अदाणी के खिलाफ साजिश! : पांच साल की प्लानिंग, ऑस्ट्रेलिया में बनी रूपरेखा, साजिश में कई ऐसे नाम शामिल जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे... @vijaygajera ने एक-एक करके सबकी पोल खोल दी है. आपको भी ये जानना चाहिए. थोड़ा सब्र करके एक-एक पॉइंट पढ़िएगा. #GautamAdani#Adani#BBCdocumentry
गौतम अदाणी के खिलाफ इस साजिश की शुरुआत अभी हाल के दिनों से नहीं हुई, बल्कि 2016-17 से ही हो गई थी। अदाणी ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया का कारमाइकल कोल माइन का प्रोजेक्ट हासिल किया था।
2017 में अचानक से अदाणी के माइन प्रोजेक्ट के खिलाफ क्लाइमेट चेंज के लिए काम करने का दावा करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसका नाम 350.org है। इन लोगों ने एक समूह की शुरुआत की, जिसका नाम स्टॉप अदाणी रखा।
इस संस्थान को टाइड फाउंडेशन नाम की एक दूसरी संस्था फंड करती है। ये फाउंडेशन दुनिया के जाने-माने फंड मैनेजर जॉर्ज सोरोस से जुड़ी है। जॉर्ज वही शख्स हैं, जिनकी वजह से बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ थाईलैंड बर्बाद हो गया था। जॉर्ज अपने भारत विरोधी बयानों के लिए भी जाने जाते हैं।
टाइड फाउंडेशन के पीछे भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो गौतम अदाणी को रोकने के लिए कोशिश कर रहे थे। उनका दावा है कि टाइड फाउंडेशन को जॉर्ज सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिड्यार और बिल गेट्स जैसी बड़ी कंपनियां काफी बड़े पैमाने पर फंड उपलब्ध कराती हैं।
भारत में भी कुछ संस्थानों, मीडिया हाउस के जरिए सुनियोजित तरीके से गौतम अदाणी पर हमले किए गए। ये मीडिया हाउसेज और संस्थानों का लाभ भी सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिड्यार और बिल गेट्स जैसी कंपनियों से जुड़ा हुआ है।
भारत में एक स्वयंसेवी संस्थान है, जिसका नाम नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) है। इसे भी सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिड्यार, बिल गेट्स, अजीम प्रेमजी की कंपनी फंड करती है। अजीम की कंपनी कुछ अन्य कंपनियों को भी फंड करती है, जो सरकार के खिलाफ सुनियोजित तरीके से अभियान चलाते हैं
नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) में मीडिया फेलोशिप एडवाइजर के तौर पर सीपीआई (एम) के दिग्गज नेता सीताराम येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती काम करती हैं। सीमा द वायर की एडिटर भी हैं, जिनपर पिछले ही साल भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एफआईआर दर्ज करवाई थी।
सीमा कारवान में भी लेख लिखती हैं। इसपर भी भारत सरकार के खिलाफ अभियान चलाने का आरोप लगता है। इन सभी ने मिलकर गौतम अदाणी के खिलाफ प्रोपोगेंडा चलाया। सोशल मीडिया और खबरों के जरिए अदाणी पर निशाना साधे गए। द वायर 2017 में भी अदाणी के खिलाफ ऐसा कर चुका है।
नेशनल फॉउंडेशन में वही लोग हैं, जो अक्सर भारत सरकार के खिलाफ सुनियोजित तरीके से अभियान चलाते हैं.
इस साजिश में बड़े पैमाने पर वही लोग शामिल हैं, जो पीएम मोदी के खिलाफ तैयार की गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा थे। विजय कहते हैं, 'द न्यूज मिनट की को फाउंडर धन्या राजेंद्रन को नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया यानी NFI ने फेलोशिप दिया है।
धन्या की मीडिया हाउस में भी अजीम प्रेमजी की संस्थान IPSMF का पैसा लगा हुआ है। इसके अलावा IPSMF ने कई अन्य मीडिया संस्थानों में पैसा लगाया है, जिनपर सरकार के खिलाफ अभियान चलाने का आरोप लगता रहा है।'
धन्या ने एक वेबसाइट तैयार की है, जिसका नाम डिगीपब है। इसमें मनी लॉड्रिंग केस में फंसे न्यूज क्लिक के प्रबीर पुरकायस्थ वाइस चेयरमैन हैं। प्रबीर को वामपंथी बताया जाता है। इन सभी मीडिया हाउस से जुड़े लोगों ने ही गौतम अदाणी के खिलाफ प्रोपेगेंडा खबरें चलाईं.
