#promiseday
वादे हैं वादों का क्या...
निजी जीवन हो या राजनीति दोनों ही जगह प्रॉमिस/ वादा यह सब किताबी आदर्श वाली बातें हैं, प्रैक्टिकली संभव ही नहीं हैं कि कोई अपना दिया हुआ वादा 100% निभा सके.
अडानी सेठ औऱ चन्द्रगुप्त दोनों एक साथ वादों की डोर से बंधे हुए थे, समय के क्रूर पल अब इस डोर को काटने की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं, वजह प्यार के दुश्मन लोगों को अडानी व चंन्द्रगुप्त के बीच मजबूत वादों की यह रस्सी पसंद नहीं आईं औऱ कुछ शरारती तत्वों ने दो प्यार करने वालों के
बीच ब्रेकअप के हालात पैदा करने शुरू कर दिए हैं.
कुछ विद्वानों का यह कहना हैं, ब्रेकअप नहीं हुआ हैं औऱ न होगा,, दूसरी तरफ कुछ विद्वानों का कहना हैं ब्रेकअप आलरेडी हो चुका हैं बस लोकलाज का ध्यान रखते हुए ब्रेकअप की खबर सार्वजनिक नहीं की जा रही हैं.
वैलेंटाइन के इस मौसम में लव सांग के बजाय अडानी व चन्द्रगुप्त खेमे में अता उल्ला खान के गाने बजने के स्वर सुनाई देने लगे हैं.
बेदर्द जमाना दोनों आशिकों का जनाजा धूम धाम से निकालने को आतुर हैं.
Note...
खैर हमें क्या... इस प्रॉमिस डे अपने को देश भर की हरेक लोकसभा क्षेत्र से साढ़े छह लाख वोटर्स वोट देने का प्रॉमिस करें बस तुम्हीं लोग मेरे असल वैलेंटाइन हो बाकि बाबू शोना सब मोह माया हैं
वाचटेल नाम की लीगल फर्म अडानी में हायर की है। ये वही फर्म है, जिसने एलन मस्क को ट्विटर खरीदने पर मजबूर किया था।
इसे हिण्डनबर्ग को सबक सिखाने को हायर किया, अथवा भविष्य की सुरक्षा के लिए, यह स्पस्ट नही है। मगर हिन्डनबर्ग पर मुकदमे का ख्याल है, तो बहुत बढ़िया कदम है।
पहला तो यह होगा कि हिण्डनबर्ग 88 सवालों पर, लीगल फर्म ही अडानी से उत्तर पूछेगी। वे हर बिंदु बताएंगे कि असलियत क्या है।
अगर लीगल फर्म को लगा कि यहां तो अडानी ने गलत किया है, या हिन्डनबर्ग सही है। वो खुद ही सलाह देगी की मुकदमा मत करो, वरना ज्यादा फंस जाओगे।
इस तरह यह बात जो दुनिया जानती है, बताने की मोटी फीस लेगी।
हिंडनबर्ग दो दर्जन से अधिक बड़ी बड़ी कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट पेश कर चुकी है। ये सब इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन थे। लेकिन बाल बांका नही हुआ है, तो जाहिर है कि ये कच्चे खिलाड़ी नही, रिसर्च तगड़ी होती है।
"सनम" और "दलिदरी" पक्की मार्किट के, कच्चे जमादार, मगर पक्के दोस्त, उस दिन खूब कच्ची पिये, फिर खूब हँसे और खूब रोए, और फिर दोनों के मन में विचार आया, के बोहोत हुआ, आज़ आत्मा को शरीर से आज़ाद कर देंगे,
दोनों ने कूद के मरने का फैसला किया, घुमते-घामते जा बैठे, दो मंजिले कलेक्टर आफिस की छत पर,
लेकिन "दलिदरी" यहाँ से कूद कर मरने में खतरा है दोस्त, अगर जान बच गई तो हाथ-पैर जो टूटेंगे सो टूटेंगे, साथ में जेल की हवा भी खानी पड़ेगी , "आत्महत्या" करना अपराध है
भइये, पाँच कोस चल कर भी, कोई ऐसी ईमारत नहीं, जो इस झमेले से जान छूटे, उस "खुदा बख़्श" के चलें क्या, शायद कोई तरकीब लगा दे, तीन बार कोशिश कर चुका है, वैसे रही बड़ी मजे की बात, पिछले बरस "बरसा" नहीं, और वो चला था ,नहर में कूद के मरने, फिर ट्रेन पटरी पर लेटा,
वर्तमान पर सोचने के पहले हमें थोड़ा मुड़कर पिछली सदी के इतिहास पर नजर डालते हैं, दुनियां दो- दो विश्वयुद्ध झेल चुका था, आधी से ज्यादा देश औपनिवेशिक गुलाम थे, हमारा देश भी अंग्रेजों का गुलाम था। अमेरिका परमाणु बम बरसा कर जापान को नष्ट करके अपने को
