#होलिका दहन की सभी सनातनधर्मियों को शुभकामनाएं।
भक्त प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने ऐसे संभाला कि होलिका का वरदान ही उसके लिए श्राप बन गया! जिस अग्नि से उसे अभयदान प्राप्त था, वही अग्नि उसकी भक्षक बन गई!
अतः भगवान विष्णु की शरण लें,उनका सहस्रनाम ब्रह्मांड में गूंजयमान करें
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ताकि वही आप पर बरसें,आपका कल्याण करें।
वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्
#शाम को ही एक डंडे में गोबर से बना कर सुखाई हुईं गुलरियां (पतले गोल उपले जिनके बीच छेद होता) फसा और फिर सुतली से उसे कस कर एक मशाल जैसा बना दिया जाता..डंडा इतना बड़ा रखते के दूर से आग तक पहुँच जाये..
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फिर अंधेरा होने से ठीक पहले घर की कोई लड़की होलिका पूजने जाती तो उसके साथ वहाँ जा होली जलाने से पहले के अंतिम डिसक्शन होते.... थोड़े से षणयंत्रो के भी.....किसकी कटी पड़ी लकड़ी होली के हवाले होनी हैं तो किसकी खेत पर बनी मढ़ईया.... लोंडे साले इतने वफ़ादार के अपने बाप को भी रहस्य
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न खोलते के रात को उस पर पलटन की वक्र दृष्टि होने वाली हैं...
रात अगर सोये तो ढ़ाई तीन बजे जगाने वालों का जत्था पहुँच जाता.... या ढोलक की आवाज बता देती के होली दहन को चलने का समय हो लिया...
सड़क पर जुटान बनता और फिर ढोलक के साथ कोई होली उठा लेता... स्वर ताल की तो खबर नहीं पर
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होली गाने को छाती में जोर जरुरी होता हैं...
घंटे भर में पूरा गाँव होलिका पर जुट जाता.... बुढऊ सताए जाने चालू हो जाते तो... लोंडो पर बेतरतीब गालियां बदले में पडती....
मौके पर कई बुढऊ दद्दा पार्टी बदल लेटे और लोंडो के साथ मिल बाकियों के मज़े लेटे....
ग़ुलाल रंग शहर के चोचले....
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यहाँ बोहनी धूल से होती...
होली जलाने वाला आग लगाता तो एक साथ कई गुलरिया वाली मशाल आग लेने को बीच में घुसती
सबको एक ज़िद होती थी सबसे पहले आग ले घर पहुँचने की.... होली के आग लगते ही वहाँ से आग ले तेज़ रफ़्तार दौड़ लगानी पडती.... इतना तेज़ के घर तक पहुँचने में सुतली जल कर मशाल
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बिखर न ले... पढ़ने में भले आसान लगे पर ये उतना सरल न होता था...
घर पर होली की आग से ही आंगन की होलिका का दहन होता और उसमें गेंहू की बालियां भून पहला अन्न चखा जाता.....
कुछ देर को थमी ढोलक की थाप वापस सूर्य की पहली किरन के साथ सुनाई देती.... होली की आखरी दहकती आग के चारों ओर
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जुटने के बाद चौपई बंधती तो फिर साँझ तक द्वार द्वार घूमती...
यहाँ बिना हिचक धुल मिट्टी कीचड का प्रयोग होता.....सुबह रफ़्तार के प्रदर्शन के नाम होती तो दोपहर को बाजुओं का जोर दिखाया जाता नाल उठाये जाते.... नाल यानी एक हाथ की वेटलिफ्टिंग समझिये
14 पसेरी (70KG) का नाल एक हाथ
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से तान देने वाला लोंडा खुद को फ़ौज के लायक मान लेता और गाँव वाले भी
दिन भर का हुड़दंग थमता तो फिर नहा धो साफ कपड़ों के साथ पूरा गाँव एक चौक पर फिर जुटता.... रंग पड़वाने..
बैठ कर होली गायी जाती और पूरे सम्मान से आप पर कोई लोटा भर लाल रंग उड़ेल देता...
अब ग़ुलाल लगा हैप्पी होली
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बोलने वाली होली का जमाना हैं....... न मलंगई नज़र आती हैं.... न भदेसपना...
