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|| धनप्रदायक - श्रीगणेश-लक्ष्मी स्तोत्र ||

ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने |
दुष्टारिष्टाविनाशाय पराय परमात्मने ||
लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपवीत शोभितं |
अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूह विनाशनं ||
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः |
सर्वसिद्धिप्रदोsसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदोभव ||
चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः |
सिन्दूरारुणवस्त्रेश्च पूजितो वरदायकः ||
इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद भक्तिमान नरः |
तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ||
ॐतत्सत् ॐतत्सत् ॐतत्सत् ।।

स्तोत्रार्थ: -

सम्पूर्ण सौख्य प्रदान करने वाले सत्चिदानद स्वरुप विघ्नराज गणेश को नमस्कार है |
जो दुष्ट अरिष्टग्रहों का नाश करनेवाले परात्पर परमात्मा है उन गणपति को नमस्कार है |
जो महापराक्रमी लम्बोदर,सर्पमय,यज्ञोपवीत से सुशोभित अर्धचंद्रधारी और सभी विघ्नो का विनाश करनेवाले है |
उन गणपति की मैं वंदना करती हूं ।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूँ ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्ब को नमस्कार है |
हे भगवान् आप ही सभी सभी सिद्धियों के दाता हो |
आप हमारे लिये सिद्धि-बुद्धि दायक हो |
आपको मोदक सदा सर्वप्रिय है |
आप मन के द्वारा चिंतित अर्थ को देनेवाले हो |
सिंदूर और लालवस्त्र से पूजित होकर सदा आप वरदान प्रदान करते है |
जो मनुष्य भक्तिभाव से युक्त हो एवं इस गणपतिस्तोत्र का पाठ करता है, स्वयं लक्ष्मी उनके देह-गेह (घर) को नहीं छोड़ती |

|| गणेश-लक्ष्मी स्तोत्र सम्पूर्णं ||

श्री राम

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More from @BahuRaani

Dec 3, 2022
हिन्दुत्व केवल एक धर्म ही नहीं है। सनातन का अर्थ होता है। जो न तो अग्नि, न वायु. न पानी और ना ही अस्त्र से नष्ट हो और धर्म का अर्थ होता है। जीवन जीने की कला।
आओ जानते हैं इन सभी को विस्तार से
१० ध्वनियां: घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, करतल, बीन (पुंगी), ढोल, नगाड़ा और मृदंग
१० कर्तव्य:- संध्यावंदन, व्रत, तीर्थ, उत्सव, दान, सेवा संस्कार, यज्ञ, वेदपाठ, धर्म प्रचार

१० दिशाएं : उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो
१० दिग्पाल : १० दिशाओं के १० दिग्पाल होते हैं।
उर्ध्व के ब्रह्मा,
ईशान के शिव व ईश,
पूर्व के इंद्र,
आग्नेय के अग्नि या वह्रि,
दक्षिण के यम,
नैऋत्य के नऋति,
पश्चिम के वरुण,
वायव्य के वायु और मारुत,
उत्तर के कुबेर
और...
अधो के अनंत
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Dec 2, 2022
|| महा-लक्ष्मी मन्त्र ||

इस मन्त्र के तीन पाठ नित्य करे। ‘पाठ’ के बाद कमल के श्वेत फूल, तिल,मधु, घी, शक्कर, बेल-गूदा मिलाकर बेल की लकड़ी से नित्य १०८ बार हवन करे। इससे मन-वाञ्छित धन प्राप्त होता है।

(ध्यान से पढ़िए)
ॐ अस्य श्रीपञ्च-दश-ऋचस्य श्री-सूक्तस्य
श्रीआनन्द-कर्दम-चिक्लीतेन्दिरा-सुता ऋषयः,
अनुष्टुप्-वृहति-प्रस्तार-पंक्ति-छन्दांसि, श्रीमहा-लक्ष्मी देवताः,
श्रीमहा-लक्ष्मी-प्रसाद-सिद्धयर्थे राज-वश्यार्थे सर्व-स्त्री-पुरुष-
वश्यार्थे महा-मन्त्र-जपे विनियोगः।
।।स्तुति-पाठ।।

पद्मानने पद्मिनि पद्म-हस्ते पद्म-प्रिये पद्म-दलायताक्षि।
विश्वे-प्रिये विष्णु-मनोनुकूले, त्वत्-पाद-पद्मं मयि सन्निधत्स्व।।
पद्मानने पद्म-उरु, पद्माक्षी पद्म-सम्भवे।
त्वन्मा भजस्व पद्माक्षि, येन सौख्यं लभाम्यहम्।।
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Nov 29, 2022
|| श्रीविष्णोरष्टा विंशतिनामस्तोत्रम ||

हे केशव, मनुष्य बारंबार एक हजार नामों का जप क्यों करता है? आपके नाम हों, उनका वर्णन कीजिये!!१!!

