होली का उद्गमस्थल मुल्तान है जो भारत के विभाजन के बाद #पाकिस्तान में है और जिसे आर्यों का बतौर मूलस्थान भी कभी जाना जाता था.आज वह प्रहलाद पुरी है.नरसिंह अवतार की.खंडहर में तब्दील हो चुकी प्रहलाद पुरी में स्थित विशाल किले के भग्नावशेष चीख चीख कर उसकी प्राचीन ऐतिहासिकता के प्रमाण👇
दे रहे हैं. वहां इस समय मदरसे चला करते हैं। देवासुर संग्राम के दौरान दो ऐसे अवसर भी आए जब सुर- असुर ( आर्य- अनार्य )के बीच संधि हुई थी.. एक भक्त ध्रुव के समय और दूसरी प्रहलाद के साथ. जब हिरण्यकश्प का वध हो गया तब वहां एक विशाल यज्ञ हुआ और बताते हैं कि हवन कुंड की अग्नि छह मास तक
तक धधकती रही थी और इसी अवसर पर मदनोत्सव का आयोजन हआ...जिसे हम होली के रूप में जानते हैं. यह समाजसमता का त्यौहार है, क्योंकि प्रह्लाद के माध्यम से असभ्य-अनपढ़- निर्धन असुरों को पूरा मौका मिला आर्यों के समीप आने का. टेसू के फूल का रंग तो था ही, पानी, धूल और कीचड़ के साथ ही दोनों
की हास्य से ओतप्रोत छींटाकशी भी खूब चली.. उसी को आज हम गालियों से मनाते हैं. लेकिन बड़ों के चरणों की धूल भी मस्तक पर लगाते हैं. इसी लिए इस त्यौहार को धूलिवंदन भी कहते हैं. मुल्तान की वो ऐतिहासिक विरासत बावरी ध्वंस के समय जला दी गयी. बचा है सिर्फ वह खंभा जिसे फाड़ कर नरसिंह निकले
थे. गूगल में प्रहलादपुरी सर्च करने पर सिर्फ खंभे का ही चित्र मिलेगा. यह कैसी विडंबना है कि हमको कभी यह नहीं बताया गया और न ही पाठ्यक्रम में इसे रखा गया. प्राचीन भारत के उस भूभाग,जो अब पाकिस्तान में है ,उसमें तो विरासतें बिखरी पड़ी हैं पर हम बहुत कम जानते हैं.
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होली के उपलक्ष्य में कुछ अख़बारनवीस और बुद्धिजीवी आते होंगे ये बताने के लिए मुहम्मद शाह रंगीला होली खेलता था।पूप जी कहीं ये ना कह दे- होली में गुझिया का आविष्कार करने वाला अकबर था।होली का मुग़लों से केवल और केवल एक ही कनेक्शन है।
१६६५ में औरंगज़ेब ने अहमदाबाद👇
के फ़ौजदार को फ़रमान जारी किया जिसका मज़मून कुछ इस प्रकार था-
“ होली पर बाज़ार और मुहल्लों में होलिका दहन निषेध है। फ़ौजदार ये सुनिश्चित करे होली पर कोई फाग ना गाये- कोई डफ़ ना बजाए। जो कोई भी होलिका दहन का प्रयास करे- फ़ौजदार उसकी संपत्ति ज़ब्त कर ले। “
ऐसा ही फ़रमान दिवाली के
उपलक्ष्य में जारी हुआ था। इन फ़रमानों का नतीजा ये था होलिका दहन शहर क़स्बे से बाहर होने लगा था। मज़हबी स्थानों के आसपास रंग खेलना मौत को बुलावा देना था।
इसलिए यदि कोई भी होली से मुग़ल प्रेम दिखाए- ये याद रखें।
औरंगज़ेब जैसे लुटेरे ना जाने कितने आये और कितने गये- होली का
ऊँ नमः शिवाय
भगवान् परब्रह्म शिव
एक ओर महान् कृपालु हैं
तो दूसरी ओर संहारक भी हैं।
जो भगवान शिव को
अपनी आत्मा में स्थित मानकर निरन्तर ध्यान करते हैं उनको भगवान शिव की सायुज्य मुक्ति प्राप्त होती है और वह सदा भगवान शिव के समीप ही स्थित रहता है।
किन्तु जो मृत्यु के समीप पहुँचा👇
हुआ है तथा धनहानि व दरिद्र है वह भी यदि अभिमान वश कहता रहता है कि
मैं राजा हूँ।
मैं विद्वान हूँ।
मैं ज्ञानी व महापंडित हूँ।
ऐसे अभिमानी व्यक्ति का भगवान शिव संहार कर देते हैं।
इसके विपरीत जो
सम्पूर्ण ऐश्वर्यवान्ं है
वह भी यदि अपने को तुच्छ समझकर अभिमान रहित होकर
मैं शिव रूप हूँ।
मैं शिव हूँ।
ऐसा निरन्तर चिंतन करता रहता है तो वह शिवरूप ही हो जाता है।
मनुष्य
जैसा विचार करता है
वैसा ही हो जाता है।
अहंकारी व्यक्ति कभी ईश्वरत्व को प्राप्त नहीं हो सकता।
ऊँ नमः शिवाय🙏🙏🌹🌹
गुर पितु मातु महेस भवानी।
प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी॥