सायद ये होली एन्जॉय करने वाली हम आखरी पीढ़ी हैं..... हमारे बच्चे इसे न देख पाएंगे...
पर एक बात कहूँ असली होली वही थी..... ये फेस्टिवल ऑफ़ कलर्स हो सकता हैं..... मेरी होली तो वही थी
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अतीक अहमद बहुत बड़ा धर्मांतरण गैंग चलाता था
गरीब हिंदू युवकों को अपराध की दुनिया में ढकेल कर फिर उन्हें पुलिस से और सरकार से बचाने का लालच देकर उनका धर्मांतरण करवाता था और ज्यादातर धर्मांतरण खुद अतीक अहमद का बेटा करवाता था
इसके एक करीबी के अनुसार अतीक अहमद यह सोचता था 3/1
3/2 इस्लाम में सबसे बड़ा फर्ज है यदि तुम्हारी वजह से कोई काफीर इस्लाम में दाखिल हो इसीलिए अतीक अहमद और उसके बेटे 22 से ज्यादा अपने हिंदुओं का धर्मांतरण करवा कर उन्हें मुसलमान बना चुके हैं और मुसलमान बनाने के लिए यह धमकी पुलिस के एनकाउंटर से बचाने का लालच इत्यादि देते थे
3/3 मारा गया शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान हिंदू था उसका भाई जो नैनी जेल में बंद है वह हिंदू है उसके भाई ने खुद बताया कि मेरे भाई का धर्मांतरण अतीक के बेटे ने करवा दिया और उसका नाम उस्मान रख दिया
#लड्डन_कबाड़ी
🤣🤣🤣
झौलवी के सपने में फरिश्ता आया...
"क्या चाहते हो..???"
"जन्नत...."
"क्यूं....???"
"हूरों के लिए..."
"पहले ट्रायल कर लो..."
"क्या करना होगा...???"
"मुर्गा बनना होगा, 72 मुर्गी मिलेगी..."
" मंजूर..."
ट्रायल के दौरान झौलवी.. 🤣🤣🤣
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झौलवी अपने बकरे को चरा रहा था...अभी 2 दिन पहले ही खरीदा है 72 हज़ार में,... बकरा एक दम मस्त बुलंद है देखने में..... संगमरमर सा सफेद गुलाबी आंखें...
अब झौलवी का सारा समय उसी की देख रेख में बीत रहा था.... बकरे को नहलाना,खिलाना ,घुमाना अपने पास सुलाना.... झौलवी को इस बाबत किसी पर
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यकीन नहीं था....
इसलिए वो अपने बकरे को खुद चराने के लिए निकला था..... बकरा मज़े से हरी हरी घास खा रहा था और झौलवी पेड़ के नीचे बैठ कर उसे देख रहा था.....
इतने में #लड्डन_कबाड़ी उधर से निकला.... उसने मायूस झौलवी को देखा और जादाब बजाया...
लड्डन : जादाब हुज़ूर...
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सत्ता का केंद्र 10 जनपथ था। बुद्धजीवियों का अड्डा स्कॉच, चिवास के साथ खान मार्केट से बिरियानी शाम को आ जाती थी। पंडित आलोक शर्मा ,उर्मिलेश,वाजपेयी आदि पत्रकार का जमघट लगता था।दिल्ली से लेकर कराची तक मुशायरों का दौर चल रहा था। लौहार फेस्टिवल
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में अख्तर साहब मुख्य अथिति थे तो कराची में शबाना आजमी।
इधर कश्मीर में आतंकवाद तांडव किया था। माओवादी लाल कॉरिडोर का स्वप्न पूरा हुये देख रहे थे। नेपाल में वामपंथियों ने सत्ता हथिया ली थी।देश कमोबेश ईसाई मिशनरियों के हाथ में था।धर्मपरिवर्तन को दशजनपथ का प्रत्यक्ष समर्थन था।
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मैडम चाहती थी,पाकिस्तान से सम्बंध और भी ठीक हो ! वह भी किसी कीमत पर। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कयानी और मनमोहन सिंह मिश्र की राजधानी काहिरा मे मिले,पाकिस्तान जो चाहता था सब कुछ मिल गया।
दूसरे दौर की वार्ता का कार्यक्रम भी बन गया। मीडिया के लिये कश्मीर में मरते सैनिकों का कोई
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जिसका नाम ब्लादिमीर पुतिन हैं। एकदम आग से निकला है वो....हिलेरी क्लिंटन की किताब हार्ड चॉइस से!
