दोस्तो..!!
कहा सुनी माफ करना हम सोशल मीडिया हमेशा के लिए छोड़ रहे हैं स्वेच्छा से,
आप लोगों ने हमे बहुत प्यार दिया उसके हम दिल से आभारी है और आप लोगों के दिए प्यार को हम जब तक जिएंगे तब तक नही भूलेंगे,
हम हमारी पर्सनल प्रॉब्लम से सोशल मीडिया छोड़ रहे हैं उसमे ट्विटर भी 4/1
4/2 शामिल है,
2010 थे हम ट्विटर पर थे और एक्टिव 2013/2014 से हुए जब मोदीजी आ रहे थे और उनके आने के बाद भी आज तक थे।
कल से हम अपनी आईडी हमेशा के लिए बंद कर देंगे,
क्युकी हम अपना काम नही कर पा रहे थे ढंग से और अभी बहुत बड़ी प्रॉब्लम में है तो वो पर्सनल है,
आप ये मत सोचिए किसी
4/3 लड़की बगेरा का चक्कर होगा तो ऐसा कुछ नही है,
बस स्वेच्छा से जा रहे हैं,
हमने 24 घंटे में से 12 घंटे यहां बिगाड़े हैं,12 घंटे काम पर दिए होते तो हम प्रॉब्लम में ना होते,
इस्बार हमारा ये निर्णय अटूट है हम यह से जा रहे हैं,
आप लोग हमारे लिए प्रार्थना कीजिए बस🙏🙏
4/4 आप सबने हमे जो प्यार दिया वो बहुत अमूल्य है हमारे लिए,
उसको आजीवन याद रखेंगे🙏😢
दिल से धन्यवाद आप सबको हमारा साथ देने के लिए,
सॉन्ग जो ट्वीट में रखा है वो हकीकत है हमारी😢😢
आप सबके लिए यही हमारी अंतिम पोस्ट है ट्विटर पर,
अभी जो दिल्ली की शिक्षा मंत्री बनी है अतिशी मारलेना उनके पिता का नाम विजय सिंह और माता का नाम तृप्ति वाही है
अतिशी मारलेना के माता-पिता दोनों कट्टर कम्युनिस्ट हैं इन्होंने कई बार नक्सली संगठनों को मदद दिया है और यह इतने कट्टर माओवादी हैं कि जब इनकी बेटी पैदा हुई तब उन्होंने
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उसका नाम आतिशी मारलेना रखा यानी कार्ल मार्क्स के नाम से mar और लेनिन के नाम से lena रखा यानी दुनिया का सबसे यूनिक सरनेम मारलेना रखा
उधर कार्ल मार्क्स के देश जर्मनी और लेनिन के देश रूस में इन दोनों को पूछने वाला कोई नहीं लेकिन भारत में उनके भी पुजारी भरे पड़े हैं
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जब अतिशी मारलेना दिल्ली लोकसभा का चुनाव लड़ रही थी तब इस के नाम से लोगों को यह लग रहा था कि यह ईसाई है फिर इसने कोर्ट में एफिडेविट देकर ऐलान किया कि वह अपने नाम का सरनेम मारलेना से हटाकर सिंह कर रही है
लेकिन सबसे आश्चर्य बात यह है कि आतिशी मारलेना के माता पिता विजय सिंह और
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अतीक अहमद बहुत बड़ा धर्मांतरण गैंग चलाता था
गरीब हिंदू युवकों को अपराध की दुनिया में ढकेल कर फिर उन्हें पुलिस से और सरकार से बचाने का लालच देकर उनका धर्मांतरण करवाता था और ज्यादातर धर्मांतरण खुद अतीक अहमद का बेटा करवाता था
इसके एक करीबी के अनुसार अतीक अहमद यह सोचता था 3/1
3/2 इस्लाम में सबसे बड़ा फर्ज है यदि तुम्हारी वजह से कोई काफीर इस्लाम में दाखिल हो इसीलिए अतीक अहमद और उसके बेटे 22 से ज्यादा अपने हिंदुओं का धर्मांतरण करवा कर उन्हें मुसलमान बना चुके हैं और मुसलमान बनाने के लिए यह धमकी पुलिस के एनकाउंटर से बचाने का लालच इत्यादि देते थे
3/3 मारा गया शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान हिंदू था उसका भाई जो नैनी जेल में बंद है वह हिंदू है उसके भाई ने खुद बताया कि मेरे भाई का धर्मांतरण अतीक के बेटे ने करवा दिया और उसका नाम उस्मान रख दिया
#होलिका दहन की सभी सनातनधर्मियों को शुभकामनाएं।
भक्त प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने ऐसे संभाला कि होलिका का वरदान ही उसके लिए श्राप बन गया! जिस अग्नि से उसे अभयदान प्राप्त था, वही अग्नि उसकी भक्षक बन गई!
