इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद भक्तिमान नरः |
तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ||
ॐतत्सत् ॐतत्सत् ॐतत्सत् ।।
स्तोत्रार्थ: -
सम्पूर्ण सौख्य प्रदान करने वाले सत्चिदानद स्वरुप विघ्नराज गणेश को नमस्कार है |
जो दुष्ट अरिष्टग्रहों का नाश करनेवाले परात्पर परमात्मा है उन गणपति को नमस्कार है |
जो महापराक्रमी लम्बोदर,सर्पमय,यज्ञोपवीत से सुशोभित अर्धचंद्रधारी और सभी विघ्नो का विनाश करनेवाले है |
उन गणपति की मैं वंदना करती हूं ।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूँ ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्ब को नमस्कार है |
हे भगवान् आप ही सभी सभी सिद्धियों के दाता हो |
आप हमारे लिये सिद्धि-बुद्धि दायक हो |
आपको मोदक सदा सर्वप्रिय है |
आप मन के द्वारा चिंतित अर्थ को देनेवाले हो |
सिंदूर और लालवस्त्र से पूजित होकर सदा आप वरदान प्रदान करते है |
जो मनुष्य भक्तिभाव से युक्त हो एवं इस गणपतिस्तोत्र का पाठ करता है, स्वयं लक्ष्मी उनके देह-गेह (घर) को नहीं छोड़ती |
|| गणेश-लक्ष्मी स्तोत्र सम्पूर्णं ||
श्री राम
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हिन्दुत्व केवल एक धर्म ही नहीं है। सनातन का अर्थ होता है। जो न तो अग्नि, न वायु. न पानी और ना ही अस्त्र से नष्ट हो और धर्म का अर्थ होता है। जीवन जीने की कला।
आओ जानते हैं इन सभी को विस्तार से
१० ध्वनियां: घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, करतल, बीन (पुंगी), ढोल, नगाड़ा और मृदंग
१० कर्तव्य:- संध्यावंदन, व्रत, तीर्थ, उत्सव, दान, सेवा संस्कार, यज्ञ, वेदपाठ, धर्म प्रचार
१० दिशाएं : उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो
१० दिग्पाल : १० दिशाओं के १० दिग्पाल होते हैं।
उर्ध्व के ब्रह्मा,
ईशान के शिव व ईश,
पूर्व के इंद्र,
आग्नेय के अग्नि या वह्रि,
दक्षिण के यम,
नैऋत्य के नऋति,
पश्चिम के वरुण,
वायव्य के वायु और मारुत,
उत्तर के कुबेर
और...
अधो के अनंत
इस मन्त्र के तीन पाठ नित्य करे। ‘पाठ’ के बाद कमल के श्वेत फूल, तिल,मधु, घी, शक्कर, बेल-गूदा मिलाकर बेल की लकड़ी से नित्य १०८ बार हवन करे। इससे मन-वाञ्छित धन प्राप्त होता है।
हनुमान जी के सिंदूर से जिद और गुस्सा हो जाते हैं गायब...
सभी माता-पिता अपने बच्चों को अच्छा पालन पोषण देना चाहते हैं। अपने बच्चों की सभी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं। ऐसे में कई बार बच्चे जिद्दी भी हो जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार बताया गया है। कि अगर कोई बच्चा ज्यादा जिद्दी हो, चिडचिड़ा हो, क्रोध अधिक करता हो, माता-पिता या अन्य बड़े लोगों की बातें नहीं सुनता हो, जमीन पर लौट लगाता हो तो उसको हनुमानजी के बांए पैर का सिंदूर हर मंगलवार और शनिवार को मस्तक पर लगाएं।
ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी के बाएं पैर का सिंदूर माथे पर लगाने से सद्बुद्धि प्राप्त होती है। हनुमानजी को बल और बुद्धि का दाता माना जाता है। इसी वजह से यह उपाय अपनाने वाले लोगों को काफी लाभ प्राप्त होते हैं।
श्री हनुमान जी का पूजन करके इस मंत्र का प्रतिदिन दो माला जप बड़े नियम संयम से २१ दिन तक करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। और इस मंत्र में वर्णित कार्य भी हो जाते हैं।
ॐ, दशरथ के पुत्र का ध्यान करें, माता सीता की सहमति, आज्ञा से मुझे उच्च बुद्धि और शक्ति दें, भगवान् श्री राम मेरे मस्तिस्क को बुद्धि और तेज़ से प्रकाशित करें, बुद्धि और तेज प्रदान करें।