सेवक स्वामि सखा सिय पी के।
हित निरुपधि सब बिधि तुलसी के ||
शिव महापुराण में
भगवान् शिवजी को सदैव लोकोपकारी और हितकारी बताया गया है।
त्रिदेवों में भगवान् शिवजी को संहार का देवता भी माना गया है।
अन्य देवताओं की पूजा अर्चना की👇
तुलना में शिवोपासना को अत्यन्त सरल माना गया है।
अन्य देवताओं की भांति सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे पकवानों की आवश्यकता नहीं पड़ती।
शिवजी तो
स्वच्छ जल बिल्व पत्र कंटीले और न खायें जाने वाले पौधों के फल यथा-धूतरा आदि से ही प्रसन्न हो जाया करते हैं।
शिवजी को मनोरम वेशभूषा और
अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है।
भोलेनाथ तो
औघड़ बाबा हैं।
जटाजूट धारी।
गले में लिपटे नाग।
रुद्राक्ष की मालायें।
शरीर पर बाघम्बर।
चिता की भस्म लगायें।
हाथ में त्रिशूल पकड़े हुयें
वे सारे विश्व को अपनी पद्चाप तथा डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से नचाते रहते हैं।
इसीलिये शिवजी को नटराज
,(((( लक्ष्य प्राप्ति की राह ))))
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एक किसान के घर एक दिन उसका कोई परिचित मिलने आया। उस समय वह घर पर नहीं था।
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उसकी पत्नी ने कहा: वह खेत पर गए हैं। मैं बच्चे को बुलाने के लिए भेजती हूं। तब तक आप इंतजार करें।
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कुछ ही देर में किसान खेत से अपने घर आ पहुंचा। उसके साथ-साथ उसका 👇
पालतू कुत्ता भी आया।
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कुत्ता जोरों से हांफ रहा था। उसकी यह हालत देख, मिलने आए व्यक्ति ने किसान से पूछा... क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है ?
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किसान ने कहा: नहीं, पास ही है। लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं ?
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उस व्यक्ति ने कहा: मुझे यह देखकर आश्चर्य हो रहा है कि तुम और तुम्हारा
कुत्ता दोनों साथ-साथ आए...
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लेकिन तुम्हारे चेहरे पर रंच मात्र थकान नहीं जबकि कुत्ता बुरी तरह से हांफ रहा है।
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किसान ने कहा: मैं और कुत्ता एक ही रास्ते से घर आए हैं। मेरा खेत भी कोई खास दूर नहीं है। मैं थका नहीं हूं। मेरा कुत्ता थक गया है।
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इसका कारण यह है कि मैं सीधे रास्ते
जब घर का मुखिया शेर होता है तो घर के बाकी के सदस्यों का भी हौसला अपने आप बुलंद हो हो जाता है.
दुनिया भर में 80% से भी ज्यादा क्रूड ऑयल का परिवहन पश्चिमी देशों के स्वामित्व वाले पानी के जहाज कर रहे थे।
अमेरिका द्वारा रूस के क्रूड ऑयल के ऊपर प्राइस कैप लगाने के बाद इन सभी देशों👇
की शिपिंग कंपनियों ने रूस का क्रूड ऑयल का परिवहन करने के लिए मना कर दिया था। जिसके चलते रूस से भारत को क्रूड आयल खरीदने में बहुत दिक्कत आनी शुरू हो गई थी। ऐसे में पुराने और रिटायर हो चुके क्रूड आयल टैंकरों को रूस और भारत ने फिर से रिपेयर करके उनके द्वारा क्रूड आयल का रूस से भारत
के लिए इंपोर्ट शुरू किया। यहां मुख्य रूप से दो परेशानियां सामने आ रही थी। नंबर एक तो यह जहाज बहुत पुराने और रिटायर हो चुके थे अतः इनके रास्ते में क्षतिग्रस्त होने का और डूबने का खतरा बहुत ज्यादा था और दूसरा इन जहाजों द्वारा माल ढुलाई करते समय इनकी इंश्योरेंस जो कि ज्यादातर