#WamanMeshram @BKM4India, @BMM4India EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) भंडाफोड राष्ट्रव्यापी परिवर्तन यात्रा - भाग 2
अर्थात
''शासनकर्ति जमात बनो'' -डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर
कन्याकुमारी से कश्मीर तक दि.26जनवरी2023 से दि.26जनवरी2024 तक
नेतृत्व:- मा.वामन मेश्राम (राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत मुक्ति मोर्चा एवं राष्ट्रीय समन्वयक, बहुजन क्रांति मोर्चा, नई दिल्ली)
क्या #वेद ईसा पूर्व मे था?
वर्तमान समय मे वेद पुस्तक को कहा जाता है, जो चार खंडो {(1) ऋज्ञवेद, 2) सामवेद, 3) यजुर्वेद, 4) अथर्ववेद} मे उपलब्ध है|
वेद ईसा पूर्व काल मे था इसको जानने के लिए वेद शब्द का अर्थ जानना होगा, तभी जान पाएंगे कि वेद पुस्तक ईसा पूर्व था भी की नही! #वेद पालि
शब्दकोश का शब्द है| कच्चान व्याकरण अनुसार विद धातु से वेद, विद्या, विद्यालय, वेदना, वेदगु, वेदयितं, वेदयामी, वेदमानो जैसा शब्द बना है| जो बुद्ध वंदना मे #लोक_विदु के तौर पर प्रयोग होता है, तो मिलिंद वग्गो के तीसरे अध्याय मे #वेदगू_पञ्हो और चक्रवर्ती सम्राट अशोकमौर्य द्वारा लिखित
"बैराट भाबरु" अभिलेख मे #विदितेवे के रूप मे मिलता है| जिसमे #लोक_विदु का अर्थ- संसार का ज्ञाता, #वेदगू-ऊँचतम अनुभवी, #विदितेवे-अनुभव प्राप्त करने वाला होता है| यानी #वेद का अर्थ अनुभव होता है👈 इसलिए तिपिटक मे भगवान बुद्ध को #तण्ह_वेदगु कहा जाता है| यानी स्वयं के अनुभव से तीन
प्रोफेसर भगवान ने राम,सीता को शराबी क्यों कहा? इसपर ब्राम्हण आपत्ति कर रहे है| क्या प्रो.भगवान झुठ बोले? क्या है सच्चाई? चलो देखते है वाल्मीकि रामायण मे क्या कहा है? "उस अशोक वाटिका मे ऐसे बहुत से लतागृह थे, जो अनेक आसनो से सुशोभित थे, ऐसी विस्तृत अशोक वाटिका मे प्रवेश कर के राम
सुंदर आकार वाले, पुष्प समूह से विभूषित एवं उत्तम बिछौने वाले आसन पर बैठ गए, राम ने अपने हाथ मे नशीली मंदिरा ले कर सीता को इस प्रकार पिलाई, जिस प्रकार इंद्र अपनी पत्नी शशी को पिलाते है| (१६-१८)"
वाल्मीकि रामायण मे राम,सीता को शराबी ही कहा है| अगली बार यह भी सिद्ध करेंगे कि
वाल्मीकि रामायण यह बताता है कि राम,सीता यह गोमांस भक्षी थे| लेकिन सवाल यही है कि वाल्मीकि रामायण मे ऐसा जिक्र क्यों आया?*
*खैर अब इतना ही👈
भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा वामन मेश्राम साहब के द्वारा 26 जनवरी 2023से कन्याकुमारी से दिनाँक 26 जनवरी 2024 कश्मीर तक -- लोकतंत्र को बचाने के लिए एवम मूलनिवासी समाज को शासन-कर्ता जमात बनाने के लिए EVM भंडाफोड़ राष्ट्रीय परिवर्तन यात्रा निकालने का निर्णय किया था
( क्योंकि EVM से हमारे वोटो की चोरी हो रही है उसे रोकने के लिए ) जिसकी सम्पूर्ण तैयारी हो चुकी थी लेकिन तमिलनाडु के पुलिस प्रशासन के द्वारा परिवर्तन यात्रा की अनुमति अभी तक नही दी है|
यह हमारे संविधान मे मिले मौलिक अधिकारो का हनन है| अभी तो देश मे बाबा साहब का संविधान लागू है
बाउजूद आर्टिकल 19 मे मिले मौलिक अधिकारो का हनन किया जा रहा है?
