#वीर_सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक युग🙏🙏🙏🙏🙏
2 दशक से भी ज्यादा समय दक्षिण अफ्रीका में बिता कर 45 साल के महात्मा गांधी 1915 में भारत आते हैं।
इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है।
अंग्रेज उससे दिनभर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते,रस्सी बटवाते और छिलके कूटवाते हैं।वो तमाम कैदियों को शिक्षित कर रहा होता,उनमें राष्ट्रभक्ति की भावनाएँ प्रगाढ़ कर रहा होताऔर साथ ही दीवालों कर कील,काँटों और नाखून से साहित्य की रचना कर रहा होता है।
"उनका नाम था- विनायक दामोदर सावरकर।"
उन्हें आत्महत्या के ख्याल आते।
उस खिड़की की ओर एकटक देखते रहते थे, जहाँ से अन्य कैदियों ने पहले आत्महत्या की थी। पीड़ा असह्य हो रही थी। यातनाओं की सीमा पार हो रही थी। अंधेरा उन कोठरियों में ही नहीं, दिलोदिमाग पर भी छाया हुआ था।
दिनभर बैल की जगहखटो,रात को करवट बदलतेरहो।11 साल ऐसेही बीते।कैदी उनकी इतनी इज्जत करतेकि मना करने पर भी उनके बर्तन,कपड़े धो देते,उनकी मदद करते।सावरकर से अँग्रेज बाकीकैदियों को दूररखने की कोशिश करते।अंत में बुद्धि की विजय हुई तो उन्होंने अन्य कैदियों को भी आत्महत्या से विमुख किया।
लेकिन नहीं, महा गँवारों का कहना है कि सावरकर ने मर्सी पेटिशन लिखा, सॉरी कहा, माफ़ी माँगी..ब्ला-ब्ला-ब्ला।
मूर्खों, काकोरी कांड में फँसे क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने भी माफ़ी माँगी थी। तो? उन्हें भी 'डरपोक' करार दोगे? बताओ। उन्होंने भी माफ़ी माँगी थी अंग्रेजों से।
क्या अब इस कसौटी पर क्रांतिकारियों को तौला जाएगा?शेर जब बड़ी छलाँग लगाता है तो कुछ कदम पीछे लेता ही है।उस समय उनके मन में क्या था,आगे की क्या रणनीति थी-ये आज कुछ लोग बैठेबैठे जान जाते हैं।कौन ऐसा स्वतंत्रता सेनानी है जिसे 11 साल कालापानी की सज़ा मिली हो
नेहरू? गाँधी? कौन..... ?
नानासाहबपेशवा,लक्ष्मीबाई और वीरकुँवरसिंह जैसे कितने ही वीर इतिहास में दबे हुए थे। 1857 को सिपाहीविद्रोह बताया गया।तब इसके पर्दाफाश के लिए 20-22 साल का एक युवक लंदनलाइब्रेरी का किसी तरह एक्सेस लेकर और दिनरात लग कर अँग्रेजों के एक के बाद एक दस्तावेज पढ़कर सच्चाई की तह तक जा रहा था,
जोभारतवासियों से छिपाया गया।उसने साबित करदिया कि वो सैनिकविद्रोह नहीं,प्रथम स्वतंत्रतासंग्राम था।उसके सभी अमर बलिदानियों कीगाथा उसने जनजन तक पहुँचाई।भगतसिंह सरीखेक्रांतिकारियों ने मिल करउसे पढ़ा,अनुवादकिया
दुनियामें कौनसी ऐसीकिताब है जिसे प्रकाशन से पहले ही बैन कर दिया गया था?
