1. जैसे ही UP में दुकाने सील होने लगी और जिहादीओ की संपत्तिया जब्त होने लगी UP पूरी तरह शान्त दिख रही है..लातो के भूत लातो से ही मानते.
2. आपको ये proof नही करना है कि हिंदुस्तान आपके बाप का है; आपको proof ये करना है कि आपका बाप हिंदुस्तानी है.
3. पाकिस्तान ज़िन्दाबाद के नारे👇
लगाने वाले पाकिस्तान जाने के नाम पर बिदक क्यों जाते हैं, वहां जाते क्यों नहीं?और अगर पाकिस्तान इतना ही बुरा है तो फिर उसके पक्ष में नारे क्यों लगाते हैं. #indiasupportscaa
4. कभी सुना है कि कांग्रेस से नाराज होकर मुसलमानों ने BJP प्रत्याशी जिता दिया हो..? ये कीड़ा सिर्फ हिन्दुओं
को ही काटता है !
5. वास्तव मे तुम "हिंदू" तभी कहलाओगे, जब "हिंदू" शब्द सुनकर तुम्हारी रगों मे "विद्युत तरंग" दौड़ जायेगा. #स्वामी विवेकानंद #UnitedHindu
6. इतिहास ये जरूर याद रखेगा कि -जो मामला 40 दिनों मे हल हो सकता था उसे कांग्रेस 70 साल तक लटकाए रखा। #राममंदिर
जो मामला
2 महीने के अंदर हल हो सकता था उस धारा को 70 साल जीवित रखा। #धारा370
जो पहचानपत्र 6 महीने के अंदर घुसपैठियों की पहचान करा दे उसे 35 साल लागू नही किया।
7. भारत और अमेरिका के विपक्ष के बीच का अंतर देखो - अमेरिका ने 48 घण्टो में 2 एयर स्ट्राइक कर दिया मगर -- वहां का विपक्ष और 👇
मीडिया किसी ने सबूत नहीँ मांगे.. लेकिन भारत का गद्दार विपक्ष अपने मुस्लिम वोटरों को खुश करने के चक्कर में देश से गद्दारी करते हुए सेना से बार-बार सबूत मांगता है.
youtube.com/@dharmgyan789
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US News: खालिस्तान पर अमेरिका का बड़ा बयान, कहा- हम हर तरह के आतंकवाद की निंदा करते हैं .
साथ ही कहा कि जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं हम उनको जगह नहीं दे सकते।
हिंसा का सहारा लेने का कभी कोई औचित्य नहीं
नेड प्राइस ने अपने बयान में कहा कि हम👇
हिंसक उग्रवाद की निंदा करते हैं। हम उन सभी की निंदा करते हैं जो अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं, चाहे वे राजनीतिक हों या कोई अन्य। हिंसा का सहारा लेने का कभी कोई औचित्य नहीं है। वहीं नेड प्राइस से उन खालिस्तानी कार्यकर्ताओं पर अपने विचार साझा करने के
लिए कहा गया जो उत्तरी अमेरिका में सक्रिय हैं और जो 1985 में एयर इंडिया पर बमबारी के लिए जिम्मेदार थे
ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों में संदिग्ध खालिस्तान समर्थकों के हमले बढ़े हैं, वहीं ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है। वहीं अब इन हमलों से आशंका है कि अलगाववादी
एक समय था जब भगत सिंह पर फ़िल्म बनी थी #शहीद
मनोज कुमार ने इसके लिए उनके जीवित साथी बटुकेश्वर दत्त से काफ़ी जानकारी ली थी
जब फ़िल्म रिलीज़ हुई तो पटकथा लेखन में उनका नाम था।
वे यह देख कर रो पड़े थे।
भगत सिंह की माता ने फ़िल्म देखी तो वे तो वे भी रो पड़ीं थीं। उनके मुख से निकला,👇
इतनी अच्छी तो मैं असली जीवन में कभी न थी।"
भारत के प्रधान मंत्री शास्त्री जी ने फ़िल्म देखी तो मनोज कुमार से निवेदन किया.....एक फ़िल्म देश के जवान और किसान पर भी बनाइए।
मनोज कुमार ने फ़िल्म बनायी #उपकार
जिसमें जय जवान जय किसान को जीवंत दिखाया गया!
