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• तुरीय • Mystic Insights Tarot, Manifestation, Intuitive Healer, Counsellor - DM for consultation
Jul 24 9 tweets 3 min read
“I’ll tell you a secret no one has ever told you.”

Out of 32 these are first forms of Ganesha.

Save for later.

Rinamochana Ganapati
3 eyed, white skinned. 4 arms: ankusa, pasam, danta, wood apple. Tusk turned to right Image Sankatahara Ganapati
4 arms: ankusa, pasam, bowl of payasam, varada mudra. Sakthi seated on him. Trunk turned right Image
Dec 3, 2023 19 tweets 4 min read
Tantra Mantra Yantra Series 🔖

Save these ancient ones

The formation of Shiv Shakti (see carefully) Image श्रृष्टि और संहार Image
Oct 31, 2023 8 tweets 2 min read
Save this ancient 🔖

श्रीहनुमद्वन्दनम् Image Image
Oct 24, 2023 16 tweets 4 min read
Save this ancient Shiv Shakti explained. Image Shrishti Samhara Image
Oct 22, 2023 12 tweets 3 min read
Save this ancient Tripura Sundari Yantra Image Image
Jun 15, 2023 10 tweets 3 min read
10 Most powerful women in ancient Hindu history

1_ Maa Sita

#Ramayana

(Read till last) Image 2_ Draupadi

#Mahabharat Image
Feb 4, 2023 7 tweets 2 min read
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|| साधना ||

मनुष्य के तीन शरीर होते हैं- पहला- स्थूल शरीर, दूसरा- सूक्ष्म शरीर और तीसरा- कारण शरीर। स्थूल शरीर तो हमें दिखाई देता है। यह सोलह तत्वों का बना होता है। पहली नजर में हमारा चेहरा ही हमारे स्थूल शरीर का परिचय होता है। Meditation BahuRaani स्थूल शरीर के भीतर एक सूक्ष्म शरीर होता है जो 19 तत्वों का बना होता है। ये १९ तत्व हैं- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार, पांच ज्ञानेंद्रियां (आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा), पांच महाभूत ( पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश), तथा पांच प्राण- प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान।
Feb 4, 2023 7 tweets 2 min read
दैनिक सुप्रभात स्त्रोत

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः सह भानुजेन कुर्वन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।।
भृगुर्वसिष्ठः क्रतुरङ्गिराश्च मनुः पुलस्त्यः पुलहः सगौतमः ।
रैभ्यो मरीचिश्च्यवनो ऋभुश्च कुर्वन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।। सनत्कुमारः सनकः सनन्दन सनातनोऽप्यासुररिपिङ्गलौ च ।
सप्त स्वराः सप्त रसातलाश्च कुर्वन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।।
पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथापः स्पर्शश्च वायुर्ज्वलनः सतेजाः ।
नभः सशब्दं महता सहैव यच्छन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।।
Jan 22, 2023 8 tweets 2 min read
Something people have been asking me lately... Here is a glimpse of

|| पंचमुखी हनुमान शक्ति साधना ||

श्री हनुमान की साधना अनेक रूपों में की जाती है। जिनमें बाल हनुमान, भक्त हनुमान, वीर हनुमान, दास हनुमान, योगी हनुमान और पंचमुखी हनुमान प्रसिद्ध है। Image पांच मुख वाले हनुमान की शक्ति धार्मिक और तंत्र शास्त्रों में भी बहुत ही चमत्कारिक फलदायी मानी गई है। श्री हनुमान के पांच मुख पांच दिशाओं में हैं। हर रूप एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है।
Jan 21, 2023 6 tweets 2 min read
Try this, if you only have 2 minutes
#BahuRaaniBookmark

|| धनप्रदायक - श्रीगणेश-लक्ष्मी स्तोत्र ||

ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने |
दुष्टारिष्टाविनाशाय पराय परमात्मने ||
लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपवीत शोभितं |
अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूह विनाशनं || ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः |
सर्वसिद्धिप्रदोsसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदोभव ||
चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः |
सिन्दूरारुणवस्त्रेश्च पूजितो वरदायकः ||
Dec 3, 2022 7 tweets 2 min read
हिन्दुत्व केवल एक धर्म ही नहीं है। सनातन का अर्थ होता है। जो न तो अग्नि, न वायु. न पानी और ना ही अस्त्र से नष्ट हो और धर्म का अर्थ होता है। जीवन जीने की कला।
आओ जानते हैं इन सभी को विस्तार से
१० ध्वनियां: घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, करतल, बीन (पुंगी), ढोल, नगाड़ा और मृदंग १० कर्तव्य:- संध्यावंदन, व्रत, तीर्थ, उत्सव, दान, सेवा संस्कार, यज्ञ, वेदपाठ, धर्म प्रचार

