इस पूरे मामले को क्रमवार समझें ऑपइंडिया की इन 8 रिपोर्ट्स से:
1. पूजा की तैयारी कर रहे श्रद्धालुओं पर पत्थरबाजी की गई। इसी के साथ कुछ वाहनों में आगजनी हुई। हालत सँभालने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी। इलाके में धारा-144 लागू कर दी गई। मौजूद मुस्लिम पक्ष के लोगों ने इस द्वार को बनाने का विरोध किया।
2. “जिस चौक पर ये बवाल हुआ, वहाँ एक बड़ी मस्जिद है। इसे जामा मस्जिद नाम से जाना जाता है। जब मुस्लिमों का कोई छोटे-से-छोटा कार्यक्रम होता है तो पूरी जगह घेर ली जाती है, लेकिन हिन्दुओं की महाशिवरात्रि में वो एक छोटा सा तोरण द्वार नहीं सह पाए।”
3. मस्जिद के पास ही प्राचीन हनुमान मंदिर है। इस मंदिर में हिंदुओं द्वारा पूजा-पाठ और आरती कट्टरपंथी मुस्लिमों को चुभती थी। स्थानीय लोग बोले - इसी लिए हिंसा की साजिश रची गई। मंदिर में लोगों को पूजा करने से रोक दिया गया है, लेकिन मस्जिद में लोग नमाज पढ़ रहे। hindi.opindia.com/national/jhark…
4. स्थानीय भाजपा नेत्री मंजूलता दुबे का कहना है कि हिंदुओं के त्योहारों में मुस्लिमों द्वारा अक्सर खलल डाली जाती है। वे शादी-ब्याह तक में किसी ना किसी बहाने से उपद्रव करने की कोशिश करते हैं। हिंदुओं को अपना पर्व-त्योहार मानना मुश्किल हो गया है।
5. आरती के दौरान लोगों तक आरती आवाज पहुँचाने के लिए मंदिर पर लाउडस्पीकर की व्यवस्था की गई। मस्जिद कमिटी कहने लगी इससे उन्हें नमाज पढ़ने में दिक्कत होती है। हिंदुओं का कहना था कि मस्जिद पर 36 लाउडस्पीकर हैं, फिर भी नमाज में दिक्कत कैसे हो सकती है।
6. स्थानीय हिंदुओं ने ऑपइंडिया को बताया कि जिन लोगों ने हिंसा की शुरुआत की, उन्हें प्रशासन सुरक्षा दे रहा, जबकि हिंदुओं के घरों में जबरन घुसकर मारपीट कर रहा है। पुरुष पुलिसकर्मी घरों में जबरन घुसकर महिलाओं के साथ बदतमीजी, मारपीट और गाली-गलौच कर रहे हैं।
7. मस्जिदों से ना सिर्फ पथराव किया गया, बल्कि आगजनी भी की गई। अब इस हिंसा को लेकर मुस्लिमों द्वारा ‘विक्टिम कार्ड’ खेला जा रहा है। सोशल मीडिया पर मुस्लिमों को पीड़ित और हिन्दुओं को गुंडा साबित करने की कोशिश की जा रही है।
8. स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद कमिटी के अध्यक्ष अबू हसन और मुखिया नेहाल अंसारी के इशारे पर हिंदुओं को परेशान किया जाता रहा है। अबू हसन मुखिया रह चुका है। एक व्यक्ति ने बताया कि इन लोगों को राज्य सरकार का संरक्षण मिला हुआ है।
जरूरी संदेश:
कई जगह के लोग कह रहे हैं कि पुलिस बाहर निकलने नहीं दे रही है। कुछ लोग दूसरों के अनुभव को अपना बता कर यह कह रहे हैं कि उन्हें भी निकलने नहीं दिया जा रहा है। बैंक खुला है, लेकिन जा नहीं सकते। एटीएम से बाहर निकलते ही पुलिस ने कूट दिया आदि बातें लिखी जा रही हैं।
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पुलिस अभी अत्यधिक दबाव में और ओवरटाइम मोड में काम कर रही है। इसके जवान साधारण लोग होते हैं, जिन्हें कुछ निर्देश होते हैं, उनका पालन करना होता है। बाकी टाइम आप जो भला-बुरा कहना चाहें, बेशक कहिए लेकिन अभी उन बातों का समय नहीं है। बिना सुरक्षा के वो सड़क पर हैं।
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आप सरकार को कोस लीजिए कि क्योंकि आपको पता भी नहीं होगा कि WHO ने PPE की गाइडलाइन्स कब बदल दीं, पूरे विश्व में कितनी कम्पनियाँ PPE को बनाने में सक्षम हैं, भारत ने कब बैन किया, कैसे कच्चा माल मँगवाया, कैसे टेस्टिंग की, कब वो WHO के तय मानकों पर खड़ा उतरा और कब बनना शुरु हुआ।
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