आपको याद होगा एक जमाने में नोकिया के मोबाइल भी 40-50 हजार के बिकते थे, फिर जब उससे कहीं बेहतर टेक्नोलोजी सेमसंग ने आधे से कम दाम पे देनी शुरू की तो आज मार्केट से गायब हो गया है। अब पोस्ट पढ़िए:
रेंगलर ने ऑफरोडिंग के लिए कार बनाई। उसने डेवलपमेंट पे खर्चा किया तो कीमत के ऊपर भारी
मुनाफा रख के कार की मार्केट कीमत रखी 59 लाख।
महिंद्रा ने देखा की असल पुर्जों की कीमत से मुनाफा तो कई गुना है। इस लिए उसने रेंगलर का पुर्जा पुर्जा कॉपी करके बनाई थार। और मार्केट कीमत रखी करीब 18 लाख। बस अंतर ये था की इस कार में मात्र 2 ही दरवाजे थे जबकि रेंगलार में पैसेंजर सीट
पे भी दरवाजे थे। ये कीमत भी भारी मुनाफा जोड़ के रखी।
(नोट रैंगलर ने महिंद्रा पर अपना मॉडल कॉपी करने का केस भी कर रखा है )
मारुति सुजुकी जो आम ग्राहकों की सबसे ज्यादा कारें बनाने वाली कंपनी है उसने नया मॉडल बना दिया और नाम रखा जिमनी। ये कार ऑटो एक्सपो में दिखाई गई है और इस साल
मार्केट में आ जाएगी। इसकी अनुमानित ऑन रोड कीमत थार के बेसिक मॉडल जितनी रखने का प्लान है।
इसे देख के महिंद्रा ने अपनी जीप के रेट 9.9 लाख तक गिरा दिए हैं। सोचिए उन ग्राहकों के बारे में जिन्होंने थार को 2 लाख प्रीमियम देके जल्दबाजी में खरीदा था। सारी कारों में थोड़ा बहुत अंतर
सिक्योरिटी , इंटीरियर के नाम पे रखा जायेगा लेकिन उससे मात्र 2-4 लाख का अंतर पढ़ता है 10 या 40 लाख का नही।
अब कोई पूछे की इन कारों की असल कीमत कितनी है ? असल में पहली बार जब कोई चीज इजाद होती है तो ज्यादातर कीमत उसके अविष्कार की वसूली जाती है। मतलब हमने बनाया ..तो हमारी मर्जी...
जितने की ठीक लगे उतने में बचेंगे। अर्थात सारा खेल इस बात का है की ग्राहक अपना सूतिया कितने ज्यादा दाम तक कटवा सकता है। जागरूक बनें। अपनी जरूरत के हिसाब से खरीदें, मार्केट में कंपेरिजन करके। #कालचक्र
नोट: शौक बड़ी चीज है उसकी कोई कीमत नहीं होती, उसके लिए तो लोग जायजाद तक कुर्बान कर देते हैं। 🤣
बनारस से चला गंगा विलास क्रूज छपरा में जाकर फंस गया क्योंकि छपरा में पानी कम था, दर्जनों विदेशी सैलानियो को क्रूज से उतारकर लाया गया, बाद में जेसे तैसे क्रूज चालू हुआ और आगे बढ़ा .....इस बात से एक सवाल खड़ा होता है कि क्या गंगा में पानी कम हो रहा है ?
ऐसी स्थिति में भी अडानी जी को गंगा से पानी खींचने की अनुमति दी जा रही है
जी हां ! ये बिलकुल सच है अडानी जी हर साल साहिबगंज में गंगा नदी से 36 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी को खींचेंगे, साहिबगंज में अडानी का जल-पंपिंग स्टेशन बनाया गया है जिससे पवित्र गंगा जल पाइप लाइन के जरिए 90
किलोमीटर दूर गोड्डा के पॉवर प्लांट तक भेजा जाएगा
गंगा के इस पानी को गोड्डा में अडानी कंपनी के बड़े पैमाने पर बिजली संयंत्र में पाइप किया जाएगा जहां इसका उपयोग कोयले को धोने, औद्योगिक कचरे के प्रबंधन और टर्बाइनों को चलाने के लिए भाप उत्पन्न करने के लिए किया जाएगा।
यही नाम था, थोड़ा अजीब.. पर था तो क्या करें। तो भैया को एक बार गुफा में ध्यान करने की हुनक हुई। तो चल पड़े गुफा खोजने.. मिल भी गयी।
गुफा, जाहिर है जंगल मे होगी, और जंगल तो पहाड़ पर होगा। तो पहाड़ी जंगल मे भैया भजपैया ने गुफा खोजकर ध्यान लगाया।
समझ मे आया कि पीछे, कोई पहले ही ध्यान लगाया हुआ है।
भालू था..
