-क्या काला गुलाब भी होता है? आपको जानकर हैरानी होगी कि काला नहीं हरा गुलाब भी होता है। काला और हरा दोनों रंग के गुलाब दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में मौजूद हैं।
इसी मुगल गार्डन का नाम अब प्रधानमंत्री मोदी ने बदलकर अमृत उद्यान कर दिया है। लेख के आखिरी हिस्से में मुगल गार्डन वाला कम्युनिस्ट प्रोपागेंडा भी एक्सपोज करेंगे। लेख पूरा पढिएगा।
-मुगल गार्डन को अंग्रेजों ने बनवाया था और उसके नाम से दो तरह की गुलामी की गंध आती थी...
पहला कि ये अंग्रेजों के द्वारा निर्मित था जो आक्रमणकारी थे और दूसरा कि अंग्रेज आक्रमणकारियों ने मुगल आक्रमणकारियों के नाम पर गार्डन बनवाया था जिसको मुगल गार्डन कहा गया।
आजादी के 75 वें वर्ष को अमृत महोत्सव के नाम से मनाया जा रहा है और
इसी के तहत अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया है।
भारत के राष्ट्रपति भवन के पिछवाड़े में ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियन ने ये गार्डन बनवाया था। साल 1912 में इसका निर्माण शुरू हुआ था और साल 1929 में इसका निर्माण खत्म हो गया।
1910 से 1916 तक गवर्नर जनरल या वायसराय रहे चार्ल्स हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग ने कश्मीर के शालीमार और निशांत गार्डन को देखा था और उन्हीं के निर्देशों के अनुसार एडविन लुटियन ने ये गार्डन बनवाया था।
इसकी तुलना भारत के मैसूर में मौजूद वृंदावन गार्डन से ही की जा सकती है।
दुनिया में जितने भी फूल पाए जाते हैं ज्यादातर यहां पर मौजूद होने का दावा किया जाता है। सिर्फ गुलाब की ही यहां 250 प्रजातियां हैं।
जब अंग्रेजों का कब्जा देश से हटा और राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने तो उन्होंने राष्ट्रपति भवन को आम जनता के लिए खोल दिया और
पहली बार भारत के लोगों ने इस गार्डन को देखा था।
कम्युनिस्टों ने पूरे देश में एक थ्योरी पेश करी की मुगल काफी नरम मिजाज थे और उनकी छवि को बदलने के लिए कम्युनिस्टों ने ये झूठ फैलाया कि मुगलों को बाग बगीचे बनवाने का काफी शौक था।
मुगल लुटेरे और हमलावर थे लेकिन कम्युनिस्टों और
जिहादी इतिहासकारों को इतिहास बदलने के काम में महारथ हासिल थी। मुगल गार्डन के बारे में दावा ये किया गया कि ये एक इस्लामिक गार्डन है।
लेकिन सच ये है कि इस्लाम तो रेगिस्तान यानी अरब देश में जन्म लेना वाला मजहब है और रेगिस्तान में गार्डन की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती है
लेकिन कम्युनिस्टों ने ये सब कर डाला, हिंदुओं को मूर्ख बनाने के लिए।
हमारे देश में ऋषियों की परंपरा रही है वन और उपवन को संजोने की। हमारी आर्य संस्कृति वास्तव में वन संस्कृति ही है। हमारे यहां वनों में तपस्या और पूजा के स्थान मिलते हैं।
कई ऐसे वन हैं जो इसीलिए प्रसिद्ध हुए क्योंकि वहां पर किसी विशेष ऋषि का वास था।
जैसे पंचवटी जो कि एक उपवन था और इसका वर्णन वाल्मीकि और तुलसी दास दोनों ने अपनी रामकथा में किया है। लेकिन कम्युनिस्टों ने इस पर नहीं बल्कि छद्म मुगल गार्डन पर ज्यादा ध्यान लगाया।
मुगल गार्डन जैसी भी कोई चीज कभी आस्तित्व में नहीं रही दरअसल मुगल वंश का जन्मदाता बाबर उज्बेकिस्तान से आया था और उज्बेकिस्तान में बाग बगीचे या उपवन को बनाने की संस्कृति इसलिए भी नहीं थी क्योंकि उज्बेकिस्तान मूल रूप से एक शुष्क प्रदेश है।