अँग्रेज कितने डरे हुएथे उससे कि हर वो इंतजाम किया गया,जिससे वो पुस्तक भारत न पहुँचे।जब किसीतरह पहुँची तो क्रांतिकी ज्वाला में घी की आहुतिपड़ गई।कलम और दिमाग,दोनोंसे अँग्रेजों से लड़नेवाले सावरकर थे।दलितउत्थान केलिए काम करनेवाले सावरकर थे।11साल कालकोठरी में बंदरहने वाले सावरकर थे।
हिंदुत्व को पुनर्जीवित करके राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले सावरकर थे।साहित्य की विधा में पारंगत योद्धासावरकर थे।
आज़ादी के बाद क्यामिला उन्हें?अपमान। नेहरू व मौलाना अबुल कलाम जैसों ने तो मलाई चाटी सत्ता की,सावरकर को गाँधी हत्या केस में फँसा दिया।गिरफ़्तार किया।पेंशन तक नहीं दिया।
प्रताड़ित किया।60 के दशक में उन्हेंफिर गिरफ्तार किया,प्रतिबंध लगादिया।उन्हें सार्वजनिकसभाओं में जाने से मनाकर दिया गया।ये सब उसीभारत में हुआ,जिसकी स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अपनाजीवन खपा दिया।आज़ादी के दीवानें से उसकी आज़ादी उसीदेश में छीनली,जिसे आज़ाद करवाने में योगदान दिया था।
शास्त्री जी PM बने तो उन्होंने पेंशन का जुगाड़ किया।
वो कालापानी में कैदियों को समझाते थे कि धीरज रखो, एक दिन आएगा जब ये जगह तीर्थस्थल बन जाएगी। आज भले ही हमारा पूरे विश्व में मजाक बन रहा हो,एक समय ऐसा होगा जब लोग कहेंगे कि देखो,इन्हीं कालकोठरियों में हिंदुस्तानी कैदी बन्द थे।
सावरकर कहते थे कि तब उन्हीं कैदियों की यहाँ प्रतिमाएँ होंगी। आज आप अंडमान जाते हैं तो सीधा 'वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट' पर उतरते हैं। सेल्युलर जेल में उनकी प्रतिमा लगी है।
उस कमरे में प्रधानमंत्री भी जाकर ध्यान धरता है, जिसमें सावरकर को रखा गया था....
नमन🙏🙏
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A monk decides to meditate alone, away from his monastery. He takes his boat out to the middle of the lake, moors it there, closes his eyes and begins his meditation.
After a few hours of undisturbed silence, he suddenly feels the bump of another boat colliding with his own.
With his eyes still closed,he senses his anger rising,& by the time he opens his eyes,he is ready to scream at the boatman who dared disturb his meditation
But when he opens his eyes,he sees it’s an empty boat that had probably got untethered & floated to the middle of the lake
At that moment, the monk achieves self-realization,and understands that the anger is within him; it merely needs the bump of an external object to provoke it out of him.
From then on, whenever he comes across someone who irritates him or provokes him to anger,he reminds himself,
राहुल गांधी विदेश में जाकर यह शिकायत क्यों नहीं करता है कि भारत का लोकतंत्र इतना निरंकुश हो चुका है कि 75 वर्षो से दबे राज सरेआम उजागर किये जा रहे है।
सोशल मिडिया मेरे बारे में निम्न लिखित गलत खबरे चला रहा है।
यह कि....
