कोल्हूमल ऐकेडमी ऑफ एक्सीलैँस इन लफन्ट्रिज्म मे परिचय समारोह चल रहा था। प्रोफेसर तिहाडवी "हाऊ टु ब्लैक सिनेमा टिकट" विषय पर लैक्चर दे रहे थे कि तभी एक महिला अपने पति और बेटे को लेकर पहुची और
बोलीः गुरुदेव, मेरे पति सब कुछ भूल जाते है, गंजे हो चुके है फिर भी रोज पूरे डेढ घंटे कंघी खोपडी पर घुमाते है,
मेरा बर्थडे भूल जाते है और भयंकर महाभारत के बाद इन्होने एक फूलवाले को ठेका दिया है, अब वो फूलवाला हर वर्ष मेरी बर्थडे पर मुझे फूल भिजवा देता है और ये उन फूलो को
देखकर पूछते रहते है कि ये कौन है बदतमीज है जो तुम्हे फूल भिजवाता रहता है, मुझे शंका है कि ये बीमारी मेरे बेटे को ना लग जाये और उसका भविष्य खराब हो जाये,
विलाप करती महिला के ऐसे वचन सुनकर प्रोफेसर तिहाड़वी बोलेः हे देवी, अब तू शांतचित्त से ये कथा सुनः
हेराफेरीपुर नामक नगर मे दो करैक्टर रहते थे, भूलेराम और मैमोरीराम,
मैमोरीराम बहुतै विकट मेमोरी का स्वामी था। उसे याद रहता था कि रिवर्स ऑस्मोसिस क्या है, मुंशी प्रेमचंद के गोदान मे गाय कहा दान की गई, फलां घोटाले मे किसने कित्ती रकम अंटी की,
उधर भूलेराम इस मामले मे बेहद शालीन बंदा था, दिमाग को वैसे ही क्लीन रखता था जैसा ऊपरवाले ने भेजा है, उसे ये याद ना रहता था कि उसने किससे क्या कहा था। एक क्षण किसी से कहता थाः तू मेरा जानी दुश्मन है और फिर अगले ही क्षण उसे गले लगाकर कहता थाः मै मोर तेरे आंगन का,
भूलेराम के ऐसे लक्षण देखकर उसके पिता ने कहाः तेरे चिलत्तर देखकर लगता है कि तू नेतागिरी मे बैस्ट परफॉर्म करेगा, सो भूलेराम नेतागिरी मे कूद गया और वाकई में उसने विकट मचा दिया,
कारण स्पष्ट था, भूलेराम जिस नेता के पैर पकडकर आगे बढता, कुछ दिन बाद उसे ही पहचानने से मना कर देता,
जिस नेता को वह सबसे बड़ा डकैत ठग बताता था, उसी के साथ मिलकर सरकार बना लेता, और जिस नेता के साथ उसने सरकार चलायी होती, उसे दुनिया का सबसे बडा चार सौ बीस बता देता, इस तरह से भूलेराम सफलता की नयी नयी सीढिया चढता गया,
उधर मैमोरीराम अपनी तेज मैमोरी के दम पर नौकरी ढूंढने लगा,
सबको बताता कि उसके पास कित्ती मेमोरी है, जो ये सुनता वो हंसता और कहताः अबे निपट बेवकूफ इत्ती मेमोरी तो चिरकुटै से चायनीज फोन मे मिल जाती है, किताबे घोटने की कोई जरुरत है क्या आज? गूगल विकिपीडिया काहे के लिऐ है, मैमोरी तीव्र होना तो बहुतै खराब बात है,
यह याद रहता है कि जिस बंदे को चोर कहा था, अब वो फैक्ट्रीस्वामी हो गया है तो उसके पास रोजगार मांगने जाने मे शर्म आती है, परिणामस्वरूप मैमोरीराम को कहीं भी नौकरी ना मिली,
फिर एक दिन अश्रुपूर्ण भाव मे मैमोरीराम भूलेराम के पास पहुंचा और बोलाः हे परम मित्र, मै दर दर ठोकरे खा रहा हूं,
