: #विध्वंस250123
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क्या किसी को याद है कि मुंबई के दंगों के दौरान महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन था,
जो गुजरात के दंगों से कम घातक नहीं था; 2002?
क्या किसी को मल्लियाना और मेरठ दंगों के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री का नाम याद है
या बिहार के मुख्यमंत्री का नाम जब कांग्रेस के शासन में भागलपुर या
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जमशेदपुर दंगे हुए थे? क्या हम गुजरात के उन पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम सुनते हैं जिनके नेतृत्व में भारत के बाद सैकड़ों दंगे हुए?
क्या किसी को याद है कि 1984 में जब सिखों का कत्लेआम हुआ था तब दिल्ली की सुरक्षा की कमान किसके हाथ में थी??
भारत की राजधानी में?
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प्यारे देशभक्तों
एक भारतीय के रूप में बीबीसी के खिलाफ जवाब देने के लिए मुझे भी और आपको भी समय निकालनाचाहिए।
बीबीसी का हमेशा भारत विरोधी रुख रहा है। बीबीसी को 1970 के दशक में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भारत विरोधी होने के कारण बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
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उस समय बीबीसी के खिलाफ 41 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे।
आज यह रूस और चीन में प्रतिबंधित है।
वहाँ उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं है और कई मौकों पर उन्होंने अपनी झूठी खबरों के लिए माफी भी मांगी है।
मोदी 2002 में सीएम थे,
उनसे SC द्वारा नियुक्त SIT टीम द्वारा
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पूछताछ की गई थी और जांच का बड़ा हिस्सा UPA के दौरान किया गया था
SC को दंगों को प्रायोजित करने वाले राज्य का कोई सबूत नहीं मिला।
SC ने कई गवाहों से पूछताछ के बाद यह फैसला दिया और मोदी सरकार के मंत्रियों को जेल में डाल दिया गया।
उन्हें दोषी न पाकर छोड़ दिया गया।
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