अफ़सोस फ़िल्म पूरी होने
से पहले ही शास्त्री जी का निधन हो गया।
मनोज कुमार को आज तक इसका अफ़सोस है।
फ़िल्म ने सफलता के सभी रेकॉर्ड तोड़ डाले.....क्या फ़िल्म फ़ेयर, क्या राष्ट्रीय पुरस्कार सबकी लाइन लग गयी।
इस फ़िल्म में बहुत सच्चे और अच्छे गीत थे,
एक फ़िल्म के लिए चार-चार गीतकार और चार-चार ही गायक।
भूतपूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जी (जो भगवान राम मंदिर केस की सुनवाई के समय चीफ जस्टिस थे) ने रिटायरमेंट के बाद अपनी एक किताब लिखी जिसका नाम है जस्टिस फॉर जज। इस किताब में उन्होंने राम मंदिर की सुनवाई के समय बनी अलग अलग परिस्थितियों का जिक्र किया है जिसमें से एक परिस्थिति बहुत 👇
ही महत्वपूर्ण है..
उन्होंने लिखा है कि सुनवाई के शुरू के दिनों में उन्हें लग रहा था कि कोर्ट रूम में जिस तरह की परिस्थितियां बन रही थी उनके कारण इस केस की सुनवाई बहुत मुश्किल लग रही थी लेकिन फिर उन्हें एहसास हुआ कि कोई दैवीय शक्ति उनके साथ है।
उन्होंने लिखा है कि यह पहली बार
हुआ था कि लगातार 40 दिन की सुनवाई में किसी जज ने छुट्टी नहीं ली, किसी की तबीयत खराब नहीं हुई और किसी को खांसी जुकाम तक भी नहीं हुआ।
एक दिन इस केस की सुनवाई कर रही बेंच के एक जज ने यह कहते हुए छुट्टी मांगी की उनका कोई रिश्तेदार बहुत ज्यादा बीमार है और आईसीयू में है तो मैंने उनसे
#श्रीलंका की सरकार ने #गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है हालाँकि श्रीलंका की99प्रतिशत जनसंख्या मांसाहारी है,परंतु वे #हिंदू तथा #बौद्ध होने के कारण गौ पर काफी श्रद्धा रखते हैं और गौमांस नहीं खाते वर्तमान में वहाँ सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजना पेरमुना(एसएलपीपी)की सरकार है👇
जो बौद्ध मत से प्रभावित मानी जाती है। उल्लेखनीय है कि देश में मांसाहारियों की बड़ी संख्या होने के बाद भी श्रीलंका में लंबे समय से गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग चल रही थी। वर्ष 2013 में एक बौद्ध भिक्षु ने आत्मदाह करने का भी प्रयास किया था। श्रीलंका का राजधर्म बौद्ध धर्म है।
गाय को लेकर संवेदनशीलता दिखलाने वाला श्रीलंका भारत का एकमात्र पड़ोसी देश नहीं है। इससे पहले #नेपाल की एक पंचायत ने भी गाय की रक्षा करने के लिए गौ मातृत्व भत्ता देना प्रारंभ किया था। इसके तहत गाय को बच्चा होने पर दोनों के पालन के लिए गाय के मालिक को एक निश्चित राशि दी जाती थी।
बिना स्त्री के
प्रकृति नहीं पुरुष भी नहीं
सप्तऋषियों में
एक ऋषि भृगु थे।
वो स्त्रियों को तुच्छ समझते थे।
और शिवजी को गुरुतुल्य मानते थे किन्तु माँ पार्वती को वो अनदेखा करते थे।
एक तरह से वो माँ को भी आम स्त्रियों की तरह साधारण और तुच्छ ही समझते थे।
महादेव
भृगु के इस स्वभाव👇
से चिंतित और खिन्न थे।
एक दिन शिवजी ने पार्वतीमाता से कहा "आज ज्ञान सभा में आप भी चले"।
माँ पार्वती
शिवजी के इस प्रस्ताव को स्वीकार की और ज्ञान सभा में शिव जी के साथ विराजमान हो गई।
सभी ऋषिगण और देवताओ ने माँ और परमपिता को नमन किया और उनकी प्रदक्षिणा की और अपना अपना स्थान
ग्रहण किया।
किन्तु भृगु महर्षि
माँ पार्वती और शिव जी को साथ देख कर थोड़े चिंतित थे।
उन्हें समझ नही आ रहा था कि वो शिव जी की प्रदक्षिणा कैसे करे।
बहुत विचारने के बाद
भृगु ने महादेव जी से कहा कि वो पृथक खड़े हो जाये।
शिवजी जानते थे भृगु के मन की बात।
वो माँ पार्वती को देखे।