१० दिशाएं : उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो
Dec 2, 2022 7 tweets 1 min read
|| महा-लक्ष्मी मन्त्र ||

इस मन्त्र के तीन पाठ नित्य करे। ‘पाठ’ के बाद कमल के श्वेत फूल, तिल,मधु, घी, शक्कर, बेल-गूदा मिलाकर बेल की लकड़ी से नित्य १०८ बार हवन करे। इससे मन-वाञ्छित धन प्राप्त होता है।

(ध्यान से पढ़िए) ॐ अस्य श्रीपञ्च-दश-ऋचस्य श्री-सूक्तस्य
श्रीआनन्द-कर्दम-चिक्लीतेन्दिरा-सुता ऋषयः,
अनुष्टुप्-वृहति-प्रस्तार-पंक्ति-छन्दांसि, श्रीमहा-लक्ष्मी देवताः,
श्रीमहा-लक्ष्मी-प्रसाद-सिद्धयर्थे राज-वश्यार्थे सर्व-स्त्री-पुरुष-
वश्यार्थे महा-मन्त्र-जपे विनियोगः।
Nov 29, 2022 6 tweets 1 min read
|| श्रीविष्णोरष्टा विंशतिनामस्तोत्रम ||

हे केशव, मनुष्य बारंबार एक हजार नामों का जप क्यों करता है? आपके नाम हों, उनका वर्णन कीजिये!!१!!

किं नु नाम सह्त्राणि जपते च पुन: पुन:!
यानी नामानि दिव्यानि चाचक्ष्व केशव!!१!! Image मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम!
गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम !!२!!

पद्मनाभं सहत्राक्षं वनमालिं हलायुधम!
गोवर्धनं हृषीकेशं वैकुन्ठ पुरुशोत्तामम!!३!!

विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायण हरिम !
दामोदरं श्रीधरं च वेदान्ग गरुड़ध्वजम !!४!!
Nov 28, 2022 4 tweets 1 min read
|| माता पिता के लिए ||

हनुमान जी के सिंदूर से जिद और गुस्सा हो जाते हैं गायब...

सभी माता-पिता अपने बच्चों को अच्छा पालन पोषण देना चाहते हैं। अपने बच्चों की सभी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं। ऐसे में कई बार बच्चे जिद्दी भी हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार बताया गया है। कि अगर कोई बच्चा ज्यादा जिद्दी हो, चिडचिड़ा हो, क्रोध अधिक करता हो, माता-पिता या अन्य बड़े लोगों की बातें नहीं सुनता हो, जमीन पर लौट लगाता हो तो उसको हनुमानजी के बांए पैर का सिंदूर हर मंगलवार और शनिवार को मस्तक पर लगाएं।
Nov 22, 2022 4 tweets 1 min read
| श्री हनुमान सिद्ध मंत्र |

ॐ नमो हनुमते सर्व-ग्रहान् भूत-भविष्य-द्वर्तमानान् समीप-स्थान् सर्व-काल-दुष्ट-बुद्धीनुच्चाटयोच्चाटय परबलान् क्षोभय क्षोभय मम सर्व-कार्याणि साधय साधय ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं फट् । घे घे घे ॐ शिवसिद्धिं ॐ ह्रां ॐ ह्रीं ॐ ह्रूं ॐ ह्रैं ॐ ह्रौं ॐ ह्र: स्वाहा । पर-कृत-यन्त्र-मन्त्र-पराहंकार-भूत-प्रेत-पिशाच-दृष्टि-सर्व-विघ्न-दुर्जन-चेष्टा-कुविद्या-सर्वोग्रभयानि निवारय निवारय बन्ध बन्ध लुण्ठ लुण्ठ विलुञ्च विलुञ्च किलि किलि सर्वकुयन्त्राणि दुष्टवाचं ॐ हुं फट् स्वाहा ।
Nov 17, 2022 12 tweets 2 min read
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|| भगवान श्री राम के संस्कृत श्लोक एवं मंत्र संग्रह ||

श्री राम वंदना श्लोक :-

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।। मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर तथा रणक्रीडा में धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणाकी मूर्ति और करुणा के भण्डार रुपी श्रीराम की शरण में हूं।

