BJP की बढती बाढ के पीछे का रहस्य:

#मार्क्स लिखते हैं कि..

"जहाँ मजदूर वर्ग का सवाल है उसके विरुद्ध सारे पूंजीपति एकजुट होकर फ्रीमेजन जैसी जुंडली की तरह हैं. पर जहाँ वो आपसी प्रतिद्वंद्वी के रूप में हैं, वो एक दूसरे से कोई मुरव्वत नहीं रखते.
एक वर्ग के तौर पर सामूहिक स्वार्थ सिद्धि के साथ ही उनके आपसी द्वंद्वों को सुलटाने हेतु उनकी प्रबंध समिति सरकार, संसद और कोर्ट जैसी राज्य संस्थायें एक हद तक तटस्थ पंच भूमिका निभाती हैं जिसे बुर्जुआ जनतंत्र में कानून का शासन कहा जाता है.
किंतु जब पूंजीपति वर्ग सामूहिक स्वार्थ की पूर्ति अर्थात मजदूर वर्ग के शोषण को गहन करने के लिए फासिज्म का रूख अख्तियार करता है तो खुद ही इस बुर्जुआ कानून के शासन को भी धता बताता है. पर इसके नतीजे में सत्ता पाने वाले सशक्त 'महामानव' को स्वयं पूंजीपति वर्ग के आपसी द्वंद्वों में
तटस्थ पंच भूमिका निभाने की जरूरत से मुक्ति मिल जाती है. यूँ तो क्रोनीइज्म पूंजीवाद में हमेशा ही रहता है पर फासिस्ट शासन में यह अपना पूरा रंग दिखाता है. पूंजीपतियों की आपसी होड का फैसला भी खाप पंचायत की तरह सत्ता के डंडे से होने लगता है.
किस पूंजीपति पर रेड डालेगी, किस के शेयर कुर्क होंगे, किसे पूंजी की सप्लाई बंद कर दी जायेगी, यह इससे तय होगा कि होड़ में कौन सा पक्ष सत्ता तंत्र के करीब है, जैसे माफिया काउंसिल तय करे कि किस इलाके में तस्करी, नशे, वेश्यावृत्ति, लूट का कारोबार कौन सा गिरोह चलायेगा."
यह स्थिति अब सामने आ ही रही है. इसलिए कुछ पूंजीपतियों की शिकायतें सुनने को मिलती रहेंगी, कुछ बर्बाद भी होंगे, खुदकुशी करने को मजबूर भी होंगे. लेकिन सब गिले शिकवे के बावजूद पूंजीपति वर्ग का सामूहिक स्वार्थ फासीवाद ही है, एक वर्ग के तौर पर वे उस रास्ते से पीछे नहीं हट सकते.
अत: ये पूंजीपति भी अब किसी विपक्षी दल के जरिये अपने हित में दबाव बनाने के बजाय सत्ताधारी दल में लॉबीइंग का सहारा लेना बेहतर समझेंगे. सभी दलों से BJP की ओर बढती बाढ के पीछे का रहस्य भी यही है.
ये सब 'महामानव' के साथ करीबी में सुरक्षा ढूँढेंगे. आखिर ये सब दल/नेता बुर्जुआ वर्ग के किसी हिस्से का ही प्रतिनिधित्व करते हैं.

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All the king’s horses and all the king’s men,

Couldn’t put Humpty together again…

पांच हम्प्टी डम्प्टी एक दीवार पर बैठ गए,

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चार हम्प्टी डम्प्टी एक दीवार पर बैठ गए,

एक हम्प्टी डम्प्टी उन मे से गिर गया,
राजा के सभी घोड़े और राजा के सभी लोग,

हम्प्टी को फिर से एक साथ नहीं जोड़ साखे…

Three Humpty Dumpty sat on a wall,

One Humpty Dumpty had a great fall,

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Feb 20
तेजोमहालय के खोजक !!!!
महान राष्ट्रवादी इतिहास कार- पी एन ओक। वामपंथियों द्वारा कब्जाए गए इतिहास लेखन क्षेत्र के अकेले दक्षिणपंथी योद्धा पी.एन. ओक हैं।
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याद दिला रहा हूं, ताकि कृतघ्न हिन्दू, उन्हें थैंक्यू कहना भूल न जाये।
इंदौर में 2 मार्च 1917 को इंदौर रियासत में जन्मे ओक साहब के पास एमए, एलएलबी की डिग्री थी। एक इंटरव्यू में ओक साहब बताते हैं कि इसके बाद इन्होंने ब्रिटिश आर्मी जॉइन कर ली। जापानियों द्वारा पकड़े गए।
जहां दूसरे प्रिजनर्स ऑफ वार के साथ आजाद हिंद फौज जॉइन कर ली।
वहां तोप तलवार बन्दूक नही। शॉर्टहैंड में, कलम चलाते और डिक्टेशन लेते थे। क्योकि ओक साहब के यू ट्यूब पर उपलब्ध इंटरव्यू अनुसार, वे जेके भोंसले नामक अफसर के प्राइवेट सेक्रेटरी थे।
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Feb 19
ये कथा, द्वापर की नही है।
द्वारका का विस्तार हो चुका था। अखण्ड द्वारका समझ लीजिए, जिसकी पताका कश्मीर से कन्याकुमारी तक फहराती थी। चहुं ओर शांति थी, खुलापन था, मौजमस्ती और आजादी थी।
तो द्वारकाधीश के भक्तो को मजाक सूझा।
एक युवक के पेट मे लोकपाल बांधकर सप्तर्षियों के पास पहुचें-पूछा, अन्ना, बताओ इसके पेट से लड़का होगा या लड़की ???

अन्ना भन्ना गए। उनकी आंख में स्कैनर था। बोले- इसके पेट एक जोकपाल होगा, और तुम सबके सत्यानाश का कारण बनेगा,
भर्र भों.. उड़ती पुडती रगड़ती की कुंडी छू...ऐसा मंत्र बोलकर शाप दे दिया।
अब तो भक्त घबराए, चाणक्य के पास पहुचें। उन्होंने सलाह दी- पेट का मूसल घिस दो, समुद्दर में बहा दो। मामला खत्म।

तो भक्तों ने डिजिटल समुद्र के किनारे मूसल घिसा, और चूरा "अंतर्जाल" में बहा दिया।
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