एक समय था जब भगत सिंह पर फ़िल्म बनी थी #शहीद
मनोज कुमार ने इसके लिए उनके जीवित साथी बटुकेश्वर दत्त से काफ़ी जानकारी ली थी
जब फ़िल्म रिलीज़ हुई तो पटकथा लेखन में उनका नाम था।
वे यह देख कर रो पड़े थे।
भगत सिंह की माता ने फ़िल्म देखी तो वे तो वे भी रो पड़ीं थीं। उनके मुख से निकला,👇
इतनी अच्छी तो मैं असली जीवन में कभी न थी।"
भारत के प्रधान मंत्री शास्त्री जी ने फ़िल्म देखी तो मनोज कुमार से निवेदन किया.....एक फ़िल्म देश के जवान और किसान पर भी बनाइए।
मनोज कुमार ने फ़िल्म बनायी #उपकार
जिसमें जय जवान जय किसान को जीवंत दिखाया गया!
अफ़सोस फ़िल्म पूरी होने
से पहले ही शास्त्री जी का निधन हो गया।
मनोज कुमार को आज तक इसका अफ़सोस है।
फ़िल्म ने सफलता के सभी रेकॉर्ड तोड़ डाले.....क्या फ़िल्म फ़ेयर, क्या राष्ट्रीय पुरस्कार सबकी लाइन लग गयी।
इस फ़िल्म में बहुत सच्चे और अच्छे गीत थे,
एक फ़िल्म के लिए चार-चार गीतकार और चार-चार ही गायक।
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती,
दीवानों से ये मत पूछो दीवानों पे क्या गुजरी है,
हर खुशी हो वहाँ, तू जहां भी रहे,
आयी झूम के बसंत नाचो और क़समें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या !
समर्पण का यह आलम था कि......
मनोज कुमार भारत कुमार हो गए
फिर न जाने क्या
बिजली गिरी फ़िल्म जगत बॉलीवुड हो गया।
सारे गीत छोड़ उसने एक ही गीत अपना लिया?
कसमें वादे टूटने लगे,
सेना बलात्कारी हो गयी (दिल से),
सेना पुलिसकर्मी हत्यारे हो गए, तोड़े गए मंदिर क़ब्रिस्तान हो गए (हैदर),
शाकाहारी हिरोइन मांसाहारी बना दी गयी, हनुमान भक्त कसाई के दिए तावीज़ से
जीतने लगे (दंगल),
हिंदू भगवान त्याज्य और हंसी का पात्र हो गया, प्रसाद तिरस्कृत हुआ किंतु 786 का बिल्ला रक्षक हो गया (दीवार),
स्मगलर, टेररिस्ट, गुंडे, देशद्रोही, डाकू हीरो बन गये (दीवार, रइस, Ghulam-E-Mustafa, गेंग़स्टर),
विक्टिम,देश भक़्त सभी मजहब विशेष के हो गए और भ्रष्ट पंडित
नेता, पुलिसकर्मी सभी दूसरे धर्म के हो गए।
मीर रंजन नेगी कबीर खान बना दिए गए।
आज समझ में आता है कि....
क्रीएटिव फ़्रीडम के नाम पर कोई षड्यंत्र चल रहा है।
अब यह षड्यंत्र असह्य हो गया है।
महिला पायलट के जीवन पर उन्हीं के नाम से बनी फ़िल्म में ही वायुसेना अधिकारी महिला छेड़ते हैं।
महिला चीख चीख कर कह रही है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई। पर निर्लज्ज बॉलीवुड हंस कर कहता है, "क्रीएटिव फ़्रीडम है।“
दुख इस बात का नहीं पैसे के लिए बालीवुड बिक गया
दुख इस बात का है जी, बिलकुल दुख इस बात का है कि सिस्टम अंधा है। अब तो देशभक्ति की "रोल माडल पार्टी" का सेंसर बोर्ड ही
ये फ़िल्में पास करता आ रहा है?