सफलता के लिए मंत्र:-

ॐ राम ॐ राम ॐ राम ह्रीं राम ह्रीं राम श्रीं राम श्रीं राम – क्लीं राम क्लीं राम। फ़ट् राम फ़ट् रामाय नमः ।
Nov 6, 2022 8 tweets 3 min read
|| शिव तत्व स्वरूप ||
भगवान शिव का रूप-स्वरूप जितना विचित्र है। उतना ही आकर्षक भी। शिव जो धारण करते हैं। उनके भी बड़े व्यापक अर्थ हैं।

जटाएं:
शिव की जटाएं अंतरिक्ष का प्रतीक हैं।

चंद्र:
चंद्रमा मन का प्रतीक है। शिव का मन चांद की तरह भोला, निर्मल, उज्ज्वल और जाग्रत है त्रिनेत्र:
इन्हें त्रिलोचन भी कहते हैं। शिव की ये आंखें सत्व, रज, तम (तीन गुणों), भूत, वर्तमान, भविष्य (तीन कालों), स्वर्ग, मृत्यु पाताल (तीनों लोकों) का प्रतीक हैं।

सर्पहार:
सर्प जैसा हिंसक जीव शिव के अधीन है। सर्प तमोगुणी व संहारक जीव है। जिसे शिव जी ने अपने वश में कर रखा है।
Nov 4, 2022 5 tweets 1 min read
|| शिवस्तुति ||

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि॥१॥
असितगिरिसमं स्यात् कज्जलं सिन्धुपात्रे
सुरतरुवरशाखालेखनीपत्रमूर्वी ।
लिखति यदि गृहीत्वा शारदा सर्वकालं
तदपि तव गुणानामीशपारं नयाति ॥ २॥ Image वन्दे देवमुमापतिं सुरुगुरुं वन्दे जगत्कारणं
वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पशूनां पतिम् ।
वन्दे सूर्यशशाङ्कवह्निनयनं वन्दे मुकुन्दप्रियं
वन्दे भक्तजनाश्रयं च वरदं वन्दे शिवं शङ्करम्॥३॥
Oct 25, 2022 11 tweets 2 min read
|| श्री गणपति माला मंत्र ||

इस माला मंत्र मे १००८ से ज्यादा अक्षर हैं

यह एक सिद्ध माला मंत्र है ।

आप इसे नित्य पूजन मे प्रयोग कर सकते है ।

किसी समस्या समाधान हेतु इसका २१,५१, या १०८ पाठ कर सकते है ।
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ॐ क्लीं ह्रीं श्रीं ऐं ग्लौं ॐ ह्रीं क्रौं गं ॐ , नमो भगवते महागणपतये स्मरणमात्रसंतुष्टाय सर्वविद्याप्रकाशकाय सर्वकामप्रदाय भवबंधविमोचनाय

ह्रीं सर्वभूतबंधनाय ।

क्रों साध्याकर्षणाय ।

क्लीं जगतत्रयवशीकरणाय ।

सौ: सर्वमनक्षोभणाय ।

श्रीं महासंपत्प्रदाय ।

ग्लौं भूमंडलाधिपत्यप्रदाय ।
Oct 25, 2022 6 tweets 1 min read
स्मरण शक्ति एवम् विद्या प्रगति के लिए

|| जय मां सरस्वती देवी ||

घंटाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दघतीं धनान्तविलसच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्‌।

गौरीदेहसमुद्भवा त्रिनयनामांधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वती मनुमजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्‌॥ स्वहस्त कमल में घंटा, त्रिशूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण को धारण करने वाली, गोरी देह से उत्पन्ना, त्रिनेत्रा, मेघास्थित चंद्रमा के समान कांति वाली, संसार की आधारभूता, शुंभादि दैत्यमर्दिनी महासरस्वती को हम नमस्कार करते हैं।
Oct 14, 2022 14 tweets 3 min read
श्री विद्या के उपासक श्रीयंत्र या श्रीचक्र की भावना अपने शरीर में करते हैं। इस तरह विद्योपासकों का शरीर अपने आप आप में श्रीचक्र बन जाता है। अतएव श्री यंत्रोपासक का ब्रह्मरंध्र बिंदु चक्र, मस्तिष्क त्रिकोण, ललाट अष्टकोण, भ्रूमध्य अंतर्दशार, गला बहिर्दशार, हृदय चतुर्दशार, कुक्षि व नाभि अष्टदल कमल, कटि अष्टदल कमल का बाह्यवृत्त, स्वाधिष्ठान षोडषदल कमल, मूलाधार षोडशदल कमल का बाह्य त्रिवृत्त, जानु प्रथम रेखा भूपुर, जंघा द्वितीय रेखा भूपुर और पैर तृतीय रेखा भूपुर बन जाते हैं।