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#होलिका दहन की सभी सनातनधर्मियों को शुभकामनाएं।
भक्त प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने ऐसे संभाला कि होलिका का वरदान ही उसके लिए श्राप बन गया! जिस अग्नि से उसे अभयदान प्राप्त था, वही अग्नि उसकी भक्षक बन गई!
अतः भगवान विष्णु की शरण लें,उनका सहस्रनाम ब्रह्मांड में गूंजयमान करें
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ताकि वही आप पर बरसें,आपका कल्याण करें।
वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्

#शाम को ही एक डंडे में गोबर से बना कर सुखाई हुईं गुलरियां (पतले गोल उपले जिनके बीच छेद होता) फसा और फिर सुतली से उसे कस कर एक मशाल जैसा बना दिया जाता..डंडा इतना बड़ा रखते के दूर से आग तक पहुँच जाये..
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फिर अंधेरा होने से ठीक पहले घर की कोई लड़की होलिका पूजने जाती तो उसके साथ वहाँ जा होली जलाने से पहले के अंतिम डिसक्शन होते.... थोड़े से षणयंत्रो के भी.....किसकी कटी पड़ी लकड़ी होली के हवाले होनी हैं तो किसकी खेत पर बनी मढ़ईया.... लोंडे साले इतने वफ़ादार के अपने बाप को भी रहस्य
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होळीच्या सणाला "फाल्गुनोत्सव" असे म्हणतात. बोधिप्राप्तीनंतर तथागत बुद्ध पहिल्यांदा कपिलवास्तुला त्यांच्या घरी गेले. त्यांचे स्वागत करण्यासाठी लोकांनी घरे आणि रस्ते स्वच्छ केले आणि बुद्धत्व प्राप्त झाल्याच्या आनंदात उत्सव साजरा केला जो नंतर "फाल्गुनोत्सव" झाला. आनंदात, Image
कपिलवस्तुच्या शाक्यांनी एकत्र भात शिजवला आणि चावल बाटीला सर्व लोक 'होलका' म्हणत, म्हणून बुद्धाच्या या स्वागताला नंतर "होलोत्सव" असे म्हटले गेले. आजही थायलंडमधील लोक हा सण साजरा करतात. बुद्धमूर्तीची रॅली (रथयात्रा) काढल्यानंतर लोक एकमेकांवर पाणी, फुले आणि रंग फेकतात. पाटलीपुत्र
येथील अशाच रथयात्रेचे वर्णन चिनी प्रवासी फाह्यांन आणि ह्युएन्त्सांग यांनी केले आहे. दक्षिण भारतातील अशाच एका सणाचे वर्णन 'विरूपक्षवसंतोत्सव' या पुस्तकात आहे. पण, तिथल्या रथयात्रेत (रॅली) शिवाला बुद्धाच्या ठिकाणी बसवले जाते, कारण पाली साहित्यात बुद्धाला शिव(सिव) असेही म्हटले जाते.
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भारतीय संस्कृति=हर प्रथा के पीछे सुंदर प्रसंग
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को सूर्यास्त के पश्च्यात प्रदोष काल में, गोबर से लिपि भूमि पर कंडे,घास-फूस, लकड़ियों का विधिवत पूजन कर #होलिका_दहन करना चाहिए-नारद पुराण
प्रज्वलन केलिए बच्चों द्वारा प्रसूता स्त्री के घरसे 🔥माँगने का विधान है
होलिका दहन-

दीपयाम्यघ्ते घोर चिन्ता राक्षसी।
सत्तमहिताय सर्व जगतँ प्रीतये पार्वतीयये।।

आज हम दुःख-चिन्ता देने वाले सभी राक्षसों को जला रहे हैं, ये कार्य, भगवान शिव को प्रसन्न करने तथा समस्त संसार के कल्याण के लिए किया जा रहा है।
#होलिकादहन #होलिकादहन2021
#होलिका_दहन के समय होलिका के शव की पूजा का विधान है जो आज भी होली की पिरक्रमा, अग्नि में घी, दूध, धान, निम्बू इत्यादि की आहुति के रूप में देखा जाता है
मंत्र:
अतो माँ पाहि मीतिन्यो मतिवापत्यमात्मन
आयुर्देही यशो देही शिशुनाँ करू रक्षणम
शत्रुणां च क्षयं देहि होलिके पूजिता सदा ।।
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