भोली जनता पैसे खर्च कर फ़िल्मी से अपराधी प्रोमोट कर रही है?
इस अभियान में हिंदू ,मुस्लिम, ब्राह्मण, बनिए, दलित, क्षत्रिय सब शामिल हैं।
न जाने कौन सी जादुई ड्रग है बालीवुड के पास जो भी जाता है उसे देशद्रोह प्यारा और देशभक्ति त्याज्य लगने लगती है!
जब तक बालीवुड सुधरता नहीं इसका सम्पूर्ण बहिष्कार होना चाहिए।
नेता अभिनेता और शासन कुंभकर्णी नींद में हैं।
करीना सच ही तो कहती है.....
“किसने कहा क़ि हमारी फ़िल्में देखो ?”
youtube.com/@dharmgyan789
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भारत के श्रीराम
अर्थात श्रीराम भारत के
भारत के रोम-रोम में "राम" हैं।
"राम" भारत का मन अंतरंग हैं।
प्रत्येक रूप प्रतिरूप में राम की ही चेतना है।
रूपं-रूपं प्रतिरूपो वभूव ||
श्रीराम
श्रद्धा हैं विवेक हैं
प्रज्ञा हैं साक्ष्य हैं साक्षी हैं।
कर्ता हैं और कार्यकर्ता भी हैं। 👇
राम"और "आनंद" पर्यायवाची हैं।
"राम"आनंदकंद सच्चिदानंद हैं।
राम-तत्व रामत्व ही ऋग्वेद का ऋत है।
श्रीराम भारत का सर्वोत्तम शील और पुरुषोत्तम मर्यादा हैं
राम नाम मन्त्र है
राम नाम वेद की ऋचा है।
राम गान सामगान है।
"राम" भारत की
मधु-अभीप्सा हैं
दिव्य सोम हैं
और भव्य ओSम् भी हैं
राम अनंत हैं।
राम भारतीय शील का आकाश हैं
राम आसेतु हिमांचल फैली राष्ट्रीय चेतना का प्रवाह।
राम रसायन हैं तुलसी की रामचरित मानस में ||
"राम" नाम महाऊर्जा है।
"राम"
शिव संकल्प और मधुर वाणी है
राम ध्यान है
राम विज्ञान है
राम श्रद्धा है
राम आशा है
राम परम् तेजोमय रूपरस भगवत्ता भी है।
सोशल मीडिया पर उटपटांग पोस्ट करके और अपनी जानकारी सार्वजनिक करके बड़ी-बड़ी पोस्ट में विद्यमान हिंदू मुस्लिमों द्वारा निशाना बनाए जाते हैं और अच्छी खासी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है...
और उनकी पोस्ट की रीच भी कोई बहुत अधिक नहीं होती... इसके बजाय अपनी अच्छी खासी नौकरी से जो ठीक-ठाक👇
पैसा कमा रहे हैं... उसका एक छोटा प्रतिशत उन हिंदू पत्रकार संस्था या व्यक्ति को देना चाहिए या दिया जा सकता है जो दिन भर विभिन्न स्थान से तथ्य एकत्रित करके यूट्यूब पोस्ट ट्विटर में पड़ा हुआ है और हिंदू विचारधारा का झंडा उठाए हुए हैं....
अपनी नौकरी में हाथ धोने से अच्छा यह है कि जो
हिंदू विचारधारा का झंडा उठाए हुए हैं उनके हाथ को मजबूत करें...
कई लोग काफी अच्छा पोस्ट ट्वीट यूट्यूब वीडियो भी बनाते हैं...
लेकिन उचित रोजगार ना होने के कारण उन्हें अपना मिशन बीच में छोड़ना पड़ता है कहा भी गया है भूखे भजन न होय गोपाला..
