प्रश्न = मेरे बच्चे जो कि कॉन्वेंट स्कूल मैं पढ़ रहे है सवाल करते है कि क्या भगवान होते है अगर होते है तो यकीन दिलाओ ? मैं बहुत बड़ी दुविधा मैं हू उन्हें कैसे समझाऊ ?
ये प्रश्न पहले भी किसी ने पूछा था तो मेरा उत्तर भी वही है।
देखिए महूदय अपने बच्चों को सीधा ना बोलकर के उन्हें इस धटना के जरिए समझाइए।
पिछले साल ट्रेन में कुछ छिछोरे लौंडे मजा लेने के लिए मेरे पास आ बैठे और कहने लगे--और महाराज जी??अच्छा ये बताओ क्या #भगवान होते है ?
ज्यादातर मामलों में मैं ऐसे प्रश्नों का उत्तर नहीं देता हूँ क्योंकि यह सवाल जवाब से परे की बात है फिर भी कभी एकाध बार बातचीत करने का मन हो और इनको कुछ बताओ तो तुरन्त कहते हैं जब हमने देखा ही नहीं तो हम मानें क्यों फिर भी सफर काटने के उद्देश्य से मैंने कहा कि ईश्वर बहुत बड़ी चीजहै
छोड़ो उसे,,मैं आप लोगों से कुछ आसान बातें पूछता हूँ आप लोग बताइए,,पहली बात यह बताओ कि भूख तो दिखती नहीं फिर यह बताओ भूख होती है या नहीं?? मेरी तरफ #दांत फाड़कर हंस दिए और कहने लगे कि महसूस तो होती है न,,मैंने फिर कहा--क्रोध तो दिखता नहीं, न ही प्रेम दिखता है,, न ही दर्द,,तो
ये बताओ यह होता है या नहीं??उन्होंने कहा कि प्रेम दिखता तो है,, क्रोध कोई करता है तो वह भी दिखता है, मैंने कहा-हम क्रोध करते हैं तो हमारा #शारिरिक व्यवहार दिखता है,, क्रोध तो दिखता नहीं,, प्रेम प्रकट करने के लिए किसी को चूमते हैं या उसका हाथ छुते हैं या कोई गिफ्ट देते हैं
तो दिखता तो केवल हाथ या मुँह या गिफ्ट है, प्रेम तो दिखता नहीं,, तो ये बताओ होता है या नहीं? तुरन्त बोले कि महाराज जी महसूस होता है यह सब ऐसे आमने सामने दिखाई देने की चीज नहीं है,,मैंने कहा ऐसे ही #ईश्वर भी दिखाई देने की चीज नहीं है भाई,वह महसूस होता है,, जैसे भूख महसूस होती है
जैसे प्रेम, जैसे दर्द, जैसे पीड़ा या हर्ष,, ऐसे ही वह भी पूरे जोर से महसूस होता है
तुरन्त उन्होंने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया--हम क्यों मानें??बस मैं इसी बात का तो इंतजार कर रहा था मैंने एक बालक से पूछा--माता पिता का नाम क्या है??तुरन्त बोला--#जगदीश और #कमला है
मैंने फिर पूछा--ये बताओ क्या पैदा होते वक्त तुम्हारी आंख खुली थी??बाहर निकलते वक्त तुमने देखा था कि जो घर में औरत है यही तुम्हारी #माँ है??
इसपर थोड़ा खीज गया और बोला आपने देखा था क्या पैदा होते वक्त अपनी मां को??मैंने कहा कि नहीं देखा,, बस मुझे दूसरों ने बताया कि यह मां है,
यह पिता है, यह बुआ है, यह मामा है, यह ताऊ है,, मैं मानता चला गया उसने कहा मुझे भी बताया गया है इसलिए मैं मानता हूं,, मैंने तब अंतिम बात पूछी--अच्छा यह बताओ घर में जो आदमी है,,तुम्हें पक्का यकीन है कि वही तुम्हारा #पिता है??तुमने DNA टेस्ट करवाया है??