विजय ने ऐसे कई वेबसाइट्स और उनके कनेक्शन को लेकर भी खुलासे करने का दावा किया है। इसमें बताया है कि कैसे ये सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं और लगातार गौतम अदाणी के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। दावा ये भी है कि पीएम मोदी के खिलाफ लॉन्च की गई डॉक्यूमेंट्री भी इसी का एक हिस्सा है।
इस डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत द वायर के पत्रकार आलीशान जाफरी से हुई है। इस पत्रकार को भी नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) का फेलोशिप मिल चुका है। इसमें भी वामदल के नेता सीताराम येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती का नाम आता है। सीमा द वायर की एडिटर हैं और बीबीसी से 10 साल तक जुड़ी रहीं हैं
विजय का कहना है कि इन लोग जो भी खबरें चलाते हैं या फिर ट्विट करते हैं, उसे स्टॉप अदाणी के लोग आगे बढ़ाते हैं। स्टॉप अदाणी वही समूह है, जिसे ऑस्ट्रेलिया में शुरू किया गया था, ताकि अदाणी का कोल माइन बंद कराया जा सके।
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कुछ दिन पहले बताया था कि किस तरह से विदेशी ताकतें भारत की अर्थव्यवस्था और अदाणी कंपनी को बर्बाद करने के लिए एकजुट होकर काम कर रहीं हैं. इसमें भारत की कई मीडिया ताकतें और बड़े पत्रकार भी शामिल हैं. आज इस जॉर्ज सोरोस की बातों से सब साफ हो गया.... महत्वपूर्ण थ्रेड पढ़िएगा...
अदाणी की कंपनी ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया का कारमाइकल कोल माइन का प्रोजेक्ट हासिल किया था. 2017 में अचानक से अदाणी के माइन प्रोजेक्ट के खिलाफ क्लाइमेट चेंज के लिए काम करने का दावा करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसका नाम 350.org है
इस संस्थान को टाइड फाउंडेशन नाम की एक दूसरी संस्था फंड करती है. ये फाउंडेशन दुनिया के जाने-माने फंड मैनेजर जॉर्ज सोरोस से जुड़ी है. जॉर्ज वही शख्स हैं, जिनकी वजह से बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ थाईलैंड बर्बाद हो गया था.
देखो भाई… अखिलेश यादव जी की रणनीति अब साफ़ है. जाति के आधार पर हिंदुओं को बाँटों और लोकसभा चुनाव में फ़ायदा बटोरो. बिहार में शुरू हुआ एक्सपेरिमेंट यूपी में भी स्वामी प्रसाद मौर्य के ज़रिए लागू करने की कोशिश है. रामचरितमानस पर अभद्र टिप्पणी एक ट्रायल है. 1/6
अभी रामचरितमानस को लेकर दलितों, पिछड़ों को गुमराह किया जा रहा है. ये देखने की कोशिश हो रही है की इससे कितना हिंदू वोटर्स बँट सकते हैं. अगर फ़ार्मूला काम कर गया तो यूपी समेत देशभर की राजनीति इसी फ़ॉर्मेट में होने लगेगी. 2/6
इससे हिंदू वोटर्स तो बटेगा ही साथ में मुसलमानों का एकमुश्त वोट भी इस तरह की राजनीति करने वाले दलों को मिलने लगेगा. कुल मिलाकर जिनकी राजनीति भाजपा ख़त्म कर रही थी उन्हें फिर से जीवनदान मिल जाएगा. 3/6
देश के लिए आज के समय ये सबसे बड़ी चिंता की बात है… थोड़ा समय देकर सारे पॉइंट्स पढ़ियेगा.
भारत के अलग-अलग राज्यों, शहरों में मुसलमानों की संख्या काफ़ी तेज़ी से बढ़ रही है. ख़ासतौर पर उन जगहों पर जहां हिंदुओं की संख्या ज़्यादा थी.
