#बाघेश्वरधाम महंत पंडित धीरेन्द्र शास्त्री पर तुरंत अपना मुंह चियारने वाले ढोँगाचार्य श्रीरामचरितमानस प्रतियां जलाए जाने पर उसी मुंह में दही जमाए बैठे है हकीकत में ऐसे ही गुरूघंटाल हिन्दू समाज के असल दुश्मन है
बता दू "राम चरित मानस" जलाने वालों ने अपने कुल और
आने वाली पीढ़ियों पर इतनी कालिख पोत दी है कि उसकी धुलाई के लिये गंगा और जमुना का जल भी कम पड़ जायेगा शापित लोग है ये इन की छाया मात्र से भी समाज कलंकित हो जायेगा साथियों आते है क्रिया की प्रति क्रिया पर कि हमे क्या करना चाहिए इस लहन के बोडे स्वामी ने जो करना था कर दिया
हमे अब इस मादरखोद को सोच समझ कर उत्तर देना होगा उत्तेजित बिलकुल नही होना है वो यही चाहता है, वो 1990 वाली अगड़ों पिछड़ों की लड़ाई चाहता है "राम चरित मानस" का एक पेज फाड़ने से कुछ नही होगा हमारे सारे मंदिर तोड़ दिए गए फिर भी हम जिंदा है "राम चरित मानस" वेद पुराण उप निषद या
गीता नही तुलसीदास द्वारा भक्ति भाव से लिखी प्रभु श्रीराम की बायोग्राफी है जो कई जगह बाल्मिकी रामायण से भी मेल नहीं खाती और तो और बाल्मिकी रामायण जितनी authentic भी नही मानी जाती..!
"ढोल गवार शुद्र पशु नारी" वाली लाइन निश्चित contraversial है ये लाइन उस वक्त के
समाज को represent करती है आज समाज बदल रहा है आज तेजी से inter mixing हो रही है इस लाइन के अलावा "राम चरित मानस" में और बहुत कुछ है केवल एक लाइन पूरी किताब को रिप्रेजेंट नही करती प्रभु श्री राम जी ने निषाद से दोस्ती की थी उसको अपने दरबार में सब राजाओं के समान आसन दिया था,
भरत ने निषाद के पैर छुए थे, प्रभु श्री राम ने भीलनी के झूठे बेर खाए थे तुलसीदास जी ने हनुमानजी का कितना गुणगान किया है आज हरेक घर में हनुमान जी की पूजा होती है हनुमान जी ना तो ब्राह्मण थे ना ही क्षत्रिय वो आदि वासी बनवासी थे इस लिए एक लाइन को पकड़ कर मत बैठिए हां एक
चीज जो देख रहा हु कोई भी ऐरा गेरा सत्य सनातन पर मुंह से कुछ भी हग कर निकल जाता है वो सब गंदगी हृदय को चीर देती है असल तो सनातन की रक्षार्थ डर भय किस चिड़ी का नाम है पता ही नही किसी को डरेगा कोई क्या खाक..?
दूसरी तरफ पूरी की पूरी जंगली जाहिल कोम ओला हु पर थोड़ी भी
कोई नुक्ता चीनी कर दे वो सालो साल भूलते नही सर तन से जुदा पर अड़े रह कर आखिर में "सर तन से जुदा" को अंजाम दे डालते है और हम "हमे क्या" वाली आत्मघाती सोच को पल्ले में जोरदार गांठ लगाकर जंगल में चरते हिरणों की तरह जन्म जात भेड़ियों के लिए प्रोटीन इक्कठा करते रहते है
चोदह सो सालो से यही सब चल रहा है कोई कुछ करने की ठान भी लेता है उसको विधर्मियों से मिलकर अपने निजी स्वार्थों को साध पग पग बैठे जयचंद ठिकाने लगवा देते है जब तक किले के दरवाजे अंदर से खुलते रहेंगे तब तक कोई कितना क्या कर पाएगा ये सब जानते हुए भी कुछ सिरफिरे "कभी तो
सुबह होगी" की उम्मीद में लड़ते मरते खपते है वो सुबह शाम के भोजन के लिए तरसते है चौदह सौ साल से यही फिल्म चल रही है भगतसिंह पैदा हो लेकिन मेरे घर नही...?