इसकी बजाय जो किसी संस्थान से जुड़े नहीं हैं
अभी जो दिल्ली की शिक्षा मंत्री बनी है अतिशी मारलेना उनके पिता का नाम विजय सिंह और माता का नाम तृप्ति वाही है
अतिशी मारलेना के माता-पिता दोनों कट्टर कम्युनिस्ट हैं इन्होंने कई बार नक्सली संगठनों को मदद दिया है और यह इतने कट्टर माओवादी हैं कि जब इनकी बेटी पैदा हुई तब उन्होंने 👇
उसका नाम आतिशी मारलेना रखा यानी कार्ल मार्क्स के नाम से mar और लेनिन के नाम से lena रखा यानी दुनिया का सबसे यूनिक सरनेम मारलेना रखा
उधर कार्ल मार्क्स के देश जर्मनी और लेनिन के देश रूस में इन दोनों को पूछने वाला कोई नहीं लेकिन भारत में उनके भी पुजारी भरे पड़े हैं
जब अतिशी
मारलेना दिल्ली लोकसभा का चुनाव लड़ रही थी तब इस के नाम से लोगों को यह लग रहा था कि यह ईसाई है फिर इसने कोर्ट में एफिडेविट देकर ऐलान किया कि वह अपने नाम का सरनेम मारलेना से हटाकर सिंह कर रही है
लेकिन सबसे आश्चर्य बात यह है कि आतिशी मारलेना के माता पिता विजय सिंह और तृप्ति वाहि
गांधी परिवार की राजनीति का अन्तिम साल हैं ये इसलिए रो रहे है विदेशी धरती पर इसलिए ओहुल गांधी को पूरा सनकी बनाकर रख दिया है.जनता इनको वोट नहीं दे रही है.
अब बीजेपी उसमें क्या करेगी?
बीजेपी का क्या रोल है?
क्या बीजेपी इनके सामने से अपने प्रत्याशी हटा ले?
इस तरह का रोना रो रहे हैं👇
मानो मंगल ग्रह से इनके वोटर आते थे.
लेकिन अब वह आ नहीं पा रहे हैं.
भाजपा ट्रैक उखाड़ दी है,
अब जैसा चल रहा है वैसे में तो 2024 के चुनाव में यह दहाई तक के लिए तरस जाएंगे. और उसके बाद फिर रोएंगे कि विपक्ष समाप्त हो गया. अरे महामूर्ख,अपनी बातों, अपनी हरकतों को तो देख.
हर जगह 👇
जा के रोता रहता है,
मोदी ने ले ली
ले ली
दर्द दे रहा
बहुत-बहुत दर्द हो रहा,
दीदी प्रियंका कुछ करो,
मोम सोनिया कुछ करो,
दादा, भैया, नाना नानी दादी कोई तो कुछ करो !!
अरे मिट्टी के माधो,,
जो अतीक अहमद मुख्तार अंसारी जैसे अपराधियों और उनके काले साम्राज्य को बुलडोजर से कुचल रहा हो
जिस अतीक अहमद के डर से दस जजों ने केस सुनने से मना किया था जिस मुख्तार अंसारी अतीक अहमद के घर बड़े बड़े अधिकारी जाने से डरते थे जो
आजम खां जिलाधिकारी को नौकर👇
समझता था
ऐसे लोगो को आज एक सिपाही औकात बताता है इसी योगी के के कारण
उस योगी के न्याय पर क्षण क्षण में संदेह करना तुम्हारा मानसिक खतना नहीं, तो और क्या है?
कितनी कमजोर याददाश्त है तुम्हारी
राम मंदिर फैसले के बाद
उत्तर प्रदेश में यदि बाबाजी ना होते, दिल्ली से भयानक स्थिति होती
दिल्ली से भयानक दंगे होते , क्या तैयारी थी तुम्हारी??
लाठियां NSA भूल गए
संक्रमित थूकते हुए लोग और उन पर पड़ती लाठियां भूल गए?
लखनऊ में शाहीन बाग बनाते हुए लोगों पर पडती हुई लाठियां भूल गए?
श्री राम मंदिर फैसले पर कोई गुंडा अपनी चु तक नही कर पाया भूल गए?