मुसलमानों की आबादी दो तरह से बढ़ रही है. पहला आप सब जानते हैं. दूसरा रोहिंग्या-बांग्लादेशी मुसलमान बड़े पैमाने पर भारत के अलग अलग राज्यों में घुसपैठ करके रहने लगे हैं. ये महिलाओं-बच्चों, बुजुर्गों को आगे करते हैं और लोगों की सहानुभुति हासिल करते हैं.
घुसपैठियों को भारत में लाने और उनके रहने के लिए व्यवस्था करने वाले कोई और नहीं… हमारे और आपके बीच के ही लोग हैं. चंद पैसों के ख़ातिर न केवल ये व्यवस्था करते हैं बल्कि फर्जी तरीक़े से सरकारी दस्तावेज भी बनवाते हैं. आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट सबकुछ इनका आसानी से बन जाता है.
हिंदुओं के ख़िलाफ़ एक बड़ी साज़िश हो रही है… अलग अलग जातियों के नाम से पाँच लाख से भी ज़्यादा ट्विटर के फ़ेक अकाउंट बनाए गए हैं. कुछ पुराने अकाउंट हैं जिनका नाम बदलकर चलाया जा रहा है. इन सारे अकाउंट से हिंदुओं की अलग अलग जातियों के बारे में अपशब्द कहा जा रहा है.
एक दूसरे के ख़िलाफ़ भला-बुरा कहा जा रहा है. मसलन ब्राह्मण का अकाउंट बनाकर दलित, यादव व अन्य पिछड़ी जातियों को निशाना बनाया जा रहा इसी तरह दलित, यादव व अन्य जातियों के अकाउंट से सवर्णों के ख़िलाफ़ लिखा जा रहा है. कुल मिलाकर हिंदुओं को आपस में लड़ाया जा रहा है.
अपनी जाति के ख़िलाफ़ भड़काऊ ट्वीट देखकर कई बार सही लोग भी तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. ऐसे में सभी को विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है. ये किसकी साज़िश है ये तो आप लोग समझ ही गये होंगे…. बस किसी भी जाति वर्ग विशेष के ख़िलाफ़ ट्वीट करने से पहले 100 बार सोचें ज़रूर.
अदाणी और पीएम मोदी के खिलाफ साजिश करने में एक और बड़ा नाम सामने आया है. वह है टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा का. महुआ वह शख्स हैं, जिनकी शिकायतों को आधार बनाकर हिंडनबर्ग ने अदाणी के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की. @vijaygajera ने महुआ की पोल खोली है... एक-एक करके सारे पॉइंट पढ़िएगा.
पिछले साल महुआ मोइत्रा ने संसद में अदाणी के खिलाफ आरोप लगाए थे और जांच की मांग की थी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में आपको महुआ के आरोप और संसद में पूछे गए सवाल भी मिल जाएंगे।
इसी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने ये भी साफ लिखा है कि उन्होंने अदानी के शेयरों में अपने सदस्यों, भागीदारों, सहयोगियों, कर्मचारियों और/या सलाहकारों के साथ-साथ अपने ग्राहकों और/या निवेशकों के माध्यम से शॉर्ट पोजीशन ली है।
आपको क्या लगता है कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, विदेशों में हिंदुओं पर हमले, रामचरितमानस पर टिप्पणी और अब ये अदाणी पर रिपोर्ट आना अचानक हो रहा है?
नहीं... ये सुनियोजित है. हर तरफ से भारत के खिलाफ साजिश रची जा रही है. इसमें विदेशी पैसा लगा हुआ है. #AdaniEnterprises#GautamAdani
खालिस्तानी आतंकियों को फंड दिया गया ताकि दुनियाभर के अलग-अलग देशों में ये हिंदुओं पर हमला कर सकें. हिंदू मंदिरों पर निशाना साध सकें. ताकि खालिस्तानियों का मुद्दा चर्चा में आ सके.
भारत में श्रीरामचरितमानस का जिक्र करके हिंदुओं को जातिगत आधार पर बांटा जा रहा है. ताकि हिंदू आपस में लड़ते रहें और देश में गृह युद्ध जैसी स्थिति बन सके. इसके लिए राजनीतिक दलों का सहारा लिया गया.