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WHO IS DHUMAVATI MAA?
Sankatahara Ganapati
2_ Draupadi
स्थूल शरीर के भीतर एक सूक्ष्म शरीर होता है जो 19 तत्वों का बना होता है। ये १९ तत्व हैं- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार, पांच ज्ञानेंद्रियां (आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा), पांच महाभूत ( पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश), तथा पांच प्राण- प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान।
सनत्कुमारः सनकः सनन्दन सनातनोऽप्यासुररिपिङ्गलौ च ।
पांच मुख वाले हनुमान की शक्ति धार्मिक और तंत्र शास्त्रों में भी बहुत ही चमत्कारिक फलदायी मानी गई है। श्री हनुमान के पांच मुख पांच दिशाओं में हैं। हर रूप एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः |
१० कर्तव्य:- संध्यावंदन, व्रत, तीर्थ, उत्सव, दान, सेवा संस्कार, यज्ञ, वेदपाठ, धर्म प्रचार
ॐ अस्य श्रीपञ्च-दश-ऋचस्य श्री-सूक्तस्य
मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम!
शास्त्रों के अनुसार बताया गया है। कि अगर कोई बच्चा ज्यादा जिद्दी हो, चिडचिड़ा हो, क्रोध अधिक करता हो, माता-पिता या अन्य बड़े लोगों की बातें नहीं सुनता हो, जमीन पर लौट लगाता हो तो उसको हनुमानजी के बांए पैर का सिंदूर हर मंगलवार और शनिवार को मस्तक पर लगाएं।
पर-कृत-यन्त्र-मन्त्र-पराहंकार-भूत-प्रेत-पिशाच-दृष्टि-सर्व-विघ्न-दुर्जन-चेष्टा-कुविद्या-सर्वोग्रभयानि निवारय निवारय बन्ध बन्ध लुण्ठ लुण्ठ विलुञ्च विलुञ्च किलि किलि सर्वकुयन्त्राणि दुष्टवाचं ॐ हुं फट् स्वाहा ।
मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर तथा रणक्रीडा में धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणाकी मूर्ति और करुणा के भण्डार रुपी श्रीराम की शरण में हूं।
त्रिनेत्र:
वन्दे देवमुमापतिं सुरुगुरुं वन्दे जगत्कारणं
नमो भगवते महागणपतये स्मरणमात्रसंतुष्टाय सर्वविद्याप्रकाशकाय सर्वकामप्रदाय भवबंधविमोचनाय