कृपया मुझे रोजगार दो,
ये अत्याचार देखकर भूलेराम ने कहाः देखो मित्र, अब तो एपाइंटमेंट रखने के लिए भी पीऐ की जरुरत ना पडती, साफ्टवेयर ये काम करते है, हफ्ता वसुलने के लिए भी गुँडो की जरुरत ना पडती, व्यापारी को फोन पर धमका दो वो खुद ही खाते मे ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर कर देता है,
पर तुम मेरे बालसखा हो, इसलिए तुम्हे रसोईऐ की नौकरी दे रहा हू, बाकि तो अब तेज यादाश्त की कोई इज्जत बची ना है,
प्रोफेसर तिहाडवी की ये कथा सुनकर महिला ने प्रणाम करते हुए कहाः हे महाज्ञानी, मेरे दिमाग की बत्ती जल गई है और इस कथा से मुझे ये शिक्षाऐ मिली है-
1. मेमोरी की अब कोई इज्जत ना है, चाइनीज मोबाइल मे भी 128 जीबी मिल जाती है।
2. तरक्की रिवर्स ऑस्मोसिस और गोदान को समझने से नही, अपने कहे को भूल जाने से होती है।
3. तीव्र मैमोरी वाले को अंततः रसोईऐ नौकरी उनके यहा करनी पड़ती है, जो सब कुछ भूल जाते है।
और ये जो ऊपर बागेश्वर वाले नौटंकी का टाइटल था वो सिर्फ इत्ती लंबी पोस्ट पढ़ाने का एक तरीका था, थैंक्यू 😍
बाकि तो जो हैं सो हईऐ है🙏
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दिसम्बर 1989 में वीपी सिंह देश की सबसे ऊंची कुर्सी पर विराजमान थे। वैसे तो वे उप्र की एक रियासत मांडा के राजा थे। मगर चुनावी नारों में स्वघोषित फकीर थे, अब चुनाव बाद देश की तकदीर थे।
हालांकि उनकी खुद की तकदीर, बाहर से टेक दे रही भाजपा के हाथ मे थी। तकदीर वाले फकीर की सरकार बने हफ्ता हुआ था,
की गृहमन्त्री की बेटी किडनैप हो गयी।
1982 तक श्रीनगर में अमिताभ, विनोद मेहरा और राखी "किंतनी खूबसूरत ये तस्वीर है, ये कश्मीर है" गुनगुनाते फिरते थे।
तब नेशनल कान्फ्रेंस की सरकार थी। जुलाई 1984 में इंदिरा ने फारुख की पार्टी में तोड़फोड़ की। कांग्रेस समर्थन से फारुख के जीजा, गुलशाह की सरकार बनवा दी। आम राजनैतिक चाल थी। उल्टी पड़ी।
गुलशाह अपनी ही फितरत के थे। खुद की जमीन मजबूत करने लगे।
"यौन शोषण की मांडवाली लाइव चल रही है..हुकूमत, वज़ीर, गोदिमीडिया सब मिल कर यौन शोषण की मांडवाली कर रहे है..केंद्र का वज़ीर/मंत्री यौन शोषण की मांडवाली कर रहा है😊"
~ बीजेपी का सांसद ब्रजभूषण पर यौन शोषण का इल्ज़ाम है..मांडवाली कर रहा है केंद्र का वज़ीर अनुराग ठाकुर..
गोदिमीडिया बता रहा है कि यौन शोषण की मांडवाली में 4 घन्टे की मीटिंग बेनतीजा रही..और कितना "बिकास" चाहिए🤣
~ ब्रजभूषण को जेल में होना था पर वो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे है..ब्रजभूषण ने यौन शोषण किया था या नहीं ये तो मुक़म्मल तौर पर नहीं कहा जा सकता..
