Sushma Swaraj…She was feisty, second to none in the core beliefs of the RSS..She was always willing to help anybody needing help. A tweet was enough to get her attention and help. What could be more endearing to ordinary people. #sushmaswaraj
She was a tall leader with her compassion, benevolence for other humans instincs intact.
This image will define itself about Sushma Swaraj - The Bold Lady Gone Through Masses To Reach Heights!
She was truly an outstanding patliamentarian and leader.
she was truly an outstanding patliamentarian and leader. She was a woman of impeccable integrity. She courted no negative controversy in her 4 decades long political career.
When she was having health issues, yet she fully coordinated MEA to help ovearseas Indians in distress.
was only because of Sushma’s effort as a LOP in Lok Sabha that all cigarette and gutkha packs r now covered with statury warning that acts as a moral warning to people consuming the same. Even TV intervals during films show the same.
Sushma always debated in parliament with logic. When UPA2 accused NDA of stalling parliament over JPC set up on coal scam, it was Sushma who stood up in the parliament saying how Cong once stalled parliament when Atal ji was PM..
Sushma held several portfolios under BJP+ govt. and always executed govt. Programs and policies meticulously.
Though she might have political differences, but she always treated other fellow politicianscand opposition members with full respect and dignity.
Remembering Smt. Sushma Swaraj ji on her Birth anniversary…A humble human being and one of the finest leaders our country has ever seen…🙏🙏
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
गाँधी के नाम पर गुंडा गर्दी और आतंक फैलाने वालों की कहानी....👇👇
साल 2010....मैं पुणे गया हुआ था..स्व नाथूराम गोडसे जी का घर भी गया..
वहाँ मेरी मुलाकात नाथूराम गोडसे जी के छोटे भाई गोपाल गोडसे के सुपुत्र श्री नारायण गोडसे और उनकी धर्मपत्नी से हुई...
उन्होंने मुझे बहुत प्यार और सम्मान से घर में बिठाया.नाश्ता दिया और काफी सारी इधर उधर की बातें की..मैं यह जानना चाहता था.कि गाँधी की हत्या के बाद उनके परिवार पर क्या गुजरा.उन्होंने बताया..जिस समय महात्मा गाँधी की हत्या हुई..उस समय उनके पिता गोपाल गोडसे इंडियन आर्मी में सेवारत थे.
और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह ईरान और इराक में भी अंग्रेजी फौज की ओर से युद्ध में भाग लिए थे...
गाँधी की हत्या के तुरंत बाद... नाथूराम गोडसे और नाना आप्टे को घटनास्थल से गिरफ्तार कर लिया गया..
On 14 Feb 2019 we lost 44 precious lives of our brave soldiers. There are no words to express how angry we Indians....
If your heart doesn't get collapsed after seeing those innocent faces who sacrificed their kids for saving your life, then you are not an Indian.If you don't feel anything after seeing these massacre bodies who were enthusiastic to protect your future then you arent a human being
महाराष्ट्राच्या राजकारणाचा खेळ खंडोबा कित्येक वर्षापासुन एका राजकारण्याने केला…जनतेने लाथाडले तरी मूर्ख कमकुवत पात्रता नसलेल्या नेतृत्वास चुकीचा मार्ग त्याने दाखविला…आणि अहंकाराच्या गर्द खाईत ढकलुन दिले..
११० घरी बसवले या खोट्या गुर्मीत जनते वर जुलमी राजवट आणून केवळ राज्याची लूट केली…अनैतिक गोष्टींना बळ देऊन कायदा व सुव्यवस्था संपवून टाकली…पोलिसच बॉम्ब ठेऊ व खून करू लागले…
नैतिकतेने परत जनता आपल्याला कधीच निवडून देणार नाही हे समजून जाती वादी फूट पाडणे, असंतोष पसरवणे, महापुरूषांचा खोटा इतिहास लिहणे…वारंवार पुरोगामित्वाच्या नावाखाली…भारतीय संस्कृतीला बदनाम करणे...
यह फौज की घटना है। आगरा के एयरफोर्स स्टेशन में जन्माष्टमी मनाई जा रही थी.. लोग रात बारह बजे की प्रतीक्षा कर रहे थे कि कृष्ण जन्म लेंगे। साथ ही जैसा कि कस्टम था कि स्टेशन कमांडर को प्रसाद देने के बाद ही फौजी परिवारों में प्रसाद बंटता था।
तो वहां के स्टेशन कमांडर ग्रुप कैप्टन गांधी वहां आये व प्रसाद के लिए कहने लगे कि मैं हिंदू नहीं हूं व मेरे लिए पूजा के आयोजनों में प्रतीक्षा न किया करें। यह फौजी अधिकारी की साफ व सच्ची बात थी और वह ओपनली स्वीकार कर रहे थे कि मैं हिंदू नहीं हूं।
तो क्या गांधी हिंदू नहीं होते..??
मोहनदास करमचंद गांधी एक निजारी इस्माईल मुसलमान थे.. जो कि शिया पंथी होते हैं। क्यूंकि गांधी की माता परनामी धर्म की अनुयाई थी, जिसका जिक्र खुद गांधी ने अपनी जीवनी में किया है।
चारपाच जणांच्या ग्रुपमध्ये एकाच वेळी दोघे बोलत असतील तर नीट बोलता येत नाही.
"जरा थांब रे मला बोलू दे.." असे आपण सहजपणे बोलून जातो.
राज्यसभेत तर विरोधी पक्षाचे सर्व खासदार सर्व संसदीय संकेत आणि सभ्यता पायदळी तुडवून मोदींच्या भाषणात अडथळा आणत होते.
पण बिलकुल विचलित न होता, मुद्देसूद मांडणी करत विरोधकांच्या चिंध्या उडवणारे भाषण त्यांनी केले. हे करायला एका वेगळ्याच लेव्हलची एकाग्रता लागते. मोदी हे एक अजब रसायन आहे.
एक हिरो आठ दहा गुंडांचा सामना करतो आणि त्यांना पळवून लावतो हा सीन आपण शेकडो हिंदी चित्रपटांत बघितला आहे.पिक्चर आहे काहीही दाखवतात. प्रत्यक्षात असे घडत नाही. असे आपण सगळेच म्हणतो.