उज्बेकिस्तान में सिर्फ 8 प्रतिशत ही जंगल है बाकी उज्बेकिस्तान में दुनिया का 15वां सबसे बड़ा रेगिस्तान है। इस शुष्क देश में सिर्फ दो नदियां हैं। उज्बेकिस्तान का आधा हिस्सा तो रेगिस्तान ही है
लेकिन कम्युनिस्टों ने मुगल गार्डन के शब्द को खूब बढा चढाकर पेश किया ताकी हिंदू संस्कृति को नीचा दिखाया जा सके।
300 वर्ष तक भारत के बड़े भूभाग पर राज करने वाले होलकर की जाति से आने वाले धनगर और सिंधिया के कुनबे वाले आज पिछड़े हैं।
उन महाराजा विक्रमादित्य हेमराज तेली के वंशज आज पिछड़े हैं जिन्होंने अखंड भारत पर राज किया।
वह मौर्य साम्राज्य आज पिछड़ा/दलित है, जिनके वंशजों ने पीढ़ियों तक बंगाल की खाड़ी से लेकर पर्शिया की सीमा तक अखंड भारतवर्ष पर राज किया।
महापद्मनंद और धनानंद का वंशज नाई समुदाय आज पिछड़ा है। जो भारत के सबसे शक्तिशाली राजे होते थे।
हिंदुओं के सबसे पवित्र ग्रंथ रामायण के रचियता और श्रीराम की अर्धांगिनी माता सीता को अपने आश्रम में शरण देने वाले, श्रीराम के पुत्रों लव-कुश का पालन पोषण और उनको शिक्षित करने में महर्षि वाल्मीकि के वंशज आज अछूत कैसे हो गए या हो सकते हैं?
#बाघेश्वरधाम महंत पंडित धीरेन्द्र शास्त्री पर तुरंत अपना मुंह चियारने वाले ढोँगाचार्य श्रीरामचरितमानस प्रतियां जलाए जाने पर उसी मुंह में दही जमाए बैठे है हकीकत में ऐसे ही गुरूघंटाल हिन्दू समाज के असल दुश्मन है
बता दू "राम चरित मानस" जलाने वालों ने अपने कुल और
आने वाली पीढ़ियों पर इतनी कालिख पोत दी है कि उसकी धुलाई के लिये गंगा और जमुना का जल भी कम पड़ जायेगा शापित लोग है ये इन की छाया मात्र से भी समाज कलंकित हो जायेगा साथियों आते है क्रिया की प्रति क्रिया पर कि हमे क्या करना चाहिए इस लहन के बोडे स्वामी ने जो करना था कर दिया
हमे अब इस मादरखोद को सोच समझ कर उत्तर देना होगा उत्तेजित बिलकुल नही होना है वो यही चाहता है, वो 1990 वाली अगड़ों पिछड़ों की लड़ाई चाहता है "राम चरित मानस" का एक पेज फाड़ने से कुछ नही होगा हमारे सारे मंदिर तोड़ दिए गए फिर भी हम जिंदा है "राम चरित मानस" वेद पुराण उप निषद या
*सरकार की बड़ी सौगात- सात लाख तक आय पर कोई टैक्स नहीं*
मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमृत काल का पहला बजट पेश कर रही हैं। मोदी 2.0 का यह पूर्ण अंतिम बजट है। यह बजट इसलिए भी खास माना जा रहा है, क्योंकि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।
निर्मला सीतारमण ने इस बजट में महिलाओं और विद्यार्थियों का विशेष ध्यान रखा है। मोदी सरकार की ओर से लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कुछ विशेष घोषणाएं की जा सकती हैं।
आम आदमी के लिए टैक्स में छूट
- 0 से 3 लाख की आय पर 0 कर
- 03 से 6 लाख रुपए तक 5 फीसदी कर
- 6 -9 लाख रुपए की आय पर 10 फीसदी कर
- 9-12 लाख रुपए की आय पर 15 फीसदी कर
- 12-15 लाख रुपए आय पर 20 फीसदी कर
- 15 लाख रुपए से अधिक आय पर 30 फीसदी कर
उन्होंने आगे कहा कि महिला सम्मान बचत पत्र योजना शुरू की जाएगी. इसमें महिलाओं को 2 लाख की बचत पर 7.5% का ब्याज़ मिलेगा।