आप अपना पासवर्ड भूल गए हैं तो वहीं पर forgot पासवर्ड का ऑप्शन है, आप आधे-पौन घंटे में ही अपना पासवर्ड बदल सकते हैं। ज़्यादा मुश्किल नहीं है, बस वहाँ पर कप्चा आपको मल्ल युद्ध के लिए ललकारता है, उसको परास्त करके आप अंदर घुस पाते हैं।
फ़िर आपको योनो के अंदर भेज दिया जाता है, वहाँ आपको समझ ही नहीं आता कि मेरे को जो चीज़ देखना है वो साला है किधर?
इधर-उधर हाथ-पैर मारने पर अचानक एक पेज खुल जाता है जो कहता है "सर आपने 90 दिन से पासवर्ड बदला नहीं है, मैं बोर हो गया हूँ, प्लीज बदल दो ना"।
आप सोचेंगे कि अभी बदल कर ही अंदर घुसा हूँ...पर आप घिर गए हैं, यहाँ से ये आदमी अब आपको जाने का रास्ता ही नहीं दे रहा है।
मुझे लगता वेब साइट बनाने की जब requirement दी गई होगी तो एक कर्मचारी भी साथ में दिया होगा कि कोई भी काम आपको वेब साइट से करवाना हो तो वही
उसका सिग्नेचर फ़ील आना चाहिए...जैसे इसी पेज को लीजिये...ये अगर आदमी होता तो आपसे कहता -
"पासवर्ड नहीं बदला आपने 90 दिन से? पहले उसको बदलो फ़िर आना"
आप - पर मैंने अभी बदला
वो - मेरे पास बदला क्या?
आप - नहीं, एंट्री के टाइम ही तो बदला
वो - पर मेरे पास तो नहीं बदला ना?
आप - अरे पर नया ही पासवर्ड तो
वो - आप समझ नहीं रहे हो...आपने बदला होगा, मैं कैसे मान लूँ कि बदला है? मेरे पास कोई सूचना नहीं है।
आप - अरे पर बदला तभी तो अंदर आया ना?
वो - वो बात मैंने मानी पर आपको बदलना पड़ेगा...
आप - मुझे पिछली विंडो पर जाना है वापस
वो - नहीं जा सकते, दरवाजा बंद हो गया है
आप - अरे?
इस किच किच में आपको गार्ड उठाकर बाहर फेंक देता है, यानि session आउट हो जाता है। आप फ़िर लॉगिन करते हो और फ़िर वही आ जाता है - "पासवोर्ड" बदलो...
आप उसको इग्नोर भी करते हो तो आपको और कोई नज़र ही नहीं आता। घंटा-दो घंटा बर्बाद करके एक गाली बक कर आप बाहर निकल जाते हैं।
फ़िर योनो आता है - "कैसे हैं सर?"
आप गुस्से से उसे देखते हैं
वो कहता है - "प्लीज दो मिनट review दे दीजिये, कैसा लगा आपको?"
आप एक भद्दी सी गाली लिखकर बाहर निकल जाते हैं।
इसके बाद कुछ मजबूत लोग योनो app से गुत्थम गुत्था हो जाते हैं पर मजाल है वो app आपको पहचान ले? वो बार बार कहता रहता है,
ये कागज लाओ फिर आना, वो लाओ फिर आना, ये सही नहीं है, वो सही नहीं है और फिर आप या तो फोन फोड़ लेते हैं या अपना सर। 😂
चीन के बारे में, विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान के बाद, रिटायर्ड ब्रिगेडियर Pradeep Yadu का यह खुला पत्र
विदेश मंत्री , भारत सरकार को
खुला पत्र
श्री जयशंकर जी ,
विदेश मंत्री
भारत सरकार
महोदय ,
जयहिंद ,
1. आपके साक्षात्कार को सुना और दुख हुआ कि आपने , मेरे विचार से पूरे देश को अपमानित किया है । आप एक डर से भरे , लाचार और बेबस विदेशमंत्री नज़र आ रहे थे । क्या आपके पास एक सैनिक के निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हैं ? अगर हां तो उत्तर की प्रतीक्षा है :--
(a) अगर देश की आर्थिक शक्ति चीन से कम है , तो इसके जिम्मेदार कौन हैं ? किन कारणों से आज एक छोटी अर्थव्यवस्था की आड़ में आप कह रहे हैं कि , भारत अपने से बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश ( चीन ) पर आक्रामक नहीं हो सकता ? आप तो पढ़े लिखे नौकरशाह थे, क्या आपको नहीं पता की वियतनाम ( एक
बैंकों और वित्तीय संस्थानों का 2.15 लाख करोड़ रुपए का लोन दबाए बैठे अदानी सेठ के पास आज की तारीख में केवल 7.6 लाख करोड़ रुपए का मार्केट कैप बचा है।
यानी नया साल शुरू होने के बाद से अदानी समूह को 12 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
आज ही सेबी ने सभी क्रेडिट रेटिंस एजेंसियों से अदानी समूह की कंपनियों को दिए गए लोन और प्रतिभूतियों की रेटिंग मांगी है।
असल में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से किसी भी अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंस एजेंसी ने अदानी समूह की कंपनियों की रेटिंग को रिवाइज नहीं किया है।