तो भालू साहब को अपनी गुफा में किसी और का ध्यान लगाना.. शायद पसंद नही आया, तभी तो रेस शुरू हुई। भैया भजपैया जीत रहे थे, काहे की भालू पीछे था, भैया आगे थे।
पर दो की रेस जीतने में कतई मजा न था। तो एक शेर भी रेस में कूद पड़ा। लेकिन रॉकेट हमारे भैया ..भैया भैया भैया, तो अभी भी लीड कर रहे थे।
गौरवर्णी, रक्ताभु, कोमल, रसीले और यम्मी थे, तो एक भेड़िया भी पीछे लग गया। जंगल मे तूफान मचा था, आगे आगे भैया, पीछे पीछे भालू, शेर और भेड़िया..
बीरबल का टखना फ्रैक्चर हो गया. वॉकर का सहारा लिए लंगड़ाते-घिसटते हुए दरबार की तरफ जा रहे थे. उसी बीच राजा टोडरमल अपनी बग्घी से गुजरे. बीरबल को बिठा लिया. वॉकर पीछे बंधवा लिया. टोडरमल खुद छोटे-मोटे वैद्य थे. चोट के बारे में मालूमात हासिल करने के बाद बोले,
“तुम अगले सात दिन तक केले मत खाना और सिर्फ सफ़ेद लुंगी पहनना.”
“दर्द बहुत है राजा साहब” बीरबल कराहे.
“सब ठीक हो जाएगा. याद रहे बस सफ़ेद लुंगी पहननी है और कोई केले खिलाने के बदले जवाहरात भी दे रहा हो केले नहीं खाने हैं.”
दरबार सजा हुआ था और बादशाह के आने का इंतज़ार हो रहा था. लंगड़ाते हुए बीरबल को देख सभी ने सहानुभूति जताई. बीरबल ने सोचा भला हो बादशाह सलामत का जिन्होंने अपने साम्राज्य के छः बड़े गवर्नरों की पोस्टों में से पांच पर डाक्टरों को तैनात कर रखा था.
दिल्ली में हो रही बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में इस साल 9 राज्यों के चुनाव में हिंदुत्व,5 किलो राशन और लाभार्थी कार्ड की रेवड़ी पर जीत की रणनीति बनी है।नरेंद्र मोदी सरकार के 8 साल के राज में यही 3 उपलब्धियां बची हैं। इसके सिवा आम जनता के लिए ऐसा कोई काम नहीं हुआ,जो चुनाव जितवा
सके,उल्टे मध्यमवर्ग की जेब से निकलकर बैंकों में जमा हुए 12 से 14 लाख करोड़ उन कंपनियों पर लुटा दिए, जिन्होंने चंदे से मोदी सरकार को टिका रखा है।
बदले में मोदी सरकार ने इन्हीं कंपनियों के लोन माफ किए, यानी फायदा पहुंचाया। यह नहीं होता तो साढ़े 66 लाख करोड़ के एनपीए यानी
बट्टे खाते के बोझ तले आज सारे बैंक जोशीमठ बन जाते। शायद ही किसी बैंक का जीएम, ईडी या सीएमडी ऐसा मिलेगा, जिसने राजनीतिक दबाव में किसी कारोबारी को कर्ज न बांटा हो और वह भी सारे नियमों को टेबल के नीचे रखकर। दुनिया के किसी भी देश में लोन का 1–2% ही एनपीए होता है,
चीनी मूल के पहले व्यक्ति जिनसे मेरी मुलाक़ात हुई होगी, वह दरभंगा के एक दंत चिकित्सक डॉ. चैंग थे। मुझे मालूम नहीं कि उनके कौन से पूर्वज कब भारत आए, किंतु बिहार-बंगाल में ऐसे कई चीनी मूल के दंत चिकित्सक मिल जाएँगे। मुमकिन है कि उन्होंने भारत से डिग्री हासिल की हो,
लेकिन उनका चिकित्सकीय ढर्रा और उनके यंत्र खानदानी नज़र आते थे। वे अपने बोर्ड पर चाइनीज डेंटिल क्लिनिक लिख कर इस बात को वजन भी देते थे।
वहीं, उनकी क्लिनिक से कुछ किलोमीटर दूर शहर के दूसरी छोर पर हवाई पट्टी थी जो 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारतीय वायु सेना के अंतर्गत आ गयी।
हम कहानियाँ सुनते कि अगर भारत और चीन में युद्ध होता है तो बिहार के बिहटा और दरभंगा की वायुसेना यूनिट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हालाँकि ऐसी स्थिति बनी नहीं। अब उसका एक हिस्सा नागरिक हवाई अड्डा बन गया है।