पर मोदी की ज़ुबान में कहा जा सकता है : बृजभूषण कितने तेजस्वी है, कितने उच्च विचार है..
सवाल यह नहीं कि धीरेंद्र शास्त्री से मिलने एबीपी के इस एजेंट को किसने भेजा होगा–सब जानते हैं। असल सवाल यह है कि क्या गोदी चैनलों को इस बात की ज़रा भी चिंता नहीं कि कल तक चुड़ैल, डायन, स्वर्ग का रास्ता...वगैरह परोसकर दोजख के दरवाजे पर पहुंच चुकी मीडिया ऐसे प्रपंच में
पड़कर तबाह हो जाएगी
आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सर्विलांस और डेटा के बाज़ार में जब बैंक अकाउंट तक गुप्त नहीं तो यह आदमी अपनी जिम्मेदारी भूल बाबा की जय क्यों कह रहा है?
जाहिर है स्टूडियो में बैठे अपने आकाओं और बीजेपी आईटी सेल के इशारे पर, क्योंकि नागपुर से हमला हुआ है सनातन पर।
वॉट्सएप पर चैनलों का ठप्पा चढ़ाकर इसे भेजना है, वरना करोड़ों लोगों को यकीन कैसे होगा?
यही प्रचार है। भारत में 47 प्रतिशत लोग मोबाइल में इंटरनेट यूज नहीं करते। वे कानों से देखते हैं।
कुंडी डाली
ताला मारा
सीढ़ी लगा उतरने
खाली पेट चला रमधनिया ईंटा गारा करने
संध्या भोजन में छोड़ा था सूखी रोटी एक
बड़ी देर से इधर उधर बस उसे रहा था देख
टाइम देखा घड़ी बजाने वाली थी जब सात
थी मजदूरों के मंडी में हलचल की शुरुआत
देर हुई तो फिर मजदूरों को पूछेगा कौन
सुरती धरी हथेली पर फिर निकल पड़ा वह मौन
गमछा बांधा
तहमद डाली
बूसट लगा पहनने
खाली पेट चला रामधनिया ईंटा गारा करने
घर से आया फोन पूछती रमरतिया कुछ खाया?
कह देता है झूठ उसे था तहरी आज बनाया।
साथी सभी गए छुट्टी वह आज अकेला सोया
सुबह हो गई मगर रह गया वह सोया का सोया
जाते ही जब काम मिल गया, गया सभी कुछ भूल
पानी पीकर रहा मिटाता अपने हिय का शूल
बालू छाना
गिट्टी डाली
ईंटें लगा पकड़ने
खाली पेट चला रमधनिया ईटा गारा करने
ज्यादा पानी पीने से फिर लगी खूब लघुशंका
जिसे देखकर धू धू जलने लगी सभी की लंका
मालिक बोला कामचोर है, संगी हंसे ठठाए
मदारी के खेल में ताली बजते रहने का...
विश्व गुरू बनने की कतार में हम लगे हैं...
भारत को सोने की चिड़िया किस रूप में कहा जाता रहा है और किस रूप में आगे भी कब तक कहा जाता रहेगा … यह आज तक समझ में नहीं आया.…… सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी तो
सुनी है पर ये सोने की चिड़िया क्या बला है ....... आज़ादी के बाद भारत को सोने की चिड़िया बनाने का दावा करीब डेढ़ हज़ार बार तो सुना जा चुका है …… रोजाना जान दे रहे किसानों को भोंपू लगा कर सुनाया जाए तो शायद वे ज़हर खाना छोड़ लाठी-डंडा लेकर निकल पड़ेंगे
और चिल्लायेंगे ----अबे बाहर निकल के आ भारत को सोने की चिड़िया बनाने वाले!!!
इतिहास में किसी पंडत टाइप इतिहासकार ने भारत नाम के देश को दो-चार जगह ज़रूर सोने की चिड़िया बताया है-एक तो तब हमारा देश आर्यावर्त हुआ करता था … जिसमें विमान उड़ा करते थे …