सेबी की रेटिंग मांगने का सीधा मतलब है कि निवेशकों ने अदानी समूह की कंपनियों पर भरोसा खो दिया है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां तब तक रेटिंग नहीं घटाती, जब तक कंपनी खुद को दिवालिया घोषित न कर दे।
अदानी समूह बड़ी चालाकी से थोड़ा-थोड़ा कर लोन चुका भी रहा है- जैसे आज 1500 करोड़ चुकाए।
तुमने कभी भारत माता की असली तस्वीर देखी है ? वो बहू बनकर पहली बार घर से बाहर निकली, वो भी पानी के जहाज से पति के साथ सीधे विदेश । दोनों साथ रहते जीवन का आनन्द ले रहे थे । यकायक 1913 में साउथ अफ्रीका की सरकार ने एक कानून पास कर दिया कि केवल चर्च से हुऐ विवाह ही वैध हैं,
बाकी सारी औरतें रखैल ।
भारत की सरजमीें से वो भी काठियावाड़ सोमनाथ जैसे क्षेत्र की बेटी कैसे इस कानून को सह पातीए वो अकेले भिड गयी । पति जो साउथ अफ्रीका की सबसे बड़ी अदालत में वकील थे उन्होने इस कानून के खिलाफ एक पिटिशन दाखिल किया ।
ये उस दौर की दुनिया में एक नयी और अप्रत्याशित बात थी । कि अदालत में राजा के निर्णय को भी चुनौति दी जा सकती है ।
इस कानून की समीक्षा की लडाई अब अदालत में थी, अकेला वकील चाहता था अफ्रीका का समाज साथ दे । लेकिन दे तो कैसे घ्
पठान फ़िल्म में शाहरुख़ ख़ान ने 1000 करोड़ से ज़्यादा कमा कर बुलंदी का अलम नस्ब कर दिया..पूरा संघी गिरोह बिलबिलाता रह गया.
जावेद अख़्तर साहेब ने पाकिस्तान में घुस कर तालिबानियों के चेहरे पर अपनी उंगलियों की निशानी छोड़ दी..मोदीजी की बिरियानी का स्वाद ख़राब हो गया..
शहीद इंदिरा गांधी के पाकिस्तान के 2 टुकड़े करने के बा'द और स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्रीजी के लाहौर में तिरंगा फहराने के बा'द ये तीसरा वाक़ि'आ है जब एक हिंदुस्तानी ने पाकिस्तान के हुक्मरानों को पाकिस्तान में घुस कर ज़लील किया गया है..
जावेद साहेब और शाहरुख़ ख़ान दोनों हिंदुस्तान के "ग्लोबल अम्बेसडर" है..तो आलम में हिंदुस्तान का डंका बज गया..
चौबे जी को मैं पाण्डे जी के घर ले गया।
चौबे जी के लड़के की शादी की बात पाण्डे जी की लड़की से चल रही थी। हम पाण्डे जी के घर के बरामदे में बैठे थे। लड़की चाय नाश्ता दे गयी थी। चौबे जी ने उसे देख लिया था। पाण्डे जी का पैतृक मकान था। वह शहर के पुराने मोहल्ले में था।
गन्दा मुहल्ला था। बरामदे से कचरे के ढेर दिख रहे थे। आस पास सुवरो की कतारें घूम रही थी।
चौबे जी यह देख रहे थे और उन्हें मतली आ रही थी। वे बोले- हॉरिबल! इस कदर सुवर घुमते हैं घर के आस पास।
बाकी बात मुझे करना था। हम लौटे। चौबे जी से मैं दो तीन दिन बाद मिला।
उन्होंने कहा- लड़की तो बहुत अच्छी है। मगर पांडे जी का घर बहुत गन्दी जगह है। सुवर आस पास घूमते हैं। हॉरिबल।
मैंने कहा- मगर आपको उस घर से क्या करना है? आपको तो लड़की ब्याह कर लानी है।
चौबे जी ने कहा- मगर क्या लड़का ससुराल नहीं जायेगा?
दर असल भक्त गणों ने सेठ के साथ धोखा किया है,
सेठ को पूरी उम्मीद थी कि उसके पापों पर पर्दा डालने के लिए साहेब के गुलाम लाखों भक्त अपना खून, लीवर, किडनी और जमीर (ओह नो, सॉरी सॉरी, भक्तों के पास जमीर तो होता ही नहीं वो तो 8 साल पहले मर चुका है) वगैरह
बेच कर उसके शेयर में इन्वेस्ट करेंगे और उसे बचा लेंगे,लेकिन 50 पैसे प्रति कमेंट के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाने वालों और इतने में ही अपना ईमान बदल लेने वालों से उनकी ये उम्मीद पूरी तरह गलत साबित हुई।
बस इसीलिए बैंक ऑफ बड़ौदा के मुखिया को सामने आकर ये कहना पड़ा कि हम देंगे लोन।
दरअसल इन साहेब की असली मनसा सेठ को लोन वोन देने की नहीं है, ये तो भक्तों को चुनौती देकर उन्हें उनके कर्तव्य की याद दिलाना चाहते थे कि सेठ के बेवफा हो जाने के डर से शायद ये लोग अपनी लीवर किडनी नीलाम करने को तैयार हो जाएं।