घर बार छोड़ने के बाद जो असल कड़वे सत्य का अनुभव किया वो ये कि हिन्दू जितना निजी स्वार्थी कीड़ा पृथ्वी पर दूसरा और कोई नही,
मोटा सा बैंक बैलेंस कोठी कार बंगले सब इक्कट्ठे कर लेगा वो भी उस भीड़ के लिए जो एक दिन सब लूट लेगी हां देश धर्म के नाम पर कोई पांच पैसे मांग ले नानी मर जाएगी सोचना जरूर जो मेने लिखा है आप खड़े कहां है गाल बजाने का समय निकल चुका है अब दो दो हाथ करने का समय है वो भी अंतिम और
निर्णायक,वो भी अभी है क्यो कि नो साल बाद इनका वोट बैंक हिन्दुओ के बराबर हो जाएगा एक बार सत्ता इनके हाथ गई नही फिर याद आएगा लिखा गया हरेक शब्द, मैंने जनजागरण का कार्य इसीलिए चुना है की जो हिन्दू चादर तानकर अभी भी सो रहा है उन्हें जागरण द्वारा जगा सके उन्हें बता सके समझा सके अगर
जिंदा रहे तो आने वाली नस्लो से सवाल जवाब में दो चार न होना पड़े अगर होना भी पड़े तो उनके सामने शीश शर्म से न झुकने पाए बल्कि उनको पता चले कि उस पहले और आखिरी हाथ आये मौके को साधने के लिए हमारे बड़ो ने जान की बाजी लगा प्रयास तो किया, और हां जितने भी साथी आज तक हमारी सांसो को
ऑक्सीजन देते आ रहे उन भामाशाहो से झोली पसार भिक्षा की गुहार है, आप सबकी मदद बगैर हमारा एक कदम भी आगे नही बढ़ पायेगा जो बचेगा मा महाकालिका की शरण मे है वो जाने।
🚩जय भवानी🚩
🚩जय जय श्री राम🚩
-क्या काला गुलाब भी होता है? आपको जानकर हैरानी होगी कि काला नहीं हरा गुलाब भी होता है। काला और हरा दोनों रंग के गुलाब दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में मौजूद हैं।
इसी मुगल गार्डन का नाम अब प्रधानमंत्री मोदी ने बदलकर अमृत उद्यान कर दिया है। लेख के आखिरी हिस्से में मुगल गार्डन वाला कम्युनिस्ट प्रोपागेंडा भी एक्सपोज करेंगे। लेख पूरा पढिएगा।
-मुगल गार्डन को अंग्रेजों ने बनवाया था और उसके नाम से दो तरह की गुलामी की गंध आती थी...
पहला कि ये अंग्रेजों के द्वारा निर्मित था जो आक्रमणकारी थे और दूसरा कि अंग्रेज आक्रमणकारियों ने मुगल आक्रमणकारियों के नाम पर गार्डन बनवाया था जिसको मुगल गार्डन कहा गया।
आजादी के 75 वें वर्ष को अमृत महोत्सव के नाम से मनाया जा रहा है और
300 वर्ष तक भारत के बड़े भूभाग पर राज करने वाले होलकर की जाति से आने वाले धनगर और सिंधिया के कुनबे वाले आज पिछड़े हैं।
उन महाराजा विक्रमादित्य हेमराज तेली के वंशज आज पिछड़े हैं जिन्होंने अखंड भारत पर राज किया।
वह मौर्य साम्राज्य आज पिछड़ा/दलित है, जिनके वंशजों ने पीढ़ियों तक बंगाल की खाड़ी से लेकर पर्शिया की सीमा तक अखंड भारतवर्ष पर राज किया।
महापद्मनंद और धनानंद का वंशज नाई समुदाय आज पिछड़ा है। जो भारत के सबसे शक्तिशाली राजे होते थे।
हिंदुओं के सबसे पवित्र ग्रंथ रामायण के रचियता और श्रीराम की अर्धांगिनी माता सीता को अपने आश्रम में शरण देने वाले, श्रीराम के पुत्रों लव-कुश का पालन पोषण और उनको शिक्षित करने में महर्षि वाल्मीकि के वंशज आज अछूत कैसे हो गए या हो सकते हैं?
*सरकार की बड़ी सौगात- सात लाख तक आय पर कोई टैक्स नहीं*
मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमृत काल का पहला बजट पेश कर रही हैं। मोदी 2.0 का यह पूर्ण अंतिम बजट है। यह बजट इसलिए भी खास माना जा रहा है, क्योंकि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।
निर्मला सीतारमण ने इस बजट में महिलाओं और विद्यार्थियों का विशेष ध्यान रखा है। मोदी सरकार की ओर से लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कुछ विशेष घोषणाएं की जा सकती हैं।
आम आदमी के लिए टैक्स में छूट
- 0 से 3 लाख की आय पर 0 कर
- 03 से 6 लाख रुपए तक 5 फीसदी कर
- 6 -9 लाख रुपए की आय पर 10 फीसदी कर
- 9-12 लाख रुपए की आय पर 15 फीसदी कर
- 12-15 लाख रुपए आय पर 20 फीसदी कर
- 15 लाख रुपए से अधिक आय पर 30 फीसदी कर
उन्होंने आगे कहा कि महिला सम्मान बचत पत्र योजना शुरू की जाएगी. इसमें महिलाओं को 2 लाख की बचत पर 7.5% का ब्याज़ मिलेगा।