कहने लगा किसी ने भी नहीं करवाया,,पूरे देश में सब ऐसे ही मानते हैं तब मैंने बातचीत खत्म करते हुए कहा कि देश दुनिया में कोई भी
ऐसे ही नहीं मानता,, जब कोई #विश्वस्त व्यक्ति हमें कहे तब हम मानते हैं,, और घर में हमारी मां ऐसी ही विश्वसनीय व्यक्ति की भूमिका में है,, वह कह रही हैं कि यही तुम्हारा पिता है तो अब संदेह का प्रश्न ही नहीं उठता लाखों लाखों #ऋषियों ने उस परम तत्व को ऐसे ही हमेशा महसूस किया है
हां जिन्हें अपनी मां पर यकीन नहीं उन्हें अपने पूर्वज ऋषियों पर भी नहीं होगा,,,
और तुम्हें यकीन हो न हो हमारे #आनंद में तो कमी आने से रही बन्धु,,
ॐ श्री परमात्मने नमः 🙏
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हमने धनुर्वेद को क्यों छोड़ दिया धनुर्वेद एक उपवेद है। इसके अन्तर्गत धनुर्विद्या या सैन्य विज्ञान आता है। दूसरे शब्दों में, धनुर्वेद, भारतीय सैन्य विज्ञान का दूसरा नाम है। हमारे पूर्वजों ने धनुर्वेद का उपयोग कहा कहा और किस लिए किया।
धर्म (लौकिक/सार्वभौमिक कानून का संरक्षण करना।
राज धर्म (राष्ट्र और उसके लोगों के प्रति कर्तव्य का पालन करवाना।
राज नीति (राज धर्म के संरक्षण के लिए राज्य के मामलों और नीतियों का संचालन करना
कूट नीति (राष्ट्रीय हित और सार्वभौमिक भलाई के संरक्षण के लिए कूटनीति और शासन कला का उपयोग करना।
धनुर्वेद (यदि कूटनीति विफल होती है, तो अंतिम विकल्प के रूप में युद्ध का प्रयोग करना।
एक पंडितजी को नदी में तर्पण करते देख एक फकीर अपनी बाल्टी से पानी गिराकर जप करने लगे ,
" मेरी प्यासी गाय को पानी मिले।"
पंडितजी के पुछने पर बोले जब आपके चढाये जल भोग आपके पुरखों को मिल जाते हैं तो मेरी गाय को भी मिल जाएगा।
पंडितजी बहुत लज्जित हुए।"
कहानी सुनाकर एक इंजीनियर मित्र जोर से ठठाकर हँसने लगे। बोले - " सब पाखण्ड है पंडित जी। "
शायद मैं कुछ ज्यादा ही सहिष्णु हूँ इसलिए लोग मुझसे ऐसे कुतर्क करने से पहले ज्यादा सोचते नहीं , लगभग हिंदुओं का यही हाल है ।
खैर मैने कुछ कहा नहीं बस सामने मेज पर से 'कैलकुलेटर' उठाकर एक नंबर डायल किया और कान से लगा लिया। बात न हो सकी तो इंजीनियर साहब से शिकायत की। वो भड़क गए । बोले- " ये क्या मज़ाक है?? 'कैलकुलेटर में मोबाइल का फंक्शन कैसे काम करेगा। "
प्रश्न = हिंदू धर्म के अनुसार ब्रह्मांड की आयु क्या है ?
नासा के जेम्स वेब टेलिस्कोप से कैरिना नेबुला (क्षीरमार्ग आकाशगंगा का एक क्षेत्र) की तस्वीर ली गई हैं। क्या इसे देखकर ऐसा प्रतीत नही होता की कोई अलौकिक व्यक्ति चिरनिद्रा में लीन हो ?
नासा ने इस निहारिका को एच पी लवक्राफ्ट के सम्मान में "मिस्टिक माउंटेन" नाम दिया हैं।
यह चित्र गर्भोदकशायी विष्णु का है जैसा कि वेदों में वर्णित है: योग निद्रा में विष्णु।
प्रश्न = क्या यज्ञोपवीतम् और अन्य धार्मिक चिह्न केवल ब्राह्मणों तक सीमित थे ?
मैं कुछ कहूँगा नहीं, केवल दिखाउंगा। कुछ औपनिवेशिक-काल के चित्र जिसमें आम भारतीय (अधिकांश हिन्दू) अपने-अपने व्यवसाय में लिप्त हैं।
आप जानते ही होंगे कि कुम्हार, जीनसाज, स्वर्णकार, चर्मकार आदि व्यवसायों में लिप्त अधिकांश व्यक्ति नीचा कहलाने वाली जातियों से आते थे। केवल आधुनिक शब्दावली में उन्हें 'नीचा' कहते हैं।
साक्ष्य बताते हैं कि सभी उपरोक्त समुदाय बड़े गर्व से अपनी हिंदू पहचान धारण और प्रदर्शित करते थे।
ऊपर चित्र में आप एक कुम्हार को यज्ञोपवीत पहने और पूरे शरीर में धार्मिक चिह्नों को धारण किये देख सकते हैं -
मात्र एक दृश्य देखने से , जिसमें एक वेश्या किसी पुरुष के साथ थी , उसे देखकर एक परम विद्वान , वेद पाठी , नियमी , संयमी अजामिल का ऐसा पतन होता है कि वह पापात्माओं के शीर्ष पर आ गया ।
अजामिल जैसे पापात्मा की मिसाल दी जाती है
सिर्फ देखने मात्र से दुर्गुण प्रवेश हुआ और धीरे धीरे वह उसमें संलिप्त होने लगा और सभी साधना नष्ट कर घोर पतित हो गया ।
तो सोचिए !! आज यह सब scene बिल्कुल आम है । तो हम लोगों के इन्द्रिय, मन , विचार और चित्त के तेज का कितना पतन हो चुका है
आजकल के नवयुवक कितने तेजहीन , साध्य विहीन हो चुके होंगे लेकिन यह सब हमें नहीं पता लगता क्योंकि इन सब की तेजस्विता को मापने वाला balance या तुला या apparatus ही नहीं है अपने पास सब शारीरिक सुंदरता और स्वास्थ्य को ही तेजस्विता समझते हैं ।