'सारे शहरों के मुस्लिम नाम बदले जाएं' :-एक आम भारतीय की अपील
अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर कर लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वो एक "पुनर्नामकरण आयोग" बनाएं ताकी उन सभी भारतीय शहरों के मुस्लिम नाम बदले जाएं, जो पहले सनातनी थे।
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जिन स्थानों का जिक्र कुरान में है, वो आज भी अरब में उसी नाम से मौजूद हैं। जिस नाम का जिक्र बाइबिल में है, वो नाम आज भी यूरोप में वैसे के वैसे मौजूद हैं.. लेकिन भारतीय शहरों के जो नाम महाभारत-रामायण में हैं, पुराणों में हैं.. वो आखिर क्यों नहीं मिलते??
क्योंकि ये नाम मुसलमानों ने हमला करके बदल दिये और अरब की संस्कृति के नाम हमारे ऊपर थोप दिए गए।
इसी वजह से आज ये भ्रम होता है और लोग रामायण, महाभारत, पुराण को काल्पनिक साबित करने की कोशिश करने लगते हैं। ये सीधे-सीधे हिंदू संस्कृति की पहचान बदलने का मामला है।
ये सीधे सीधे हिंदुओं के राइट टू कल्चर,राइट टू डिग्निटी,राइट टू आइडिंटिटी का मामला है।
•हमारी शक्तिपीठों में से एक #कीर्तिवेश्वरी_देवी_मंदिर (जहां सती मां का मुकुट गिरा) पर एक मुस्लिम हमलावर मुर्शिद ने हमला किया, मंदिर को तोड़ा और जगह का नाम #मुर्शिदाबाद रख दिया।
• इसी तरह उत्तर प्रदेश के #विंध्याचल पर मिर्जा नाम के शासक ने हमला किया और उसका नाम #मिर्जापुर कर दिया।
• ठीक इसी तरह से #जौनपुर नाम मुस्लिम शासक जौनाखां के नाम रखा गया, जबकि उसका पुराना नाम #जमदेग्नयपुरम था.. वो ऋषि परशुराम के पिता का क्षेत्र है।
• इसी तरह राजा जनक के शहर #विदेह का नाम मुजफ्फर नाम के मुस्लिम शासक ने बदलकर #मुजफ्फरपुर कर दिया।
• इसी तरह #अजातशत्रुनगर का नाम बेगू नामक एक शासक ने #बेगूसराय कर दिया।
• इसी तरह #कर्णावती को मुहम्मद शाह ने #अहमदाबाद नाम दिया।
सवाल ये है कि 'आखिर देश लुटेरों और बलात्कारियों के द्वारा दिए गए इन नामों को क्यों ढो रहा है'? जब ये सवाल अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के अंदर उठाए तो जस्टिस के.एम.जोसेफ ने अश्विनी उपाध्याय की याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने बयान देते हुए कहा कि 'ये इतिहास बदला नहीं जा सकता है कि तुर्क और अरब के मुसलमानों ने हमले करके देश पर शासन किया'।

हालांकि जज साहब से शहर के नाम बदलने की बात कही गई थी, ना कि इतिहास बदलने की।
गुरुवार को उन्ही जज जस्टिस के.एम.जोसेफ ने ही मोदी सरकार से चुनाव आयुक्त नियुक्त करने का अधिकार भी छीन लिया। जाहिर है.. अब भारत के धरतीपुत्रों को गजवा ए हिंद की पैरोकार कांग्रेस ही नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं का भी विरोध झेलना पड़ रहा है।
ये बात मोदीजी को समझनी होगी कि ये कम्युनिस्ट इकोसिस्टम है, जिसको मुंहतोड़ जवाब देना होगा.. वरना जो सिर झुकाते हैं उनकी गर्दन भी काट दी जाती है। यही इतिहास हमें सिखाता है कि गर्दन मत झुकाओ, बल्कि अपना अधिकार मांगो।