मानव की जगह दानव होने का प्रमाण दे चुका था, देखा देखी हर देश परमाणु बम बनाने के लिये उतावला था, वुद्ध और गांधी का देश जो अहिंसा परमो धर्म की जुगाली करता था , वह भी इस अमानवीय- हिंसक हथियार को बनाने में पिछे नहीं रही, भूखमरी, अशिक्छा, वेरोजगारी ,
चिकित्सा को पिछे रखकर हथियार बनाने , खरीदने के दौर में शामिल हो चुका था। यह सब एक ऐसे देश से सुरक्छा के नामपर जिसकी आबादी हमारी आबादी १२० करोड़ की जगह मात्र १५-२० करोड़ है। जो अमेरिकी जूठन पर आज भी जिंदा है।
फरवरी का महीना, छह तारीख। राज ने सिमरन को ट्रेन में देखा, सिमरन ने भी राज को। दोनो के पास दो दो आँखें थी, जो सिम्पल मैथ्स के कारण चार हो गयी।
अतएव सात तारीख को सिमरन को एक गुलाब दिया। आठ तारीख को रिंग देकर प्रपोज किया।
नौ को चॉकलेट दिया। दस को दोनो ने ठंडी बियर पी।
ग्यारह को वादा किया, बारह को गले लगे। तेरह को चुम्मी दी और चौदह तारीख को विवाह कर लिया।
पन्द्रह को दोनो को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। पुत्र देखकर दोनो की आँखों से खुशी के आंसू झर झर बहने लगे, हृदय में अतुलित आनंद हुआ।
राज और सिमरन ने बच्चे का माथा सहलाया और भाव विभोर रूंधे गले से चीखे - "मेरा बेटा हिन्दू राष्ट्र बनाएगा"
बस, वो दिन है और आज का।
बेटा हिन्दू राष्ट्र बना रहा है, अखण्ड भारत बना रहा है, आसपास की 66% पॉपुलेशन को गद्दार, धोखेबाज, एंटीनेशनल कहता हैचमचों से वह बिन थके संघर्ष करता है
EARTHQUAKES IN TURKEY LIKELY TO HAVE SERIOUS SPILLOVER EFFECTS ON EUROPE DUE TO RUSSIA-UKRAINE WAR
तुर्की का भूकंप इस सदी का दुनिया का सातवाँ (7) बडा प्राकृतिक आपदा है।तुर्की की आबादी 8 करोड है जिस मे 20% आबादी भूकंप से तबाह हो गई है।26,000 से ज्यादा लोग मरे हैं और लाखो ज़खमी
और बे घर हो गये हैं।मगर ज़लज़ला के सातवे दिन भी लोगो को मलबा से ज़िंदा निकाला गया है।
तुर्की तो बर्बाद हुआ मगर ज़लज़ला का प्रभाव यूरोप पर भी बहुत बुरा पडे गा।तुर्की के राष्ट्रपति अरदोगान एशिया और यूरोप के एक कामयाब और प्रभावशाली नेता हैं, तथा रूस के राष्ट्रपति पुटिन के दोस्तों
मे एक महत्वपूर्ण दोस्त हैं।
अरदोगान यूरोप, यक्रेन और रूस के बीच एक कामयाब लिंक हैं मगर अरदोगान अब मई तक ज़लज़ला तथा चुनाव मे व्यस्त रहें गें और यूक्रेन लडाई से पैदा अनाज, उर्वरक के संकट से ध्यान हटा कर चुनाव के पहले ज़लजला से पिडित लोगो के राहत कार्य मे व्यस्त रहें गें।
दिल्ली से न्यूयॉर्क की उड़ान में 400 यात्री थे, लेकिन भोजन केवल 200 लोगों का लोड किया गया था, एयरलाइन से गड़बड़ी हो गई थी और चालक दल घोर चिंता में था!
तभी एक स्मार्ट फ्लाइट अटेंडेंट के पास एक विचार आया ! उड़ान के लगभग 30 मिनट बाद उसने घोषणा की— "देवियों और सज्जनों, मुझे नहीं
पता कि यह कैसे हुआ, लेकिन हमारे पास 400 यात्री हैं और केवल 200 लोगों के लिए डिनर हैं! कोई भी जो किसी और के लिए अपना भोजन छोड़ने के लिए तैयार है, उड़ान की पूरी अवधि के दौरान उसे मुफ्त असीमित शराब मिलेगी!"
उसकी अगली घोषणा 6 घंटे बाद आई: "देखियों और सज्जनों, अगर कोई अपना विचार बदलना चाहते हैं, तो हमारे पास अभी भी 180 लोगों के लिए भोजन उपलब्ध है