(1). यह कि मैंने सुकन्या का बलात्कार कर उसकी हत्या करवा दी और उसके पूरे परिवार को गायब करवा दिया है।
(2).यह कि मेरी माँ को बार डांसर कहा जाता है।
(3) .यह कि मेरी माँ के अवैध सम्बन्ध क्वात्रोची और माधवराव सिंधिया के साथ रहे थे।
(4). यह कि मेरे बाप के चीथड़ों से मिलान के लिए मेरे DNA की जगह प्रियंका का DNA दिया गया इस डर से की कहीं मैं राजीव की जगह किसी और की औलाद साबित न हो जाऊं।
(5). यह कि प्रियंका की शादी के बाद उसके ससुराल के सभी सदस्यों की एक एक कर हत्या करवा दी गई।
आए दिन की खबरें हो गई हैं बच्चियों के साथ ज्यादतियां ! मन दुखित होता है कि एक तरफ बातें होती हैं उच्च आदर्शों की दूसरे तरफ पतन के पाताललोक में जा रहे हमारे आदर्श! कोशिश की है अपनी बात कहने की
स्त्री हूँ मुझे वही रहने दो
ना बनाओ मुझे अपने माथे का चंदन वंदन
मत कहो मुझे देवी, ना करो सम्मान मेरा
स्त्री हूँ मैं मुझे वही रहने दो
उमा, रमा, ब्रम्हणी, दुर्गा और काली कहकर मुझे
उन देवियों का मान ना घटाओ
उनके वक्र नेत्र भस्म कर देते थे बड़े बड़े असुरों को
वो बिचरतीं थीं बियाबानों में भी बेखौफ
मुझमें वह चमत्कारी शक्ति नहीं है
मैं सहम जाती हूँ भरी सड़कों में भी
गर आदमीनुमा राक्षस मुझे घूर कर देख भी ले
चलते हुए रास्ते में गर अंदेशा भी हो जाये
कि कोई पीछा कर रहा है तो प्राण आधे सूख जाते हैं
घर से बाहर निकली लड़की का मोबाइल ओफ जाये तो
नीलामे दो दीनार,"जबरदस्ती का भाईचारा ढोते हिंदुओं अपना इतिहास तो देखो
समयकाल,ईसा के बाद की ग्यारहवीं सदी
भारत अपनी पश्चिमोत्तर सीमा पर अभी-अभी ही राजा जयपाल की पराजय हुई थी
इस पराजय के तुरंत पश्चात का अफगानिस्तान के एक शहर..गजनी का एक बाज़ार..!
ऊंचे से एक चबूतरे पर खड़ी कम उम्र की सैंकड़ों हिन्दु स्त्रियों की भीड .. जिनके सामने हज़ारों वहशी से दीखते बदसूरत किस्म के लोगों की भीड़ लगी हुई थी.जिनमें अधिकतर अधेड़ या उम्र के उससे अगले दौर में थे.!
कम उम्र की उन स्त्रियों की स्थिति देखने से ही अत्यंत दयनीय प्रतीत हो रही थी..
उनमें अधिकांश के गालों पर आंसुओं की सूखी लकीरें खिंची हुई थी,मानो आँसुओं को स्याही बना कर हाल ही में उनके द्वारा झेले गए भीषण दौर की कथा प्रारब्ध ने उनके कोमल गालों पर लिखने का प्रयास किया हो!
एक बात सब में समान थी,किसी के भी शरीर पर वस्त्र का एक छोटा सा टुकड़ा भी नहीं था..
फिल्म #वास्तव में पुलिस अधिकारी बने दीपक तिजोरी, संजय दत्त को समझाते हैं कि..अपराध की दुनियां को छोड़ दो अन्यथा, किसी दिन पकड़े जाओगे या एनकाउंटर हो जायेगा....
पलटकर गैंगस्टर संजय दत्त दीपक तिजोरी से पूछता है कि..मुझे पकड़ेगा कौन.यह तुम्हारी निकम्मी पुलिस,
जो मेरे सामने कुत्तों की तरह दुम हिलाती है.....?
पुलिस अधिकारी बने दीपक तिजोरी ने बहुत सुन्दर जवाब दिया था....पुलिस निकम्मी नहीं है, तेरे ऊपर भ्रष्ट, गद्दार और सत्तालोलुप नेताओं का हाथ है, आज इन भ्रष्ट और निकम्मे नेताओं ने पुलिस के हाथ बांध रखे हैं!
लेकिन जिस दिन कोई ईमानदार और राष्ट्रवादी नेता सत्ता संभालेगा, उस दिन यही पुलिस तुझे कुत्तों की तरह घसीटते हुए ले जायेगी।
ये उदाहरण इसलिए दिए ताकि आप याद कर सकें वह वक्त....जब आज़म खान ने तीन घंटे तक एक S.S.P. को अपने घर के बाहर खड़ा रहने का आदेश दे दिया था।