❝एक वो दीनार जिसे तू अल्लाह तआला की राह में ख़र्च करता है, एक वो दीनार जिसे तू मिस्कीनों पर ख़र्च करता है, एक वो दीनार जिसे तू गर्दन आज़ाद (गुलाम आजाद) करने पर ख़र्च करता है और एक वो दीनार जिसे तू अपने अहल-ओ-अयाल पर ख़र्च करता है,..+
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इन सब में से अज्र के लिहाज़ से वो दीनार बढ़कर है, जिसे तू ने अपने अहल-ओ-अयाल पर ख़र्च किया है।❞