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Mar 13
तीन साल की बच्ची के सिर से अचानक एक दिन पिता का साया छिन जाता है. बच्ची को नहीं पता कि पिता कैसे होते हैं. कैसा प्यार होता है. परन्तु परिवार से कई देखे तो कई अनदेखे हाथ चले आते हैं, बच्ची को प्यार देने के लिए.
दादा,चाचा, ताऊ,नाना,मामा, फूफाजी, और न जाने कितने! ImageImage
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Mar 13
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Mar 13
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Mar 13
हाँ बिलकुल ऐसे ही तो होते हैं कुछ पुरुष

विरह में सिर्फ स्त्रियाँ ही नही सूखती
सूख जाते हैं पुरूष भी
होंठ पर पड़ जाती हैं पपड़िया
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नहीं सुहाती रंगीन कमीजे..
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अनगिनत काली रातों में
जलती है खाली आँखे.. Image
जलाया है सूरज,बुझ जाती हैं सुबह
बंजर हो जाती छाती
जम जाता ह्रदय का महासागर
हाथों में नहीं बचता स्पर्श का एहसास

लकीरें काटने को दौड़ती
शिथिल बोझिल सा हो जाता है शरीर
निकल नही पाता कोई गुबार मुख से
सुप्त हो जाता है मन का लावा
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विरान मरूस्थल सा हो जाता है मन
जिनमें रेंगता है बस मौन ही मौन
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हरियाली को तरसते हैं नैन
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बटुए मे तस्वीर के रिक्त स्थान को
निहारते हैं,सोचते हैं
फिर बंद कर देते हैं ।
Read 5 tweets
Mar 12
संचार माध्यमों (मीडिया) का भ्रष्टाचार:
राजनैतिक भ्रष्टाचार पर किये गये शोध बताते हैं कि यदि संचार माध्यम स्वतन्त्र और निष्पक्ष हो तो इससे सुशासन को बढ़ावा मिलता है जिससे आर्थिक विकास को गति मिलती है।

भारत में 1955 में अखबार के मालिकों के भ्रष्टाचार के मुद्दे संसद में उठते थे।
आज मिडियाभ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि मीडियामालिक काफी तादाद में संसद में बैठे हैं। अर्थात् भ्रष्टमिडिया और भ्रष्टराजनेता मिलकर काम कर रहे हैं।भ्रष्ट घोटालों में मीडिया घरानों के नाम आते हैं।उनमें काम करने वाले पत्रकारों के नाम भी आते हैं।कई पत्रकार भी करोड़पति अरबपति हो गए हैं।
आजादी के बाद लगभग सभी बड़े समाचार पत्र पूंजीपतियों के हाथों में गये। उनके अपने हित निश्चित हो सकते हैं इसलिए आवाज उठती है कि मीडिया बाजार के चंगुल में है। बाजार का उद्देश्य ही है अधिक से अधिक लाभ कमाना। पत्रकार शब्द नाकाफी है अब तो न्यूज बिजनेस शब्द का प्रयोग है।
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Mar 12
सेना में भ्रष्टाचारः
विश्व की कुछ चुनिंदा सबसे तेज़,सबसे चुस्त, बहादुर और देश के प्रति विश्वसनीयसेनाओं में अग्रणीस्थान पाने वालों में से एक है।देश का सामरिकइतिहास इस बात का गवाह है कि भारतीयसेना ने युद्धों में वो वो लडाई सिर्फ़ अपने जज़्बे और वीरता के कारण जीत ली
जो दुश्मन आधुनिक अस्तशस्त्र से भी नहीं जीत पाए

लेकिन पिछले कुछवर्षों में जिस तरह से,बड़े शस्त्र आयातनिर्यात में,आयुधकारागारों में संदेहास्पदअगिनकांडों की शृंखला,पुराने यानों के चालन से उठे सवाल और जाने ऐसी कितनी ही घटनाएं, दुर्घटनाएं और अपराधिककृत्य सेना ने अपने नाम लिखवाए हैं ।
और अब भी कहीं न कहीं ये सिलसिला ज़ारी है वो इस बात का ईशारा कर रहा है कि अब स्थिति पहले जैसी नहीं है। कहीं कुछ बहुत ही गंभीर चल रहा है। सबसे दुखद और अफ़सोसजनक बात ये है कि अब तक सेना से संबंधित अधिकांश भ्रष्टाचार और अपराध सेना के उच्चाधिकारियों के नाम ही रहा है।
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