द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था। एक रूसी सैनिक सीमा पर से दो दिनों की छुट्टी लेकर अपनी पत्नी से मिलने घर आता है। घर पहुंचने पर वो लाशों का ढेर देखता है
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जिन्हें दफनाने के लिए गाड़ियों मे लादने की तैयारी चल रही थी। जब वो और नजदीक आता है तो लाशों के ढेर मे उसे एक महिला की पैर दिखाई देती है। पैरों में पहने जूते से वो पहचान जाता है कि ये उसकी पत्नी है। वो दौड़कर अधिकारियों से अपनी पत्नी की लाश मांगता है ताकि अपनी
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पत्नी का अंतिम संस्कार वो खुद कर सके।
थोड़ी मिन्नतों के बाद अधिकारी उसे उसकी पत्नी की लाश सौंप देते हैं। सैनिक को अपनी पत्नी जैसे ही मिलती है उसे लगता है कि उसमे अभी जान बाकी है। वो उसे घर ले आता है और उसकी सेवा सुश्रुसा करता है। उसकी पत्नी बच जाती है।
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#पक्षपाती_दोगली_दलाल_मीडिया #हाथरस केस में 4 में से तीन आरोपी रामू, लवकुश और लवी की रिहाई हो गयी है, तीनों आरोपियों की वारदात के समय किसी अन्य स्थान पर मौजूदगी के सबूत मिले, रामू तो बाकायदा कंपनी के CCTV में काम करता मिला, कोर्ट में डॉक्टरों ने माना कि लड़की 4/1
4/2 की हाइमन में कोई टियर नहीं मिला, प्रेगनेंसी रिपोर्ट नेगेटिव, प्राइवेट पार्ट पर कोई इंजरी नहीं, अंदरूनी कपड़ों पर कोई सीमेन का ट्रेस नहीं...
हम उस दिन भी बोल रहे थे आज भी बोल रहे हैं की ये केस ही फ़र्ज़ी है, कोई बलात्कार हुआ ही नहीं, ये कहानी ही है प्रेम प्रसंग की,
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4/3 प्रेम वो भी ऐसा की आरोपी लड़का संदीप कान की बाली बेचकर लड़की को शॉपिंग कराया, 105 कॉल हुए एक महीना में उन दोनों के बीच...
और इसी प्रेम प्रसंग में उस लड़की की हत्या हुई वो भी उसी के घरवालों के द्वारा...लड़की कहकर मरी की संदीप ने मारा, संदीप लड़की के भाई का भी नाम है,
रजस्वला का विज्ञान या रजस्वला स्त्री को क्यों विधि निषेध है #भाग-3
ये पोस्ट लोगो को मजे लेने के लिए नहीं की है।क्योंकि सबके घर में नारी प्रधान रहता है तो सोच समझकर अपनी राय रखे,
नारी तू नारायणी,
अब मुझे कोई महिला विरोधी ना समझे मैं वही बता रहा हूं जो शास्त्रों में लिखा है,
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पहले के जमाने में जब लड़की रजस्वला होती थी तो उसकी पूजा की जाती थी और जब तक लडकी को रजस्वला नही होता था तो मां बाप को चिंता रहती थी,और रजस्वला लड़की की पूजा अभी भी केरल में होती है,
केरल राज्य में एक बहुत ही सुंदर और प्रशंसनीय परंपरा है जिसके अनुसार जब भी कोई कन्या अपने मासिक
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काल के शुरुआत में पहुंचती है तो उसे पारंपरिक रूप से स्त्री होने की सम्मानित उपाधि से पूजा जाता है उसका सम्मान किया जाता है इससे खूबसूरत और क्या हो सकता है कि जिस टॉपिक पर आज भी हमारे देश में लोग बात करने में हिचकिचाते हैं,शर्माते हैं उस टॉपिक पर लोग इतने व्यापक तौर पर अपनी
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