मा.वामन मेश्राम साहब ने अनुमति न मिलने के कारण दिनाँक 31 जनवरी 2023 को देश व्यापी जेलभरो आन्दोलन की घोषणा की है| अतः राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद मा वामन मेश्राम साहब के द्वारा घोषित किए गए जेलभरो आन्दोलन का जाहिर
24जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जन्मजयंती
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर जी (जन्म;24जनवरी1924 - मृत्यु;17फरवरी1988) ने करीब 41 साल पहले मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशो के अनुरूप OBCअन्य पिछडे वर्ग को नौकरियो व शिक्षा मे आरक्षण देने की घोषणा 11नवंबर1978 को की थी|
इसलिए सबसे
ज्यादा अश्लील और भद्दी गालियाँ भी कर्पूरी जी ने सुनी थी|
इनके बाद वी.पी.सिंह, लालू प्रसाद, अर्जुन सिंह, मायावती वगैरह के नाम आते है|
पिछडे वर्ग के इस आरक्षण के खिलाफ ब्राह्मण, भूमिहार और राजपूत जातियो के लंपट और लफंगे सडको पर उतर आए और कर्पूरी जी को माँ बहन की गंदी-गंदी गालियाँ
देने लगे|
जैसे👇
रिज़र्वेशन कहाँ से आई, कर्पूरी की माँ...
कर्पूरी की माई चढी खजूर,
बेटा माँगे...
कर्पूरी कर्पूरा छोडो गद्दी, पकड़ौ छूरा
जैसी गालियाँ पढे लिखे उच्च वर्णों ने दी👈
लेकिन कर्पूरी जी तो इतिहास लिख चुके थे|
वे इतिहास मे जननायक के तौर पर दर्ज हो चुके थे|
आज बिहार के
आदिवासी समाज के लोगो को मा.डॉ.भंवर सिंह पोर्ते, मा.शिवभानू सिंह सोलंकी और मा.दिलीप सिंह भूरिया के विकास और पतन का इतिहास जानने की जरूरत है|
इसके अलावा मा.जयपाल सिंह मुंडा और इंजी. कार्तिक उराँव साहब के द्वारा आदिवासियो के लिए किए गए संघर्ष और उनके साथ हुये
सडयंत्रो के इतिहास को जानना चाहिए ?
क्योंकि जो कौम अपने इतिहास से सबक नही सीखती है, वह अपने भविष्य का निर्माण नही कर सकते है| -बाबासाहेब डॉ.आंबेडकर
ब्राह्मण एवम तत्सम ऊंची जातियो की राजनीतिक पार्टियो कांग्रेस एवम भाजपा ने आदिवासी समुदाय के लडने-भिडने एवम समाज के लिए कुछ करने की
सामाजिक सोच रखने वाले नेताओ के साथ कैसा सलूक किया ?
जानने के लिए वीडियो सुने
ब्राह्मणो की राजनीतिक पार्टियो मे गुलामी करके आदिवासी समुदाय को बेचने वाले नेताओ को भी सबक लेना चाहिये ?
के.आर.शाह, संपादक, आदिवासी सत्ता पत्रिका, भिलाई, दुर्ग छत्तीसगढ
छत्रपति शिवाजी महाराज के सच्चे एवं कर्तबगार वारिस प्रतापसिंह भोसले महाराज 1जनवरी1818 के युद्ध के कारण प्रताप सिंह भोसले महाराज यह बाजीराव (द्वितीय) पेशवा के कैद से मुक्त हुए और सातारा गद्दी के अधिकृत राजा घोषित किए गए| छत्रपति प्रताप सिंह भोसले महाराज ने बहुजनो के लिए शिक्षा के
लिए द्वार खोलकर लडको एवं खरकर लडकियो के लिए विद्यालय शुरू किए|
सन1832 मे उन्होने लडकियो के लिए विद्यालय शुरू किया| उनका वास्तविक शिवराज्य की स्थापना का उदात्त हेतु था|सूबेदार रामजी सपकाल जी सातारा मे मिल्ट्री मे कार्यरत थे तब उन्होने भीमरावआंबेडकर (बाबासाहेब) को प्रताप सिंह भोसले
महाराज की पाठशाला मे दाखिला करवाया| फिर वही बच्चे ने आगे चलकर देश का तथा बहुजन आंदोलन का नेतृत्व किया जिन्हे डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर नाम से जाना जाता है| उन्होने भारतीय संविधान के माध्यम से स्वराज्य अर्थात शिवशाही को पुनर्जीवित किया|
मराठासाम्राज्य के 8वें छत्रपति प्रताप सिंह भोंसले