किं नु नाम सह्त्राणि जपते च पुन: पुन:!
यानी नामानि दिव्यानि चाचक्ष्व केशव!!१!! Image
मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम!
गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम !!२!!

पद्मनाभं सहत्राक्षं वनमालिं हलायुधम!
गोवर्धनं हृषीकेशं वैकुन्ठ पुरुशोत्तामम!!३!!

विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायण हरिम !
दामोदरं श्रीधरं च वेदान्ग गरुड़ध्वजम !!४!!
अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम!
गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च!!५!!

कन्यादानसह्त्राणां फलं प्राप्नोति मानव:!
अमायां वा पौर्णमास्यास्यामेकादाश्यां तथैव च!!६!!

संध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रात:काले तथैव च!
मध्याह्ने च जपन्नित्यं सर्वपापै: प्रमुच्यते !!७!!
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Nov 28, 2022
|| माता पिता के लिए ||

हनुमान जी के सिंदूर से जिद और गुस्सा हो जाते हैं गायब...

सभी माता-पिता अपने बच्चों को अच्छा पालन पोषण देना चाहते हैं। अपने बच्चों की सभी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं। ऐसे में कई बार बच्चे जिद्दी भी हो जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार बताया गया है। कि अगर कोई बच्चा ज्यादा जिद्दी हो, चिडचिड़ा हो, क्रोध अधिक करता हो, माता-पिता या अन्य बड़े लोगों की बातें नहीं सुनता हो, जमीन पर लौट लगाता हो तो उसको हनुमानजी के बांए पैर का सिंदूर हर मंगलवार और शनिवार को मस्तक पर लगाएं।
ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी के बाएं पैर का सिंदूर माथे पर लगाने से सद्बुद्धि प्राप्त होती है। हनुमानजी को बल और बुद्धि का दाता माना जाता है। इसी वजह से यह उपाय अपनाने वाले लोगों को काफी लाभ प्राप्त होते हैं।
Read 4 tweets
Nov 22, 2022
| श्री हनुमान सिद्ध मंत्र |

ॐ नमो हनुमते सर्व-ग्रहान् भूत-भविष्य-द्वर्तमानान् समीप-स्थान् सर्व-काल-दुष्ट-बुद्धीनुच्चाटयोच्चाटय परबलान् क्षोभय क्षोभय मम सर्व-कार्याणि साधय साधय ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं फट् । घे घे घे ॐ शिवसिद्धिं ॐ ह्रां ॐ ह्रीं ॐ ह्रूं ॐ ह्रैं ॐ ह्रौं ॐ ह्र: स्वाहा ।
पर-कृत-यन्त्र-मन्त्र-पराहंकार-भूत-प्रेत-पिशाच-दृष्टि-सर्व-विघ्न-दुर्जन-चेष्टा-कुविद्या-सर्वोग्रभयानि निवारय निवारय बन्ध बन्ध लुण्ठ लुण्ठ विलुञ्च विलुञ्च किलि किलि सर्वकुयन्त्राणि दुष्टवाचं ॐ हुं फट् स्वाहा ।
श्री हनुमान जी का पूजन करके इस मंत्र का प्रतिदिन दो माला जप बड़े नियम संयम से २१ दिन तक करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। और इस मंत्र में वर्णित कार्य भी हो जाते हैं।
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Nov 17, 2022
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|| भगवान श्री राम के संस्कृत श्लोक एवं मंत्र संग्रह ||

श्री राम वंदना श्लोक :-

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।
मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर तथा रणक्रीडा में धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणाकी मूर्ति और करुणा के भण्डार रुपी श्रीराम की शरण में हूं।

सफलता के लिए मंत्र:-

ॐ राम ॐ राम ॐ राम ह्रीं राम ह्रीं राम श्रीं राम श्रीं राम – क्लीं राम क्लीं राम। फ़ट् राम फ़ट् रामाय नमः ।
श्री राम गायत्री मंत्र :-

ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धी महि॥ तन्नो रामः प्रचोदयात्।।

ॐ, दशरथ के पुत्र का ध्यान करें, माता सीता की सहमति, आज्ञा से मुझे उच्च बुद्धि और शक्ति दें, भगवान् श्री राम मेरे मस्तिस्क को बुद्धि और तेज़ से प्रकाशित करें, बुद्धि और तेज प्रदान करें।
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