अतः भगवान विष्णु की शरण लें,उनका सहस्रनाम ब्रह्मांड में गूंजयमान करें
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ताकि वही आप पर बरसें,आपका कल्याण करें।
वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्
#शाम को ही एक डंडे में गोबर से बना कर सुखाई हुईं गुलरियां (पतले गोल उपले जिनके बीच छेद होता) फसा और फिर सुतली से उसे कस कर एक मशाल जैसा बना दिया जाता..डंडा इतना बड़ा रखते के दूर से आग तक पहुँच जाये..
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फिर अंधेरा होने से ठीक पहले घर की कोई लड़की होलिका पूजने जाती तो उसके साथ वहाँ जा होली जलाने से पहले के अंतिम डिसक्शन होते.... थोड़े से षणयंत्रो के भी.....किसकी कटी पड़ी लकड़ी होली के हवाले होनी हैं तो किसकी खेत पर बनी मढ़ईया.... लोंडे साले इतने वफ़ादार के अपने बाप को भी रहस्य
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#लड्डन_कबाड़ी
🤣🤣🤣
झौलवी के सपने में फरिश्ता आया...
"क्या चाहते हो..???"
"जन्नत...."
"क्यूं....???"
"हूरों के लिए..."
"पहले ट्रायल कर लो..."
"क्या करना होगा...???"
"मुर्गा बनना होगा, 72 मुर्गी मिलेगी..."
" मंजूर..."
ट्रायल के दौरान झौलवी.. 🤣🤣🤣
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झौलवी अपने बकरे को चरा रहा था...अभी 2 दिन पहले ही खरीदा है 72 हज़ार में,... बकरा एक दम मस्त बुलंद है देखने में..... संगमरमर सा सफेद गुलाबी आंखें...
अब झौलवी का सारा समय उसी की देख रेख में बीत रहा था.... बकरे को नहलाना,खिलाना ,घुमाना अपने पास सुलाना.... झौलवी को इस बाबत किसी पर
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यकीन नहीं था....
इसलिए वो अपने बकरे को खुद चराने के लिए निकला था..... बकरा मज़े से हरी हरी घास खा रहा था और झौलवी पेड़ के नीचे बैठ कर उसे देख रहा था.....
इतने में #लड्डन_कबाड़ी उधर से निकला.... उसने मायूस झौलवी को देखा और जादाब बजाया...
लड्डन : जादाब हुज़ूर...
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सत्ता का केंद्र 10 जनपथ था। बुद्धजीवियों का अड्डा स्कॉच, चिवास के साथ खान मार्केट से बिरियानी शाम को आ जाती थी। पंडित आलोक शर्मा ,उर्मिलेश,वाजपेयी आदि पत्रकार का जमघट लगता था।दिल्ली से लेकर कराची तक मुशायरों का दौर चल रहा था। लौहार फेस्टिवल
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में अख्तर साहब मुख्य अथिति थे तो कराची में शबाना आजमी।
इधर कश्मीर में आतंकवाद तांडव किया था। माओवादी लाल कॉरिडोर का स्वप्न पूरा हुये देख रहे थे। नेपाल में वामपंथियों ने सत्ता हथिया ली थी।देश कमोबेश ईसाई मिशनरियों के हाथ में था।धर्मपरिवर्तन को दशजनपथ का प्रत्यक्ष समर्थन था।
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मैडम चाहती थी,पाकिस्तान से सम्बंध और भी ठीक हो ! वह भी किसी कीमत पर। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कयानी और मनमोहन सिंह मिश्र की राजधानी काहिरा मे मिले,पाकिस्तान जो चाहता था सब कुछ मिल गया।
दूसरे दौर की वार्ता का कार्यक्रम भी बन गया। मीडिया के लिये कश्मीर में मरते सैनिकों का कोई
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जिसका नाम ब्लादिमीर पुतिन हैं। एकदम आग से निकला है वो....हिलेरी क्लिंटन की किताब हार्ड चॉइस से!
द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था। एक रूसी सैनिक सीमा पर से दो दिनों की छुट्टी लेकर अपनी पत्नी से मिलने घर आता है। घर पहुंचने पर वो लाशों का ढेर देखता है
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जिन्हें दफनाने के लिए गाड़ियों मे लादने की तैयारी चल रही थी। जब वो और नजदीक आता है तो लाशों के ढेर मे उसे एक महिला की पैर दिखाई देती है। पैरों में पहने जूते से वो पहचान जाता है कि ये उसकी पत्नी है। वो दौड़कर अधिकारियों से अपनी पत्नी की लाश मांगता है ताकि अपनी
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पत्नी का अंतिम संस्कार वो खुद कर सके।
थोड़ी मिन्नतों के बाद अधिकारी उसे उसकी पत्नी की लाश सौंप देते हैं। सैनिक को अपनी पत्नी जैसे ही मिलती है उसे लगता है कि उसमे अभी जान बाकी है। वो उसे घर ले आता है और उसकी सेवा सुश्रुसा करता है। उसकी पत्नी बच जाती है।
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